इन्टरनैट पर एक ऑन्लाइन पत्रिका, ’स्मिथ मैगज़ीन’ ने, जो सदस्यों द्वारा आपस में कथा-कहानी बांटने के द्वारा आनन्द भाव फैलाने के लिए है, अपने पाठकों के सामने एक रोचक चुनौती रखी - केवल अंग्रज़ी भाषा के छः शब्द प्रयोग करके अपने जीवन को बयान करें। हज़ारों लोगों ने प्रत्युत्तर में अपनी जीवन समीक्षाएं भेजीं, जिनमें आनन्द-विनोद भी था जैसे "प्यारी पत्नी, अच्छे बच्चे - मैं धनवान" और दुखी मन भी थे, जैसे "साठ का हूँ; अभी तक अभिभावकों को क्षमा नहीं कर पाया हूँ"।
मैं कलपना करने लगा कि परमेश्वर के वचन में दी गई जीवनी के आधार पर यदि राजा सुलेमान को अपने जीवन को ऐसे ही संक्षेप में कहना होता तो वह क्या कहता? संभवतः अपनी जवानी के दिनों में वह कहता, "परमेश्वर ने मुझे बेहिसाब धन और बुद्धिमता प्रदान की है" (१ राजा १०:२३); और अपने जीवन के अन्त की ओर आकर कहता, "मैंने जैसा प्रचार किया था, काश वैसा ही आचरण भी किया होता।"
राजा सुलेमान का शासन काल इस्त्राएल के इतिहास में शांति और समृद्धि का समय था। सुलेमान, जिसने लड़कपन में ही परमेश्वर के दर्शन, आशीष और सामर्थ के साथ अपना राज्य आरंभ किया था, उम्र बढ़ने के साथ अपनी समृद्धि में परमेश्वर से दूर हो गया क्योंकि उसने बहुत सी परदेशी स्त्रियों के साथ ब्याह रचा लिए थे और उन स्त्रियों ने उसे अपने देवी-देवताओं की उपासना में उलझा लिया, सच्चे परमेश्वर से विमुख कर दिया; और एक आदर्ष जीवन नष्ट हो गया तथा उससे परमेश्वर अप्रसन्न हो गया, और राजा सुलेमान अपनी आशीषें गवां बैठा। सुलेमान ने अपने अनुभवों के आधार पर लिखी सभोपदेशक पुस्तक में अनेक बार ’व्यर्थ’ शब्द का प्रयोग किया है। यह सांसारिकता के जीवन, सांसारिक उपलब्धियों, ज्ञान, वासना और शारीरक संतुष्टि से अन्ततः कुछ भी चिरस्थायी और शांतिप्रद प्राप्त ना हो पाने के कारण जीवन से उसके मोह-भंग को दिखाता है। हर प्रकार के सांसारिक सुख-विलास से आनन्द पाने का प्रयास कर के देख लेने बाद सुलेमान का अन्तिम निष्कर्ष वही था जो आरंभ में ही उससे परमेश्वर ने कह दिया था - परमेश्वर कि आज्ञाकारिता में बने रहना।
इस बुद्धिमान राजा ने, जिसके पास सब परमेश्वर की आशीषस्वरूप कुछ था और जिसने अपनी अनाज्ञाकारिता द्वारा सब कुछ गंवा दिया, उसी ने अपने सभी अनुभवों पर गहराई से चिंतन कर के अपनी सभोपदेशक की पुस्तक का अन्त इन शब्दों से किया: "सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है। क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा" (सभोपदेशक १२:१३-१४)।
सुलेमान राजा द्वारा अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर दिया गया यह निष्कर्ष हम सब के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है और मार्गदर्शक भी। किसके जीवन का अन्त कब हो जाएगा, कोई नहीं जानता। अन्त कभी भी हो, किंतु विचार करने की बात यह है कि क्या हम परमेश्वर को अपने जीवनों का हिसाब देने के लिए वास्तव में हर समय तैयार हैं? जो उसकी आज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत करते हैं वे उसे हिसाब देने के लिए सदा तैयार भी रहते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड
परमेश्वर की आज्ञाकारिता ही परमेश्वर की आशीषों की कुंजी है।
सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है। - सभोपदेशक १२:१३
बाइबल पाठ: १ राजा ११:१-१०
1 Kings11:1 परन्तु राजा सुलैमान फ़िरौन की बेटी, और बहुतेरी और पराये स्त्रियों से, जो मोआबी, अम्मोनी, एदोमी, सीदोनी, और हित्ती थीं, प्रीति करने लगा।
1 Kings11:2 वे उन जातियों की थीं, जिनके विषय में यहोवा ने इस्राएलियों से कहा था, कि तुम उनके मध्य में न जाना, और न वे तुम्हारे मध्य में आने पाएं, वे तुम्हारा मन अपने देवताओं की ओर नि:सन्देह फेरेंगी; उन्हीं की प्रीति में सुलैमान लिप्त हो गया।
1 Kings11:3 और उसके सात सौ रानियां, और तीन सौ रखेलियां हो गई थीं और उसकी इन स्त्रियों ने उसका मन बहका दिया।
1 Kings11:4 सो जब सुलैमान बूढ़ा हुआ, तब उसकी स्त्रियों ने उसका मन पराये देवताओं की ओर बहका दिया, और उसका मन अपने पिता दाऊद की नाईं अपने परमेश्वर यहोवा पर पूरी रीति से लगा न रहा।
1 Kings11:5 सुलैमान तो सीदोनियों की अशतोरेत नाम देवी, और अम्मोनियों के मिल्कोम नाम घृणित देवता के पीछे चला।
1 Kings11:6 और सुलैमान ने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और यहोवा के पीछे अपने पिता दाऊद की नाईं पूरी रीति से न चला।
1 Kings11:7 उन दिनों सुलैमान ने यरूशलेम के साम्हने के पहाड़ पर मोआबियों के कमोश नाम घृणित देवता के लिये और अम्मोनियों के मोलेक नाम घृणित देवता के लिये एक एक ऊंचा स्थान बनाया।
1 Kings11:8 और अपनी सब पराये स्त्रियों के लिये भी जो अपने अपने देवताओं को धूप जलातीं और बलिदान करती थीं, उसने ऐसा ही किया।
1 Kings11:9 तब यहोवा ने सुलैमान पर क्रोध किया, क्योंकि उसका मन इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से फिर गया था जिसने दो बार उसको दर्शन दिया था।
1 Kings11:10 और उसने इसी बात के विषय में आज्ञा दी थी, कि पराये देवताओं के पीछे न हो लेना, तौभी उसने यहोवा की आज्ञा न मानी।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन २१-२२
- मत्ती १९
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