घटना अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना प्रांत के ग्रीन्सबोरो शहर में 1 फरवरी 1960 की है, जहाँ चार काले विद्यार्थी जाकर एक ऐसे स्थान पर भोजन करने बैठ गए जो केवल गोरे लोगों के लिए निर्धारित करी हुई थी। उन चार छात्रों में से एक, फ्रांसिस मक्कैन ने देखा कि पास ही के स्थान पर बैठी एक वृद्ध श्वेत महिला उन्हें बड़े ध्यान से देख रही है। मक्कैन को निश्चित था कि उस महिला के विचार उनके और रंगभेद नीति के विरुद्ध उनके इस विरोधप्रदर्शन के प्रति अच्छे नहीं होंगे। थोड़ी ही देर में वह महिला उठी और उन की ओर बढ़ी, पास आकर उसने अपना हाथ उठाया और फिर उनकी पीठ थपथपाते हुए बोली, "लड़कों, मुझे तुम पर बहुत नाज़ है।"
कई वर्षों के बाद एक राष्ट्रीय रेडियो प्रसारण पर इस घटना का उल्लेख करते हुए मक्कैन ने कहा कि इस घटना से मैंने सीखा कि किसी के बारे में ऐसे ही कोई पूर्वधारणा नहीं बनानी चाहिए; वरन उस व्यक्ति को अवसर देकर, उससे वार्तालाप और संपर्क करके तब ही उसके विषय में कोई आंकलन करना चाहिए।
जैसा हम आज चर्च कि दशा को देखते हैं, प्रथम शताब्दी के चर्च में भी जाति, भाषा, संसकृति आदि के आधार पर लोगों में भेदभाव पाए जाते थे। इस प्रवृति को सही करने के लिए प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को अपनी दूसरी पत्री में लिखा, कि वे बाहरी स्वरूप और व्यवहार पर नहीं लेकिन मन की बात के अनुसार लोगों को आंकें (2 कुरिन्थियों 5:12)। पौलुस ने उन्हें समझाया, क्योंकि प्रभु यीशु मसीह ने सब के पापों के बदले में और सबके उद्धार के लिए मृत्यु सही और फिर मृत्कों में से जी उठा, इसलिए "सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे..." (2 कुरिन्थियों 5:16)।
हम सब मसीही विश्वासियों की यही सोच होनी चाहिए कि हम किसी के प्रति कभी कोई पूर्वधारणा नहीं रखें वरन प्रत्येक जन को सही समझ-बूझ के साथ और पूरा-पूरा अवसर देकर ही आंकें क्योंकि हम सब परमेश्वर ही के बनाए हुए हैं और उसने हमें अपने ही स्वरूप में रचा है; और फिर जिन्होंने प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण कर लिया है वे तो मसीह यीशु में एक नई सृष्टि हो ही गए हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड
जो मायने रखती है वह व्यक्ति के अन्दर की बात है ना कि उसके बाहरी स्वरूप की।
सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे। - 2 कुरिन्थियों 5:16
बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 5:12-21
2 Corinthians 5:12 हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्ड करते हैं।
2 Corinthians 5:13 यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं।
2 Corinthians 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।
2 Corinthians 5:15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।
2 Corinthians 5:16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे।
2 Corinthians 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
2 Corinthians 5:18 और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है।
2 Corinthians 5:19 अर्थात परमेश्वर ने मसीह में हो कर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उसने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।
2 Corinthians 5:20 सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
2 Corinthians 5:21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।
एक साल में बाइबल:
- भजन 10-12
- प्रेरितों 19:1-20
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें