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सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

संपूर्ण


      परमेश्वर के वचन बाइबल का एक पात्र, कालिब संपूर्ण मन से परमेश्वर का काम करने वाला व्यक्ति था। मिस्र के दासत्व से इस्राएल के निकलने के पश्चात जब प्रतिज्ञा किए हुए देश के विषय जानकारी लेने के लिए बारह लोगों के दल को कनान देश में टोह लेने के लिए भेजा गया तो उनमें यहोशू और कालिब भी थे। उस दल ने आकर मूसा और इस्राएल की मण्डली को देश के विषय बताया, और लोगों को घबरा दिया। किन्तु कालिब ने कहा “पर कालेब ने मूसा के साम्हने प्रजा के लोगों को चुप कराने की मनसा से कहा, हम अभी चढ़ के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्ति है” (गिनती 13:30), और यहोशू ने भी उसका साथ दिया। किन्तु शेष दस सदस्यों ने कहा कि उनके सफल होने की संभावन बहुत कम है, और केवल बाधाओं को ही देखा (पद 31-33)।

      उन दस लोगों के द्वारा औरों को हताश करने के कारण इस्राएली परमेश्वर के विरुद्ध बड़बड़ाने  लगे, जिसके परिणामस्वरूप इस्राएलियों को चालीस वर्ष की जंगल की यात्रा झेलनी पड़ी। किन्तु कालेब ने कभी हार नहीं मानी, और उसके विषय परमेश्वर की गवाही थी, “मेरे दास कालिब के साथ और ही आत्मा है, और उसने पूरी रीति से मेरा अनुकरण किया है, मैं उसको उस देश में जिस में वह हो आया है पहुंचाऊंगा, और उसका वंश उस देश का अधिकारी होगा” (गिनती 14:24)। इस घटना के पैंतालीस वर्ष पश्चात, परमेश्वर ने कालिब को, 85 वर्ष की आयु में, हेब्रोन नगर दिया क्योंकि “...वह इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का पूरी रीति से अनुगामी था” (यहोशू 14:14)।

      इसके सदियों बाद एक व्यवस्थापक ने प्रभु यीशु मसीह से पूछा, “हे गुरू; व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?” और प्रभु यीशु मसीह का उत्तर था, “तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है” (मत्ती 22:35-38)।

      हम आज भी कालिब के जीवन से प्रोत्साहन प्राप्त करते हैं, परमेश्वर के प्रति उसके भरोसे के द्वारा; उस परमेश्वर के प्रति जो हमारे संपूर्ण प्रेम, भरोसे और समर्पण के योग्य है। - डेविड मैक्कैस्लैंड


मसीह यीशु के प्रति समर्पण प्रति दिन की बुलाहट है।

और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो। - कुलुस्सियों 3:23

बाइबल पाठ: गिनती 13:26-32; 14:20-24
Numbers 13:26 और पारान जंगल के कादेश नाम स्थान में मूसा और हारून और इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के पास पहुंचे; और उन को और सारी मण्डली को संदेशा दिया, और उस देश के फल उन को दिखाए।
Numbers 13:27 उन्होंने मूसा से यह कहकर वर्णन किया, कि जिस देश में तू ने हम को भेजा था उस में हम गए; उस में सचमुच दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और उसकी उपज में से यही है।
Numbers 13:28 परन्तु उस देश के निवासी बलवान हैं, और उसके नगर गढ़ वाले हैं और बहुत बड़े हैं; और फिर हम ने वहां अनाकवंशियों को भी देखा।
Numbers 13:29 दक्षिण देश में तो अमालेकी बसे हुए हैं; और पहाड़ी देश में हित्ती, यबूसी, और एमोरी रहते हैं; और समुद्र के किनारे किनारे और यरदन नदी के तट पर कनानी बसे हुए हैं।
Numbers 13:30 पर कालेब ने मूसा के साम्हने प्रजा के लोगों को चुप कराने की मनसा से कहा, हम अभी चढ़ के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्ति है।
Numbers 13:31 पर जो पुरूष उसके संग गए थे उन्होंने कहा, उन लोगों पर चढ़ने की शक्ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान हैं।
Numbers 13:32 और उन्होंने इस्त्राएलियों के साम्हने उस देश की जिसका भेद उन्होंने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, कि वह देश जिसका भेद लेने को हम गये थे ऐसा है, जो अपने निवासियों निगल जाता है; और जितने पुरूष हम ने उस में देखे वे सब के सब बड़े डील डौल के हैं।
Numbers 14:20 यहोवा ने कहा, तेरी बिनती के अनुसार मैं क्षमा करता हूं;
Numbers 14:21 परन्तु मेरे जीवन की शपथ सचमुच सारी पृथ्वी यहोवा की महिमा से परिपूर्ण हो जाएगी;
Numbers 14:22 उन सब लोगों ने जिन्होंने मेरी महिमा मिस्र देश में और जंगल में देखी, और मेरे किए हुए आश्चर्यकर्मों को देखने पर भी दस बार मेरी परीक्षा की, और मेरी बातें नहीं मानी,
Numbers 14:23 इसलिये जिस देश के विषय मैं ने उनके पूर्वजों से शपथ खाई, उसको वे कभी देखने न पाएंगे; अर्थात जितनों ने मेरा अपमान किया है उन में से कोई भी उसे देखने न पाएगा।
Numbers 14:24 परन्तु इस कारण से कि मेरे दास कालिब के साथ और ही आत्मा है, और उसने पूरी रीति से मेरा अनुकरण किया है, मैं उसको उस देश में जिस में वह हो आया है पहुंचाऊंगा, और उसका वंश उस देश का अधिकारी होगा।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 12-14
  • मरकुस 5:21-43


शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

दौड़



      मेरे सबसे पसंदीदा टेलिविज़न प्रोग्रामों में से एक है The Amazing Race जो वास्तविकता में होने वाली एक प्रतिस्पर्धा दौड़ का प्रसारण है। इस रियालिटी शो में दस जोड़ों को विदेश भेजा जाता है जहाँ उन्हें ट्रेन, बस, टैक्सी, बाईक्स, और पैदल यात्रा करके एक से दूसरे स्थान तक पहुँचाना होता है, जहाँ से उन्हें फिर उससे अगले स्थान के लिए निर्देश मिलते हैं। दौड़ का उद्देश्य है कि एक जोड़ा अन्य सभी से पहले अंतिम स्थान पर पहुँचे, और जीतने वाले को दसलाख अमेरिकी डॉलर ईनाम में मिलते हैं।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने मसीही जीवन की तुलना भी एक दौड़ से की, और कहा कि वह अब तक समापन रेखा तक नहीं पहुँचा है, वरन दौड़ को पूरा करने में प्रयासरत है – “हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह ईनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है” (फिलिप्पियों 3:13-14)।

      पौलुस ने बीते समय की अपनी असफलताओं के दोष-बोध को उसे अपनी इस दौड़ में दौड़ने से बाधित नहीं करने दिया; और न ही उसने अपनी वर्तमान सफलताओं को उसे इस दौड़ में ढीला पड़ने दिया। वह बस मसीह यीशु की समानता में ढलते जाने की इस दौड़ में निरन्तर प्रयास करता रहा।

      हम सभी मसीही विश्वासी पौलुस के समान इस दौड़ में हैं। अपनी असफलताओं या सफलताओं के बावजूद, हम मसीह यीशु की समानता में ढलते जाने के उस अंतिम लक्ष्य की ओर बढ़ने में लगे रहें। हम किसी सांसारिक ईनाम के लिए नहीं दौड़ रहे हैं, वरन मसीह यीशु के साथ अनन्त काल के लिए रहने और आनदित होने के ईनाम के लिए दौड़ रहे हैं। - मारविन विलियम्स


मसीह यीशु का अनुसरण करते रहने को कभी छोड़ न दें।

मैं अच्छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं। - 2 तिमुथियुस 4:7-8

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों  3:12-21
Philippians 3:12 यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिद्ध हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था।
Philippians 3:13 हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ।
Philippians 3:14 निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।
Philippians 3:15 सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा।
Philippians 3:16 सो जहां तक हम पहुंचे हैं, उसी के अनुसार चलें।
Philippians 3:17 हे भाइयो, तुम सब मिलकर मेरी सी चाल चलो, और उन्हें पहिचान रखो, जो इस रीति पर चलते हैं जिस का उदाहरण तुम हम में पाते हो।
Philippians 3:18 क्योंकि बहुतेरे ऐसी चाल चलते हैं, जिन की चर्चा मैं ने तुम से बार बार की है और अब भी रो रोकर कहता हूं, कि वे अपनी चालचलन से मसीह के क्रूस के बैरी हैं।
Philippians 3:19 उन का अन्‍त विनाश है, उन का ईश्वर पेट है, वे अपनी लज्ज़ा की बातों पर घमण्‍ड करते हैं, और पृथ्वी की वस्‍तुओं पर मन लगाए रहते हैं।
Philippians 3:20 पर हमारा स्‍वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहां से आने ही बाट जोह रहे हैं।
Philippians 3:21 वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिस के द्वारा वह सब वस्‍तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 7-8
  • मरकुस 4:12-41



शनिवार, 30 मई 2015

नम्र मन


   साहित्य में अकसर देखा जाता है कि चरित्र का कोई छोटा सा ऐब, कहानी के नायक के पतन का कारण हो जाता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम ऐसे उदाहरण पाते हैं, जिनमें से एक है राजा उज़्ज़ियाह का। उज़्ज़ियाह 16 वर्ष की आयु में यहूदा का राजा बना; राजा बनने के कई वर्ष पश्चात तक वह परमेश्वर का खोजी रहा और जब तक वह ऐसा करता रहा, परमेश्वर उसे सफलता तथा उन्नति देता रहा, उसे सामर्थी करता रहा (2 इतिहास 26:4-5)। इस सफलता, उन्नति तथा सामर्थ से उसकी ख्याति चारों ओर फैल गई; किंतु इससे उसके अन्दर घमंड भी आ गया, जो फिर उसके विनाश का कारण बन गया (2 इतिहास 26:15-16)।

   अपने घमंड में उज़्ज़ियाह को लगा कि वह परमेश्वर के नियमों की अवहेलना कर सकता है, अपनी मन-मर्ज़ी कर सकता है। वह मन्दिर में गया और मन्दिर के पुजारी के कार्य को करने लगा - परमेश्वर की वेदी पर धूप जलाने लगा। पुजारियों ने उसे चिताया कि यह करना उसके लिए सही नहीं है और रोकना चाहा, परन्तु वह उल्टे पुजारियों पर क्रोधित होने लगा; तब परमेश्वर ने उसे कोढ़ी कर दिया और वह कोढ़ की दशा में मन्दिर तथा राज-पद से निकाल दिया गया (2 इतिहास 26:16-20)।

   साहित्य तथा जीवन, दोनों में ही हम पाते हैं कि सुनामी और प्रतिष्ठित व्यक्ति अपने ही घमंड या किसी अन्य ऐब के कारण अपमान तथा कष्ठ में गिर जाते हैं; "और उज्जिय्याह राजा मरने के दिन तक कोढ़ी रहा, और कोढ़ के कारण अलग एक घर में रहता था, वह तो यहोवा के भवन में जाने न पाता था। और उसका पुत्र योताम राजघराने के काम पर नियुक्त किया गया और वह लोगों का न्याय भी करता था" (2 इतिहास 26:21)।

   प्रशंसा के अमृत को अहंकार का विष बनने से रोकने का एक ही मार्ग है, एक नम्र तथा आज्ञाकारी मन के साथ प्रभु परमेश्वर की आज्ञाकारिता में चलते रहना; उसे ही अपने मन तथा जीवन में प्राथमिकता और महिमा का स्थान देना। - डेविड मैक्कैसलैंड


जैसे चान्दी के लिये कुठाई और सोने के लिये भट्ठी हैं, वैसे ही मनुष्य के लिये उसकी प्रशंसा है। - नीतिवचन 27:21

विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है। - नीतिवचन 16:18

बाइबल पाठ: 2 इतिहास 26:3-21
2 Chronicles 26:3 जब उज्जिय्याह राज्य करने लगा, तब वह सोलह वर्ष का था। और यरूशलेम में बावन वर्ष तक राज्य करता रहा, और उसकी माता का नाम यकील्याह था, जो यरूशलेम की थी। 
2 Chronicles 26:4 जैसे उसका पिता अमस्याह, किया करता था वैसा ही उसने भी किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था। 
2 Chronicles 26:5 और जकर्याह के दिनों में जो परमेश्वर के दर्शन के विषय समझ रखता था, वह परमेश्वर की खोज में लगा रहता था; और जब तक वह यहोवा की खोज में लगा रहा, तब तक परमेश्वर उसको भाग्यवान किए रहा। 
2 Chronicles 26:6 तब उसने जा कर पलिश्तियों से युद्ध किया, और गत, यब्ने और अशदोद की शहरपनाहें गिरा दीं, और अशदोद के आसपास और पलिश्तियों के बीच में नगर बसाए। 
2 Chronicles 26:7 और परमेश्वर ने पलिश्तियों और गूर्बालवासी, अरबियों और मूनियों के विरुद्ध उसकी सहायता की। 
2 Chronicles 26:8 और अम्मोनी उज्जिय्याह को भेंट देने लगे, वरन उसकी कीर्ति मिस्र के सिवाने तक भी फैल गई्र, क्योंकि वह अत्यन्त सामथीं हो गया था। 
2 Chronicles 26:9 फिर उज्जिय्याह ने यरूशलेम में कोने के फाटक और तराई के फाटक और शहरपनाह के मोड़ पर गुम्मट बनवा कर दृढ़ किए। 
2 Chronicles 26:10 और उसके बहुत जानवर थे इसलिये उसने जंगल में और नीचे के देश और चौरस देश में गुम्मट बनवाए और बहुत से हौद खुदवाए, और पहाड़ों पर और कर्म्मेल में उसके किसान और दाख की बारियों के माली थे, क्योंकि वह खेती किसानी करने वाला था। 
2 Chronicles 26:11 फिर उज्जिय्याह के योद्धाओं की एक सेना थी जिनकी गिनती यीएल मुंशी और मासेयाह सरदार, हनन्याह नामक राजा के एक हाकिम की आज्ञा से करते थे, और उसके अनुसार वह दल बान्ध कर लड़ने को जाती थी। 
2 Chronicles 26:12 पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरुष जो शूरवीर थे, उनकी पूरी गिनती दो हजार छ: सौ थी। 
2 Chronicles 26:13 और उनके अधिकार में तीन लाख साढ़े सात हजार की एक बड़ी बड़ी सेना थी, जो शत्रुओं के विरुद्ध राजा की सहायता करने को बड़े बल से युद्ध करने वाले थे। 
2 Chronicles 26:14 इनके लिये अर्थात पूरी सेना के लिये उज्जिय्याह ने ढालें, भाले, टोप, झिलम, धनुष और गोफन के पत्थर तैयार किए। 
2 Chronicles 26:15 फिर उसने यरूशलेम में गुम्मटों और कंगूरों पर रखने को चतुर पुरुषों के निकाले हुए यन्त्र भी बनवाए जिनके द्वारा तीर और बड़े बड़े पत्थर फेंके जाते थे। और उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अदभुत सहायता यहां तक मिली कि वह सामथीं हो गया। 
2 Chronicles 26:16 परन्तु जब वह सामथीं हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उसने बिगड़ कर अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वासघात किया, अर्थात वह धूप की वेदी पर धूप जलाने को यहोवा के मन्दिर में घुस गया। 
2 Chronicles 26:17 और अजर्याह याजक उसके बाद भीतर गया, और उसके संग यहोवा के अस्सी याजक भी जो वीर थे गए। 
2 Chronicles 26:18 और उन्होंने उज्जिय्याह राजा का साम्हना कर के उस से कहा, हे उज्जिय्याह यहोवा के लिये धूप जलाना तेरा काम नहीं, हारून की सन्तान अर्थात उन याजकों ही का काम है, जो धूप जलाने को पवित्र किए गए हैं। तू पवित्र स्थान से निकल जा; तू ने विश्वासघात किया है, यहोवा परमेश्वर की ओर से यह तेरी महिमा का कारण न होगा। 
2 Chronicles 26:19 तब उज्जिय्याह धूप जलाने को धूपदान हाथ में लिये हुए झुंझला उठा। और वह याजकों पर झुंझला रहा था, कि याजकों के देखते देखते यहोवा के भवन में धूप की वेदी के पास ही उसके माथे पर कोढ़ प्रगट हुआ। 
2 Chronicles 26:20 और अजर्याह महायाजक और सब याजकों ने उस पर दृष्टि की, और क्या देखा कि उसके माथे पर कोढ़ निकला है! तब उन्होंने उसको वहां से झटपट निकाल दिया, वरन यह जान कर कि यहोवा ने मुझे कोढ़ी कर दिया है, उसने आप बाहर जाने को उतावली की। 
2 Chronicles 26:21 और उज्जिय्याह राजा मरने के दिन तक कोढ़ी रहा, और कोढ़ के कारण अलग एक घर में रहता था, वह तो यहोवा के भवन में जाने न पाता था। और उसका पुत्र योताम राजघराने के काम पर नियुक्त किया गया और वह लोगों का न्याय भी करता था।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 10-12
  • यूहन्ना 11:30-57


बुधवार, 8 अक्टूबर 2014

बाधा


   मेरी बेटी डेब्बी एक छोटी बच्ची थी, उसने बैले नृत्य सीखना आरंभ किया था। उस नृत्य के एक अभ्यास में डेब्बी को लपेट कर रखे हुई व्यायाम करने वाली दरी के ऊपर से कूद कर निकलना था। डेब्बी का पहला प्रयास अच्छा नहीं रहा, वह उस बाधा पर लड़खड़ा कर नीचे गिर गई। गिरते ही पल भर को तो वह भूमि पर स्तब्ध पड़ी रही, और फिर उसने रोना आरंभ कर दिया। मैं एक दम कूद कर उसके पास पहुँचा, उसे उठाया, उससे सांत्वना के शब्द कहे, उसे शान्त करवाया और उसे फिर से प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया। अब कि बार मैंने उसका हाथ पकड़कर उसके साथ दौड़ लगाई, और तब तक उसके साथ लगा रहा जब तक कि वह उस बाधा पर से सफलतापूर्वक पार नहीं हो गई। उसके बाद डेब्बी उस बाधा से नहीं डरी; लेकिन ऐसा होने तक उसे मेरी सहायता तथा प्रोत्साहन की आवश्यकता बनी हुई थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में जब प्रेरित पौलुस अपने साथी बरनबास के साथ अपनी पहली सेवकाई की यात्रा पर निकला तो उन्होंने अपने साथ एक जवान, मरकुस को भी ले लिया। यात्रा के समय मरकुस को कुछ कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा और वह पौलुस तथा बरनबास को छोड़कर बीच यात्रा से ही वापस घर लौट गया। बाद में जब पौलुस और बरनाबास अपनी दूसरी सेवकाई यात्रा पर निकलने लगे तो बरनबास ने फिर से मरकुस को एक और अवसर देने के लिए साथ ले चलना चाहा, लेकिन पौलुस ने पहली यात्रा के अनुभव के आधार पर इसका विरोध किया। पौलुस और बरनबास में इस बात को लेकर अनबन इतनी बढ़ी कि बरनबास मरकुस के साथ अलग रास्ते चल दिया और पौलुस एक दूसरे साथी को लेकर अलग दिशा में चल दिया (प्रेरितों 15:36-39)।

   बाइबल हमें यह तो नहीं बताती कि सेवकाई की बाधा को पार करवाने के बरनबास के इस प्रयास को लेकर मरकुस की आरंभिक प्रतिक्रीया और अनुभव कैसे थे, या बरनबास ने उससे क्या कहा और कैसे प्रोत्साहित किया, लेकिन यह स्पष्ट है कि मरकुस ने अपने आप को अब कि बार सेवकाई के लिए योग्य प्रमाणित अवश्य कर दिया और फिर आगे चलकर पौलुस के साथ भी उसके मतभेद दूर हो गए, क्योंकि बाद में पौलुस ने मरकुस के विषय में अपनी एक पत्री में लिखा, "...मरकुस को ले कर चला आ; क्योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है" (2 तिमुथियुस 4:11)। साथ ही हम पाते हैं कि बाइबल में दी गई प्रभु यीशु की जीवनियों में से एक मरकुस द्वारा लिखी गई।

   जब हम किसी मसीही विश्वासी को असफलता के साथ संघर्ष करते देखते हैं, तो हमारा प्रतिक्रीया क्या होती है? क्या हम उसे सहायता तथा प्रोत्साहन द्वारा उठा कर सफलता की सीढ़ी चढ़वाते हैं, या आलोचना द्वारा निरुत्साहित करके असफलता में और गहरा धंसने देते हैं? हमारा कर्तव्य और मसीही विश्वास उसे सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करने को कहता है। क्या आज आपके ध्यान में कोई ऐसा जन है जिसे कोई बाधा पार करने के लिए आपकी सहायता की आवश्यकता है? - डेनिस फिशर


जब समस्याएं और असफलताएं किसी को निराशा में दबाती हैं, तब सहृदयता और प्रेम उन्हें उठा कर खड़ा करवाते हैं।

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। - गलतियों 6:1

बाइबल पाठ: प्रेरितों 15:36-41
Acts 15:36 कुछ दिन बाद पौलुस ने बरनबास से कहा; कि जिन जिन नगरों में हम ने प्रभु का वचन सुनाया था, आओ, फिर उन में चलकर अपने भाइयों को देखें; कि कैसे हैं। 
Acts 15:37 तब बरनबास ने यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया। 
Acts 15:38 परन्तु पौलुस ने उसे जो पंफूलिया में उन से अलग हो गया था, और काम पर उन के साथ न गया, साथ ले जाना अच्छा न समझा। 
Acts 15:39 सो ऐसा टंटा हुआ, कि वे एक दूसरे से अलग हो गए: और बरनबास, मरकुस को ले कर जहाज पर कुप्रुस को चला गया। 
Acts 15:40 परन्तु पौलुस ने सीलास को चुन लिया, और भाइयों से परमेश्वर के अनुग्रह पर सौंपा जा कर वहां से चला गया। 
Acts 15:41 और कलीसियाओं को स्थिर करता हुआ, सूरिया और किलिकिया से होते हुआ निकला।

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह 1-2


सोमवार, 10 दिसंबर 2012

चुनाव


   परमेश्वर के वचन बाइबल से लिए गए कुछ वाक्यांशों पर विचार कीजिए: "...सब मूढ़ झगड़ने को तैयार होते हैं" (नीतिवचन २०:३); "...दुष्टों का नाम मिट जाता है" (नीतिवचन १०:७); "...वह पशु सरीखा है" (नीतिवचन १२:१)। क्या परमेश्वर प्रेम और दया का परमेश्वर नहीं है? क्या परमेश्वर के वचन में किसी को मूढ़, दुष्ट या पशु सरीखा कहना उचित है?

   जी हां, वास्तव में परमेश्वर प्रेम है, दया और करुणा से भरा हुआ है। उसने इस संसार की सृष्टि करी और उसमें आनन्द और संतुष्टि के बहुत अवसर और साधन भी दिए हैं। परन्तु साथ ही परमेश्वर हमें यह भी स्मरण दिलाता है कि अपने प्रेम में वह हमारी मूर्खताओं और बुद्धिहीन कार्यों को नज़रांदाज़ नहीं करता है। नीतिवचन से लिए गए ऊपर लिखे पद हमें स्मरण दिलाते हैं कि परमेश्वर प्रेम तो है, किंतु साथ ही हमसे बहुत आशाएं भी रखता है और जो व्यक्ति उसके मार्गों को तजकर, जानबूझकर पाप से खेलेते हैं वे अपने ऊपर परेशानीयां लाते हैं, उनके लिए जीवन कठोर भी हो जाता है।

   नीतिवचन से लिए गए उपरोक्त पदों में प्रयुक्त हर नकारात्मक शब्द का एक सकारात्मक प्रतिपक्ष भी उसी पद में दिया गया है - वह सकारात्मक विधि जो परमेश्वर हमारे जीवनों से चाहता है। अब उपरोक्त दिए गए वाक्यांशों के स्थान पर उनके पूर्ण वाक्यों को देखिए और वास्तविक पक्ष-प्रतिपक्ष पर विचार कीजिए: "मुकद्दमें से हाथ उठाना, पुरूष की महिमा ठहरती है; परन्तु सब मूढ़ झगड़ने को तैयार होते हैं" (नीतिवचन २०:३); "धर्मी को स्मरण करके लोग आशीर्वाद देते हैं, परन्तु दुष्टों का नाम मिट जाता है" (नीतिवचन १०:७); "जो शिक्षा पाने में प्रीति रखता है वह ज्ञान से प्रीति रखता है, परन्तु जो डांट से बैर रखता, वह पशु सरीखा है" (नीतिवचन १२:१)।

   जीवन में सदा ही एक चुनाव हमारे समक्ष बना रहता है और हमारा यही चुनाव निर्धारित करता है कि जीवन हमारे लिए कठोर होगा अथवा कोमल। परमेश्वर के वचन के अनुसार जीवन व्यतीत कीजिए और उसकी सम्मति की मुस्कान के साथ सफलता का जीवन बिताईये, या मूर्ख बनकर उसकी अनाज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत कीजिए और विनाश के दुख को उठाईये - चुनाव तो आप ही के हाथ में है। परमेश्वर के संसार में जीने के यही कोमल एवं कठोर सत्य हैं। अब आपका चुनाव क्या है? - डेव ब्रैनन


मूर्ख ही पाप के साथ खेलते हैं।

खरे मनुष्य पर दृष्टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहने वाले पुरूष का अन्तफल अच्छा है। परन्तु अपराधी एक साथ सत्यानाश किए जाएंगे; दुष्टों का अन्तफल सर्वनाश है। - भजन ३७:३७-३८

बाइबल पाठ: भजन ३७:३०-४०
Psa 37:30  धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है। 
Psa 37:31  उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते।
Psa 37:32  दुष्ट धर्मी की ताक में रहता है। और उसके मार डालने का यत्न करता है। 
Psa 37:33  यहोवा उसको उसके हाथ में न छोड़ेगा, और जब उसका विचार किया जाए तब वह उसे दोषी न ठहराएगा।
Psa 37:34  यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ाकर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएंगे, तब तू देखेगा।
Psa 37:35  मैं ने दुष्ट को बड़ा पराक्रमी और ऐसा फैलता हुए देखा, जैसा कोई हरा पेड़ अपने निज भूमि में फैलता है। 
Psa 37:36  परन्तु जब कोई उधर से गया तो देखा कि वह वहां है ही नहीं? और मैं ने भी उसे ढूंढ़ा, परन्तु कहीं न पाया।
Psa 37:37  खरे मनुष्य पर दृष्टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहने वाले पुरूष का अन्तफल अच्छा है। 
Psa 37:38  परन्तु अपराधी एक साथ सत्यानाश किए जाएंगे; दुष्टों का अन्तफल सर्वनाश है।
Psa 37:39  धर्मियों की मुक्ति यहोवा की ओर से होती है; संकट के समय वह उनका दृढ़ गढ़ है। 
Psa 37:40  और यहोवा उनकी सहायता करके उनको बचाता है; वह उनको दुष्टों से छुड़ाकर उनका उद्धार करता है, इसलिये कि उन्होंने उस में अपनी शरण ली है।

एक साल में बाइबल: 
  • होशे १-४ 
  • प्रकाशितवाक्य १

रविवार, 9 दिसंबर 2012

सफलता का नुस्खा


   मेरे खाना बनाने के प्रति मेरे परिवार की प्रतिक्रिया अधिकांशतः सिकोड़ी हुई नाक और बिचकाए हुए होंठ ही होते हैं, विशेषतः तब जब मैं कोई नए भोजन या विधि को आज़मा रही हूँ। अभी हाल ही में मैंने मैकरोनी और पनीर से खाना बनाने की एक नई विधि अपनाई, जो अप्रत्याशित रूप से सफल रही। मैंने तुरंत उस बनाने की विधि और प्रयुक्त सामग्री को एक कागज़ पर लिख कर संजो कर रख लिया, अन्यथा अगली बार जब मैं वह बनाने का प्रयास करती तो इन संजोए गए निर्देशों की सहायता के बिना उसके बनाने में कुछ न कुछ गड़बड़ ही होती और सब व्यर्थ हो जाता।

   यहोशू को परमेश्वर की ओर से ज़िम्मेवारी मिली थी कि वह इस्त्राएल को वाचा के देश में ले जाकर बसाए। परमेश्वर के निर्देशों और सहायता के बिना यहोशू के लिए यह कार्य संभव नहीं था। परमेश्वर ने यहोशू को यह ज़िम्मेवारी ठीक से निभाने के लिए कुछ आवश्यक निर्देश भी दिए। पहला निर्देश था कि वह हिम्मत बांधकर दृढ़ता से कार्य करे (यहोशू १:६); दूसरा था कि वह परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक पर लगातार मनन करता रहे और तीसरा निर्देश था कि व्यवस्था की उस पुस्तक की आज्ञाओं के पालन से कभी पीछे ना हटे। जब तक वह इन निर्देशों का पालन करता रहेगा, परमेश्वर उसे सफलता में बनाए रखेगा (यहोशू १:८)।

   परमेश्वर द्वारा यहोशू को दी गई सफलता का यह नुस्खा हमारे लिए भी वैसे ही कार्यकारी हो सकता है जैसे यहोशू के लिए। किंतु इस सफलता का अर्थ धन-संपत्ति, लोकप्रीयता या अच्छा स्वास्थ्य पाना नहीं है। मूल इब्रानी भाषा में जिसमें यह बात लिखी गई थी, ’तू सफल होगा’ का तात्पर्य है ’तु बुद्धिमता से कार्य कर सकेगा या निर्णय ले सकेगा’। जैसे परमेश्वर ने यहोशु को बुद्धिमता से चलने और निर्णय लेने और उसकी योग्यता पाने की बात कही, वैसे ही आज वह हम मसीही विश्वासियों से भी यही आशा रखता है: "इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो" (इफीसियों ५:१५)।

   जब हम प्रभु परमेश्वर में अपनी हिम्मत बनाए रखते हैं, उसके वचन पर मनन करते रहते हैं और उसकी आज्ञाकारिता में चलते हैं तो सफलता का एक ऐसा नुस्खा हमारे पास होता है जो हमारे अपने किसी भी नुस्खे से अधिक प्रभावी और विश्वासयोग्य है। सफलता के इस नुस्खे को थामे रहें और जीवन में लागू रखें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता ही जीवन में सफलता की कुंजी है।

व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। - यहोशू १:८

बाइबल पाठ: यहोशू १:१-९
Jos 1:1  यहोवा के दास मूसा की मृत्यु के बाद यहोवा ने उसके सेवक यहोशू से जो नून का पुत्र था कहा, 
Jos 1:2  मेरा दास मूसा मर गया है; सो अब तू उठ, कमर बान्ध, और इस सारी प्रजा समेत यरदन पार होकर उस देश को जा जिसे मैं उनको अर्थात इस्राएलियों को देता हूं। 
Jos 1:3 उस वचन के अनुसार जो मैं ने मूसा से कहा, अर्थात जिस जिस स्थान पर तुम पांव धरोगे वह सब मैं तुम्हे दे देता हूं। 
Jos 1:4  जंगल और उस लबानोन से लेकर परात महानद तक, और सूर्यास्त की ओर महासमुद्र तक हित्तियों का सारा देश तुम्हारा भाग ठहरेगा। 
Jos 1:5  तेरे जीवन भर कोई तेरे साम्हने ठहर न सकेगा; जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा, और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा, और न तुझ को छोडूंगा। 
Jos 1:6  इसलिये हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; क्योंकि जिस देश के देने की शपथ मैं ने इन लोगों के पूर्वजों से खाई थी उसका अधिकारी तू इन्हें करेगा। 
Jos 1:7  इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ हो कर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा। 
Jos 1:8  व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। 
Jos 1:9  क्या मैं ने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; भय न खा, और तेरा मन कच्चा न हो; क्योंकि जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • दानिय्येल ११-१२ 
  • यहूदा

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

घमण्ड या नम्रता


   सुप्रसिद्ध प्रचारक ड्वाईट मूडी ने कहा था, "जब कोई मनुष्य यह समझने लगे कि उसके पास बहुत सामर्थ है और वह अपने आप पर घमंड करने लगे तो समझ लीजिए कि वह नाश के कगार पर पहुँच गया है। हो सकता है कि उसका विनाश प्रगट होने में कुछ समय या कुछ वर्ष लग जाएं, किंतु घमंड के साथ ही विनाश की प्रक्रिया उसके जीवन में आरंभ हो गई है।" यही बात राजा उज़्ज़ियाह के जीवन में हुई।

   राजा उज़्ज़ियाह के जीवन में सब कुछ बहुत भला प्रतीत हो रहा था। वह आज्ञाकारी था, परामर्शदाताओं से मिले आत्मिक निर्देशों का पालन करता था, अपने शासन के अधिकांश काल में परमेश्वर की इच्छा और मार्गदर्शन का खोजी रहता था। जब तक वह परमेश्वर से सहायता मांगता रहा, परमेश्वर उसे सहायता देता और बढ़ता रहा, जो उज़्ज़ियाह की अनेक महान उपलब्धियों से विदित है (२ इतिहास २६:३-१५)।

   राजा उज़्ज़ियाह का जीवन बड़ी सामर्थ और सफलता की कहानी था, तब तक जब तक कि उसके घमंड ने उसे अन्धा नहीं कर दिया। परमेश्वर के वचन बाइबल में २ इतिहास २६:१६-१९ में हम पाते हैं कि उसका घमंड कई रूप में प्रकट हुआ: उसने परमेश्वर द्वारा स्थापित विधि का उल्लंघन करा और परमेश्वर कि वेदी पर धूप जलाई, जो केवल याजकों (पुरोहितों) के लिए निर्धारित था, और वेदी की पवित्रता को चुनौती दी (पद १६)। उसने परमेश्वर की सामर्थ को भला तथा उपयोगी किंतु अपने जीवन के लिए अनिवार्य नहीं माना (पद ५; १६)। उसने धार्मिक सलाह तथा चेतावनी की अवहेलना करी; पश्चाताप के लिए दिए गए अवसर को तुच्छ जाना और अपने पाप के दण्ड का भय मानने की बजाए उसे अन्देखा किया (पद १८-१९)। परिणाम जीवन भर का दुख और राजा होने के पद से गिराया जाना हुआ।

   जब परमेश्वर हमारे जीवन के किसी क्षेत्र में हमें सफलता दे, तब हम अपनी सफलता के स्त्रोत को कभी ना भूलें। यही वह समय होता है जब हमें नम्र बने रहने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है और घमंड द्वारा अन्धे होकर कुछ अनुचित करने का सबसे अधिक प्रलोभन। परमेश्वर का वचन सिखाता है कि: "...इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है। इसलिये परमेश्वर के आधीन हो जाओ, और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा" (याकूब ४:६-७)।

   जीवन में परमेश्वर के अनुग्रह से मिली सफलता का स्वागत नम्रता के साथ करें, घमण्ड को कोई स्थान ना दें। - मार्विन विलियम्स


जब हम विनम्र होकर झुकते हैं, परमेश्वर हमें और भी उठाता तथा बढ़ाता है।

परन्तु जब वह सामर्थी हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उस ने बिगड़ कर अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वासघात किया... - २ इतिहास २६:१६

बाइबल पाठ: २ इतिहास २६:३-२१
2Ch 26:3  जब उज्जिय्याह राज्य करने लगा, तब वह सोलह वर्ष का था। और यरूशलेम में बावन वर्ष तक राज्य करता रहा, और उसकी माता का नाम यकील्याह था, जो यरूशलेम की थी। 
2Ch 26:4  जैसे उसका पिता अमस्याह, किया करता था वैसा ही उसने भी किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था। 
2Ch 26:5  और जकर्याह के दिनों में जो परमेश्वर के दर्शन के विषय समझ रखता था, वह परमेश्वर की खोज में लगा रहता था; और जब तक वह यहोवा की खोज में लगा रहा, तब तक परमेश्वर उसको भाग्यवान किए रहा। 
2Ch 26:6  तब उस ने जाकर पलिश्तियों से युद्ध किया, और गत, यब्ने और अशदोद की शहरपनाहें गिरा दीं, और अशदोद के आसपास और पलिश्तियों के बीच में नगर बसाए। 
2Ch 26:7  और परमेश्वर ने पलिश्तियों और गूर्बालवासी, अरबियों और मूनियों के विरुद्ध उसकी सहायता की। 
2Ch 26:8  और अम्मोनी उज्जिय्याह को भेंट देने लगे, वरन उसकी कीर्ति मिस्र के सिवाने तक भी फैल गई, क्योंकि वह अत्यन्त सामर्थी हो गया था। 
2Ch 26:9  फिर उज्जिय्याह ने यरूशलेम में कोने के फाटक और तराई के फाटक और शहरपनाह के मोड़ पर गुम्मट बनवा कर दृढ़ किए। 
2Ch 26:10  और उसके बहुत जानवर थे इसलिये उस ने जंगल में और नीचे के देश और चौरस देश में गुम्मट बनवाए और बहुत से हौद खुदवाए, और पहाड़ों पर और कर्म्मेल में उसके किसान और दाख की बारियों के माली थे, क्योंकि वह खेती किसानी करने वाला था। 
2Ch 26:11  फिर उज्जिय्याह के योद्धाओं की एक सेना थी जिनकी गिनती यीएल मुंशी और मासेयाह सरदार, हनन्याह नामक राजा के एक हाकिम की आज्ञा से करते थे, और उसके अनुसार वह दल बान्धकर लड़ने को जाती थी। 
2Ch 26:12  पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरुष जो शूरवीर थे, उनकी पूरी गिनती दो हजार छ: सौ थी। 
2Ch 26:13  और उनके अधिकार में तीन लाख साढ़े सात हजार की एक बड़ी बड़ी सेना थी, जो शत्रुओं के विरुद्ध राजा की सहायता करने को बड़े बल से युद्ध करने वाले थे। 
2Ch 26:14  इनके लिये अर्थात पूरी सेना के लिये उज्जिय्याह ने ढालें, भाले, टोप, झिलम, धनुष और गोफन के पत्थर तैयार किए। 
2Ch 26:15  फिर उस ने यरूशलेम में गुम्मटों और कंगूरों पर रखने को चतुर पुरुषों के निकाले हुए यन्त्र भी बनवाए जिनके द्वारा तीर और बड़े बड़े पत्थर फेंके जाते थे। और उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अदभुत सहायता यहां तक मिली कि वह सामर्थी हो गया। 
2Ch 26:16  परन्तु जब वह सामर्थी हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उस ने बिगड़ कर अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वासघात किया, अर्थात वह धूप की वेदी पर धूप जलाने को यहोवा के मन्दिर में घुस गया। 
2Ch 26:17  और अजर्याह याजक उसके बाद भीतर गया, और उसके संग यहोवा के अस्सी याजक भी जो वीर थे गए। 
2Ch 26:18  और उन्होंने उज्जिय्याह राजा का साम्हना करके उस से कहा, हे उज्जिय्याह यहोवा के लिये धूप जलाना तेरा काम नहीं, हारून की सन्तान अर्थात उन याजकों ही का काम है, जो धूप जलाने को पवित्र किए गए हैं। तू पवित्रस्थान से निकल जा; तू ने विश्वासघात किया है, यहोवा परमेश्वर की ओर से यह तेरी महिमा का कारण न होगा। 
2Ch 26:19  तब उज्जिय्याह धूप जलाने को धूपदान हाथ में लिये हुए झुंझला उठा। और वह याजकों पर झुंझला रहा था, कि याजकों के देखते देखते यहोवा के भवन में धूप की वेदी के पास ही उसके माथे पर कोढ़ प्रगट हुआ। 
2Ch 26:20  और अजर्याह महायाजक और सब याजकों ने उस पर दृष्टि की, और क्या देखा कि उसके माथे पर कोढ़ निकला है ! तब उन्होंने उसको वहां से झटपट निकाल दिया, वरन यह जानकर कि यहोवा ने मुझे कोढ़ी कर दिया है, उस ने आप बाहर जाने को उतावली की। 
2Ch 26:21  और उज्जिय्याह राजा मरने के दिन तक कोढ़ी रहा, और कोढ़ के कारण अलग एक घर में रहता था, वह तो यहोवा के भवन में जाने न पाता था। और उसका पुत्र योताम राजघराने के काम पर नियुक्त किया गया और वह लोगों का न्याय भी करता था।

एक साल में बाइबल: 
  • दानिय्येल ८-१० 
  • ३ यूहन्ना

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

असफल?

   अमेरिका में १९३० के आस-पास बड़ी आर्थिक मंदी आई थी और देश की अर्थ व्यवस्था और देश का बुरा हाल हो गया था। बहुत से लोगों को अपने घरों से बेघर होकर प्लाइवुड, तिरपाल, कंबल आदि से बनीं जीर्ण हाल झुग्गियों में रहना पड़ा था। देश की उस स्थिति के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति हर्बट हूवर की नीतियों को उत्तरदायी माना गया था, इसलिए उन जीर्ण झुग्गियों को लोग उस समय ’हूवरविल्स’ कहते थे।

   किंतु विचित्र बात है कि यही हूवर जिन्हें अब इतना अयोग्य माना जा रहा था, उन्हें ही पहले अपनी योग्यता और कुशलता के लिए जाना जाता था। उनके भूवैज्ञानिक इंजिनियरिंग के कौशल के कारण औस्ट्रेलिया और चीन में बड़ी सफल खनन परियोजनाएं आरंभ करी जा सकीं। उन्होंने कई मानवोत्थान के कार्यों के लिए कुशल नेत्रत्व प्रदान किया था। किंतु जब १९२९ में स्टॉक मार्किट गिरा और अर्थ व्यवस्था संकट में आई तो परिस्थितियां हूवर के नियंत्रण के बाहर थीं; फिर भी वे इतिहास में सदा के लिए १९३० की आर्थिक मंदी और इस के कारण हुई देश की बदहाली के साथ जोड़ दिए गए।

   जीवन में घटने वाली किसी एक बड़ी असफलता का अर्थ यह नहीं होता कि उस व्यक्ति का सारा जीवन ही असफल है। यदि ऐसा होता तो हम परमेश्वर के वचन बाइबल के कई पात्रों को असफल व्यक्ति मानते ना कि परमेश्वर के लोगों के रूप में और प्रेर्णादायक जीवन चरित्र वाले। उदाहरण के लिए, क्या हम अब्राहम को झूठा और स्वार्थी (उत्पत्ति १२:१०-२०), मूसा को परमेश्वर का अनाज्ञाकारी (निर्गमन २०:१-३) या दाउद को व्यभिचारी और हत्यारा (२ शमूएल ११) कह कर स्मरण करते हैं, यद्यपि उनके जीवनों में ऐसी कमज़ोरियां घटीं थीं?

   उनके पापों के बावजूद ये सभी मनुष्य अपने स्थिर विश्वास और परमेश्वर के लिए कार्य करने वाले महान जन माने जाते हैं और उनके नाम आदर से लिए जाते हैं। ये, और इनके जैसे कई अन्य लोग वे हैं जो "...विश्वास ही के द्वारा...निर्बलता में बलवन्‍त हुए..." (इब्रानियों ११:३३-३४)।

   यह परमेश्वर की महानता और सामर्थ है कि जो उस पर विश्वास लाते हैं, वह उन निर्बल और अयोग्य पात्रों को भी अपनी महीमा के पात्र बना लेता है और मनुष्यों में भी उन्हें आदर दिलवाता है। यदि हमने अपने पापों से पश्चाताप करके अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित किया है तो हमारा बीता जीवन चाहे जैसा भी रहा है, हम असफल नहीं रहेंगे। परमेश्वर हमें अभी भी उपयोगी बना सकता है, बड़े सामर्थी रूप से उपयोग कर सकता है; आवश्यक्ता है तो बस उसके प्रति हमारे विश्वास और आज्ञाकरिता की। - डेनिस फिशर


अकसर असफलता की राख से ही सफलता निकलती है।

...विश्वास ही के द्वारा...निर्बलता में बलवन्‍त हुए... - इब्रानियों ११:३३-३४
 
बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:२४-३४
Heb 11:24 विश्वास ही से मूसा ने सयाना होकर फिरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्‍कार किया।
Heb 11:25  इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा।
Heb 11:26 और मसीह के कारण निन्‍दित होने को मिसर के भण्‍डार से बड़ा धन समझा: क्‍योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं।
Heb 11:27 विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उस ने मिसर को छोड़ दिया, क्‍योंकि वह अनदेखे को मानों देखता हुआ दृढ़ रहा।
Heb 11:28 विश्वास ही से उस ने फसह और लोहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करने वाला इस्‍त्राएलियों पर हाथ न डाले।
Heb 11:29  विश्वास ही से वे लाल समुद्र के पार ऐसे उतर गए, जैसे सूखी भूमि पर से; और जब मिस्रियों ने वैसा ही करना चाहा, तो सब डूब मरे।
Heb 11:30  विश्वास ही से यरीहो की शहरपनाह, जब सात दिन तक उसका चक्कर लगा चुके तो वह गिर पड़ी।
Heb 11:31  विश्वास ही से राहाब वेश्या आज्ञा ना मानने वालों के साथ नाश नहीं हुई; इसलिथे कि उस ने भेदियों को कुशल से रखा था।
Heb 11:32 अब और क्‍या कहूँ क्‍योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
Heb 11:33 इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते, धर्म के काम किए, प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तुएं प्राप्‍त कीं, सिंहों के मुंह बन्‍द किए।
Heb 11:34 आग ही ज्‍वाला को ठंडा किया, तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए, लड़ाई में वीर निकले, विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
 
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १७-१८ 
  • मत्ती २७:२७-५०

बुधवार, 19 जनवरी 2011

अन्तिम न्याय

अमेरिका के तीसरे उप-राष्ट्रपति एरन बर्र की परवरिश एक परमेश्वर का भय रखने वाले परिवार में हुई थी। उनके दादा जौनथन एडवर्ड्स ने उन्हें मसीह को ग्रहण करने को चिताया भी था। लेकिन बर्र परमेश्वर से कोई संबंध नहीं रखना चाहते थे और उनका कहना रहता था कि "मेरी इच्छा है कि परमेश्वर मुझ से दूर ही रहे।"

ऐरन बर्र को कुछ हद तक राजनैतिक सफलता अवश्य मिली, परन्तु वे लगतार परेशानियों में घिरे रहे। उन्होंने ४८ वर्ष की अवस्था में एक जन ऐलिक्ज़ैंडर हैमिलटन की हत्या भी कर दी। इसके बाद वे ३२ वर्ष और जीवित रहे, लेकिन वे वर्ष दुख और असफलताओं से भरे रहे, और उन्होंने दु्खी मन से यह मान लिया कि "साठ साल पहले मैं ने परमेश्वर से सौदा किया था कि यदि वह मुझे अकेला छोड़ देगा तो मैं भी उसे अकेला छोड़ दूंगा, और परमेश्वर ने तब से मेरी कभी कोई चिंता नहीं की।" एरन बर्र को, जो उन्होंने चाहा, वह मिल गया।

वे लोग जो परमेश्वर के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहते, अपने आप को परमेश्वर के न्याय का भागी बना लेते हैं। वे पृथ्वी के अपने दिन परमेश्वर से विमुख रहकर और फिर अनन्त काल उसकी संगति से निर्वासित होकर बिताने के खतरे में हैं, यदि समय रहते पश्चातप नहीं करते।

मित्र, आपके मन में उठने वाला आपके पाप और अपराध के प्रति दोष का एहसास और म्रुत्यु का भय लक्षण हैं कि परमेश्वर का आत्मा आपको पश्चाताप और उद्धार के लिये उकसा रहा है। आप के प्रति उसके धैर्य और उसकी प्रतीक्षा के लिये परमेश्वर का धन्यवाद कीजिए, अपने पापों से पश्चाताप कीजिये और प्रभु यीशु से अपने व्यक्तिगत उद्धार की भेंट को स्वीकार कीजिये। कभी भी परमेश्वर को अपने से दूर रहने के लिये मत कहिये। आपके लिये जो सबसे भयानक बात हो सकती है वह यही है कि परमेश्वर आपकी बात मान ले और आपसे दूर हो जाए।

परमेश्वर द्वारा त्याग दिया जाना ही अन्तिम न्याय है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


नरक के पास से बच निकलने का तो मार्ग है, लेकिन नरक में पड़ कर वहां से बच निकलने का कोई मार्ग नहीं है।

...जब उन्‍होंने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा, इसलिये परमेश्वर ने भी उन्‍हें उन के निकम्मे मन पर छोड़ दिया; - रोमियों १:२८


बाइबल पाठ: रोमियों १:१८-३२

परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्‍वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।
इसलिये कि परमश्‍ेवर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्‍योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है।
क्‍योंकि उस के अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरूत्तर हैं।
इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्‍होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्‍तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्‍धेरा हो गया।
वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए।
और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्‍तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।
इस कारण परमेश्वर ने उन्‍हें उन के मन के अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।
क्‍योंकि उन्‍होंने परमेश्वर की सच्‍चाई को बदल कर झूठ बना डाला, और सृष्‍टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन।
इसलिये परमश्‍ेवर ने उन्‍हें नीच कामनाओं के वश में छोड़ दिया; यहां तक कि उन की स्‍त्रियों ने भी स्‍वाभाविक व्यवहार को, उस से जो स्‍वभाव के विरूद्ध है, बदल डाला।
वैसे ही पुरूष भी स्‍त्रियों के साथ स्‍वाभाविक व्यवहार छोड़ कर आपस में कामातुर होकर जलने लगे, और पुरूषों ने पुरूषों के साथ निर्लज्ज़ काम करके अपने भ्रम का ठीक फल पाया।
और जब उन्‍होंने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा, इसलिये परमेश्वर ने भी उन्‍हें उन के निकम्मे मन पर छोड़ दिया; कि वे अनुचित काम करें।
सो वे सब प्रकार के अधर्म, और दुष्‍टता, और लोभ, और बैरभाव, से भर गए; और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्ष्या से भरपूर हो गए, और चुगलखोर,
बदनाम करने वाले, परमेश्वर के देखने में घृणित, औरों का अनादर करने वाले, अभिमानी, डींगमार, बुरी बुरी बातों के बनाने वाले, माता पिता की आज्ञा न मानने वाले,
निर्बुद्धि, विश्वासघाती, दयारिहत और निर्दयी हो गए।
वे तो परमेश्वर की यह विधि जानते हैं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले मुत्यु के दण्‍ड के योग्य हैं, तौभी न केवल आप ही ऐसे काम करते हैं, वरन करने वालों से प्रसन्न भी होते हैं।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ४६-४८
  • मत्ती १३:१-३०

बुधवार, 3 नवंबर 2010

भय से सहायता

विभिन्न लोगों के लिये, भय विभिन्न अर्थ रखता है। पेशावर गोल्फ खिलाड़ी पैडरैग हैरिंगटन के लिये, भय प्रेरणा का कारण है जो उसे अपना सर्वोतम प्रदर्शन करने को उकसाता है। सन २००८ में, जब हैरिंगटन ने दो बड़ी प्रतियोगिताएं जीतीं, British Open और PGA Championship, तब उसने बताया " हां, भय मेरे जीवन का एक मुख्य भाग है। यद्यपि मैं कहना चाहुंगा कि मेरे पास विश्वास और धैर्य है तथा मैं शांत रहता हूँ, लेकिन वास्तविकता यह नहीं है। भय ही है जो मुझे आगे धकेलता है, भय ही है जो मुझे व्ययाम करने और अभ्यास करने को उकसाता है। मैं भय का उपयोग करके ही आगे बढ़ पाता हूँ।"

हो सकता है कि हैरिंगटन का यह भय असफलता का भय हो , या फिर अपने वर्चस्व को खोने का। उस भय का आधार जो भी हो, हैरिंगटन ने उसे अपने व्यवसायिक जीवन के लिये फायदेमन्द बना लिया है।

मसीही विश्वासी भी भय द्वारा सहायता पा सकते हैं। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें चिताती है कि हम परमेश्वर के प्रति श्रद्धापूर्ण भय में जीवन व्यतीत करें। यह भय वह भय है जो सब प्रकार के भय से शेष्ट है। परमेश्वर का भय हमें उसके अनाज्ञाकारी होने या उसके मार्गों के विरोध में चलने के प्रति सचेत करता है। इस भय का अर्थ है हमारे महान परमेश्वर के प्रति आदर और श्रद्धा रखना, उसकी सिद्ध इच्छा की पूर्ति को समर्पित रहना और उसके ज्ञान और समझ के खोजी रहना और उनके अनुसार अपना जीवन चलाना। इसी कारण नीतिवचन ९:१० में लिखा है "यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है।"

परमेश्वर के सही भय में रहकर हम इस अनिश्चित संसार में बुद्धिमानी से रह सकते हैं। - बिल क्राउडर


यदि परमेश्वर के भय में रहोगे तो फिर किसी अन्य भय से कभी भयभीत नहीं रहोगे।

यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है। - नीतिवचन ९:१०


बाइबल पाठ: नीतिवचन ९:१-१२

बुद्धि ने अपना घर बनाया और उसके सातों खंभे गढ़े हुए हैं।
उस ने अपने पशु वध करके, अपने दाखमधु में मसाला मिलाया है, और अपनी मेज़ लगाई है।
उस ने अपनी सहेलियां, सब को बुलाने के लिये भेजी हैं; वह नगर के ऊंचे स्थानों की चोटी पर पुकारती है,
जो कोई भोला है वह मुड़कर यहीं आए! और जो निर्बुद्धि है, उस से वह कहती है,
आओ, मेरी रोटी खाओ, और मेरे मसाला मिलाए हुए दाखमधु को पीओ।
भोलों का संग छोड़ो, और जीवित रहो, समझ के मार्ग में सीधे चलो।
जो ठट्ठा करने वाले को शिक्षा देता है, सो अपमानित होता है, और जो दुष्ट जन को डांटता है वह कलंकित होता है।
ठट्ठा करने वाले को न डांट ऐसा न हो कि वह तुझ से बैर रखे, बुद्धिमान को डांट, वह तो तुझ से प्रेम रखेगा।
बुद्धिमान को शिक्षा दे, वह अधिक बुद्धिमान होगा; धर्मी को चिता दे, वह अपनी विद्या बढ़ाएगा।
यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है।
मेरे द्वारा तो तेरी आयु बढ़ेगी, और तेरे जीवन के वर्ष अधिक होंगे।
यदि तू बुद्धिमान हो, तो बुद्धि का फल तू ही भोगेगा, और यदि तू ठट्ठा करे, तो दण्ड केवल तू ही भोगेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ३०, ३१
  • फिलेमौन