जब भी हम छोटे बच्चों के साथ सड़क पार कर रहे होते हैं, हम अपना हाथ उनकी ओर बढ़ाकर उनसे कहते हैं, "कस कर पकड़ लो" और बच्चे जितना कस कर पकड़ सकते हैं, पकड़ लेते हैं। लेकिन हम उनकी पकड़ की ताकत पर ही निर्भर नहीं रहते; उनके हाथों पर हमारी पकड़ ही उन्हें सुरक्षा देती है उन्हें संभाले रहती है। यही बात परमेश्वर और हमारे साथ, हमारी जीवन यात्रा में लागू है। प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पी के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उन्हें बताया: "यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिद्ध हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था" (फिलिप्पियों 3:12); या फिर यूँ कहिए कि "मसीह की पकड़ मुझपर बनी हुई है"।
लेकिन एक बात निश्चित है: परमेश्वर से हमारी सुरक्षा उस पर हमारी पकड़ के कारण नहीं वरन हम पर मसीह यीशु की पकड़ के कारण है। कोई हमें उसके हाथों से निकाल नहीं सकता - ना शैतान और ना ही स्वयं हम। एक बार जो हाथ उसके हाथ में दे दिया गया, वह अनन्तकाल के लिए सुरक्षित हो गया; उसके हाथों से वह फिर नहीं छूट सकता; यह उसका आश्वासन है: "और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा। मेरा पिता, जिसने उन्हें मुझ को दिया है, सब से बड़ा है, और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता" (यूहन्ना 10:28-29)।
अर्थात हर मसीही विश्वासी को सुरक्षा का दोहरा आश्वासन है; एक तरफ परमेश्वर पिता और दूसरी तरफ प्रभु यीशु, दोनों ही हमारे हाथों को थामें हमें संभाल कर रखे हुए हैं। हमें संभालने हाथ वे हैं जिन्होंने विशाल पर्वतों, अथाह सागरों और अनन्त अन्तरिक्ष को बनाया है। इसीलिए प्रेरित पौलुस बड़े आनन्द और आश्वासन के साथ कहता है: "...और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी" (रोमियों 8:39)। क्या आज आपका हाथ उन सुरक्षित हाथों में है? यदि नहीं तो अभी आपको अवसर है, अपना हाथ मसीह यीशु के हाथों में देकर अपने अनन्त को सर्वदा के लिए सुरक्षित कर लीजिए। - डेविड रोपर
जिसने हमें बनाया, जिसने हमें बचाया, वही हमें संभालता है, सुरक्षित रखता है।
इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्चय है, कि वह मेरी थाती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है। - 2 तिमुथियुस 1:12
बाइबल पाठ: रोमियों 8:31-39
Romans 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Romans 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Romans 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
Romans 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
Romans 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Romans 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Romans 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
Romans 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Romans 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
एक साल में बाइबल:
- मलाकी 1-4
- प्रकाशितवाक्य 22
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