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गुरुवार, 13 सितंबर 2018

समर्पण



      संभवतः आत्म-संयम निभाना सबसे कठिन व्यवहार होता है। कितनी ही बार हम किसी बुरी आदत, किसी घटिया आचरण, या गलत विचार द्वारा पराजित हो चुके हैं। हम सुधरने के वायदे करते हैं। हम लोगों से कहते हैं कि हमें उत्तरदायी ठहराएं। परन्तु अपने अन्दर हम जानते हैं कि हमारे अन्दर अपने आप को बदलने की पर्याप्त इच्छा-शक्ति और क्षमता नहीं है। बदलने के लिए हम बातें कर सकते हैं, योजनाएं बना सकते हैं, अपनी सहायता स्वयँ करना सिखाने वाली पुस्तकें पढ़ सकते हैं, परन्तु अपने अन्दर की अनेकों बातों को नियंत्रित करने या उनपर विजयी होने की व्यवाहारिक कठिनाई से हम भली-भांति अवगत हैं।

      हमें धन्यवादी होना चाहिए कि परमेश्वर हमारी इस दुर्बलता को न केवल जानता है और समझता है, वरन उसके पास इसका समाधान भी है। परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है  कि “आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे” (गलतियों 5:16)। आत्म-संयम प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है परमेश्वर के हाथों में आत्म-समर्पण कर देना।

      दूसरे शब्दों में, आत्म-संयम के लिए हमारा ध्यान अपने प्रयास पर नहीं, वरन परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण  पर होना चाहिए, जिससे हम प्रतिपल अपने ऊपर, अपनी योग्यताओं, क्षमताओं, कार्यों आदि पर नहीं वरन परमेश्वर पर और उसके वचन के मार्गदर्शन, उसकी विधियों पर भरोसा बनाए रखें। पौलुस द्वारा कहे “आत्मा के अनुसार चलने” का यही तात्पर्य है। जब हम परमेश्वर के आत्मा के अनुसार चलेंगे, तो परमेश्वर के आत्मा के फल, “पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं” (गलतियों 5: 22-23) भी हमारे जीवनों में दिखाए देने लगेंगे।

      क्या आप अपने जीवन में यह परिवर्तन चाहते हैं? क्या आप अपनी बुराईयों से छूटकर शरीर और उसकी लालसाओं पर विजयी जीवन जीना चाहते हैं; अपने जीवन में आत्मा के फल देखना चाहते हैं? अपने आप को परमेश्वर के हाथों में पूर्णतः समर्पित कर दीजिए; उसके आज्ञाकारी हो जाईये, और वह आप में अपनी समानता के फल उत्पन्न करने में सहायता करता जाएगा। - जैम फेर्नानडेज़ गैरिडो


हमारा भला करने के लिए, 
परमेश्वर को हमारी योग्यताओं की नहीं हमारे समर्पण की आवश्यकता है।

सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। - रोमियों 8:1

बाइबल पाठ: गलतियों 5:16-25
Galatians 5:16 पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे।
Galatians 5:17 क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में, और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करती है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ।
Galatians 5:18 और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के आधीन न रहे।
Galatians 5:19 शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्‍दे काम, लुचपन।
Galatians 5:20 मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म।
Galatians 5:21 डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के जैसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।
Galatians 5:22 पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज,
Galatians 5:23 और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं।
Galatians 5:24 और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है।
Galatians 5:25 यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।


एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन 16-18
  • 2 कुरिन्थियों 6



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