काम
करने की मेरी मेज़ हमारे पड़ौस की ओर खुलती है, और उस स्थान से मैं निकट के पेड़ों पर आने-जाने वाले
पक्षियों को नीचे धरती पर आकर चुगते हुए, और कुछ को खिड़की की जाली में फंसे कीड़ों
को खाने के लिए आते देख सकता हूँ। वे पक्षी अपने चारों और किसी खतरे के आभास के
लिए देखते और सुनते रहते हैं। वे तब ही भोजन करना आरंभ करते हैं जब वे निश्चिन्त
हो जाते हैं कि आस-पास कोई ख़तरा नहीं है। तब भी, वे बीच-बीच में भोजन से रुक कर
आसपास का किसी भी संभावित खतरे के लिए फिर से आँकलन कर लेते हैं।
ये
पक्षी जिस सतर्कता को दिखाते हैं, वह मुझे स्मरण दिलाती है कि परमेश्वर के वचन
बाइबल में भी हम मसीही विश्वासियों को अपने मसीही विश्वास के प्रति सचेत और सतर्क
रहने को कहा गया है। हमारा सँसार प्रलोभनों, आकर्षणों और लालचों से भरा हुआ है,
जिनका प्रयोग शैतान हमें पथ-भ्रष्ट करने के प्रयासों के लिए करता रहता है, जैसे कि
उसने अदन की वाटिका में आदम और हव्वा को बहकाने और पाप में फंसाने के लिए किया था;
शैतान की बातों में आकर उन्होंने उस वर्जित फल को देखा कि “उस वृक्ष का फल खाने
में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने
उस में से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया” और वे परमेश्वर की
अनाज्ञाकारिता के पाप को कर बैठे।
प्रेरितों
ने अपनी पत्रियों में हमें सचेत किया है: पौलुस ने कोरिन्थ के मसीही विश्वासियों
को लिखा, “जागते रहो, विश्वास में स्थिर रहो,
पुरूषार्थ करो, बलवन्त होओ” (1 कुरिन्थियों 16:13); पतरस ने भी अपनी पत्री में लिखा, “सचेत हो,
और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान
गर्जने वाले सिंह के समान इस खोज में रहता है, कि किस को
फाड़ खाए” (1 पतरस 5:8); और यहूदा ने भी लिखा कि “हे
प्रियो, जब मैं तुम्हें उस उद्धार के विषय में लिखने
में अत्यन्त परिश्रम से प्रयत्न कर रहा था, जिस में हम सब
सहभागी हैं; तो मैं ने तुम्हें यह समझाना आवश्यक जाना कि उस
विश्वास के लिये पूरा यत्न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था” (यहूदा 1:3)।
अपने
दैनिक जीवनों के लिए परिश्रम करते हुए, क्या हम उन बातों के प्रति सचेत रहते हैं
जो हमारे लिए हानिकारक हो सकती हैं, हमें फंसा और पाप में गिरा सकती हैं? क्या हम
अपने अन्दर आने वाले किसी भी स्वाभिमान अथवा उलझाने वाली लालसा के पनपने के प्रति
सतर्क रहते हैं? क्या हम अपनी प्रत्येक इच्छा और लालसा को परमेश्वर के हाथों में
समर्पित करके, उसकी इच्छा को सर्वोपरि रखने के लिए प्रयासरत रहते हैं? – लॉरेंस
दरमानी
प्रलोभनों और परीक्षाओं से बच कर निकलने का
सबसे सुरक्षित तरीका है
परमेश्वर की आधीनता की ओर भागना।
इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम
को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने
वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। -
इब्रानियों 12:1
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 3:1-7
Genesis 3:1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले
पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष
का फल न खाना?
Genesis 3:2 स्त्री ने सर्प से कहा,
इस बाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं।
Genesis 3:3 पर जो वृक्ष बाटिका के बीच में
है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम
उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।
Genesis 3:4 तब सर्प ने स्त्री से कहा,
तुम निश्चय न मरोगे,
Genesis 3:5 वरन परमेश्वर आप जानता है,
कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी,
और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।
Genesis 3:6 सो जब स्त्री ने देखा कि उस
वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने
उस में से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया।
Genesis 3:7 तब उन दोनों की आंखे खुल गई,
और उन को मालूम हुआ कि वे नंगे है; सो
उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 27-29
- तीतुस 3
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें