कभी-कभी
परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देने में अपना ही समय लगाता है, और यह हमारे
लिए समझना सहज नहीं होता है।
हम
परमेश्वर के वचन बाइबल के एक पात्र ज़कर्याह के जीवन में यही होता देखते हैं।
ज़कर्याह मंदिर का एक याजक (पुरोहित) था, जिसके पास परमेश्वर का स्वर्गदूत जिब्राइल
आया, और उससे कहा, “परन्तु स्वर्गदूत ने उस से कहा, हे जकरयाह, भयभीत न हो क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन
ली गई है और तेरी पत्नी इलीशिबा से तेरे लिये एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना” (लूका 1:13)।
परन्तु संभवतः ज़कर्याह ने परमेश्वर से सन्तान की माँग वर्षों पहले की थी; अब वह
जिब्राइल के सन्देश के साथ संघर्ष कर रहा था क्योंकि उसकी पत्नि इलीशिबा की बच्चा
जानने की आयु बहुत पहले बीत चुकी थी। फिर भी, हम देखते हैं कि, परमेश्वर ने उसकी
प्रार्थना का उत्तर दिया।
परमेश्वर
की यादाशत सिद्ध है। वह हमारी प्रार्थनाओं को केवल वर्षों तक ही नहीं वरन हमारे
जीवन काल से आगे पीढ़ियों तक स्मरण रखता है। वह कभी नहीं भूलता है, और प्रार्थनाओं
का उत्तर देने के लिए हमारे द्वारा अपने निवेदन प्रस्तुत किए जाने के वर्षों बाद भी
कार्यवाही कर सकता है। कभी-कभी उसका उत्तर “नहीं” होता है, और कभी “प्रतीक्षा करो”
होता है – परन्तु उसका प्रत्येक उत्तर सप्रेम होता है। परमेश्वर की कार्यविधि
हमारी समझ से कहीं परे है, परन्तु सदा हमारे हित में होती है।
ज़कर्याह
ने भी यही पाठ सीखा। उसने पुत्र माँगा था, परन्तु परमेश्वर ने उसे और भी बढ़कर
दिया। ज़कर्याह का पुत्र यूहन्ना वह भविष्यद्वक्ता बना जिसने सँसार के समक्ष जगत
के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के आगमन की घोषणा की। ज़कर्याह का अनुभव एक
महत्वपूर्ण सत्य को प्रगट करता है, जो हमारी प्रार्थनाओं में हमारे प्रोत्साहन के
लिए है: परमेश्वर का समय शायद ही कभी हमारे समय के अनुसार होता हो, परन्तु उसके
समय की प्रतीक्षा करना सदा लाभदायक होता है। - जेम्स बैंक्स
हम चाहे परमेश्वर के हाथ को कार्य करते
नहीं देख सकते हैं,
परन्तु हमें उसके हृदय पर भरोसा बनाए रखना चाहिए।
अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है – इफिसियों 3:20
बाइबल पाठ: लूका 1:5-17
Luke 1:5 यहूदियों के राजा हेरोदेस के समय
अबिय्याह के दल में जकरयाह नाम का एक याजक था, और उस की पत्नी
हारून के वंश की थी, जिस का नाम इलीशिबा था।
Luke 1:6 और वे दोनों परमेश्वर के साम्हने
धर्मी थे: और प्रभु की सारी आज्ञाओं और विधियों पर निर्दोष चलने वाले थे। उन के
कोई भी सन्तान न थी,
Luke 1:7 क्योंकि इलीशिबा बांझ थी, और वे दोनों बूढ़े थे।
Luke 1:8 जब वह अपने दल की पारी पर
परमेश्वर के साम्हने याजक का काम करता था।
Luke 1:9 तो याजकों की रीति के अनुसार उसके
नाम पर चिट्ठी निकली, कि प्रभु के मन्दिर में जा कर धूप
जलाए।
Luke 1:10 और धूप जलाने के समय लोगों की
सारी मण्डली बाहर प्रार्थना कर रही थी।
Luke 1:11 कि प्रभु का एक स्वर्गदूत धूप की
वेदी की दाहिनी ओर खड़ा हुआ उसको दिखाई दिया।
Luke 1:12 और जकरयाह देखकर घबराया और उस पर
बड़ा भय छा गया।
Luke 1:13 परन्तु स्वर्गदूत ने उस से कहा,
हे जकरयाह, भयभीत न हो क्योंकि तेरी प्रार्थना
सुन ली गई है और तेरी पत्नी इलीशिबा से तेरे लिये एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना।
Luke 1:14 और तुझे आनन्द और हर्ष होगा: और
बहुत लोग उसके जन्म के कारण आनन्दित होंगे।
Luke 1:15 क्योंकि वह प्रभु के साम्हने
महान होगा; और दाखरस और मदिरा कभी न पिएगा; और अपनी माता के गर्भ ही से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाएगा।
Luke 1:16 और इस्राएलियों में से बहुतेरों
को उन के प्रभु परमेश्वर की ओर फेरेगा।
Luke 1:17 वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ
में हो कर उसके आगे आगे चलेगा, कि पितरों का मन लड़के बालों
की ओर फेर दे; और आज्ञा न मानने वालों को धर्मियों की समझ पर
लाए; और प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार करे।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 37-39
- इब्रानियों 3
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