बपतिस्मा - अर्थ तथा संबंधित बातें - 2
पिछले लेख में
हमने बपतिस्मे के अर्थ और उससे संबंधित बातों को देखना आरंभ किया था। परमेश्वर
पवित्र आत्मा से संबंधित गलत शिक्षाओं का प्रचार और प्रसार करने वाले, मसीही सेवकाई में उपयोगी एवं प्रभावी होने के
लिए “पवित्र आत्मा का बपतिस्मा” पाने
पर भी बहुत बल देते हैं। इसी संदर्भ में हमने देखा था कि “बपतिस्मा”
शब्द का अर्थ क्या है तथा बाइबल की शिक्षाओं के अनुसार बपतिस्मा
केवल एक ही है, पानी से दिया गया डूब का बपतिस्मा। यह देखने
से पहले कि फिर यह “पवित्र आत्मा का बपतिस्मा” क्या है जिसके विषय बाइबल के आधार पर इतनी बातें की जाती हैं हम बपतिस्मे
से संबंधित दो और बातें आज स्पष्ट कर लेते हैं, जो आगे चलकर
इस विषय को समझने में हमारी सहायक होंगी।
आग और पानी का बपतिस्मा:
मत्ती 3:11 में यूहन्ना द्वारा
कही गई बात “वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा” को लेकर भी गलत शिक्षाएं और व्याख्या दी
जाती है कि पवित्र आत्मा का बपतिस्मा, आग का बपतिस्मा है।
किन्तु वाक्य स्पष्ट है; यूहन्ना यह नहीं कह
रहा है कि “वह तुम्हें पवित्र आत्मा अर्थात आग से बपतिस्मा देगा”; वरन उसने कहा कि “वह तुम्हें पवित्र
आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा” - यानि कि प्रभु के पास
दो वस्तुओं से दिए जाने वाले बपतिस्मे हैं - एक तो पवित्र आत्मा से दूसरा आग से। किन्तु जिन्होंने प्रभु यीशु को स्वीकार कर लिया, उस पर विश्वास कर लिया, अर्थात उद्धार पा लिया, उन्हें स्वतः ही, विश्वास करते ही तुरंत पवित्र आत्मा मिल जाएगा, अर्थात पवित्र आत्मा से बपतिस्मा मिल जाएगा। जिन्होंने प्रभु
को स्वीकार नहीं किया, उद्धार नहीं पाया, फिर वे अनन्त कल के लिए नरक की आग की झील
में डुबोए जाएंगे - उनके लिए फिर प्रभु के पास आग से बपतिस्मा अर्थात कभी न बुझने
वाली आग की झील में डाल दिया जाना है (प्रकाशितवाक्य 19:20; 20:10, 14-15)। तो
हर एक व्यक्ति को प्रभु के हाथों एक न एक बपतिस्मा, अर्थात
एक न एक में डाला जाना मिलेगा - या तो पवित्र आत्मा से; अन्यथा आग से। साथ ही एक अन्य पद पर भी ध्यान कीजिए:
प्रेरितों 2:3 में
लिखा है, “और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं;
और उन में से हर एक पर आ ठहरीं”; किन्तु
इस घटना - आग की जीभों का आकर प्रभु के शिष्यों पर ठहर जाना और फिर उन्हें पवित्र
आत्मा की सामर्थ्य प्राप्त, को न तो यहाँ पर और न ही कभी
कहीं अन्य किसी स्थान पर “पवित्र आत्मा की आग से बपतिस्मा”
कहा गया। जब कि यदि पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाना और आग से
बपतिस्मा पाना एक ही होते, तो यह सबसे उपयुक्त अवसर एवं घटना
होती इस बात को दिखाने और प्रमाणित करने के लिए; क्योंकि
पवित्र आत्मा आग के समान उन लोगों के ऊपर आकर ठहरा था और फिर वे सब लोग पवित्र
आत्मा से भर गए थे। किन्तु वचन में इस घटना को यह दिखाने के लिए प्रयोग नहीं किया
गया है।
क्या उद्धार के लिए बपतिस्मा आवश्यक है?
उद्धार किसी भी कर्म से नहीं है
(इफिसियों 2:5, 8-9), बपतिस्मे से भी नहीं। क्रूस पर पश्चाताप करने वाला डाकू ने कौन सा
बपतिस्मा लिया, किन्तु वह स्वर्ग गया। अनेकों लोग जीवन के
अंतिम पलों में उद्धार पाते हैं, या विश्वास करने के बाद
बपतिस्मा नहीं लेने पाते हैं, क्या वे इसलिए नाश हो जाएंगे
क्योंकि पश्चाताप और विश्वास तो किया किन्तु एक रस्म पूरी नहीं की? इस वास्तविकता की बारीकी को समझना आवश्यक है कि उद्धार बपतिस्मे से नहीं
है; वरन उद्धार पाए हुओं के लिए बपतिस्मा है। जैसा कि मत्ती 28:19-20
में प्रभु द्वारा दिए गए क्रम से प्रकट है - पहले शिष्य बनाओ;
जो शिष्य बने फिर उसे बपतिस्मा दो और उसे प्रभु की बातें सिखाओ।
प्रभु द्वारा दिए गए इसी क्रम का निर्वाह प्रेरितों 2 अध्याय
में, पतरस के पहले प्रचार में भी हुआ है, पहले लोगों ने पापों का अंगीकार और पश्चाताप किया, और
फिर जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास किया और उसे उद्धारकर्ता ग्रहण किया,
उन्हें बपतिस्मा दिया गया; और यही क्रम सारे
नए नियम में दोहराया गया है। इससे यह भी स्पष्ट है कि बपतिस्मा बच्चों या शिशुओं
के लिए नहीं है, केवल उनके लिए है जिन्होंने प्रभु यीशु को
उद्धारकर्ता स्वीकार किया और उसके शिष्य हो गए हैं।
यहाँ पर अकसर प्रेरितों 2:38 का गलत प्रयोग यह
कहकर किया जाता है कि इस पद में लिखा है “तुम में से हर
एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले”
अर्थात पापों की क्षमा बपतिस्मे के द्वारा है। किन्तु यह इस वाक्य
की गलत समझ है; यहाँ यह अर्थ नहीं है कि पापों की क्षमा
प्राप्त करने के लिए बपतिस्मा ले - अन्यथा क्रूस पर पश्चाताप करने वाले डाकू को
पापों के क्षमा नहीं मिली। वरन प्रेरितों 2:38 के इस वाक्य
का सही अर्थ है कि “अपने पापों की क्षमा प्राप्त कर लेने की
बपतिस्मे के द्वारा साक्षी दो”। इस वाक्य में लिखे गए शब्दों
के क्रम के कारण इसका अर्थ भिन्न प्रतीत होता है, किन्तु है
नहीं। इसे एक उदाहरण से समझते हैं; डॉक्टर बहुधा सफेद कोट
पहने और साथ में स्टेथोस्कोप रखते हैं। मान लीजिए डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर लेने के
पश्चात, उन्हें डॉक्टरी की डिग्री देते समय यदि उनसे,
प्रेरितों 2:38 के उपरोक्त वाक्य के समान एक
वाक्य द्वारा यह कहा जाए, “तुम में से हर एक अपने प्रशिक्षण के
लिए सफेद कोट और स्टेथोस्कोप ले” तो क्या इसका यह अर्थ है कि
सफेद कोट और स्टेथोस्कोप रखने से वे डॉक्टर हो जाएंगे; या यह
कि अब जब तुम डॉक्टर हो गए हो, डॉक्टरी का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है, तो उसका प्रत्यक्ष चिह्न, सफेद कोट और स्टेथोस्कोप
साथ रखो? उस गलत शिक्षा और धारणा से बाहर निकाल कर जब
व्यावहारिक जीवन की सामान्य सोच एवं अर्थ के साथ उस वाक्य को देखते हैं तो उसका वह
अर्थ प्रकट हो जाता है जो लगभग दो हज़ार वर्ष पूर्व पतरस द्वारा इस वाक्य को कहे
जाने पर लोगों ने समझा था। उद्धार बपतिस्मे से नहीं है; उद्धार पाए हुओं के लिए बपतिस्मा है।
प्रेरितों 2:38 को
और विस्तार से देखने तथा समझने के लिए आप इन लिंक्स का भी प्रयोग कर सकते हैं:
अँग्रेज़ी में: (https://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-baptism-acts-2-38.html)
हिन्दी में: (https://www.gotquestions.org/baptism-Acts-2-38.html)
यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो यह आपके
लिए अनिवार्य है कि आप परमेश्वर पवित्र आत्मा के विषय वचन में दी गई शिक्षाओं को
गंभीरता से सीखें, समझें
और उनका पालन करें; और सत्य को जान तथा समझ कर ही उचित और
उपयुक्त व्यवहार करें, सही शिक्षाओं का प्रचार करें। किसी के
भी द्वारा प्रभु, परमेश्वर, पवित्र
आत्मा के नाम से प्रचार की गई हर बात को 1 थिस्सलुनीकियों 5:21
तथा प्रेरितों 17:11 के अनुसार जाँच-परख कर,
यह स्थापित कर लेने के बाद कि उस शिक्षा का प्रभु यीशु द्वारा
सुसमाचारों में प्रचार किया गया है; प्रेरितों के काम में
प्रभु के उस प्रचार का निर्वाह किया गया है; और पत्रियों में
उस प्रचार तथा कार्य के विषय शिक्षा दी गई है, तब ही उसे
स्वीकार करें तथा उसका पालन करें, उसे औरों को सिखाएं या
बताएं। आपको अपनी हर बात का हिसाब प्रभु को देना होगा (मत्ती 12:36-37)। जब वचन आपके हाथ में है, वचन को सिखाने के लिए
पवित्र आत्मा आपके साथ है, तो फिर बिना जाँचे और परखे गलत
शिक्षाओं में फँस जाने, तथा मनुष्यों और उनके समुदायों और
उनकी गलत शिक्षाओं को आदर देते रहने के लिए, उन गलत शिक्षाओं
में बने रहने के लिए क्या आप प्रभु परमेश्वर को कोई उत्तर दे सकेंगे?
यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक
स्वीकार नहीं किया है, तो
अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के
पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की
आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए
- उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से
प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ
ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस
प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद
करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया,
उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी
उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को
क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और
मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।”
सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा
भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।
एक साल में बाइबल पढ़ें:
- यहेजकेल
24-26
- 1 पतरस 2
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