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मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

श्रद्धा

मेरे पिताजी परमेश्वर के प्रति श्रद्धालु व्यवहार बनाए रखने के लिये बड़े कट्टर थे। उनके समक्ष यदि कोई परमेश्वर को हल्के में संबोधित करता तो वे क्रुद्ध हो जाते। उनका नियम था कि जब वे सबके सामने बाइबल पढ़ें तो उनके परिवार जन सीधे और सतर्क बैठें, जैसे वे किसी उच्च पदाधिकरी के समक्ष बैठे हों। वे जब परमेश्वर को संबोधित करते थे तो उनके हावभाव से उनकी श्रद्धा और आश्चर्य प्रगट होता था कि हम पापी मनुष्य भी परम पवित्र सृष्टिकर्ता से वार्तालाप कर सकते हैं।

हमारा सर्वसामर्थी परमेश्वर चाहता है कि हम उसे "अब्बा, पिता" करके संबोधित करें, और वह हमें बिना किसी घबराहट या हिचकिचाहट के अपने समक्ष आने का निमंत्रण भी देता है। परन्तु बाइबल के सैंकड़ों खण्ड हैं जहां यह बात स्पष्ट करी गई है कि हमें परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और भय का आचरण कभी नज़रांदज़ नहीं करना है।

निर्गमन १९ अध्याय में परमेश्वर का अपने लोगों को अपने निकट आने का निमंत्रण और उसकी उपस्थिति से उत्पन्न पराक्रमी और भय पैदा करने वाली घटनाओं का अद्भुत समागम है, जिससे इस्त्राएली लोग उसके प्रति श्रद्धा और भय को समझ सकें। जब इस्त्राएली प्रजा पर्वत के नीचे परमेश्वर की बात सुनने को जमा हुई और परमेश्वर पर्वत की चोटी पर उतरा तब पर्वत की चोटी से बड़ी आग और धुआं उठा, भीष्ण गड़गड़ाहट की दिल दहला देने वाली ध्वनि हुई और तेज़ बिजली आकाश में कौन्धने लगी। पर्वत कांपने लगा और तुरही का ऊंचा शब्द हुआ और तब इस्त्राएली लोगों ने परमेश्वर को मूसा से बात करते सुना और वे आदर, भय और श्रद्धा से भर गए।

परमेश्वर कितना महान और पवित्र है, उसकी तुलना में हम कितने छोटे और कमज़ोर हैं और हमारी कोई सामर्थ या पवित्रता तो है ही नहीं। लेकिन फिर भी हमारे प्रति वह अपने प्रेम को प्रभु यीशु मसीह में होकर प्रगट करता है और समस्त मानव जाति को, वे चाहे जो भी हों और जैसे भी हों, प्रभु यीशु में होकर अपने पास आने का खुला निमंत्रण देता है।

जब हम परमेश्वर के सन्मुख अपनी औकात का ध्यान रखते हैं तो हम भय के साथ उसकी सेवा और आनन्द के साथ उसकी संगति भी कर सकते हैं। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


सच्ची उपासना परमेश्वर की सच्ची पहिचान से होती है।

डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और कांपके हुए मगन हो। - भजन २:११


बाइबल पाठ: निर्गमन १९:१-१९

इस्त्राएलियों को मिस्र देश से निकले हुए जिस दिन तीन महीने बीत चुके, उसी दिन वे सीनै के जंगल में आए।
और जब वे रपीदीम से कूच करके सीनै के जंगल में आए, तब उन्होंने जंगल में डेरे खड़े किए; और वहीं पर्वत के आगे इस्त्राएलियों ने छावनी डाली।
तब मूसा पर्वत पर परमेश्वर के पास चढ़ गया, और यहोवा ने पर्वत पर से उसको पुकार कर कहा, याकूब के घराने से ऐसा कह, और इस्त्राएलियों को मेरा यह वचन सुना,
कि तुम ने देखा है कि मै ने मिस्रियों से क्या क्या किया, तुम को मानो उकाब पक्षी के पंखों पर चढ़ा कर अपने पास ले आया हूं।
इसलिये अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे, समस्त पृथ्वी तो मेरी है।
और तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे। जो बातें तुझे इस्त्राएलियों से कहनी हैं वे ये ही हैं।
तब मूसा ने आकर लोगों के पुरनियों को बुलवाया, और ये सब बातें, जिनके कहने की आज्ञा यहोवा ने उसे दी थी, उनको समझा दीं।
और सब लोग मिल कर बोल उठे, जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम नित करेंगे। लोगों की यह बातें मूसा ने यहोवा को सुनाईं।
तब यहोवा ने मूसा से कहा, सुन, मैं बादल के अंधियारे में होकर तेरे पास आता हूं, इसलिये कि जब मैं तुझ से बातें करूं तब वे लोग सुनें, और सदा तेरी प्रतीति करें। और मूसा ने यहोवा से लोगों की बातों का वर्णन किया।
तब यहोवा ने मूसा से कहा, लोगों के पास जा और उन्हें आज और कल पवित्र करना, और वे अपने वस्त्र धो लें,
और वे तीसरे दिन तक तैयार हो रहें, क्योंकि तीसरे दिन यहोवा सब लोगों के देखते सीनै पर्वत पर उतर आएगा।
और तू लोगों के लिये चारों ओर बाड़ा बान्ध देना, और उन से कहना, कि तुम सचेत रहो कि पर्वत पर न चढ़ो और उसके सिवाने को भी न छूओ और जो कोई पहाड़ को छूए वह निश्चय मार डाला जाए।
उसको कोई हाथ से तो न छूए, परन्तु वह निश्चय पत्थरवाह किया जाए, वा तीर से छेदा जाए; चाहे पशु हो चाहे मनुष्य, वह जीवित न बचे। जब महाशब्द वाले नरसिंगे का शब्द देर तक सुनाई दे, तब लोग पर्वत के पास आएं।
तब मूसा ने पर्वत पर से उतर कर लोगों के पास आकर उनको पवित्र कराया और उन्होंने अपने वस्त्र धो लिए।
और उस ने लोगों से कहा, तीसरे दिन तक तैयार हो रहो, स्त्री के पास न जाना।
जब तीसरा दिन आया तब भोर होते बादल गरजने और बिजली चमकने लगी, और पर्वत पर काली घटा छा गई, फिर नरसिंगे का शब्द बड़ा भरी हुआ, और छावनी में जितने लोग थे सब कांप उठे।
तब मूसा लोगों को परमेश्वर से भेंट करने के लिये छावनी से निकाल ले गया, और वे पर्वत के नीचे खड़े हुए।
और यहोवा जो आग में होकर सीनै पर्वत पर उतरा था, इस कारण समस्त पर्वत धुएं से भर गया, और उसका धुआं भट्टे का सा उठ रहा था, और समस्त पर्वत बहुत कांप रहा था
फिर जब नरसिंगे का शब्द बढ़ता और बहुत भारी होता गया, तब मूसा बोला, और परमेश्वर ने वाणी सुना कर उसको उत्तर दिया।

एक साल में बाइबल:
  • गिनती ४-६
  • मरकुस ४:१-२०

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