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गुरुवार, 21 जनवरी 2010

परिपूर्ण वाक्य

जब मैं बालिका थी तो प्रतिदिन अपनी डायरी लिखती थी, तब मेरी अभिलाषा एक परिपूर्ण वाक्य बनाने की रहती थी। वह कैसा होगा? उसमें एक अच्छी क्रिया होगी और सुन्दर विशेषण।

परिपूर्ण वाक्य लिखने की मेरी अभिलाषा शायद कभी पूरी नहीं होगी, परन्तु निर्गमन ३:१४ वाक्य में मैंने एक परिपूर्ण कथन देखा। परमेश्वर ने जलती झाड़ी में से मूसा को बुलाया और कहा कि मिस्त्र से इस्त्रालियों को निकाल ले आने को वह चुना गया है (पद १०)। मूसा इस दायित्व के विष्य में बहुत चिंतित था कि अगर इस्त्रायली उसपर सन्देह करें और उससे पूछें कि उसे किसने भेजा तो वह क्या कहेगा?

परमेश्वर ने मूसा से कहा, "मैं जो हूँ सो हूँ" (पद १४)। अपने अनुपम नाम का प्रयोग करके यहोवा ने मूसा को एक वाक्य में अपने अनन्त अस्तित्व का परिचय दिया। आप कह सकते हैं कि यह परिपूर्ण वाक्य है।

बाइबल व्याख्याकर्ता जी. बुश परमेश्वर द्वारा दिए गए अपने परिचय के बारे में लिखते हैं, "वह जो दूसरों से अलग है, एकमात्र सच्चा परमेश्वर है, जो है....अनन्त, स्वयं-भू, अप्रिवर्तनशील परमेश्वर जो हमेशा था और हमेशा रहेगा।"

परमेश्वर कहता है, "मैं जो हूँ सो हूँ"। वह और उसका नाम परिपूर्ण हैं। हमें आदर और भक्ति से उसके सामने सिर झुकाना है। - ऐन्नि सेटास

संपूर्ण्ता खोजते हो? यीशु की ओर देखो।



बाइबल पाठ: निर्गमन ३:१३-१८

हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी और अपनी स्तुति करने वालों के भय के योग्य और आश्चर्य कर्म का करता है।-निर्गमन १५:११

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन १-३
  • मत्ती १४:१-२१



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