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शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

विजय का परमेश्वर

यूनानी गाथाओं में नाईकी विजय की देवी थी। नईकी ने ओलिम्पियाई देवतों के पक्ष में सामर्थी टाईटन्स से युद्ध किया और विजय प्राप्त की। नाईकी की सामर्थ केवल युद्ध में ही नहीं प्रकट थी, वह खेल प्रतियोग्यताओं में जीतने के अभिलाषी खिलाड़ियों की भी इष्ट देवी थी। रोमियों ने उसे अपनी पूजा विधानों में स्थान दिया और उसका नाम विक्टोरिया कर दिया।

यूनानी-रोमी संसकृति में विजय को बड़ा महत्त्व मिलता था। इसलिए पौलुस ने मसीही सिद्धांतों की शिक्षा देने को ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, जो उसके श्रोता समझते थे। अपने पत्रों में उसने मसीह को विजय की सैनिक यात्रा के नेता के रूप में चित्रित किया (२ कुरिन्थियों २:१४-१७)। उसने मसीही जीवन की तुलना पुराने ओलिम्पिक खेलों के शिक्षण से की (१ कुरिन्थियों ९:२४-२७)।

उसने हमारी हानि करने वालों के प्रति हमारे व्यवहार के संदर्भ में भी ’जीतने’ का प्रयोग किया; उसने कहा "भलाई से बुराई को जीत लो" (रोमियों १२:२१)। इसका अर्थ हुआ कि निंदा को दया से और दुरव्यवहार को शिष्टता से जीत लो। इन दोनो बातों को करने में हम अपनी शक्ति के बल पर प्रेम उत्पन्न नहीं कर सकते; परन्तु मसीह में हमें ऐसा करने की दिव्य सामर्थ मिलती है, जो गैरमसीही नहीं पाते।

यीशु मसीह वास्तव में विजय का परमेश्वर है। - डेनिस फिशर

अगर हम परमेश्वर के पक्ष में युद्ध करते हैं, तो वह हमें जयवन्त करता है।


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों २:१४-१७

बुराई से न हारो, परन्तु भलाई से बुराई को जीत लो। - रोमियों १२:२१

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ४-६
  • मत्ती १४:२२-३६

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