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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

ओकेल्लो की कहानी, कहानी हमारी

मेरी दोस्त रौक्सैन्न ने अपने जीवन में कई अच्छी नौकरियाँ कीं। उसने ओलिम्पिक्स खेलों में संवादिका होकर काम किया। उसने प्रसिद्ध कंपनियों और व्यक्तियों के लिये काम किया। कई सालों तक उसने बड़े मसीही खिलाड़ियों के बारे में लेख लिखे। परन्तु उन सब की तुलना उसकी अब की नौकरी से नहीं की जा सकती - उगान्डा के बच्चों को यीशु का प्रेम देने का काम।

उसका जीवन उगांडा में कैसे बीतता है? उदाहरण स्वरूप, वर्षा काल के एक गुरुवार को लीजिये; वह कीचड़ के कच्चे रास्ते से कैंसर रोगियों के अस्पताल में जाती है। अन्दर जाकर वह छोटे बालक ओकेल्लो को अपनी गोदी में उठाती है, जिसकी बाहों में बहुत सूजन और दर्द है, बदन बुखार से जल रहा है। वह उसे कैंसर के डॉक्टर के दफ्तर में ले कर जाती है और उसकी हालत सुधरने तक उसके साथ रहती।

हमारा नमूना यीशु है। उसने अपनी सेवा का सारा काल दुखियों के बीच बिताया, उनके रोगों को चंगा किया, उन्हें परमेश्वर के प्रेम का सुसमाचार दिया (लूका ७:२१,२२)।

हमारे जीवन की प्राथमिकताएं क्या हैं - केवल काम? अवश्य है कि हमें अपने और अपने परिवार के पालन-पोषण के लिये नौकरी करनी है। परन्तु दुख-दर्द भरे संसार की पीड़ा कम करने को क्या हम कुछ नहीं कर सकते हैं? हम रौक्सैन्न के जैसे उगांडा नहीं जा सकेंगे, परन्तु हम अपने आस-पास किसी की मदद करने का मार्ग ढूंढ सकते हैं और किसी के जीवन को बदल सकते हैं। - डेव ब्रैनन


मसीह में हमारी समानता का मापदंड है दूसरों के कष्टों की ओर हमारी सहानुभूति।


बाइबल पाठ:लूका ५:१२-१६


तब उसने (यीशु ने) अपना हाथ बढ़ाकर उसे(कोढ़ी को) छुआ। - लूका ५:१३


एक साल में बाइबल:
  • गिनती १२-१४
  • मरकुस ५:२१-४३

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