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गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

बहुत बूढ़े?

जब परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की कि उसे और उसकी पत्नि सारा के पुत्र होगा तो अब्राहम अविश्वास के कारण हंसा और उसने कहा, "क्या सौ वर्ष के पुरूष के भी सन्तान होगी और क्या सारा जो नव्वे वष की है पुत्र जनेगी?" (उत्पत्ति १७:१७)।

बाद में सारा भी इसी कारण हंसी: "मैं तो बूढ़ी हूँ और मेरा पति भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा?" (उत्पत्ति १८:१२)।

हम भी बूढ़े होते हैं और सन्देह करते हैं कि क्या परमेश्वर के लिये हमसे किये गए वायदे पूरे करना संभव होगा? बुढ़ापे में हमारा पद और महत्त्व कम हो गए, हमारे दिमाग़ पहले जैसे सक्रीय नहीं रहे। हमारे शरीर में कई परेशानियाँ हो जाती हैं जो हमारे चलने फिरने में बाधा डलती हैं और हमें घर के आस पास ही रहने को मजबूर करती हैं। प्रतिदिन हम उन चीज़ों को खोते जाते हैं जिन्हें पाने के लिये हमने उम्र बिता दी। रॉबर्ट फ़्रॉस्ट हमारे मन में उठने वाले प्रश्न को पूछता है: "प्रश्न है...किसी घटती हुई वस्तु से क्या हासिल होगा?"

अगर हम केवल अपनी सामर्थ पर ही निर्भर हैं तो कुछ खास हासिल नहीं होगा। लेकिन परमेश्वर हमारी कलपना से कहीं बढ़कर हमारा उपयोग कर सकता है। जैसे उसने सारा से पूछा, वह हमसे भी पूछता है, "क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है?" (उत्पत्ति १८:१४) - बिलकुल नहीं!

यदि हम अपने आप को परमेश्वर के लिये उपलब्ध कराते हैं कि वह हमसे अपने उद्देश्यों को पूरा करे, तो उसके लिये उपयोगी होने में हम कभी बहुत बूढ़े नहीं होंगे। - डेविड रोपर


जैसे जैसे परमेश्वर आपके जीवन में वर्ष जोड़ता जाता है, उससे मांगें कि वह आपके वर्षों में जीवन भरता जाए।


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १७:१५-२२


मेरी वाचा तेरे साथ बंधी रहेगी, इसलिये तू जातियों के समूह का मूल पिता हो जायेगा। - उत्पत्ति १७:४


एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल १४, १५
  • लूका १७:१-१९

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