जब एक प्रकाशन संस्था ने मुझे आमंत्रण दिया कि मैं उनकी एक नई पुस्तक की भूमिका लिखूं तो मैंने उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। जब मैं उस पुस्तक को पढ़ने लगा तो मैंने पाया कि वह जवानों को बदलते हुए संसार में परमेश्वर के लिये जीवन जीने को प्रोत्साहित करने के लिये लिखी गई थी, किंतु फिर भी उसे पढ़कर मैं कुछ विचिलित हुआ। यद्यपि उस पुस्तक में बाइबल से बहुत से पद उद्वत किये गए थे और अच्छी आत्मिक सलाह दी गई थी, किंतु उसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया था कि परमेश्वर के साथ सही संबंध का आरंभ प्रभु यीशु में मिला उद्धार है।
लेखक के विचार से आधुनिक समाज में अच्छे आत्मिक जीवन का आधार भले कार्य हैं, सब कुछ हमारे भले कार्यों पर निर्भर है, न कि मसीह पर विश्वास द्वारा मिले उद्धार पर। इसलिये मैंने उस पुस्तक की भूमिका नहीं लिखी।
चर्च का स्वरूप और संसकृति तेज़ी से बदल रही है और नये विचारों की होड़ में सुसमाचार का वास्तविक सन्देश कहीं पीछे छूटता जा है। प्रेरित पौलुस अचंभित था कि लोगों ने "दूसरे सुसमाचार" (गलतियों १:६) को कितनी सहजता से स्वीकार कर लिया। उसने जो प्रचार किया था वह किसी मनुष्य के विचार नहीं थे, उसे वह सन्देश स्वयं प्रभु यीशु से प्राप्त हुआ था (गलतियों १:११, १२)।
इस खरे सुसमाचार को हमें कभी नहीं छोड़ना है कि: मसीह हमारे पापों के लिये मरा, गाड़ा गया और हमें परमेश्वर के सन्मुख धर्मी ठहराने के लिये जी उठा (रोमियों ४:२५, १ कुरिन्थियों १५:३, ४)। केवल यही सुसमाचार है जो प्रत्येक विश्वास करने वाले के लिये उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ है (रोमियों १:१६)।
यदि हम परमेश्वर के लिये जीवन व्यतीत करना चहते हैं तो आरंभ करने का यही एक मात्र स्थान है। - डेव ब्रैनन
बाइबल पाठ: गलतियों १:६-१२
मुझे आश्चर्य होता है, कि जिस ने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उस से तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे।
परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं।
परन्तु यदि हम या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो स्त्रापित हो।
जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो स्त्रापित हो। अब मैं क्या मनुष्यों को मानता हूं या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं?
यदि मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करता रहता, तो मसीह का दास न होता।
हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं।
क्योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला।
एक साल में बाइबल:
लेखक के विचार से आधुनिक समाज में अच्छे आत्मिक जीवन का आधार भले कार्य हैं, सब कुछ हमारे भले कार्यों पर निर्भर है, न कि मसीह पर विश्वास द्वारा मिले उद्धार पर। इसलिये मैंने उस पुस्तक की भूमिका नहीं लिखी।
चर्च का स्वरूप और संसकृति तेज़ी से बदल रही है और नये विचारों की होड़ में सुसमाचार का वास्तविक सन्देश कहीं पीछे छूटता जा है। प्रेरित पौलुस अचंभित था कि लोगों ने "दूसरे सुसमाचार" (गलतियों १:६) को कितनी सहजता से स्वीकार कर लिया। उसने जो प्रचार किया था वह किसी मनुष्य के विचार नहीं थे, उसे वह सन्देश स्वयं प्रभु यीशु से प्राप्त हुआ था (गलतियों १:११, १२)।
इस खरे सुसमाचार को हमें कभी नहीं छोड़ना है कि: मसीह हमारे पापों के लिये मरा, गाड़ा गया और हमें परमेश्वर के सन्मुख धर्मी ठहराने के लिये जी उठा (रोमियों ४:२५, १ कुरिन्थियों १५:३, ४)। केवल यही सुसमाचार है जो प्रत्येक विश्वास करने वाले के लिये उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ है (रोमियों १:१६)।
यदि हम परमेश्वर के लिये जीवन व्यतीत करना चहते हैं तो आरंभ करने का यही एक मात्र स्थान है। - डेव ब्रैनन
परमेश्वर के उद्धार के उपहार को केवल मसीह में विश्वास के द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है।
जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो स्त्रापित हो। - (गलतियों १:९)बाइबल पाठ: गलतियों १:६-१२
मुझे आश्चर्य होता है, कि जिस ने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उस से तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे।
परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं।
परन्तु यदि हम या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो स्त्रापित हो।
जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो स्त्रापित हो। अब मैं क्या मनुष्यों को मानता हूं या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं?
यदि मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करता रहता, तो मसीह का दास न होता।
हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं।
क्योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला।
एक साल में बाइबल:
- भजन ५४-५६
- रोमियों ३