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शनिवार, 31 जुलाई 2010

आरंभ का एक मात्र स्थान

जब एक प्रकाशन संस्था ने मुझे आमंत्रण दिया कि मैं उनकी एक नई पुस्तक की भूमिका लिखूं तो मैंने उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। जब मैं उस पुस्तक को पढ़ने लगा तो मैंने पाया कि वह जवानों को बदलते हुए संसार में परमेश्वर के लिये जीवन जीने को प्रोत्साहित करने के लिये लिखी गई थी, किंतु फिर भी उसे पढ़कर मैं कुछ विचिलित हुआ। यद्यपि उस पुस्तक में बाइबल से बहुत से पद उद्वत किये गए थे और अच्छी आत्मिक सलाह दी गई थी, किंतु उसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया था कि परमेश्वर के साथ सही संबंध का आरंभ प्रभु यीशु में मिला उद्धार है।

लेखक के विचार से आधुनिक समाज में अच्छे आत्मिक जीवन का आधार भले कार्य हैं, सब कुछ हमारे भले कार्यों पर निर्भर है, न कि मसीह पर विश्वास द्वारा मिले उद्धार पर। इसलिये मैंने उस पुस्तक की भूमिका नहीं लिखी।

चर्च का स्वरूप और संसकृति तेज़ी से बदल रही है और नये विचारों की होड़ में सुसमाचार का वास्तविक सन्देश कहीं पीछे छूटता जा है। प्रेरित पौलुस अचंभित था कि लोगों ने "दूसरे सुसमाचार" (गलतियों १:६) को कितनी सहजता से स्वीकार कर लिया। उसने जो प्रचार किया था वह किसी मनुष्य के विचार नहीं थे, उसे वह सन्देश स्वयं प्रभु यीशु से प्राप्त हुआ था (गलतियों १:११, १२)।

इस खरे सुसमाचार को हमें कभी नहीं छोड़ना है कि: मसीह हमारे पापों के लिये मरा, गाड़ा गया और हमें परमेश्वर के सन्मुख धर्मी ठहराने के लिये जी उठा (रोमियों ४:२५, १ कुरिन्थियों १५:३, ४)। केवल यही सुसमाचार है जो प्रत्येक विश्वास करने वाले के लिये उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ है (रोमियों १:१६)।

यदि हम परमेश्वर के लिये जीवन व्यतीत करना चहते हैं तो आरंभ करने का यही एक मात्र स्थान है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के उद्धार के उपहार को केवल मसीह में विश्वास के द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है।

जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो स्‍त्रापित हो। - (गलतियों १:९)

बाइबल पाठ: गलतियों १:६-१२
मुझे आश्‍चर्य होता है, कि जिस ने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उस से तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे।
परन्‍तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं।
परन्‍तु यदि हम या स्‍वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो स्‍त्रापित हो।
जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो स्‍त्रापित हो। अब मैं क्‍या मनुष्यों को मानता हूं या परमेश्वर को? क्‍या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं?
यदि मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करता रहता, तो मसीह का दास न होता।
हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं।
क्‍योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ५४-५६
  • रोमियों ३

शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

झंझट

मेरे पति टौम और हमारे मित्र फ्रैड को जब मालूम पड़ा कि सड़क पर यातायात क्यों धीमा चल रहा है तो फ्रेड ने बेचैन होकर कहा, "क्या उस बेचारे की कोई सहायता नहीं करेगा?" वहां सड़क पर एक साईकिल सवार गिरा पड़ा था, उसकी साईकिल उस के उपर पड़ी थी और गाड़ियां बिना रुके उसके करीब से निकलती जा रहीं थीं। फ्रेड ने अपनी कार की सावधानी सूचक बत्तियां जलाईं और अपनी कार को खड़ा करके गाड़ियों के आवगमन को सड़क पर रोक दिया। फिर फ्रैड और टौम दोनो कार से बाहर निकलकर सड़क पर पड़े उस व्यक्ति की सहायता के लिये नीचे उतर पड़े।

फ्रैड और टौम दोनो उस झंझट में पड़ने को तैयार थे, जैसे लूका १० में प्रभु यीशु द्वारा दिये गये दृष्टांत में वह सामरी व्यक्ति तैयार था। उस सामरी के समान, उन दोनो ने भी परेशानी में पड़े एक व्यक्ति की सहायता के लिये, अपनी हिचकिचाहट को काबू में किया और आगे बढ़े। उस सामरी को भी सहायता करने के लिये जाति और सांसकृतिक भेदभाव के ऊपर उठना पड़ा, किंतु उसने सहायता करी; जबकि जिनसे सहायता की उम्मीद करी जाती थी वे घायल व्यक्ति की उपेक्षा करके चले गये।

ऐसे समयों पर अपने आप को परिस्थिति में डालने से बचने के बहाने बनाना आसान है। साधारणतया, सहायता करने से बचने के बहानों की सूचि में सबसे ऊपर व्यस्तता, उपेक्षा और भय होते हैं। फिर भी यदि हम अपने प्रभु का अनुकरण विश्वासयोग्यता से करने की चाह रखते हैं, तो हम उसके समान, सहानुभूति सहित, सहायता करने के अवसरों का सदुपयोग भी करेंगे (मत्ती १४:१४, १५:३२, मरकुस ६:३४)।

अच्छे सामरी के दृष्टांत में प्रभु यीशु ने उस सामरी की प्रशंसा करी क्योंकि उसने महंगा पड़ने, असुविधाजनक और मुश्किल होने के बावजूद सहानुभूति के साथ एक घायल व्यक्ति की सहायता की।

प्रभु हमें भी यही कहता है "...जा, तू भी ऐसा ही कर" (लूका १०:३७)। - सिंडी हैस कैसपर

कार्यशील प्रेम ही सच्ची सहानुभूति है।

यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है। - भजन १११:४

बाइबल पाठ: लूका १०:३०-३७

यीशु ने उत्तर दिया, कि एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा या, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिए, और मार पीट कर उसे अधमूआ छोड़कर चले गए।
और ऐसा हुआ कि उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था: परन्‍तु उसे देख के कतरा कर चला गया।
इसी रीति से एक लेवी उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतराकर चला गया।
परन्‍तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया।
और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां बान्‍धी, और अपनी सवारी पर चढ़ा कर सराय में ले गया, और उस की सेवा टहल की।
दूसरे दिन उस ने दो दिनार निकाल कर भटियारे को दिए, और कहा, इस की सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा।
अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा?
उस ने कहा, वही जिस ने उस पर तरस खाया: यीशु ने उस से कहा, जा, तू भी ऐसा ही कर।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ५१-५३
  • रोमियों २

गुरुवार, 29 जुलाई 2010

घर वापसी

अपने लड़कपन में समय बिताने का मेरा मन पसन्द तरीका था अपने घर के पीछे बह रहे पानी के नाले के साथ साथ चलना। यह करना मेरे लिये बहुत रोमांचकारी होता था; बहुत से मन बहलाने वाले काम करने को होते थे: पत्थरों पर चढ़ना-उतरना,पक्षियों को देखना, जानवरों के पैरों के निशनों के सहारे उनका पीछा करना, उस नाले पर छोटे बांध बनाना, आदि। अगर मैं इन सब के बावजूद नाले के मुहाने तक पहुंच पाता, तो मैं और मेरा पालतु कुत्ता झील के किनारे बैठ कर कुछ खाते और झील पर उड़ान भरते वायुयानों को देखते रहते।

हमसे जितना संभव हो सकता था, हम उतनी देर इन सब में बिताते, परन्तु बहुत देर नहीं कर सकते थे क्योंकि मेरे पिता के निर्देश थे कि हम सूर्यास्त से पहले ही घर पहुंच जाया करें। उस जंगल के रास्ते पर दिन का उजाला जल्द ही कम हो जाता था और मार्ग में बढ़ते अन्धकार के कारण मैं अक्सर सोचता कि काश मैं घर जल्दी पहुंच सकूं।

हमारा घर जंगल के पेड़ों के पार एक टीले पर स्थित था, और जब तक परिवार का प्रत्येक सदस्य घर न पहुंच जाए, घर की बत्ती जली रहती थी। अक्सर मेरे पिता पिछले बरामदे में मेरे इंतिज़ार में बैठे अखबार पढ़ रहे होते थे। मेरे पहुंचने पर वे पूछते, "समय कैसा रहा?" और मैं उत्तर देता, "बहुत बढ़िया, लेकिन घर वापस पहुंचना सबसे अच्छा है।"

अब, बढ़ी उम्र में, उन दिनों की यह यादें मुझे एक और यात्रा के बारे में सोचने को प्रोत्साहित करती हैं - जिस यात्रा पर मैं अब अग्रसर हूं। यह यात्रा आसान नहीं है, लेकिन मैं जानता हूं कि यात्रा के अन्त में अपने अनन्त घर में मैं अपने प्रेमी स्वर्गीय पिता से मिलुंगा, जो मेरी प्रतीक्षा कर रहा है। इस यात्रा के पूरे होने और अपने उस स्वर्गीय पिता से मिलने के लिये मैं बहुत आतुर हूं।

वहां मेरी प्रतीक्षा हो रही है, प्रतीक्षा में उस अनन्त घर में ज्योति चमक रही है और मेरा पिता मेरी राह देख रहा है। मुझे लगता है कि मेरे पृथ्वी के पिता के समान, मेरे घर पहुंचने पर वह मुझसे पूछेगा "समय कैसा रहा?" और मैं उसे उत्तर दूंगा "बहुत बढ़िया, लेकिन घर वापस पहुंचना सबसे अच्छा है।"

क्या आप भी ऐसे ही घर वापसी की राह देख रहे हैं? - डेविड रोपर


एक मसीही विश्वासी के लिये स्वर्ग का दूसरा नाम घर है।

तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा करके मुझ को अपने पास रखेगा। - भजन ७३:२४

बाइबल पाठ: भजन ७३:२१-२८

मेरा मन तो चिड़चिड़ा हो गया, मेरा अन्त:करण छिद गया था,
मैं तो पशु सरीखा था, और समझता न था, मैं तेरे संग रहकर भी, पशु बन गया था।
तौभी मैं निरन्तर तेरे संग ही था, तू ने मेरे दहिने हाथ को पकड़ रखा।
तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा करके मुझ को अपने पास रखेगा।
स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता।
मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है।।
जो तुझ से दूर रहते हैं वे तो नाश होंगे, जो कोई तेरे विरूद्ध व्यभिचार करता है, उसको तू विनाश करता है।
परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ४९, ५०
  • रोमियों १

बुधवार, 28 जुलाई 2010

मित्रों का मूल्य

जौन क्रिसोसटोम (सन ३४७-४०७) प्रारंभिक चर्च का एक महान प्रचारक था। उसके सुवक्ता होने के कारण उसे यह नाम क्रिसोसटोम दिया गया, जिसका अर्थ है ’सुनहले मुँह वाला’।

मित्र के मूल्य पर उसके द्वारा कही गई कुछ बातों को परखकर देखिये: "यह मित्रता ही है जिसके कारण हम स्थानों और ‌ऋतुओं को चाहते हैं; जैसे फूल अपनी मधुर पंखुड़ियां अपने चारों ओर की भूमि पर बिखेर देते हैं, ऐसे ही मित्र भी अपने आस पास सौहार्द और अनुग्रह बिखेर देते हैं। मित्रों के साथ दरिद्रता में भी आनन्द होता है। हमारे लिये यह अधिक भला होगा कि सूर्य जाता रहे बजाए इसके मित्र न रहें।"

दाऊद और योनातान की कहानी मित्रता के मूल्य को दिखाती है। यद्यपि योनातन का पिता राजा शाउल, अपने पागलपन में, दाऊद को मारने को फिर रहा था, दाऊद ने उस ही के पुत्र की मित्रता से हिम्मत पाई - "और योनातन दाऊद से प्रेम रखता था, ... क्योंकि वह उस से अपने प्राण के बराबर प्रेम रखता था" (१ शमुएल २०:१७)। उनका यह संबंध विश्वास, समझ-बूझ और प्रोत्साहन पर आधारित था। राजा शाऊल द्वारा किये जा रहे अनुचित उत्पीड़न को सहना दाऊद के लिये असंभव होता यदि परमेश्वर पर आधारित योनातान की मित्रता (१ शमुएल २०:४२) का पोषण उसे ना मिलता।

किंतु मित्रता का इससे भी ऊंचा स्तर हम प्रभु यीशु में देखते हैं, जिसने अपने अनुयायियों के प्रति अपनी मित्रता का मूल्य अपने प्राण से भी अधिक रखा "इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे" (यूहन्ना १५:१३)। आज भी उसका अपने मित्रों से वायदा है कि "मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों १३:५)।

क्रिसोसटोम के वचन और दाऊद-योनातान की मित्रता के उदाहरण हमें याद दिलाते हैं कि परमेश्वर द्वारा दिये गये मित्रों की मित्रता को हमें कैसे संवारे रखना है, प्रभु यीशु हमें दिखाता है कि मित्रता का मूल्य क्या है। - डेनिस फिशर


जब संसार हमें छोड़ देता है तो मित्र ही हमारे साथ रहते है।


और योनातन दाऊद से प्रेम रखता था, ... क्योंकि वह उस से अपने प्राण के बराबर प्रेम रखता था" - १ शमुएल २०:१७

इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। - यूहन्ना १५:१३

बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:१२-१७
मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्‍योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्‍या करता है: परन्‍तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्‍योंकि मैं ने जो बातें अपके पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
तुम ने मुझे नहीं चुना परन्‍तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ, और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ४६-४८
  • प्रेरितों के काम २८

मंगलवार, 27 जुलाई 2010

परमेश्वर का मन

यह मानना सहज है कि परमेश्वर इस प्रतीक्षा में रहता है कि जैसे ही आप उसके पास पहुंचें, वह आपके पापों के लिये आप को दण्ड दे। लेकिन प्रकाशितवाक्य के २ और ३ अध्याय में सात मण्डलियों के लिये लिखित उसके सन्देशों में हम ऐसा नहीं पाते हैं। इन स्न्देशों में हम पथभ्रष्ट लोगों के प्रति परमेश्वर के प्रेम पूर्ण हृदय को देखते हैं।

प्रभु यीशु ने इन सन्देशों का आरंभ, उन मण्डलियों में पाई जाने वाली भली बातों की प्रशंसा के साथ किया। यह दिखाता है कि जब हम वह करते हैं जो सही और भला है तो इससे प्रभु प्रसन्न होता है।

साथ ही प्रभु यीशु हमारे जीवन की बुराइयों के लिये भी चिंतित रहता है। इन सन्देशों में प्रशंसा के साथ मण्डलियों को स्पष्ट शब्दों में ताड़ना भी दी गई है। यद्यपि प्रभु से यह सुनना "पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि..." (प्रकाशितवाक्य २:४, १४, २०) दुख पहुंचाता है, पर प्रभु प्रगट करता है कि हमारे जीवन में क्या बदलना अनिवार्य है जिससे हम अपनी ही नज़रों में सही होने के धोखे और नुकसान से बच सकें।

यह हमें बात के मर्म पर लेकर आता है - मनफिराव। जब प्रभु इन मण्डलियों से मनफिराव करने को कह रहा था तो वह पथभ्रष्ट संतों के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित कर रहा था। ताड़ना के द्वारा उसका उद्देश्य उन्हें अपराधी ठहराना नहीं था वरन गलत बातों को ठीक करके उसके साथ निकट संबंधों को पुनः स्थापित करने का मार्ग दिखाना था।

यह मत अन्देखा कीजीये के प्रत्येक सन्देश का अन्त "जय" पाने वालों के लिये दी गयी किसी विशेष प्रतिज्ञा से होता है। स्पष्ट है कि जो परमेश्वेर को भावता हुआ जीवन व्यतीत करते हैं, वह उन्हें विशेष प्रतिफल देना चाहता है।
आज आपसे वह क्या कह रहा है? - जो स्टोवैल


मनफिराव परमेश्वर के साथ हमारे घनिष्ट संबंधों को पुनःस्थापित एवं तरोताज़ा करता है।


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ३:१४-२२
और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्‍चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्‍टि का मूल कारण है, वह यह कहता है।
कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता।
सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह से उगलने पर हूं।
तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्‍तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्‍छ और कंगाल और अन्‍धा, और नंगा है।
इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए, और श्वेत वस्‍त्र ले ले कि पहिनकर तुझे अपके नंगेपन की लज्ज़ा न हो, और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं, यदि कोई मेरा शब्‍द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पाकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्‍या कहता है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ४३, ४५
  • प्रेरितों के काम २७:२७-४४

सोमवार, 26 जुलाई 2010

नमूने

अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में प्रचलित जुए और दवाओं के गलत प्रयोग के अपवाद के मध्य, दो खिलाड़ियों को उनके खेल में मिली उपलब्धियों और उनके चरित्र के लिये सराहा गया और उनके नाम २००७ की राष्ट्रीय बेसबॉल कीर्तिशाला में अन्कित किये गये। इस अवसर पर उपस्थित ७५,००० दर्शकों के विशाल समूह ने उन दोनो - कैल रिप्किन और टोनी ग्वैन को हर्षित किया।

उस अवसर पर रिप्किन ने कहा, "हम चाहे मानें या न मानें, किंतु इतने उंचे और बड़े स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ी होने के कारण हम अवश्य ही दूसरों के लिये नमूने हो जाते हैं। प्रश्न यह है कि यह नमूना सकरात्मक होगा या नकरात्मक।" ग्वैन ने भी इसी विचार के अनुरूप कहा, "यहां बेसबॉल का खेल खेलने से भी अधिक कुछ है...आप ज़िम्मेदार हैं, आपको सही निर्णय लेने होते हैं और लोगों के सामने रखना होता है कि आदर्श रीति से ज़िम्मेदारी निभाना क्या होता है।"

मसीह के अनुयायी होने के कारण, प्रतिदिन लोग हमें देखते हैं, हमें आंकते हैं। ऐसे में हमें पौलुस द्वारा प्रतिदिन के जीवन के लिये रखी गई चुनौती "तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्‍कलंक सन्‍तान बने रहो, जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो" (फिलिप्पियों २:१५) पर खरा उतरना है।

हमें देखने वाले, हमारे समझौता करने से निराश होते हैं, परन्तु हमारा श्रेष्ठ चरित्र उनमें आशा उत्पन्न करता है। जब हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता का जीवन, संसार के समक्ष हम में प्रगट होगा, तो हम दूसरों को प्रोत्साहित कर सकेंगे उन्हें यीशु की ओर आकर्शित कर सकेंगे।

आज जो हमें दे्ख रहे हैं और आंक रहे हैं, उनके लिये हम कैसे नमूने होंगे? - डेविड मैक्कैसलैंड


संसार के लिये सबसे अच्छे नमूने, यीशु को अपना नमूना बनाते हैं।


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों :१२-१८
सो हे मेरे प्यारो, जिस प्रकार तुम सदा से आज्ञा मानते आए हो, वैसे ही अब भी न केवल मेरे साथ रहते हुए पर विशेष करके अब मेरे दूर रहने पर भी डरते और कांपते हुए अपने अपने उद्धार का कार्य पूरा करते जाओ।
क्‍योंकि परमेश्वर ही है, जिस न अपनी सुइच्‍छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्‍छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है।
सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो।
ताकि तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्‍कलंक सन्‍तान बने रहो, जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो।
कि मसीह के दिन मुझे घमण्‍ड करने का कारण हो, कि न मेरा दौड़ना और न मेरा परिश्रम करना व्यर्थ हुआ।
और यदि मुझे तुम्हारे विश्वास के बलिदान और सेवा के साथ अपना लोहू भी बहाना पड़े तौभी मैं आनन्‍दित हूं, और तुम सब के साथ आनन्‍द करता हूं।
वैसे ही तुम भी आनन्‍दित हो, और मेरे साथ आनन्‍द करो।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ४० - ४२
  • प्रेरितों के काम २७:१-२६

रविवार, 25 जुलाई 2010

रुको और जांचो

मेरे मनपसन्द और लोक्प्रीय कॉमिक पीनट्स (Peanuts) के एक अंक में, चार्ली ब्राउन स्नूपी से पुछता है, "सुना है कि तुम आध्यत्म पर एक पुस्तक लिखने जा रहे हो। आशा है कि तुम ने उसका अच्छा शीर्षक सोचा होग।" स्नूपी उत्तर देता है, "मैं ने बिलकुल सिद्ध शीर्षक सोचा है: ’क्या आपने कभी सोचा कि आप गलत हो सकते हैं?’ "

स्नूपी का यह शीर्षक याद दिलाता है कि परमेश्वर के बारे में और इस बारे में कि परमेश्वर हम से क्या चाहता है, हमारी सोच-समझ कभी कुछ गलत भी हो सकती है। हमारे यही गलत विचार हमें गलत व्यवहार की ओर ले जाते हैं। इसलिये उचित है कि हम रुक कर पौलुस की शिक्षा: "...मन फिराओ और परमेश्वर की ओर फिर कर मन फिराव के योग्य काम करो" (प्रेरितों के काम २६:२०) का पालन करें।

पौलुस द्वारा प्रयुक्त जिस शब्द का अनुवाद ’मन फिराओ’ किया गया है, मूल युनानी भाषा में वह है मैटानोइयो (metanoeo), जिसका अर्थ होता है ’अपना मन बदलो’। जैसा पौलुस ने सिखाया, मन फिराओ का अर्थ केवल बाहरी तौर से नम्रता सहित परमेश्वर के साथ सहमति में सर हिलाना, और फिर पहले जैसे ही व्यवहार किये जाना नहीं है। यदि हम वास्तव में परमेश्वर से सहमत हैं और अपने मन को उसकी ओर लगाते हैं तो हमारा व्यवहार भी उसके अनुरूप होना चाहिये। जैसे एक कार, जो उसी ओर जायेगी जिस ओर उसे मोड़ दिया जायेगा। ऐसे ही यदि हम सचमुच अपने मन और विचारों को परमेश्वर की ओर मोड़ेंगे, तो हमारे व्यवहार में दिशा-परिवर्तन इस बात को दिखायेगा।

बजाये इसके कि हम अपने में मगन और यह मानते हुए कि हमारे विचार और कार्य सही हैं निरन्तर चलते रहें, हमें थोड़े थोड़े समय बाद रुक कर अपने आप को जांचना चाहिये और अपने आप से स्नूपी का प्रश्न पूछना चहिये। जैसा पौलुस ने सिखाया, जब हम यह स्वीकार करने को तैयार रहते हैं कि हम गलत हो सकते हैं तो हम परमेश्वर के साथ सही रहने के लिये तैयार होते हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


यदि हम अपनी इच्छाओं को सत्य के अनुरूप नहीं करेंगे, तो हम सत्य को ही अपनी इच्छाओं के अनुरूप कर लेंगे।


बाइबल पाठ: प्रेरितों के काम २६:१२-२३
इसी धुन में जब मैं महायाजकों से अधिकार और परवाना लेकर दमिश्‍क को जा रहा था।
तो हे राजा, मार्ग में दोपहर के समय मैं ने आकाश से सूर्य के तेज से भी बढ़कर एक ज्योति अपने और अपने साथ चलने वालों के चारों ओर चमकती हुई देखी।
और जब हम सब भूमि पर गिर पड़े, तो मैं ने इब्रानी भाषा में, मुझ से यह कहते हुए यह शब्‍द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्‍यों सताता है? पैने पर लात मारना तेरे लिये कठिन है।
मैं ने कहा, हे प्रभु तू कौन है? प्रभु ने कहा, मैं यीशु हूं: जिसे तू सताता है।
परन्‍तु तू उठ, अपने पांवों पर खड़ा हो, क्‍योंकि मैं ने तुझे इसलिये दर्शन दिया है, कि तुझे उन बातों पर भी सेवक और गवाह ठहराऊं, जो तू ने देखी हैं, और उन का भी जिन के लिये मैं तुझे दर्शन दूंगा।
और मैं तुझे तेरे लोगों से और अन्यजातियों से बचाता रहूंगा, जिन के पास मैं अब तुझे इसलिये भेजता हूं।
कि तू उन की आंखे खोले, कि वे अंधकार से ज्योति की ओर, और शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा, और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैं, मीरास पाएं।
सो हे राजा अग्रिप्‍पा, मैं ने उस स्‍वर्गीय दर्शन की बात न टाली।
परन्‍तु पहिले दमिश्‍क के, फिर यरूशलेम के रहने वालों को, तब यहूदिया के सारे देश में और अन्यजातियों को समझाता रहा, कि मन फिराओ और परमेश्वर की ओर फिर कर मन फिराव के योग्य काम करो।
इन बातों के कारण यहूदी मुझे मन्‍दिर में पकड़ के मार डालने का यत्‍न करते थे।
सो परमेश्वर की सहायता से मैं आज तक बना हूं और छोटे बड़े सभी के साम्हने गवाही देता हूं और उन बातों को छोड़ कुछ नहीं कहता, जो भविष्यद्वक्ताओं और मूसा ने भी कहा कि होने वाली हैं।
कि मसीह को दुख उठाना होगा, और वही सब से पहिले मरे हुओं में से जी उठकर, हमारे लोगों में और अन्यजातियों में ज्योति का प्रचार करेगा।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ३७ - ३९
  • प्रेरितों के काम २६

शनिवार, 24 जुलाई 2010

कथनी और करनी

प्रचारक ने मज़ाकिया लहज़े में अपनी बात लोगों के सामने रखी; उसने कहा "मेरी पत्नी बहुत अतर्कसंगत है। वह वाकई उम्मीद रखती है कि मैं अपने प्रचार के अनुरूप जीवन भी व्यतीत करूं!" दुसरों को सही-गलत का प्रचार करना कितना आसान है परन्तु उसे अपने पर लागू करना कितना कठिन।

जब मैं और मेरा बेटा गोल्फ खेलते हैं तो मैं उसे बताता हूं कि कैसे गेंद को ठीक से मारना है जिससे वह सही दिशा और जगह पर जाए। परन्तु उन्हीं बातों को अपने खेल पर लागू करने की मेरी क्षमता बहुत कम है। खिलाड़ियों के बारे में कही जाने वाली बात कि "वे बातें तो बहुत करते हैं पर उन बातों जैसा खेलते नहीं" इसी पर आधारित है। किसी खेल को अच्छी तरह खेलने के बारे में कोई भी बता सकता है, किंतु उसे वैसा खेल कर दिखाना कहीं अधिक कठिन होता है।

ऐसी ही बात प्रभु यीशु मसीह का अनुयायी होने का दावा करने वालों पर भी लागू होती है। हमें उस विश्वास की केवल बात नहीं करनी है, वरन उसे अपने प्रतिदिन के जीवन में जी कर दिखाना है। इसीलिये, अपने जवान शिष्य तिमुथियुस को प्रचार करने की शिक्षा देने के बाद, पौलुस ने उसे यह भी स्मरण दिलाया कि "कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा...उन बातों को सोचता रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख" (१ तिमुथियुस ४:१२, १५)।

हम मसीह के अनुयायीयों को इस बात की छूट नहीं है कि हम केवल अच्छी बातें बोलने वाले हों; वरन हमें ऐसे जीवन जीने हैं जो मसीह पर किये गये हमारे विश्वास का खरा उदाहरण हों, अनुकर्णीय हों। हमारी कथनी और करनी में कोई अन्तर नहीं होना चाहिये। - बिल क्राउडर


जब हमारी करनी हमारी कथनी के अनुरूप होती है तब ही वह परमेश्वर को भाती है।


बाइबल पाठ: १ तिमुथियुस ४:६-१६
यदि तू भाइयों को इन बातों की सुधि दिलाता रहेगा, तो मसीह यीशु का अच्‍छा सेवक ठहरेगा: और विश्वास और उस अच्‍छे उपदेश की बातों से, जो तू मानता आया है, तेरा पालन-पोषण होता रहेगा।
पर अशुद्ध और बूढिय़ों की सी कहानियों से अलग रह, और भक्ति के लिये अपना साधन कर।
क्‍योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्‍योंकि इस समय के और आने वाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है।
और यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है।
क्‍योंकि हम परिश्र्म और यत्‍न इसी लिये करते हैं, कि हमारी आशा उस जीवते परमेश्वर पर है जो सब मनुष्यों का, और निज करके विश्वासियों का उद्धारकर्ता है।
इन बातों की आज्ञा कर, और सिखाता रह।
कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा।
जब तक मैं न आऊं, तब तक पढ़ने और उपदेश और सिखाने में लौलीन रह।
उस वरदान से जो तुझ में है, और भविष्यद्वाणी के द्वारा प्राचीनों के हाथ रखते समय तुझे मिला था, निश्‍चिन्‍त न रह।
उन बातों को सोचता रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख।
इन बातों पर स्थिर रह, क्‍योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुनने वालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा।।
एक साल में बाइबल:
  • भजन ३५, ३६
  • प्रेरितों के काम २५

शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

मुँह खोलने को तैयार

ली एक्लोव और उसकी पत्नि एक कॉफी की दुकान पर बैठे कॉफी पी रहे थे। उनके पास की मेज़ पर चार आदमी बैठे बातें कर रहे थे। उनमें से एक मसीही विश्वास और प्रभु यीशु के पुनरुथान का उपहास कर रहा था।

ली को एहसास था कि प्रभु उसे इस उपहास का उत्तर देने को उभार रहा है, किंतु उसके भय ने उसे ऐसा करने से रोके रखा। अन्ततः उसे निर्णय लेना पड़ा। वह उठकर उन लोगों के पास गया और उनसे बातचीत आरंभ करी, फिर उसने उन्हें प्रभु यीशु के पुनरुथान को प्रमाणित करने वाले ऐतिहासिक प्रमाण दिये।

ऐसी स्थिति में अगर हम हों तो क्या करेंगे? प्रेरित पतरस ने अपने पाठकों को प्रोत्साहित किया कि वे हर परिस्थिति में मसीह यीशु के लिये खड़े होने को तैयार रहें, विशेषकर जब इस के लिये बहुत क्लेशों का सामना करना पड़े। इस तरह के समर्पण के निर्णय में निहित है कि विश्वास की रक्षा करने की परिस्थितियों में मौन न रहें। पतरस ने कहा "जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ" (१ पतरस ३:१५)। उत्तर देने के लिये तैयार रहने के लिये परमेश्वर के वचन को जानना ज़रूरी है। उत्तर नम्रता और परमेश्वरीय भय में देना है, जिससे बैरी और विरोधियों को अपने व्यवहार पर शर्मिंदगी हो।

यदि ली एक्लोव शांत रहा होता, अथवा उसने अशिष्टता से उत्तर दिया होता तो इससे मसीही विश्वास को हानि होती। ली ने बाद में लिखा " हमें हमारे छिपने के स्थानों से निकालने के परमेश्वर के पास तरीके हैं, और जब वह हमें बाहर निकालता है तो हमें उसके लिये मुँह खोलने को तैयार रहना है।" - मार्विन विलियम्स


अपने उद्धारकर्ता और उस में उपल्बध उद्धार के बारे में मौन रहना लापरवाही का जघन्य पाप है।


बाइबल पाठ: १ पतरस ३:१३-२२
और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करनेवाला फिर कौन है?
और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो? पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।
पर मसीह को प्रभु जानकर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।
और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में वे जो तुम्हारे मसीही अच्‍छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्ज़ित हों।
क्‍योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्‍छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।
इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात अधमिर्यों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।
उसी में उस ने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया।
जिन्‍होंने उस बीते समय में आज्ञा न माना जब परमेश्वर नूह के दिनों में धीरज धरकर ठहरा रहा, और वह जहाज बन रहा था, जिस में बैठकर थोड़े लोग अर्थात आठ प्राणी पानी के द्वारा बच गए।
और उसी पानी का दृष्‍टान्‍त भी, अर्थात बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है? (उस से शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्‍तु शुद्ध विवेक से परमेश्वर के वश में हो जाने का अर्थ है)।
वह स्‍वर्ग पर जाकर परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठ गया? और स्‍वर्गदूत और अधिकार और सामर्थी उसके आधीन किए गए हैं।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ३३, ३४
  • प्रेरितों के काम २४

गुरुवार, 22 जुलाई 2010

बहरा कौन है?

एक आदमी ने अपने डॉक्टर से कहा कि उसे लगता है कि उसकी पत्नी बहरी होती जा रही है। डॉक्टर ने उसे एक सरल जांच द्वारा इसे निश्चित करने की सलाह दी। आदमी को युक्ति पसन्द आई और उसने डॉक्टर द्वारा बताई जांच करने का निश्चय किया; जब वह अपने घर पहुंचा तो दरवाज़े पर से ही उसने आवाज़ दी "प्रीय, क्या खाना तैयार है?" कोई उत्तर न सुनने पर वह घर के अन्दर आया और फिर वही प्रश्न दोहराया, फिर भी कोई उत्तर नहीं पाया। फिर वह अपनी पत्नि के निकट उसके ठीक पीछे पहुंचा और तीसरी बार फिर से वही प्रश्न किया। अब उसे अपनी पत्नि का उत्तर सुनाई दे गया - "तीसरी बार कह रही हूं, हां तैयार है"!

ऐसे ही प्राचीन इस्त्राएलियों को लगा कि परमेश्वर बहरा हो गया है, जबकि वास्तविक समस्या उनके साथ थी। इस्त्राएली लोग परमेश्वर की वाचा के लोग थे, और उन्हें अन्धकार में पड़े लोगों को ज्योति दिखाने और उन लोगों को पाप के बन्धनों से बचने का मार्ग दिखाना था, "मुझ यहोवा ने तुझ को धर्म से बुला लिया है, मैं तेरा हाथ थाम कर तेरी रक्षा करूंगा; मैं तुझे प्रजा के लिये वाचा और जातियों के लिये प्रकाश ठहराऊंगा, कि तू अन्धों की आंखें खोले, बंधुओं को बन्दीगृह से निकाले और जो अन्धकार में बैठे हैं उनको कालकोठरी से निकाले। (यशायाह ४२:७)" परन्तु इस्त्राएलियों ने ऐसा नहीं किया, उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं माना (यशायाह ४२:२४)। इस कारण आने वाले न्याय के विष्य में इस्त्राएलियों को चेतावनी देने के लिये परमेश्वर ने यशायाह भविश्यद्वक्ता को भेजा।

यशायाह ने इस्त्राएलियों को समझाया कि उनकी प्रार्थनाएं अन्सुनी क्यों हैं, "सुनो, यहोवा का हाथ ऐसा छोटा नहीं हो गया कि उद्धार न कर सके, न वह ऐसा बहिरा हो गया है कि सुन न सके। परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम्हें परमेश्वर से अलग कर दिया है, और तुम्हारे पापों के कारण उसका मुँह तुम से ऐसा छिपा है कि वह नहीं सुनता (यशायाह ५९:१,२)।" पर उसके चेतावनी के सन्देश जैसे बहरे कानों पर पड़े।

परमेश्वर से प्रार्थना का उत्तर न पाने का एक कारण है कि सम्भवतः पाप हमारे कानों को रोक रहा है, इसके विष्य में हमें अपने आप को गंभीरता पूर्वक जांचना चाहिये।

परमेश्वर बहरा नहीं है। - सी. पी. हिया


जो सच्चे मन से उसकी सुनते हैं, परमेश्वर अपने वचन द्वारा उनसे बात करता है।


बाइबल पाठ: यशायाह ४२:१-४, २३-२५

मेरे दास को देखो जिसे मैं संभाले हूं, मेरे चुने हुए को, जिस से मेरा जी प्रसन्न है। मैं ने उस पर अपना आत्मा रखा है, वह अन्यजातियों के लिये न्याय प्रगट करेगा।

न वह चिल्लाएगा और न ऊंचे शब्द से बोलेगा, न सड़क में अपनी वाणी सुनायेगा।

कुचले हुए नरकट को वह न तोड़ेगा और न टिमटिमाती बत्ती को बुझाएगा, वह सच्चाई से न्याय चुकाएगा।

वह न थकेगा और न हियाव छोड़ेगा जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे, और द्वीपों के लोग उसकी व्यवस्था की बाट जोहेंगे।

तुम में से कौन इस पर कान लगाएगा? कौन ध्यान धर के होनहार के लिये सुनेगा?

किस ने याकूब को लुटवाया और इस्राएल को लुटेरों के वश में कर दिया? क्या यहोवा ने यह नहीं किया जिसके विरूद्ध हम ने पाप किया, जिसके मार्गों पर उन्होंने चलना न चाहा और न उसकी व्यवस्था को माना?

इस कारण उस पर उस ने अपने क्रोध की आग भड़काई और युद्ध का बल चलाया और यद्यिप आग उसके चारों ओर लग गई, तौभी वह न समझा, वह जल भी गया, तौभी न चेता।

एक साल में बाइबल:
  • भजन३१, ३२
  • प्रेरितों के काम २३:१६-३५

बुधवार, 21 जुलाई 2010

सुन्दरता

अलास्का के बाहर एक स्थान, ’एंकरेज’ में मैंने एक बहुत सुन्दर दृश्य देखा। स्लेटी आकश की पृष्टभूमि में समुद्र का मुहाना हलकी हरियाली लिये हुए था और उसमें कुछ सफेद टोपीनुमा चीज़ें दिख रहीं थीं। थोड़ी देर में स्पष्ट हो गया कि वे सफेद टोपीनुमा चीज़ें वास्तव में सफेद व्हेल मछलियां थीं जो किनारे से केवल ५० फीट की दूरी पर झुंड के रूप में अपना भोजन ले रहीं थीं। समुद्र की लहरों के लयबद्ध संगीत और उसमें सफेद व्हेल मछलियों की अटखेलियां, सब देखने वाले शांत और मंत्रमुग्ध थे, जैसे उस पल के लिये अन्य कुछ भी कोई अर्थ नहीं रखता था।

सभोपदेशक का लेखक वहां जमा भीड़ की इस प्रतिक्रिया को भली भांति समझ सकता था। उसने बड़ी स्पष्टता से इस सृष्टि की भवय सुन्दरता को देखा और यह भी कि परमेश्वर ने "मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न किया है" (सभोपदेशक ३:११)। ऐसा सुन्दर वाक्यांश मनुष्य के अनुभवों से ही संबंधित नहीं है, उसमें धार्मिकता का भी बोध है; किंतु हमारे मन अनन्त की समझ धर्म के बाहर भी कर सकते हैं।

सभोपदेशक इस संसार और जीवन के दोनो पहलुओं को दिखाता है: प्रथम, संसार की ऐसी लुभावनी बातें और वशीभूत करने वाले भोग-विलास कि मनुष्य अपना सारा जीवन उनके पीछे गवां दे और दूसरा यह कि भोग-विलास में सन्तुष्टि नहीं है। परमेश्वर का अद्‍भुत संसार हमारी अपनी समझ की सीमाओं से बहुत बड़ा है, उसके प्रति सही दृष्टिकोण रखने के लिये हमें परमेश्वर की सहायता अनिवार्य है। जब तक हम अपनी सीमाएं मान कर अपने आप को परमेश्वर के नियमों के आधीन नहीं कर देते, और जब तक हम जीवन की हर भली भेंट के देने वाले पर सच्चा विश्वास नहीं कर लेते, तब तक हमारे अपने प्रयासों का अन्त निराशा ही होगी।

किंतु जब हम परमेश्वर और उसके नियमों की सहायता से इस संसार को निहारेंगे और उपयोग करेंगे तो न केवल लौकिक भवयता तथा सुन्दरता का सही आनन्द ले पाएंगे, वरन लौकिक द्वारा अलौकिक का बोध भी कर पाएंगे। - फिलिप यैन्सी


आज का सर्वाधिक लाभ उठाने के लिये सनातन को ध्यान में रखें।


बाइबल पाठ: सभोपदेशक ३:९-१७

काम करने वाले को अधिक परिश्र्म से क्या लाभ होता है?

मैं ने उस दु:ख भरे काम को देखा है जो परमेश्वर ने मनुष्यों के लिये ठहराया है कि वे उस में लगे रहें।

उस ने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं, फिर उस ने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न किया है, तौभी काल का ज्ञान उत्पन्न किया है, वह आदि से अन्त तक मनुष्य बूझ नहीं सकता।

मैं ने जान लिया है कि मनुष्यों के लिये आनन्द करने और जीवन भर भलाई करने के सिवाय, और कुछ भी अच्छा नहीं;

और यह भी परमेश्वर का दान है कि मनुष्य खाए-पीए और अपने सब परिश्र्म में सुखी रहे।

मैं जानता हूं कि जो कुछ परमेश्वर करता है वह सदा स्थिर रहेगा; न तो उस में कुछ बढ़ाया जा सकता है और न कुछ घटाया जा सकता है, परमेश्वर ऐसा इसलिये करता है कि लोग उसका भय मानें।

जो कुछ हुआ वह इस से पहिले भी हो चुका, जो होनेवाला है, वह हो भी चुका है, और परमेश्वर बीती हुई बात को फिर पूछता है।

फिर मैं ने संसार में क्या देखा कि न्याय के स्थान में दुष्टता होती है, और धर्म के स्थान में भी दुष्टता होती है।

मैं ने मन में कहा, परमेश्वर धर्मी और दुष्ट दोनों का न्याय करेगा, क्योंकि उसके यहां एक एक विषय और एक एक काम का समय है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन २९, ३०
  • प्रेरितों के काम २३:१-१५

मंगलवार, 20 जुलाई 2010

छोटा कदम - बड़ी छलांग

जुलाई १९६९ में मैं अमेरिका के एक सैनिक प्रशिक्षण स्थल में सेना का अफसर होने का प्रशिक्षण ले रहा था। यह प्रशिक्षण बहुत जटिल था और हमें सखती से नियमों का पालन करने का बहुत ध्यान रखना होता था। २० जुलाई की सन्ध्या को हम सब को अपनी कम्पनी के हॉल में बुलाया गया और टेलिविज़न सेट के सामने कुछ देखने को बैठा दिया गया, और हमसे इतना ही कहा गया "यह इतिहास होगा।"

विस्मित बैठे हम सब ने अपोलो ११ के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रोंग को चन्द्रमा पर कदम रखने वाला प्रथम मनुष्य बनते देखा और सुना कि उसने कहा "मनुष्य का यह छोटा कदम मानव जाति के लिये एक बड़ी छलांग है।" हम लोगों के लिये लागू रात के नियमों को उस रात टाल दिया गया और हम देर रात तक बैठे बातें करते रहे, न सिर्फ उसके बारे में जो हमने देखा था पर ज़िन्दगी, परमेश्वर और अनन्तता के बारे में। हमारा व्यस्त समय कार्यक्रम कुछ देर के लिये थम गया और हम उन बातों की ओर ध्यान लगा सके जो जीवन के लिये वास्तव में महत्वपूर्ण हैं।

में से प्रत्येक जन को अपना ध्यान प्रतिदिन की व्यस्तता से हटा कर परमेश्वर के साथ समय बिताना है। अपने व्यवसाय की व्यस्तता से हटकर, प्रार्थना करने और बाइबल पढ़ने के द्वारा परमेश्वर पर ध्यान लगाने के लिये प्र्तिदिन का एक निश्चित समय हमें निर्धारित करना चाहिये। इस प्रकार जब हम पौलुस की शिक्षा "और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ (इफिसियों ४:२३)" का पालन करेंगे तो उससे हमारे विचार और कार्य भी संवरते जायेंगे।

हमारा प्रतिदिन का यह छोटा सा कदम, हमारे मसीही विश्वास के जीवन की उन्नति के लिये एक बड़ी छलांग का साधन बन जायेगा। - डेविड मैक्कैसलैंड


विश्वास में रखा हर छोटा कदम उन्नति के लिये एक विशाल कदम होता है।


बाइबल पाठ: इफिसियों ४:१७-२४
इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।

क्‍योंकि उनकी बुद्धि अन्‍धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।

और वे सुन्न होकर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्‍दे काम लालसा से किया करें।

पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।

बरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।

कि तुम पिछले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो।

और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ।

और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन २६-२८
  • प्रेरितों के काम २२

सोमवार, 19 जुलाई 2010

सामर्थ और विनाश

जौर्ज मैकडोनल्ड की परी कथा ’लिलिथ’ में विशालकाय दानव साधरण मनुष्यों के बीच में रहते हैं। इन दानवों को अपने दैनिक कार्यों को बड़ी सावधानी से करना होता है, नहीं तो वे बहुत नुकसान कर बैठेंगे। उनके खर्राटों का शोर बहुत परेशान करने वाला है, जब वे करवट बदलते हैं तो उनके नीचे दब कर घर टूट सकते हैं।

बाइबल में उज़्ज़ियाह १६ वर्ष की आयु में राजा बनने के बाद बहुत शक्तिशाली हो गया। २ इतिहास २६ उसकी इस सफलता के कारण में दिये गये हैं। उसका पिता अमाज़ियाह उसके लिये एक अच्छा आदर्श बना (पद ४)। ज़करियाह भविष्यद्वक्ता उसका शिक्षक था (पद ५)। उसके पास कुशल योद्धाओं और योग्य सेनापतियों की सेना थी (पद ११-१५)। और परमेश्वर ने उसे बढ़ाया (पद ५)।

स्पष्ट है कि राजा उज़्ज़ियाह परमेश्वर के अनुग्रह से ’विशालकाय’ हो गया। किंतु उन्नति के शिखर पर पहुंच कर वह लापरवाह हो गया और उसने बुरी तरह से ठोकर खाई। उसके पतन की कुंजी १५वें पद के इस भाग में मिलती है - "क्योंकि उसे अदभुत यहायता यहां तक मिली कि वह सामर्थी हो गया"- इस वाक्य के अन्तिम चार शब्द हम सब के लिये गंभीर चेतावनी हैं। अगला पद (पद १६), बताता है कि "परन्तु जब वह सामर्थी हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उस ने बिगड़कर अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वासघात किया...।"उसने घमंड में आकर पुरोहितों का कार्य भी अपने हाथ में ले लिया और उनकी चेतावनी को अनसुना कर दिया। नतीजा यह हुआ कि वह कोढ़ी हो गया और महल से बाहर निकाल दिया गया (पद १६-२१)।

हम सब को अद्भुत रीति से सहायता मिली है - परमेश्वर से, उन लोगों से जिन्हें परमेश्वर ने हमारे लिये आदर्श बनाकर रखा है और उन से जो हमारे साथ सेवा करते हैं। जब हम सामर्थी हो जाएं तो सचेत रहें कि कहीं ठोकर न खा जाएं। - अल्बर्ट ली


मैंने ऐसा कोई और मनुष्य नहीं पाया जिसने मेरा इतना नुकसान किया हो जितना मैंने स्वयं अपना किया है - डी. एल. मूडी


बाइबल पाठ: २ इतिहास २६:३-१५
जब उज्जिय्याह राज्य करने लगा, तब वह सोलह वर्ष का था। और यरूशलेम में बावन वर्ष तक राज्य करता रहा, और उसकी माता का नाम यकील्याह था, जो यरूशलेम की थी।
जैसे उसका पिता अमाज़ियाह, किया करता या वैसा ही उसने भी किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था।
और जकर्याह के दिनों में जो परमेश्वर के दर्शन के विषय समझ रखता था, वह परमेश्वर की खोज में लगा रहता था; और जब तक वह यहोवा की खोज में लगा रहा, तब तक परमेश्वर उसको भाग्यवान किए रहा।
तब उस ने जाकर पलिश्तियों से युद्ध किया, और गत, यब्ने और अशदोद की शहरपनाहें गिरा दीं, और अशदोद के आसपास और पलिश्तियों के बीच में नगर बसाए।
और परमेश्वर ने पलिश्तियों और गूर्बालवासी, अरबियों और मूनियों के विरुद्ध उसकी सहायता की।
और अम्मोनी उज्जिय्याह को भेंट देने लगे, वरन उसकी कीर्ति मिस्र के सिवाने तक भी फैल गई, क्योंकि वह अत्यन्त सामर्थी हो गया था।
फिर उज्जिय्याह ने यरूशलेम में कोने के फाटक और तराई के फाटक और शहरपनाह के मोड़ पर गुम्मट बनवाकर दृढ़ किए।
और उसके बहुत जानवर थे इसलिये उस ने जंगल में और नीचे के देश और चौरस देश में गुम्मट बनवाए और बहुत से हौद खुदवाए, और पहाड़ों पर और कर्म्मेल में उसके किसान और दाख की बारियों के माली थे, क्योंकि वह खेती किसानी करने वाला था।
फिर उज्जिय्याह के योद्धाओं की एक सेना थी जिनकी गिनती यीएल मुंशी और मासेयाह सरदार, हनन्याह नामक राजा के एक हाकिम की आज्ञा से करते थे, और उसके अनुसार वह दल बान्धकर लड़ने को जाती थी।
पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरुष जो शूरवीर थे, उनकी पूरी गिनती दो हजार छ: सौ थी।
और उनके अधिकार में तीन लाख साढ़े सात हजार की एक बड़ी बड़ी सेना थी, जो शत्रुओं के विरुद्ध राजा की सहायता करने को बड़े बल से युद्ध करने वाले थे।
इनके लिये अर्थात पूरी सेना के लिये उज्जिय्याह ने ढालें, भाले, टोप, झिलम, धनुष और गोफन के पत्थर तैयार किए।
फिर उस ने यरूशलेम में गुम्मटों और कंगूरों पर रखने को चतुर पुरुषों के निकाले हुए यन्त्र भी बनवाए जिनके द्वारा तीर और बड़े बड़े पत्थर फेंके जाते थे। और उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अदभुत सहायता यहां तक मिली कि वह सामर्थी हो गया।


एक साल में बाइबल:
  • भजन २३-२५
  • प्रेरितों के काम २१:१८-४०

रविवार, 18 जुलाई 2010

छल

सी. अस. लूईस द्वारा लिखित नारनिया की कहानियों की आन्तिम पुस्तक "दि लास्ट बैटल" (अन्तिम यद्ध) में एक कुटिल वनमानुष एक बूढ़े मरे हुए शेर की खाल देखता है और एक भोले-भाले गधे को उसे पहन लेने के लिये मजबूर करता है। वनमानुष फिर यह दावा करता है कि वह भेष बदला हुआ गधा ही नारनिया का असली राजा शेर असलन है और वे नारनिया के दुश्मनों के साथ संधि करके नारनिया की प्रजा को दास बनाने और उनपर नियंत्रण करना आरंभ कर देते हैं। किंतु जवान राजा टिरियन इस बात पर विश्वास नहीं कर पाता कि राजा असलन वास्तव में इतना क्रूर व्यवहार करेगा। वह असली असलन की सहायता से वनमानुष और उसके नकली शेर से युद्ध करता है और उन्हें पराजित करता है।

बाइबल हमें बताती है कि शैतान परमेश्वर की नकल करने में चतुर है। उसका उद्देश्य है कि वह परमेश्वर के तुल्य हो जाये (यशायाह १४:१२-१५)। छल के द्वारा शैतान यीशु मसीह की जगह नकली मसीह लोगों के सामने स्थापित करना चाहता है। प्रभु यीशु ने स्वयं हमें इन आने वाले झूठे भविष्यद्वक्ताओं और झूठे मसीहों के बारे में चिताया - "यीशु ने उन को उत्तर दिया, सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए। क्‍योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं मसीह हूं: और बहुतों को भरमाएंगे" (मत्ती २४:४, ५)।

हम कैसे असली और नकली मसीह में भेद कर सकते हैं? असली मसीह वही है जिसका वर्णन बाइबल में दिया गया है। यदि कोई भी इस वर्णन से भिन्न किसी को मसीह करके प्रस्तुत कर है, तो वह "सिंह के भेष में गधे" को प्रस्तुत कर रहा है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर का वचन हमें समझ-बूझ देता है कि हम सत्य-अस्त्य को पहिचान सकें।


बाइबाल पाठ: मत्ती ७:१५-२३

"झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेष में तुम्हारे पास आते हैं, परन्‍तु अन्दर में फाड़ने वाले भेड़िए हैं।
उन के फलों से तुम उन्‍हें पहचान लोगे। क्‍या लोग झाडिय़ों से अंगूर, वा ऊंटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं?
इसी प्रकार हर एक अच्‍छा पेड़ अच्‍छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है।
अच्‍छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्‍छा फल ला सकता है।
जो जो पेड़ अच्‍छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है।
सो उन के फलों से तुम उन्‍हें पहचान लोगे।
जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्‍वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्‍तु वही जो मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्‍छा पर चलता है।
उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे, हे प्रभु, हे प्रभु, क्‍या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए?
तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ।"


एक साल में बाइबल:
  • भजन २०-२२
  • प्रेरितों के काम २१:१-१७

शनिवार, 17 जुलाई 2010

जब भूमि हिले

सैन फ्रैन्सिस्को में आये एक विनाशकारी भूकंप के कई दिन बाद वहां एक स्कूल के खेल के मैदान में एक बच्चा हिलता और कंपकंपाता देखा गया। उसके प्रधानाध्यापक ने उससे पूछा कि क्या तुम ठीक हो तो तो बच्चे ने हां में सिर हिलाया और कहा "मैं भूमि की तरह हिल और कांप रहा हूं जिससे यदि भूकंप फिर से आये तो मैं उससे डर महसूस न कर सकूं।" वह अपने आप को एक और भूकंप के लिये तैयार कर रहा था।

कभी कभी किसी हादसे के बाद हम अपने आप को किसी अन्य संभावित दुर्घटना के लिये तैयार कर लेते हैं। यदि फोन द्वारा हमें कोई बुरा समाचार मिलता है तो जब भी फोन बजता है तो हम डर कर सोचते हैं कि "न जाने अब क्या हो गया?"

भजनकार दाऊद के लिये जैसे "भूमि हिल रही थी" जब राजा शाऊल ने उसे मारने का प्रयास किया (१ शमूएल १९:१०)। वह भागकर छिप गया, उसे लगा कि अब अगले कदम पर मृत्यु है। उसने अपने मित्र योनातान को कहा "...नि:सन्देह, मेरे और मृत्यु के बीच डग ही भर का अन्तर है" (१ शमूएल २०:३)। दाऊद ने लिखा "मृत्यु की रस्सियों से मैं चारो ओर से घिर गया हूं, और अधर्म की बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दिया" (भजन १८:४)।

अपने दुख के समय दाऊद परमेश्वर के आगे गिड़गिड़ाया (भजन १८:६) और पाया कि परमेश्वर स्थिर करने वाला है, उसपर वह सदा विश्वास रख सकता है कि वह उसके साथ बना रहेगा। दाऊद ने कहा "यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का गढ़ है"(भजन १८:२)।

यदि कभी हमारे पांव तले की भूमि हिले, तो हमारे लिये भी परमेश्वर ऐसे ही स्थिरता का स्त्रोत होगा। - ऐनी सेटास


जीवन की आंधियों में सुरक्षित रहने के लिये युगों की स्थिर चट्टान - मसीह यीशु पर जीवन का लंगर डाले रहें।


बाइबल पाठ: भजन १८:१-६
"हे परमेश्वर, हे मेरे बल, मैं तुझ से प्रेम करता हूं।
यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है, मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का गढ़ है।
मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूंगा, इस प्रकार मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊंगा।
मृत्यु की रस्सियों से मैं चारो ओर से घिर गया हूं, और अधर्म की बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दिया;
पाताल की रस्सियां मेरे चारों ओर थीं, और मृत्यु के फन्दे मुझ पर आए थे।
अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा, मैं ने अपने परमेश्वर को दोहाई दी। और उस ने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी।"


एक साल में बाइबल:
  • भजन १८, १९
  • प्रेरितों के काम २०:१७-३८

शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

कौन देखता है?

जहां हम काम कर रहे थे वहां बहुत गर्मी, गंदगी और बदबू थी। हम हज़ारों मील की दूरी तय करके कुछ तय कार्य करने आये थे, और आज हम बहरे बच्चों के स्कूल की एक कक्षा के पिछले भाग कीर पुताई कर रहे थे। उस स्कूल यह एक ऐसा भाग था जहां कोई नहीं आता-जाता था। केवल वहां का घास काटने वाला मज़दूर या मल की टंकी साफ करने वाला ही हमारे आज के काम को शायद कभी देखने पाते।

फिर भी हमारे जवान साथी इस कार्य में पूरे मन से लगे हुए थे। उनमें से एक युवती मेलिस्सा ने हम सब की इस मेहनत को सही संदर्भ में रखते हुए कहा, "चाहे यहां आकर कोई भी इसे नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्वर देखता है। इसलिये इसे भली-भांति करें कि उसे अच्छा लगे।" और हमने मिलकर ऐसा ही किया।

कभी कभी हम अपनी मेज़ पर बैठे सोचते हैं कि कोई हमारे काम को नहीं देखता। या हम कोई कारखाने में किसी चीज़ को जोड़कर बनाने की पंक्ति में लगे लगतार एक ही तरह का काम करते ही जाते हैं। हो सकता है कि हमें चर्च की शिशुशाला में रोते हुए बच्चों की देखभाल करने और उन्हें बहलने की ज़िम्मेदारी दी जाती हो। यह भी हो सकता है कि हम एक उत्तम मसीही जीवन जीते हैं किंतु कोई हमारी ओर ध्यान नहीं देता।

कई बार हमारा कार्य, उन पुताई करने वालों के काम की तरह, "भवन के पिछवाड़े" में होता है। किंतु यदि परमेश्वर ने हमें यही करने की ज़िम्मेदारी दी है, तो इस ज़िम्मेदारी को हमें पूरे मन से निभाना है। हमारी मसीही बुलाहट में हमें, परमेश्वर कि सामर्थ द्वारा, दूसरों से गहराई से प्रेम करना है, दुसरों की सेवा-सत्कार करनी है और परमेश्वर द्वारा हमें दिये गए गुणों को दूसरों की सेवा में लगाना है (१ पतरस ४:८-१०), जिससे हमारी नहीं वरन परमेश्वर की महीमा और स्तुति हो।

ज़रूरी यह है कि परमेश्वर जो हमें देखता रहता है, उसे हमारा कार्य पसन्द आना चाहिये। - डेव ब्रैनन


मसीह के लिये करी गई किसी सेवा को वह कभी अन्देखा नहीं करता।


बाइबल पाठ: १ पतरस ४:८-११


सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्‍योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्र्म प्रभु में व्यर्थ नहीं है। - १ कुरिन्थियों १५:५८


एक साल में बाइबल:
  • भजन १६, १७
  • प्रेरितों के काम २०:१-१६

गुरुवार, 15 जुलाई 2010

एक ही लालसा

नेचायेव, १९वीं सदी में कार्ल मार्क्स का अनुयायी था, और रूस के ज़ार एलेक्ज़ैन्डर द्वितीय की हत्या में उसकी भूमिका थी। नेचायेव ने लिखा "एक क्रांतिकारी की...कोई व्यक्तिगत इच्छाएं नहीं होतीं, कोई व्यापारिक कार्य नहीं, कोई भावनाएं नहीं, कोई संपत्ति या नाम नहीं और न ही किसी से कोई चाह या स्नेह। उसके अन्दर का सब कुछ केवल क्रांति के ही विचार और लालसा में लगा रहता है।" यद्यपि उसके उद्देश्य और लक्ष्य गलत थे, नेचायेव का यह कथन क्रांति के प्रति समर्पित उसकी कटिबद्धता को दिखाता है।

यीशु अपने चेलों से सच्चा समर्पण चाहता है। लूका १४ में हम पढ़ते हैं कि जब वह यरुशलेम की ओर जा रहा था तो एक बड़ी भीड़ उसके साथ थी। संभ्वतः इस भीड़ के लोगों ने अपने आप को यीशु के चेले समझ लिया होगा। परन्तु यीशु ने सिखाया कि चेला होने का तात्पर्य उसके बारे में जानकारी रखने से कहीं बढ़कर है; जो वास्तव में चेला होना चाहता है, उसे इस की कीमत चुकानी होती है। यीशु के प्रति वफादारी से बढ़कर चेले के लिये कोई अन्य बात नहीं होती - न माता-पिता के प्रति प्रेम और न अपना जीवन। उसके चेलों को, तब और अब, यह मानकर चलना था कि उनके जीवन में परमेश्वर ही सर्वोपरि और प्रथम होगा, सांसारिक संपत्ति और सामाजिक संबंध आदि सब कुछ का स्थान उसके बाद होगा।

यीशु अपने चेलों से चाहता है कि उनके जीवन में केवल एक ही लगन और लालसा हो - यीशु की। - मार्विन विलियम्स


यीशु के प्रति प्रेम ही हमारे आत्मिक लालसा की कुंजी है।


बाइबल पाठ: लूका १४:२५-३५


यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्‍नी और लड़के-बालों और भाइयों और बहिनों बरन अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता। - लूका १४:२६


एक साल में बाइबल:
  • भजन १३-१५
  • प्रेरितों के काम १९:२१-४१

बुधवार, 14 जुलाई 2010

प्रेम की परिभाषा


यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं।



और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्‍तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।


और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।


प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।


वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।


कुकर्म से आनन्‍दित नहीं होता, परन्‍तु सत्य से आनन्‍दित होता है।


वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।


प्रेम कभी टलता नहीं, भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्‍त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी, ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।


क्‍योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।


पर अब विश्वास, आशा, ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।

- १ कुरिन्थियों १३:१-९,१३

हारे हुओं के लिये प्रेम

किसी व्यक्ति के बारे में उसकी टी-शर्ट पर लिखी बातों से काफी कुछ अनुमान लगाया जा सकता है। हॉल ही में बाज़ार में एक युवती की चटकीली लाल टी-शर्ट पर लिखे वाक्य ने मेरा ध्यान आकर्षित किया और मुझे विचार-मग्न कर दिया। उसकी टी-शर्ट पर लिखा था "प्रेम हारने वालों के लिये है।" संभवतः यह उसे चतुराई दिखाने या उकसाने या विनोद करने का एक साधन लगा हो। या हो सकता है कि वह किसी संबंध के द्वारा दुखी हुई हो और यह लोगों को अपने से दूर रखने का उसका प्रयास हो।

बात कोई भी रही हो, लेकिन मुझे उसने सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या प्रेम वास्तव में हारे हुए लोगों के लिये है? यह सच है कि जब हम प्रेम करते हैं तो हम जोखिम उठाते हैं। लोग हमें दुखी कर सकते हैं, निराश कर सकते हैं या हमें छोड़ भी सकते हैं। प्रेम हमें नुकसान में भी ले जा सकता है।

बाइबल हमारे सामने प्रेम के ऊंचे स्तर की चुनौती रखती है। १ कुरिन्थियों १३ में पौलुस बताता है कि परमेश्वर के अनुसार प्रेम करना किसे कहते हैं; और जो व्यक्ति ऐसा प्रेम करता है वह अपने किसी व्यक्तिगत लाभ के लिये नहीं, वरन इसलिये प्रेम करता है क्योंकि ऐसा प्रेम "सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है" (१ कुरिन्थियों १३:७)। क्यों? क्योंकि परमेश्वरीय प्रेम जीवन की दुखदायी परिस्थितियों में भी दृढ़ और स्थिर रहता है और हमें लगातार परमेश्वर पिता की कभी न कम होने वाली देख-रेख की ओर खींचता रहता है।

इसीलिये शायद प्रेम हारने वालों के लिये ही है - क्योंकि नुकसान और निराशा की परिस्थितियों में ही हमें परमेश्वर की सबसे अधिक आवश्यक्ता होती है; और हम यह भी जानते हैं कि हमारे जीवन के संघर्षों में हमारे परमेश्वर पिता का प्रेम कभी नहीं हार सकता। - बिल क्राउडर


परमेश्वर का प्रेम कभी साथ नहीं छोड़ता।


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १३


पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है। - १ कुरिन्थियों १३:१३


एक साल में बाइबल:
  • भजन १०-१२
  • प्रेरितों के काम १९:१-२०

मंगलवार, 13 जुलाई 2010

ज्योति का स्थान

प्रेरित यूहन्ना ने प्रभु यीशु का महिमामय दर्शन पाया जिसमें यूहन्ना ने यीशु को सोने के बने सात दीवटों के मध्य खड़ा देखा। प्रकाशितवाक्य के आरंभ में वर्णित इस दर्शन के महत्व को हम अक्सर समझ नहीं पाते हैं। वे सात दीवट साधारण सजावट के दीवट नहीं थे, वे प्रकाश देने के महत्वपूर्ण स्त्रोत थे। प्रत्येक दीवट एक मण्डली को दर्शाता है, और हर मण्डली को पाप के अन्धकार से भरे संसार में यीशु की ज्योति फैलाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी।

उनमें से एक मण्डली थी इफसुस की मण्डली। यूहन्ना को मिले दर्शन में इस मण्डली के कई कार्यों की सराहना की गई है, किंतु फिर भी उस में एक ऐसी कमी थी जिसके कारण प्रभु यीशु उन्हें गंभीर चेतावनी देता है। वह कमी थी कि उन्होंने प्रभु के लिये अपना पहला सा प्रेम छोड़ दिया था (प्रकाशितवाक्य २:४)। उनके जीवन में प्राथमिकता प्रभु की नहीं वरन उन बहुत से "अच्छे कार्यों" की हो गई थी जिन्हें वे "प्रभु के नाम" से कर रहे थे। हम पाप के अंधकार से भरे जिस संसार में रहते हैं, उसकी सर्वप्रथम आवश्यक्ता है प्रभु यीशु की ज्योति - जो संसार हमारे जीवन में देख सके। कहीं हम भी इफिसियों की मण्डली की गलती को न दोहराने लगें और संसार हमारे जीवनों में प्रभु की ज्योति को नहीं वरन केवल "भले कार्यों" को ही देखने पाये।

हमें पता भी नहीं चलता और अनायास ही कई बातें हमारे जीवन में यीशु की प्राथमिक्ता का स्थान ले लेती हैं, और हम सिर्फ "मण्डली के कार्य" करने वाले होकर रह जाते हैं। इसका परिणाम होता है कि हम संसार के समक्ष यीशु का और अपनी मसीही गवाही का प्रभाव नहीं रख पाते। यीशु ने चेतावनी दी "सो चेत कर, कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर; और यदि तू मन न फिराएगा, तो मै तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्थान से हटा दूंगा" (प्रकाशितवाक्य २:५)। हम यह नहीं होने दे सकते।

यीशु को अपने जीवन में प्रथम रखिये तब ही उसकी ज्योति आपके जीवन में होकर इस अन्धेरे संसार में चमकेगी। - जो स्टोवैल


संसार के अंधकार में वे कार्य ही सबसे अधिक प्रकाशमान होते हैं जो प्रभु यीशु के प्रेम में होकर किये जाएं।


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य १:१०-२५


मन फिरा और पहिले के समान काम कर; और यदि तू मन न फिराएगा, तो मै तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्थान से हटा दूंगा। - प्रकाशितवाक्य २:५


एक साल में बाइबल:
  • भजन ७-९
  • प्रेरितों के काम १८

सोमवार, 12 जुलाई 2010

वह मेरी देखरेख करता है

एक रविवार की सुबह चर्च में हम सब ने मिलकर एक ऐसा गीत गाया जो अक्सर एकल गाया जाता है - "His eye is on the Sparrow" (उसकी नज़र गौरइया पर भी है)!

गीत गाते समय मेरा ध्यान अपने एक मित्र की ओर गया जो ऐसा रो रहा था कि उससे गाया नहीं जा रहा था। यह जानते हुए कि वह किन परिस्थितियों से होकर निकला है, मैं समझ गया कि उसके आंसु आनन्द के हैं, इस बात का एहसास करने से कि हमारी परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, परमेश्वर हमारे बारे में जानता है, हमारी देखरेख करता है और हम से जुड़ी हर बात पर नज़र रखता है।

यीशु ने कहा, "क्‍या पैसे मे दो गौरैये नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्‍छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। इसलिये, डरो नहीं तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो" (मत्ती १०:२९-३१)। प्रभु यीशु ने यह बात अपने १२ चेलों से तब कही जब वह उन्हें "इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ों के पास" उनको सिखाने, चंगा करने और उसकी (यीशु की) गवाही देने के लिये भेज रहा था। यीशु ने उन्हें कहा कि उसके कारण उन्हें क्लेशों से होकर निकलना पड़ेगा परन्तु उन्हें मृत्यु तक से भी डरने की आवश्यक्ता नहीं है (पद २२-२६)।

जब विपरीत और भयावह परिस्थितियां हमें आशा छोड़ने को बाध्य करती हैं तो हम इस गीत के शब्दों में आश्वासन पा सकते हैं "मैं गाता हूँ क्योंकि मैं आनन्दित हूँ, मैं गाता हूँ क्योंकि मैं आज़ाद हूँ। उसकी आंख गौरइया पर भी है, और मैं जानता हूँ कि वह मुझपर भी नज़र रखता है।"

हम सदा परमेश्वर की ध्यान पूर्वक देखरेख में रहते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब आप अपनी देखरेख परमेश्वेर के हाथ में दे देते हैं तो वह अपनी शांति आपके हृदय में दे देता है।


बाइबल पाठ: मत्ती १०:१६-३१



इसलिये, डरो नहीं तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो। - मत्ती १०:३१


एक साल में बाइबल:
  • भजन ४-६
  • प्रेरितों के काम १७:१६-३४

रविवार, 11 जुलाई 2010

मार्गदर्शक

१९वीं सदी के आरंभ में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति थौमस जैफरसन ने लूईसीयाना इलाके को खरीद कर नवजात अमेरिका राष्ट्र में मिला लिया और उस नए देश की पूर्व से पश्चिम की सीमाओं को एक महासमुद्र से दूसरे महासमुद्र तक फैला दिया।

उस समय समस्या यह थी कि कोई नहीं जानता था कि उस विशाल भूभाग में है क्या। जो प्रथम यात्री प्रशांत महासागर की ओर जाते, उनके जाने के लिये नक्शों और स्पष्ट निर्देशों की आवश्यक्ता थी। खोजी यात्री लूइस और क्लार्क उन आरंभिक लोगों के मार्गदर्शक बने और नए मार्ग तैयार किये। अपनी यात्राओं के द्वारा उन्होंने अमेरिका के इतिहास में हुए आबादी के सबसे बड़े स्थानंतरण का मार्ग तैयार किया।

पौलुस प्रेरित का मसीही सेवकाई के प्रति समर्पण ऐसा ही था। उसने रोमियों १५:२० में लिखा "पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहां जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊं ऐसा न हो, कि दूसरे की नेव पर घर बनाऊं।" वह चाहता था कि मसीही सेवाकाई में वह नया मार्ग तैयार करे जिसमें फिर और लोग उसका अनुसरण कर सकें। तिमिथियुस, तीतुस, मरकुस, सिलास उन बहुतेरों में से कुछ नाम हैं जो पौलुस के बनाए मार्ग पर चले।

आज यही समर्पण का जज़्बा यीशु के उन अनुयायियों में दिखता है जो उद्धारकर्ता के सुसमाचार को संसार के छोर तक लेकर जाते हैं। आज जब हम प्रार्थना करें तो परमेश्वर का अनुग्रह उसके वचन पर भी मांगें कि हम उसके दूत बनकर अपनी इस नई पीढ़ी के लिये मार्गदर्शक बन सकें। - बिल क्राउडर


परमेश्वर ने आपको एक सन्देश दिया है दुसरों के साथ बांटने के लिये; उसे अपने तक ही सीमित मत रखिये।


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों :१२-२१


पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहां जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊं ऐसा न हो, कि दूसरे की नेव पर घर बनाऊं। - रोमियों १५:२०


एक साल में बाइबल:
  • भजन १-३
  • प्रेरितों के काम १७:१-१५

शनिवार, 10 जुलाई 2010

परमेश्वर की उत्कृष्ट कृतियां

ग्रैंड रैपिड कला संग्रहालय में ५००० से अधिक कलाकृतियां हैं, जिन्में ३५०० चित्र और फोटो, १००० रूपरेखाएं और ७०० तस्वीरें और मूर्तियां हैं। जब मैं किसी नये संग्रहालय के बारे में पढ़ता हूँ और उसे देखने जाने का विचार करता हूँ तो परमेश्वर के ’संग्रहालय’ के विष्य में सोचने से नहीं रह पाता।

परमेश्वर महान कलाकार है और उसकी सृष्टि की भवयता वर्णन से बाहर है, किंतु यह सृष्टि उसकी महानतम कलाकृति नहीं है! परमेश्वर की सबसे महान कृति है हमारे उद्धार का कार्य। जब हम अपने पाप में मरे हुए थे, उस दशा में ही उसने हमें अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह में जीवित किया (इफिसियों २:१, ५)। पौलुस ने इफिसियों के विश्वासियों को स्मरण कराया कि वे परमेश्वर की ’रचना’ हैं (पद १०) - मूल युनानी भाषा में जो शब्द ’पोयमा’ प्रयोग हुआ है उसका अर्थ होता है ’कविता’ अथवा ’क्लाकृति’। परमेश्वर का संग्रहालय कोई भौतिक भवन नहीं, वरन उसका चर्च अर्थात उसकी मण्डली है जिसका निर्माण उसे समर्पित और उद्धार पाए हुए लोगों अर्थात उसकी महानतम क्लाकृतियों से हुआ है।

पौलुस ने कहा कि परमेश्वर की रचना होने के कारण, वह हमसे कुछ उम्मीद रखता है। हमें उसके संग्रहालय में मौन सहभागिता के साथ नहीं बैठना है, वरन व्यावहरिक जीवन में संसार के समक्ष परमेश्वर के प्रेम को अपने भले कार्यों के द्वारा प्रदर्शित करना है। प्रभु यीशु ने कहा ऐसे भले काम हमारे स्वर्गीय पिता की महिमा करते हैं (मत्ती ५:१६)।

परमेश्वर ने अपने पुत्र में हमारी पुनः रचना किसी संग्रहालय में मूक कृतियां होने के लिये नहीं करी। उसने हमारा उद्धार किया ताकि हमारे भले कार्य उसके अनुग्रह और उद्धार के तेजोमय रंगों को लोगों के सामने ला सकें और पाप के अंधकार में पड़े इस संसार को उसके उद्धार तथा प्रेम की ज्योति से रौशन कर सकें। - मार्विन विलियम्स


परमेश्वर के सबसे उत्तम गवाह वे हैं जो अपने जीवन से गवाही देते हैं।


बाइबल पाठ: इफिसियों २:१-१०


क्‍योंकि हम उसकी रचना हुए हैं, और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए हैं जिन्‍हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया। - इफिसियों २:१०


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ४१, ४२
  • प्रेरितों के काम १६:२२-४०

शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

ज़िन्दगी और प्रेम

अपने एक पसंदीदा ब्लॉग पर मैंने एल रोचक बात पढ़ी। उस ब्लॉग के लेखक जैफ के विवाह की ९वीं सालगिरह की प्रातः थी, और वह अपनी पत्नी हेयडी को एक अच्छा तोहफा देना चाहता था, किंतु उसके पास पैसे कम थे। इसलिये जैफ अपनी पत्नी के लिये उन्की मनपसन्द मिठाई - एक विशेष प्रकार की चॉक्लेट पेस्ट्री लेने के लिये भागता हुआ गया। कई मील तक भागते हुए जाने-आने से थका हुआ वह जब चॉक्लेट पेस्ट्री लेकर घर में घुसा तो पाया कि हेयडी रसोई में रखे तन्दूर से वही चॉक्लेट पेस्ट्री बना कर निकाल रही है!

जैफ ने इस घटना को ओ. हेनरी कि विख्यात लघुकथा "Gift of the Magi" के पात्रों के साथ घटी घटना के समान बताया। इस कथा का नायक अपनी पत्नी के सुन्दर बालों के लिये एक बहुमूल्य कंघी खरीदना चाहता है और उस कंघी को खरीदने के लिये वह अपनी एकमात्र मूल्यवान चीज़ - अपनी घड़ी बेच देता है। जब वह कंघी लेकर घर पहुँचता है तो पाता है कि पत्नी ने उसकी घड़ी के लिये अच्छी चेन खरीदने के लिये अपने सुन्दर बाल कटवाकर बेच दिये!

पैसे की चिंता न होना अच्छी बात है लेकिन उससे भी अच्छा है अपने प्रीय लोगों की असीम कीमत का एहसास रखना। हमें कभी कभी यह याद दिलाने की आवश्यक्ता होती है कि कोई भौतिक वस्तु पा लेना इतना आवश्यक नहीं है जितना उन लोगों का आदर करना और उन्हें प्रेम करना जिन्हें परमेश्वर ने हमारे जीवन में दिया है।

जब हम दूसरों का लाभ और उनकी पसन्द अपने स्वार्थ से पहले रखने की आदत बना लेते हैं (फिलिप्पियों २:३, ४) तो हम जान पाते हैं कि प्रेम करना, सेवा करना और बलिदान देना क्या होता है। यही तरीका है आपसी संबंधों को मसीह यीशु के नमूने पर ढालने का (इफिसियों ५:१, २)।

जीवन, प्रेम और मिठास जब दूसरों के साथ बांटी जाती है तो उसका स्वाद और भी अच्छा हो जाता है। - सिंडी हैस कैस्पर


प्रेम में कभी ’बहुत अधिक’ देने का भय नहीं होता।


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ३:१६-२३


...परमेश्वर के सदृश बनो। और प्रेम में चलो, जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्‍ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया। - एफिसियों ५: १, २


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३८-४०
  • प्रेरितों के काम १६:१-२१

गुरुवार, 8 जुलाई 2010

स्वर्ग का सर्वोत्तम आनन्द

स्वर्ग के सबसे बड़े आनन्दों में से एक क्या होगा?

जोनी एरिकस्न किशोर अवस्था में तैराकी के लिये गोता लगाते समय गर्दन पर घायल हो गई और ४० वर्षों से भी अधिक समय पहले उसके चारों हाथ-पैर पक्षाघात से शिथिल हो गए। हमारी सोच से सम्भवतः जोनी की सबसे बड़ी इच्छा होगी कि स्वर्ग वह स्वतंत्र चल सके, दौड़ सके और अपनी पहिये वाली कुर्सी के बन्धन से स्वतंत्र हो सके।

किंतु जोनी बताती है कि उसकी सबसे बड़ी इच्छा है कि स्वर्ग में वह "परमेश्वर को पवित्र आराधना अर्पित कर सके।" वह इसे समझाती है: "वहाँ मैं अपना ध्यान बंटने के कारण पंगु नहीं होऊँगी, छल-कपट द्वारा बाधित नहीं होऊँगी, अनमनेपन या उत्साहहीनता से रुकुंगी नहीं। मेरा मन आपके मन के साथ मिलके परमेश्वर को उमड़ती हुई आराधना अर्पित करेगा। आखिरकर हम परमेश्वर पिता और पुत्र के साथ सहभागिता कर सकेंगे। मेरे लिये यही स्वर्ग का सबसे बड़ा आनन्द होगा।"

जोनी की यह बात मेरे विभाजित मन और अकेंद्रित आत्मा के लिये गम्भीर शिक्षा है। परमेश्वर को "पवित्र आराधना" अरपित करना कैसी आशीश की बात है - ऐसी आराधना जिसमें मन इधर-उधर नहीं भटकता, कोई स्वार्थी इच्छा की माँग सम्मिलित नहीं होती और जो पृथ्वी की भाषाओं की सीमाओं से बहुत उपर उठती है।

स्वर्ग में "फिर स्राप न होगा और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा, और उसके दास उस की सेवा करेंगे" (प्रकाशितवाक्य २२:३)। स्वर्ग की अभिलाशा रखते हुए, काश हम अभी इस पृथ्वी पर ही परमेश्वर को महिमा देने वाली आराधना के चढ़ाने वाले बन सकें। - वेर्नन ग्राउंड्स


यीशु के साथ होना स्वर्ग का सबसे महान आनन्द होगा।


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २२:१-५


परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं। - १ कुरिन्थियों २:९



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३६, ३७
  • प्रेरितों के काम १५:२२-४१

बुधवार, 7 जुलाई 2010

परमेश्वर का काम करना

जब मैं एक चर्च का पादरी था तो बहुत बार मैं एक दुस्वप्न देखता और उस के कारण परेशान रहता था। मैं देखता था कि किसी रविवार की सुबह मैं चर्च में सन्देश देने के लिये उठता हूँ और लोगों की ओर देखता हूँ तो पाता हूँ कि पूरा चर्च खाली है, वहाँ कोई भी नहीं बैठा है।

इस स्वप्न का अर्थ समझाने के लिये किसी स्वप्न विशेष्ज्ञ या दानियेल भविष्यद्वक्ता (दानियेल २:१, १९) जैसे किसी व्यक्ति की ज़रूरत नहीं थी। यह स्वप्न मेरे उस विश्वास का नतीजा था कि सब कुछ मुझ पर ही निर्भर करता है। मैं इस गलतफहमी में रहता था कि यदि मैं ज़ोर देकर और सारी शक्ति से प्रचार नहीं करुंगा तो चर्च के लोग आना कम कर देंगे और धीरे धीरे चर्च बन्द हो जाएगा। मैं समझता था कि परमेश्वर के कार्य के प्रतिफल की ज़िम्मेदारी मुझ पर थी।
सुसमाचारों में हम पढ़ते हैं कि कुछ लोगों ने यीशु मसीह से पूछा "परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्‍या करें?" (यूहन्ना ६:२८) - कैसी ढिटाई! केवल परमेश्वर ही परमेश्वर के कार्य कर सकता है!

यीशु ने उन्हें जो उत्तर दिया वह हमारे लिये भी है - "परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उस ने भेजा है, विश्वास करो" (यूहन्ना ६:२९)। इसका अर्थ है कि हमें जो कुछ भी करना है, चाहे रविवार को चर्च में सिखाना हो, किसी छोटे समूह की बाइबल शिक्षा के लिये अगुवाई करनी हो, अपने पड़ौसी को सुसमाचार सुनाना हो, या हज़ारों के सामने खड़े होकर प्रचार करना हो - जो कुछ भी करना हो, विश्वास पर आधारित होकर ही किया जाना चाहिये। परमेश्वर के कार्य करने का और कोई तरीका नहीं है।

प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा है "जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्‍योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते" (यूहन्ना १५:५)। हमारी ज़िम्मेदारी है कि परमेश्वर ने हमें जहाँ कहीं भी जिस भी कार्य के लिये नियुक्त किया है, हम वहाँ उस कार्य को पूर्ण विश्वासयोग्यता से पूरा करें और उसके प्रतिफल को परमेश्वर पर छोड़ दें। - डेविड रोपर


क्रूस पर यीशु द्वारा किया गया कार्य हमें उसके लिये उपयोगी होने और भले कार्य करने की सामर्थ देता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना ६:२५-३३



...हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है। - २ कुरिन्थियों ३:५



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३४, ३५
  • प्रेरितों के काम १५:१-२१

मंगलवार, 6 जुलाई 2010

ध्यान का केंद्र

अमेरिका और कैनाडा की सीमा पर एक लम्बी कतार में फंसे जोएल स्कून को अपना मन हल्का करने के लिए कुछ करना थाउसने अपने बुलबुले बनाने वाले द्रव्य की बोतल ली और कार से बाहर निकला और हवा में बुलबुले उड़ाने लगाफिर उसने कतार में फंसे अन्य ड्राईवरों को भी बुलबुले बनाने वाले द्रव्य की बोतलें पकड़ाईं और थोड़ी ही देर में वहां बुलबुले ही बुलबुले हो गएकतार तो उसी धीमी गति से बढाती रही पर लोग खुश हो गये

ब्रिटेन के एक प्रख्यात व्यक्ति - जौन ल्युब्बौक (१८३४-१९१३) ने कहा था की "हम वही देखते हैं जो देखना चाहते हैं"एक अच्छा नज़रिया और सही रीती से केंद्रित मन जीवन को आनंदित रखने में सहयाता करते हैं, चाहे उनसे हमारी परिस्थितियां ना भी बदलें

पौलुस ने कुरिन्थियों की मंडली को उनके क्लेशों में उन्हें प्रोत्साहित किया: "हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोडे ही दिन की हैं परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं" ( कुरिन्थियों :१८)।

तो ऐसी कौन सी अनदेखी और अनंत वस्तुएं हैं जीना पर हम ध्यान लगा सकते हैं? परमेश्वर का चरित्र एक अति उत्तम स्थान है ध्यान केंद्रित करने के लिए - वह भला है (भजन २५:), न्यायी है (यशायाह ३०:१८), क्षमाशील है ( युहन्ना :) और विश्वासयोग्य है (व्यवस्थाविवरण :)।

परमेश्वर के चरित्र पर ध्यान लगाने से हमें जीवन के संघर्षों में भी शान्ति मिल सकती है। - एनी सेटास

जब मसीह आपके ध्यान का केंद्र होगा तो बाक़ी सब के प्रति दृष्टीकोण भी सही रहेगा

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:-१८

हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं - कुरिन्थियों :१८

एक साल में बाइबल:
  • अय्यूब ३२, ३३
  • प्रेरितों के काम १४

सोमवार, 5 जुलाई 2010

आशा से भरी आराधना

जीवन की कठिन परिस्थितियों से जूझता मेरा एक मित्र ग्रीष्म के सुन्दर दिन में आंसू बहा रहा था। एक अन्य मित्र उसके जीवन को बदल डालने वाली पिछली उदास बातों को भुला नहीं पा रही थी। एक और मित्र उस चर्च के बन्द हो जाने से दुखी था जिस में उसने बड़ी मेहनत और विश्वासयोग्यता से सेवा करी थी। मेरे चौथे मित्र की नौकरी जाती रही थी।

इन परिस्थितियों से जूझते मेरे मित्र या हममें से कोई भी अन्य जन ऐसे में आशा पाने के लिये क्या कर सकते हैं? हम किधर जाएं जब आने वाला कल हमें खुशी की कोई उम्मीद न दे?

जैसा दाऊद ने लिखा, हम ऐसे में परमेश्वर की आराधना कर सकते हैं उसे "धन्य" कह सकते हैं। संकट और क्लेश के समय में भी अपने जीवन में परमेश्वर की भूमिका को मान लेने से हमारी सोच हमारे दुखों से हटकर परमेश्वर की महानता पर टिक जाती है। दाऊद परेशानियों से भली भांति परिचित था। उसने दुशमनों का सामना किया, अपने पाप के अन्जाम को भुगता और क्लेशों की चुनौतियों को झेला, लेकिन साथ ही इन सब बातों में उसने आराधना की सामर्थ को पहचाना।

इसलिये भजन १०३ में वह हमें परमेश्वर की ओर अपना ध्यान लगाने के अनेक ऐसे कारण देता है। परमेश्वर जो हमें भलाईयों से भरता है - वह हमें क्षमा करता है, चंगा करता है, प्रेम और करुणा का मुकुट हमारे सिर पर रखता है, हमारी अभिलाषाओं को तृप्त करता है, हमें फिर से उठा कर खड़ा करता है। दाऊद हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर हमें न्याय और धार्मिकता देता है और हमारे प्रति अनुग्रहकारी और प्रेम से परिपूर्ण रहता है।

दाउद से सीखिये, परमेश्वर की महानता की आरधना करने से निराश मनों में भी आशा भर जाती है। - डेव ब्रैनन


आराधना आपके भारी से भारी बोझ को भी बहुत हल्का बना देती है।


बाइबल पाठ: भजन १०३:१-१४


हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। - भजन १०३:२


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३०, ३१
  • प्रेरितों के काम १३:२६-५२

रविवार, 4 जुलाई 2010

स्वतंत्रता का उत्तरदायित्व

जो लोग उसका उचित उपयोग करना नहीं जानते उनके हाथों में स्वतंत्रता खतरनाक होती है। यही कारण है कि मुजरिमों को कैदखानों में कांटेदार तारों, लोहे की सलाखों और ऊंची दीवारों के बाड़े के अन्दर बांध कर रखा जाता है। एक छोटी सी आग सूखे जंगल को धधकती हुई भयानक भट्टी बना देती है। यदि स्वतंत्रता के नियम न हों तो उससे भारी गड़बड़ी होती है।

मसीही जीवन इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। मसीह के विश्वासी व्यवस्था के श्राप, दंड, ग्लानि और भय से मुक्त हैं। मसीही जीवन में भय, चिन्ता और दोष के स्थान पर शान्ति, क्षमा और स्वतंत्रता मिलती है। जो आत्मा की गहराईयों में स्वतंत्र है उससे अधिक स्वतंत्र और कौन होगा? लेकिन यहीं आकर हम अक्सर हार जाते हैं। हम स्वतंत्रता के सुख को स्वार्थी अभिलाशाओं की पूर्ति के लिये प्रयोग करने लगते हैं, परमेश्वर ने जो हमें एक ज़िम्मेदारी के रूप में सौंपा है हम उसे अपनी मिलकियत समझने लगते हैं। हमारी जीवन शैली स्वयं की तृप्ति की हो जाती है, विशेषतः धनी समाज में।

स्वतंत्रता का सही उपयोग है प्रेम में होकर विश्वास द्वारा एक दूसरे की सेवा करना (गलतियों ५:६, १३)। जब हम पवित्र आत्मा पर निर्भर होकर अपने गुणों और सामर्थ को परमेश्वर से प्रेम करने और दूसरों की सहायता करने में लगाते हैं, तो हमारे शरीर की विनाशकारी पृवर्तियां परमेश्वर द्वारा नियंत्रित करके रोक दी जातीं हैं (गलतियों ५:१६-२१)। इसलिये हम अपनी स्वतंत्रता को सदा सकारत्मक कार्यों मे दूसरों को बनाने के लिये करें, न कि नाशकारी कार्यों के लिये।

आग के समान, अनियंत्रित स्वतंत्रता खतरनाक है, किन्तु जब नियंत्रित होती है तो सब के लिये आशीश का कारण होती है। - डेनिस डी हॉन


स्वतंत्रता हमें वह करने का अधिकार नहीं देती जो हमें भाता है, वरन वह करने की ज़िम्मेदारी देती है जो परमेश्वर को भाता है।


बाइबल पाठ: गलतियों ५:१-६, १६-२१


हे भाइयों, तुम स्‍वतंत्र होने के लिये बुलाए गए हो परन्‍तु ऐसा न हो, कि यह स्‍वतंत्रता शारीरिक कामों के लिये अवसर बने, वरन प्रेम से एक दूसरे के दास बनो। - गलतियों ५:१३


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २८, २९
  • प्रेरितों के काम १३:१-२५

शनिवार, 3 जुलाई 2010

अय्युब का सिद्धांत

जब मेरी पत्नी ने हमारे घर से कई मील दूर एक शिक्षा निर्देशिका की नौकरी स्वीकार करी तो इसके लिये उसे रोज़ बहुत लम्बी दूरी तय करनी होती थी। कुछ समय के लिये तो यह सहा जा सकता था लेकिन हम दोनो देख सकते थे कि इसे लम्बे समय तक कर पाना संभव नहीं होगा। इसलिये हमने निर्णय लिया कि हम एक दुसरी जगह जाकर रहेंगे जो हम दोनो के काम के स्थानों के मध्य में हो।

मकान खरीदने-बेचने वाले एजेंट को हमारा मकान जल्दी बिकने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि कई मकान बिकने के लिये थे और खरीददार कम थे। फिर भी बहुत प्रार्थना करने और मेहन्त से घर कि सफाई करने के बाद हमने उसे बिकने के लिये दे दिया। हमें अचंभा हुआ यह देखकर कि तीन सप्ताह से भी कम समय में हमारा मकान बिक गया!

कभी कभी मुझे भौतिक आशीशें मिलने से अपने अन्दर अपराध-बोध होता है। जब संसार में इतनी ज़रूरतें हैं तो मुझे क्योंकर अपने मकान के बिकने के लिये परमेश्वर की सहायता की उम्मीद रखनी चाहिये? फिर मुझे अय्युब द्वारा अपनी पत्नी को दिया गया उत्तर स्मरण आता है, "क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें?" - अय्युब २:१०।

इस पद का प्रयोग अधिकांशतः निराशाओं और बुरी परिस्थितियों को ग्रहण करना समझाने के लिये किया जाता है। किंतु इस पद का सिद्धांत है परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ रहना, भलाई में भी और बुराई में भी। पौलुस प्रेरित ने सीख लिया था कि बहुतायत हो या कमी-घटी, हर परिस्थिति मे कैसे आनन्दित रहना है (फिलिप्पियों ४:१०-१३)। परमेश्वर हमें हानि हो या लाभ, सन्तोष सहित जीवन जीना सिखाना चाहता है।

हर परिस्थिति में हर बात के लिये परमेश्वर का धन्यवादि होना दिखाता है कि हम उसकी की सार्वभौमिकता को मानते हैं और हर बात के प्रति उसपर विश्वास रखते हैं। - डेनिस फिशर


मैं अपनी मां के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊंगा; परमेश्वर ने दिया और परमेश्वर ही ने लिया, परमेश्वर का नाम धन्य हो। - अय्युब १:२१


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:१०-१३


क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? - अय्युब २:१०


  • एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २५-२७
  • प्रेरितों के काम १२

शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

चुनाव के विकल्प

मैं देख रहा था, एक माँ ने अपने २ वर्ष के बेटे को चुनाव करने के विकल्प दिये, "तुम या तो मछली ले सकते हो या मुर्गी।" माँ ने बच्चे के सामने केवल दो ही विकल्प रखे क्योंकि वह इससे अधिक समझने के लिये अभी बहुत छोटा था। चुनाव के लिये विकल्प अक्सर विविध चीज़ों में होते हैं और व्यक्ति को किसी विकल्प का इन्कार करने का अवसर भी होता है।

आदम और हव्वा सबसे अच्छी परिस्थिति में थे। परमेश्वर ने उन्हें अदन की वाटिका के सब फलों को खाने का विकल्प दिया था, केवल एक पेड़ के फल को छोड़। उनके पास बहुतायत में विकल्प थे और सही चुनाव करना कोई कठिन बात नहीं होनी चाहिये थी। किंतु उन्होंने गलत चुनाव किया और उसके परिणाम दुखद हुए।

कुछ लोग परमेश्वर पर दोष लगाते हैं उसके द्वारा निर्धारित सीमाओं के लिये। वे परमेश्वर पर ज़िन्दिगियों को नियंत्रित करने की इच्छा रखने का इल्ज़ाम लगाते हैं। परन्तु परमेश्वर हमें विकल्प देता है, जैसा उसने आदम और हव्वा को दिया।

हाँ परमेश्वर सीमाएं निर्धारित करता है, लेकिन व हमारी सुरक्षा के लिये होती हैं। दाउद ने इस बात को समझा, उसने लिखा "तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है,...मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं। मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं।" (भजन ११९:९८-१०१)।

परमेश्वर हमारी इतनी अधिक परवाह करता है कि उसने हमारे सही विकल्प के चुनाव मे सहायता करने के लिये सीमाएं निर्धारित करीं हैं। - सी. पी. हिया


परमेश्वर के नियम हमें परिपूर्ण करने के लिये हैं, कुण्ठित करने के लिये नहीं।


बाइबल पाठ: उत्पत्ति २:१६-१७; ३:१-८


तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह आज्ञा दी, कि तू बाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है: पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना...उत्पत्ति २:१६, १७


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २२-२४
  • प्रेरितों के काम ११

गुरुवार, 1 जुलाई 2010

प्रकाशन

कमरा हाल बदहाल था। घर के कुर्सी, मेज़ और अन्य फर्नीचर आपस में मेल नहीं खा रहा था। छोटा-मोटा सामान, यहां वहां कोनों और और जगहों में ठुंसा हुआ था। घर में रहने वालों ने स्थिति सुधारने का प्रयास तो किया किंतु उनके इन प्रयासों से कमरे की हालत बदतर ही होती गई।

इस तरह आरंभ होता है टी. वी. घर को सुधारने के बारे में कार्यक्रम। उस घर के लोगों से मुलाकात और बातचीत के बाद, एक सजावट विशेज्ञ कमरे को सर्वथा उपयुक्त रूप से प्रयोग करने की योजना बनाता है। उसकी योजना जैसे जैसे आगे बढ़ती है, कार्यक्रम के संचालक दर्शकों में कमरे की सुधरी दशा जानने के लिये उत्सुक्ता बनाते और बढ़ाते रहते हैं, जब तक की कार्यक्रम में ’प्रकाशन’ का समय नहीं आ जाता। फिर एक चरम सीमा पर लाकर कमरे के बदले स्वरूप को घरवालों और दर्शकों को दिखाया जाता है और वे ’ऊह’ ’आह’ आदि आवाज़ों के साथ आश्चर्य व्यक्त करते हैं।

समय के साथ यह दुनिया और इसके लोग भी इस उपेक्षित कमरे की तरह हो गये हैं। लोग अपने जीवन में ऐसी बातें ले आये हैं जिनकी उपयोगिता नहीं है। जैसे वे अपनी प्राथमिकताएं ऐसे निर्धारित करते हैं, उससे उनका विकास बाधित होता है। लोगों के जीवनों में वयर्थ और उबाऊ बातें भरी हैं और जीवन नीरस हो गए हैं। उनके स्वयं-सुधार के प्रयत्न और योजनाएं कारगर होती नहीं दिखतीं।

जीवन को सबसे अच्छे तरीके से जीने के लिये बाइबल परमेश्वर की योजना बताती है। सारे पुराने नियम में परमेश्वर की योजना बनती और बढ़ती हुई दिखती है और फिर सही समय पर उस योजना का वह सबसे उत्कृष्ट पल आता है जब उस योजना की परिपूर्णता - यीशु मसीह का प्रकाशन होता है। यीशु को देखकर शमौन ने कहा "क्‍योंकि मेरी आंखो ने तेरे उद्धार को देख लिया है। जिसे तू ने सब देशों के लोगों के साम्हने तैयार किया है। कि वह अन्य जतियों को प्रकाश देने के लिये ज्योति, और तेरे निज लोग इस्राएल की महिमा हो" - लूका २:३०-३२।

जब हम परमेश्वर की योजना और मसीह के अनुसार चलते हैं तो हम भी परमेश्वर के महान प्रकाशन का भाग बन जाते हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


मैं जो कुछ भी हूँ, मसीह यीशु के कारण हूँ, जिसका प्रकाशन मुझे परमेश्वर की दिव्य पुस्तक बाइबल में मिला।
बाइबल पाठ: लूका २:२५-३५


तब यहोवा का तेज प्रगट होगा और सब प्राणी उसको एक संग देखेंगे; क्योंकि यहोवा ने आप ही ऐसा कहा है। - यशायाह ४०:५


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २०, २१
  • प्रेरितों के काम १०:२४-४८