एक मसीही विश्वासी ने Leadership पत्रिका में अपने कटु अनुभव का बयान किया। उसने बताया कैसे वह कामवासना का दास बन चुका था और प्रतिदिन अशलील पत्रिकाओं, चित्रों और बातों में समय बिताता था; लेकिन साथ ही वह स्थान स्थान पर घूमते हुए मसीही सभाएं भी संबिधित करता था, उन में भाग लेता था। ऐसे में एक दिन वह इस एहसास से घबरा उठा कि सुन्दर डूबते सूर्य के दृश्य, सागर के निकट टहलना और उसके पानी की ठंडी बौछार का आनन्द लेना आदि मनोहर बातों से अब उसे कोई आनन्द, कोई रोमांच नहीं होता था, वह इनकी अनुभूति खो चुका था। वासना से वशीभूत उसका मन अब जीवन की सर्वोत्तम खुशियों तथा प्रभु से संगति के आनन्द को महसूस कर पाने में असमर्थ हो गया था। वह कहने को तो शारीरिक रूप से अपनी पत्नि के प्रति वफादार रहा था, लेकिन उनके वैवाहिक संबंधों में भी दरार आ गई थी।
जब वह पुनः परमेश्वर की ओर मुड़ा तो उसे बोध हुआ कि अब इस वासना के बन्धन से निकल पाने के लिए उसे एक और कष्टपूर्ण किंतु अनिवार्य कदम उठाना है - अपनी पत्नि के सामने अपने पाप को मान लेना है। उसने ऐसा किया - यह अनुभव बहुत कष्टदायक था, लेकिन क्योंकि उसका पश्चाताप वास्तविक था, वह यह कर भी सका। उसकी बात और उसका पश्चाताप सुनने के बाद उसकी पत्नि ने उसे क्षमा कर दिया और उनके जीवन तथा वैवाहिक संबंधों में प्रेम लौट आया।
जब कभी हम परमेश्वर तथा औरों को दुख देते हैं तो फिर से सब कुछ ठीक-ठाक करने के लिए उन बातों के लिए पश्चाताप करना कष्टदायक किंतु अनिवार्य कदम होता है। लेकिन इसका तातपर्य मात्र शब्दों द्वारा औपचारिकता पूरा करना नहीं है। विख्यात मसीही लेखक सी.एस. ल्युइस ने पश्चाताप के विष्य में कहा था कि यह कोई औपचारिकता नहीं है जो परमेश्वर, इसके पहले कि वह आपको ग्रहण कर सके, आपसे पूरी करने को कहता है; यह परमेश्वर के साथ संबंध बहाल होने का वह मार्ग है जिसे संबंधित अनुभवों में होकर निकलने द्वारा तय करना होता है।
पश्चाताप ही जीवन के सच्चे आनन्द - परमेश्वर के साथ संगति और अपने संपर्क के लोगों के साथ शांति की बहाली का एकमात्र मार्ग है। - डेनिस डी हॉन
सो चेत कर, कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर; - प्रकाशितवाक्य २:५
बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २:१-७
Rev 2:1 इफिसुस की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो सातों तारे अपने दाहिने हाथ में लिए हुए है, और सोने की सातों दीवटों के बीच में फिरता है, वह यह कहता है कि
Rev 2:2 मै तेरे काम, और परिश्रम, और तेरा धीरज जानता हूं; और यह भी, कि तू बुरे लोगों को तो देख नहीं सकता, और जो अपने आप को प्रेरित कहते हैं, और हैं नहीं, उन्हें तू ने परख कर झूठा पाया।
Rev 2:3 और तू धीरज धरता है, और मेरे नाम के लिये दु:ख उठाते उठाते थका नहीं।
Rev 2:4 पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है।
Rev 2:5 सो चेत कर, कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर; और यदि तू मन न फिराएगा, तो मै तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्थान से हटा दूंगा।
Rev 2:6 पर हाँ तुझ में यह बात तो है, कि तू नीकुलइयों के कामों से घृणा करता है, जिन से मैं भी घृणा करता हूं।
Rev 2:7 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूंगा।
एक साल में बाइबल:
जब वह पुनः परमेश्वर की ओर मुड़ा तो उसे बोध हुआ कि अब इस वासना के बन्धन से निकल पाने के लिए उसे एक और कष्टपूर्ण किंतु अनिवार्य कदम उठाना है - अपनी पत्नि के सामने अपने पाप को मान लेना है। उसने ऐसा किया - यह अनुभव बहुत कष्टदायक था, लेकिन क्योंकि उसका पश्चाताप वास्तविक था, वह यह कर भी सका। उसकी बात और उसका पश्चाताप सुनने के बाद उसकी पत्नि ने उसे क्षमा कर दिया और उनके जीवन तथा वैवाहिक संबंधों में प्रेम लौट आया।
जब कभी हम परमेश्वर तथा औरों को दुख देते हैं तो फिर से सब कुछ ठीक-ठाक करने के लिए उन बातों के लिए पश्चाताप करना कष्टदायक किंतु अनिवार्य कदम होता है। लेकिन इसका तातपर्य मात्र शब्दों द्वारा औपचारिकता पूरा करना नहीं है। विख्यात मसीही लेखक सी.एस. ल्युइस ने पश्चाताप के विष्य में कहा था कि यह कोई औपचारिकता नहीं है जो परमेश्वर, इसके पहले कि वह आपको ग्रहण कर सके, आपसे पूरी करने को कहता है; यह परमेश्वर के साथ संबंध बहाल होने का वह मार्ग है जिसे संबंधित अनुभवों में होकर निकलने द्वारा तय करना होता है।
पश्चाताप ही जीवन के सच्चे आनन्द - परमेश्वर के साथ संगति और अपने संपर्क के लोगों के साथ शांति की बहाली का एकमात्र मार्ग है। - डेनिस डी हॉन
पश्चाताप का अर्थ केवल पाप के प्रति हृदय का टूटना ही नहीं है, पाप के साथ संबंध टूटना भी है।
सो चेत कर, कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर; - प्रकाशितवाक्य २:५
बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २:१-७
Rev 2:1 इफिसुस की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो सातों तारे अपने दाहिने हाथ में लिए हुए है, और सोने की सातों दीवटों के बीच में फिरता है, वह यह कहता है कि
Rev 2:2 मै तेरे काम, और परिश्रम, और तेरा धीरज जानता हूं; और यह भी, कि तू बुरे लोगों को तो देख नहीं सकता, और जो अपने आप को प्रेरित कहते हैं, और हैं नहीं, उन्हें तू ने परख कर झूठा पाया।
Rev 2:3 और तू धीरज धरता है, और मेरे नाम के लिये दु:ख उठाते उठाते थका नहीं।
Rev 2:4 पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है।
Rev 2:5 सो चेत कर, कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर; और यदि तू मन न फिराएगा, तो मै तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्थान से हटा दूंगा।
Rev 2:6 पर हाँ तुझ में यह बात तो है, कि तू नीकुलइयों के कामों से घृणा करता है, जिन से मैं भी घृणा करता हूं।
Rev 2:7 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूंगा।
एक साल में बाइबल:
- भजन १४३-१४५
- १ कुरिन्थियों १४:२१-४०
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