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गुरुवार, 21 जून 2012

आशंका

   पिछले वसन्त ऋतु में हमारे घर कि एक खिड़की पर रॉबिन जाति के एक पक्षी द्वारा बार बार हमला हुआ। वह रॉबिन आकर खिड़की की निचली मुंडेर पर बैठ जाती, अपने पंख फुलाती और पड़फड़ाती, ज़ोर से चहचहाती और फिर जोर से खिड़की के काँच पर चोंच मारती। मैंने कुछ खोजबीन करी, और मुझे मालुम पड़ा कि रॉबिन पक्षी अपने क्षेत्र निर्धारित करके रहने वाले पक्षी हैं, और जब उनके घोंसला बनाने और अंडे देने का समय आता है तो अपने क्षेत्र से अन्य रॉबिन पक्षियों को खदेड़ देते हैं। इस रॉबिन को खिड़की के काँच में अपना प्रतिबिंब एक प्रतिद्वंदी रॉबिन के समान दिख रहा होगा और वह उसे खदेड़ने के प्रयास में यह हमले करती रही। जो उसे खतरा दिख रहा था वह केवल उसकी आशंका थी, उसकी कल्पना मात्र थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम ऐसा ही एक उदाहरण पाते हैं, जब याकूब को उसकी काल्पनिक आशंका ने अनावश्यक रीति से घबारा दिया। बहुत वर्ष पहले याकूब ने अपने बड़े भाई एसाव की आशीषें धोखे से अपने पिता से अपने लिए ले ली थीं, और फिर एसाव के क्रोध से बचने के लिए वह वहां से बहुत दूर जाकर अपने मामा के घर में रहने लग गया था। अब बहुत वर्षों के अन्तराल के बाद याकूब अपने घर लौट रहा था और एसाव से मिलने जा रहा था। उसका मन अपने किए के कारण आशंकित था, इसलिए वह एसाव से मिलने से घबरा रहा था। एसाव को शांत करने और उससे मेल करने के लिए याकूब ने अपने आगे आगे एसाव के लिए बहुत सी भेंट भी भेजीं, और फिर सारी रात प्रार्थना में परमेश्वर के साथ जूझता रहा। जब प्रातः उसे मालुम पड़ा कि एसाव ४०० लोगों के एक दल को लेकर उसके पास आ रहा है, तो याकूब बहुत भयभीत हो गया। किंतु जिसे याकूब हमला करने वाली सेना समझे हुए था, वह उसके स्वागत के लिए आया हुआ दल निकला; निकट आते ही "तब एसाव उस से भेंट करने को दौड़ा, और उसको हृदय से लगाकर, गले से लिपटकर चूमा : फिर वे दोनों रो पड़े" (उत्पत्ति ३३:४)।

   परस्पर सम्बंधों में हम कभी कभी परिस्थितियों का गलत आंकलन कर बैठते हैं। जिसे हम विरोधी समझ बैठते हैं, वही हमारा सहायक निकलता है। किसी व्यक्ति या बात को ले कर किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले हमें उसे परमेश्वर के हाथों में समर्पित कर के, उस के बारे में परमेश्वर से समझ-बूझ मांग लेनी चाहिए। कहीं हमारी ही कोई गलत आशंका हमारे मित्र को ही हमारे शत्रु के रूप में हमें ना दिखा रही हो। - डेनिस फिशर


किसी काल्पनिक शत्रु से भय ना खाएं; परमेश्वर पर भरोसा रख कर उसे अपना नया मित्र बना लें।

तब एसाव उस से भेंट करने को दौड़ा, और उसको हृदय से लगाकर, गले से लिपटकर चूमा : फिर वे दोनों रो पड़े। - उत्पत्ति ३३:४

बाइबल पाठ: - उत्पत्ति ३३:१-४
Gen 33:1  और याकूब ने आंखें उठाकर यह देखा, कि एसाव चार सौ पुरूष संग लिये हुए चला जाता है। तब उस ने लड़के-बालों को अलग अलग बांटकर लिआ, और राहेल, और दोनों दासियों को सौंप दिया।
Gen 33:2  और उस ने सब के आगे लड़कों समेत दासियों को उसके पीछे लड़कों समेत लिआ: को, और सब के पीछे राहेल और यूसुफ को रखा,
Gen 33:3 और आप उन सब के आगे बढ़ा, और सात बार भूमि पर गिर के दण्डवत्‌ की, और अपने भाई के पास पहुंचा।
Gen 33:4  तब एसाव उस से भेंट करने को दौड़ा, और उसको हृदय से लगाकर, गले से लिपटकर चूमा : फिर वे दोनों रो पड़े।


एक साल में बाइबल: 

  • एस्तेर ३-५ 
  • प्रेरितों ५:२२-४२

1 टिप्पणी:

  1. इस कहानी का भरत भेट की कहानी से काफी साम्य लगता है जब लक्ष्मण को भी ऐसी ही आशंका हुई थी कि भरत चतुरंग सेना लेकर राम को युध्द के लिये ललकारने आये हैं पर वास्तविकता कुछ और ही थी वे तो राम को मना के वापिस ले जाने आये थे ।

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