एक ख्याति प्राप्त महिला ने टी.वी. पर हो रहे साक्षात्कार में स्वीकार किया कि प्रति वर्ष अपने बालों की देख-रेख और उन्हें सजाने संवारने में वे हज़ारों डॉलर तथा सईकड़ों घंटे लगा देती हैं। उसने यह भी स्वीकार किया कि यह उसके लिए व्यसन के समान हो गया है और वह अपने बालों के आधीन हो गई है। आधीन हो जाने का तात्पर्य है कि किसी अन्य के अधिकार या नियंत्रण में हो जाना। अपने आप को सुंदर दिखाने के प्रयास में इस महिला ने अपने जीवन का नियंत्रण अपने बालों को सौंप दिया था।
इस महिला की कहानी से हमें भी अपने जीवनों को टटोलने की आवश्यक्ता है - हमारी कौन सी इच्छाएं हमें अपनी आधीनता में लिए हुए हैं और हमें नियंत्रित कर रही हैं? क्या हम किसी चीज़ के प्रति ऐसे आसक्त हो जाते हैं कि उसे प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर गुज़रने के लिए तैयार रहते हैं? क्या हम ख्याति, प्रशंसा, धन-संपदा, आनन्द, भोजन, अहम आदि के हाथों अपने जीवन को दे चुके हैं?
प्रेरित पौलुस ने मसीही विश्वासियों को लिखा "क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धामिर्कता है" (रोमियों ६:१६)। जब हमारी शारीरिक लालसाएं और सांसारिक इच्छाएं हम पर हावी होने लगें तो समय है परमेश्वर के आधीन हो जाने का और उस के हाथों में अपना नियंत्रण छोड़ देने का "और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो" (रोमियों ६:१३)।
यदि शरीर और संसार आप पर हावी हैं, आप को अपनी आधीनता में लिए हुए हैं तो परमेश्वर के सामने दीन होकर अपने आप को उसे सौंप दें और उससे प्रार्थना करें कि वह आपको आपके हृदय की वास्तविक दशा दिखाए, उसके लिए पश्चाताप का मन और निवारण दे।
सच्ची स्वतंत्रता अपना मार्ग चुनने और अपनाने में नहीं वरन परमेश्वर की आधीनता में है।
प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा। - याकूब ४:१०
बाइबल पाठ: रोमियों ६:११-२३
Rom 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Rom 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
Rom 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
Rom 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
Rom 6:15 तो क्या हुआ क्या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं कदापि नहीं।
Rom 6:16 क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धामिर्कता है?
Rom 6:17 परन्तु परमेशवर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।
Rom 6:18 और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
Rom 6:19 मैं तुम्हारी शारीरिक र्दुबलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास करके सौंप दो।
Rom 6:20 जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्वतंत्र थे।
Rom 6:21 सो जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उन से उस समय तुम क्या फल पाते थे?
Rom 6:22 क्योंकि उन का अन्त तो मृत्यु है परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है।
Rom 6:23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है।
एक साल में बाइबल:
- अमोस १-३
- प्रकाशितवाक्य ६
बेहतर लेखन !!
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