हाल ही में मैं एक प्रसिद्ध मसीही महिला संगीतज्ञ की श्रद्धांजलि सभा में गया। उसकी श्रद्धांजलि में उसके जीवन और कार्यों से संबंधित कई वीडीयो तथा ऑडियो रिकॉर्डिंग्स के छोटे भाग, तसवीरें, संगीत वाद्य बजाने वाले एवं वक्ता सम्मिलित थे। सभा के बाद मैं लोगों के बाहर जाने तक रुका और फिर पृष्ठभूमि में रहे उन लोगों को धन्यवाद देने गया जिनकी मेहनत से यह सारा मर्मस्पर्शी कार्यक्रम सुचारू रूप से चलाया जा सका तथा संपन्न हो सका। मैंने उन से कहा, "आप लोग प्रत्यक्ष नहीं थे, किसी ने आपको देखा नहीं लेकिन यह सब आपकी मेहनत से ही संभव हो सका।" उन्होंने उत्तर दिया हम इसी रीति से कार्य करना पसन्द करते हैं।
परमेश्वर के वचन में मत्ती ६ में प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे दान दें (पद१-४), प्रार्थना करें (पद ५-६) और उपवास भी रखें (पद १६-१८), लोगों से प्रशंसा पाने के लिए नहीं वरन परमेश्वर को प्रसन्न करने के उद्देश्य से गुप्त में करें। तब परमेश्वर जो सब कुछ देखता है उन्हें खुले में प्रतिफल देगा: "ताकि तेरा दान गुप्त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती ६:४); "परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती ६:६); "ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती ६:१८)।
हम सब के अंदर ऐसा कुछ है जो हमारी अच्छी बातों के लिए हमारे अंदर लोगों द्वारा पहचाने जाने और प्रशंसित होने की लालसा जगाता है। स्वाभाविक रूप से किसी से प्रोत्साहन पाने और सराहे जाने में कोई बुराई नहीं है, किंतु प्रशंसा और मान्यता पाने की लालसा रख कर सेवकाई करना हमारी सेवकाई को नष्ट कर सकता है क्योंकि इस से हमारा ध्यान दूसरों की आवश्यकताओं पर नहीं अपने आप पर ही केंद्रित हो जाता है और हम दूसरों के लिए नहीं वरन अपने लिए ही कार्य करने लगते हैं। जब सार्वजनिक रूप से धनयवाद नहीं मिले तो हम उपेक्षित अनुभव कर सकते हैं, किंतु पृष्ठभूमि में रहते हुए भी जब हम परमेश्वर की सेवकाई में लगे रहते हैं, तो वह ना केवल इसका ध्यान रखता है वरन सार्वजनिक रूप से इसका प्रतिफल भी अवश्य देता है। - डेविड मैक्कैसलैंड
बेहतर है कि बिना प्राप्त किए ही मान्यता अर्जित करते रहें, ना कि बिना अर्जित किए ही मान्यता प्राप्त करने की चाह रखें।
परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। - मत्ती ६:६
बाइबल पाठ: मत्ती ६:१-६, १६-१८
Matt 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
Matt 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
Matt 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
Matt 6:4 ताकि तेरा दान गुप्त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matt 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matt 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matt 6:16 जब तुम उपवास करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matt 6:17 परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो।
Matt 6:18 ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति २९-३०
- मत्ती ९:१-१७
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें