हमें ऐसा लगा जैसे कि हमारा क्रिसमस रद्द कर दिया गया है। कई वर्षों से हमारी पारिवारिक परंपरा रही है कि हम क्रिसमस पर अपने परिवार जनों से मिलने जाते हैं और उन्हीं के साथ वहाँ मिसूरी में क्रिसमस मनाते हैं; लेकिन अब की बार बर्फ के कारण हमें बीच रास्ते में मिनिसोटा से ही वापस अपने घर मिशिगन लौटना पड़ा, जिससे हम बहुत निराश थे।
किंतु यदि हम मिसूरी चले जाते तो इतवार को हमारे पादरी द्वारा क्रिसमस की आशाओं पर दिया गया प्रवचन नहीं सुन पाते। उनके प्रवचन की एक बात ने विशेष रीति से मेरा ध्यान आकर्षित किया जब उन्होंने कहा, "यदि क्रिसमस से हमारी अपेक्षाएँ केवल उपहारों और परिवार जनों के साथ समय बिताने की ही हैं, तो हमारी अपेक्षाएँ बहुत छोटी हैं। ये बातें आनन्द देती हैं और इनके लिए हमें धन्यवादी होना चाहिए, लेकिन क्रिसमस प्रभु यीशु के जन्म का ही नहीं वरन उनमें होकर मिलने वाले छुटकारे का भी उत्सव है।"
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के जन्म का उत्सव मनाने वाले लोगों में हम दो लोगों, शमौन और हन्नाह को पाते हैं जिन्होंने प्रभु यीशु के जन्म के साथ उसके द्वारा मिलने वाले उद्धार का भी आनन्द मनाया, जब यूसुफ और मरियम प्रभु यीशु को मन्दिर में लेकर आए (लूका 2:25-38)। शमौन से परमेश्वर के आत्मा ने वायदा किया था कि वह मसीहा को देखे बिना नहीं मरेगा, इसलिए उसने प्रभु यीशु को देखकर कहा, "हे स्वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्ति से विदा करता है। क्योंकि मेरी आंखो ने तेरे उद्धार को देख लिया है" (लूका 2:29-30)। जब हन्नाह ने, जो एक विधवा थी और मन्दिर में रहकर परमेश्वर की सेवा किया करती थी, प्रभु यीशु को देखा तो वह "...प्रभु का धन्यवाद करने लगी, और उन सभों से, जो यरूशलेम के छुटकारे की बाट जोहते थे, उसके विषय में बातें करने लगी" (लूका 2:38)।
संभव है कि किसी बात या परिस्थिति के कारण हमें इस त्यौहार के समय में निराशाओं और दुखों का सामना करना पड़े, लेकिन प्रभु यीशु और उसमें सेंत-मेंत मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार हमें सदा ही उत्सव मनाने का कारण देते हैं। - ऐनी सेटास
यीशु सदा ही उत्सव मनाते रहने का कारण है।
और उसका पिता और उस की माता इन बातों से जो उसके विषय में कही जाती थीं, आश्चर्य करते थे। - लूका 2:33
बाइबल पाठ: लूका 2:36-38
Luke 2:36 और अशेर के गोत्र में से हन्नाह नाम फनूएल की बेटी एक भविष्यद्वक्तिन थी: वह बहुत बूढ़ी थी, और ब्याह होने के बाद सात वर्ष अपने पति के साथ रह पाई थी।
Luke 2:37 वह चौरासी वर्ष से विधवा थी: और मन्दिर को नहीं छोड़ती थी पर उपवास और प्रार्थना कर कर के रात-दिन उपासना किया करती थी।
Luke 2:38 और वह उस घड़ी वहां आकर प्रभु का धन्यवाद करने लगी, और उन सभों से, जो यरूशलेम के छुटकारे की बाट जोहते थे, उसके विषय में बातें करने लगी।
एक साल में बाइबल:
- अमोस 1-3
- प्रकाशितवाक्य 6
बहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रभु यीशु की कृपा सब पर बनी रही। .
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें