ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 26 जुलाई 2016

काम


   हम ट्रेन द्वारा पश्चिमी मिशिगन के तट के समीप से होकर यात्रा कर रहे थे; बसन्त ऋतु ग्रीष्म ऋतु में परिवर्तित ही हुई थी, और खेतों में फसलें पक कर तैयार हो रही थीं। उस इलाके की उपजाऊ भूमि पर हम एक के बाद एक भिन्न फसलों के लहलहाते खेतों को देख रहे थे; कहीं स्ट्रॉबेरी तैयार थी और प्रातः की ओस में झुककर लोग उस रसभरे फल को एकत्रित कर रहे थे, तो कहीं ब्लूबेरी की झाड़ियाँ के खेत आसमान से धूप और ज़मीन से पोषक तत्व सोखते हुए तैयार खड़े थे।

   एक के बाद एक तैयार होती हुई फसलों के खेतों से होकर निकलते हुए हम ज़ंग लगी त्यागी हुई धातु के बड़े से ढेर के पास से निकले। पृथ्वी पर उग रही फसल की उस हरियाली की तुलना में ज़मीन पर पड़ी नारंगी रंग का धातु का वह ढेर एक कठोर छवि प्रस्तुत कर रहा था। परमेश्वर द्वारा उत्पन्न करी गई फसल और मनुष्य द्वारा उत्पन्न किए गए उस धातु के ढेर के बीच एक तीव्र विषमता थी; मनुष्य द्वारा बनाई गई वह धातु किसी काम की नहीं थी, परमेश्वर द्वारा बनाए गए वे फल मनुष्यों के पोषण पाने और भूख मिटाने के लिए थे।

   फसल के फलों और धातु के बीच उस अन्तर से मुझे परमेश्वर द्वारा प्राचीन शहरों जैसे कि दमिश्क के विरुद्ध करी गई भविष्यवाणियाँ (यशायाह 17:1-11) स्मरण हो आईं, जहां लिखा है: "क्योंकि तू अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गया और अपनी दृढ़ चट्टान का स्मरण नहीं रखा; इस कारण चाहे तू मनभावने पौधे लगाए और विदेशी कलम जमाए, चाहे रोपने के दिन तू उनके चारों और बाड़ा बान्धे, और बिहान ही को उन में फूल खिलने लगें, तौभी सन्ताप और असाध्य दु:ख के दिन उसका फल नाश हो जायेगा" (यशायाह 17:10-11)। यह भविष्यवाणी आज हमें इस विचार के प्रति सचेत करती है कि हम परमेश्वर के बिना अपनी ही सामर्थ से कुछ काम कर तो सकते हैं, किंतु यदि परमेश्वर का मार्गदर्शन और उसकी इच्छा उस काम में नहीं है तो हमारे हाथों और इच्छाओं का वह काम शीघ्र ही नाश का ढेर बन जाएगा। लेकिन जब हम परमेश्वर के साथ मिलकर उसके काम में मेहनत करते हैं तो परमेश्वर हमारी मेहनत को बहुत फलदायक करता है और उस काम को अनेकों के लिए तृप्ति और पोषण का माध्यम बना देता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


प्रभु यीशु ने कहा: "मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।" (यूहन्ना 15:5)

तुम ने दुष्टता के लिये हल जोता और अन्याय का खेत काटा है; और तुम ने धोखे का फल खाया है। और यह इसलिये हुआ क्योंकि तुम ने अपने कुव्यवहार पर, और अपने बहुत से वीरों पर भरोसा रखा था। - होशै 10:13

बाइबल पाठ: यशायाह 17:1-11
Isaiah 17:1 दमिश्क के विषय भारी भविष्यवाणी। देखो, दमिश्क नगर न रहेगा, वह खंडहर ही खंडहर हो जाएगा। 
Isaiah 17:2 अरोएर के नगर निर्जन हो जाएंगे, वे पशुओं के झुण्ड़ों की चराई बनेंगे; पशु उन में बैठेंगे और उनका कोई भगाने वाला न होगा। 
Isaiah 17:3 एप्रैम के गढ़ वाले नगर, और दमिश्क का राज्य और बचे हुए अरामी, तीनों भविष्य में न रहेंगे; और जो दशा इस्राएलियों के वैभव की हुई वही उनकी होगी; सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
Isaiah 17:4 और उस समय याकूब का वैभव घट जाएगा, और उसकी मोटी देह दुबली हो जाएगी। 
Isaiah 17:5 और ऐसा होगा जैसा लवने वाला अनाज काट कर बालों को अपनी अंकवार में समेटे वा रपाईम नाम तराई में कोई सिला बीनता हो। 
Isaiah 17:6 तौभी जैसे जलपाई वृक्ष के झाड़ते समय कुछ फल रह जाते हैं, अर्थात फुनगी पर दो-तीन फल, और फलवन्त डालियों में कहीं कहीं चार-पांच फल रह जाते हैं, वैसे ही उन में सिला बिनाई होगी, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।
Isaiah 17:7 उस समय मनुष्य अपने कर्ता की ओर दृष्टि करेगा, और उसकी आंखें इस्राएल के पवित्र की ओर लगी रहेंगी; 
Isaiah 17:8 वह अपनी बनाई हुई वेदियों की ओर दृष्टि न करेगा, और न अपनी बनाई हुई अशेरा नाम मूरतों वा सूर्य की प्रतिमाओं की ओर देखेगा। 
Isaiah 17:9 उस समय उनके गढ़ वाले नगर घने वन, और उनके निर्जन स्थान पहाड़ों की चोटियों के समान होंगे जो इस्राएलियों के डर के मारे छोड़ दिए गए थे, और वे उजाड़ पड़े रहेंगे।
Isaiah 17:10 क्योंकि तू अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गया और अपनी दृढ़ चट्टान का स्मरण नहीं रखा; इस कारण चाहे तू मनभावने पौधे लगाए और विदेशी कलम जमाए, 
Isaiah 17:11 चाहे रोपने के दिन तू उनके चारों और बाड़ा बान्धे, और बिहान ही को उन में फूल खिलने लगें, तौभी सन्ताप और असाध्य दु:ख के दिन उसका फल नाश हो जायेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 40-42
  • प्रेरितों 27:1-26



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें