जब जीवन में त्रासदी आती है, तो उसके साथ साथा मन में प्रश्न भी आते हैं। किसी करीबी प्रीय जन को खो देने पर हम परमेश्वर से भी अनेकों तीखे प्रश्न कर सकते हैं, जैसे कि "आप ने ऐसा क्यों होने दिया?"; "यह किसका दोष था?"; "क्या आपको मेरे दुःख की कोई चिन्ता नहीं है?" इत्यादि। मेरा विश्वास कीजिए, मैं एक ऐसा पिता हूँ जिसने अपनी पुत्री को उसकी किशोरावस्था में अचानक घटी एक दुर्घटना में खोया है, और मैंने भी अपने शोक में ऐसे ही कई प्रश्न परमेश्वर से किए हैं।
परमेश्वर के वचन बाइबल में अय्युब की पुस्तक में भी ऐसे ही कई प्रश्न दर्ज हैं; वे प्रश्न जो अय्युब ने अपने दुःखों और त्रासदी के समय में अपने मित्रों के साथ बैठकर शोक करने के समय में परमेश्वर से पूछे थे। अय्युब ने अचानक आ पड़ने वाली त्रासदी में ना केवल अपना परिवार खोया था, वरन अपनी सेहत और अपनी संपदा भी गँवा दी थी। एक समय अय्युब प्रश्न करता है, "दु:खियों को उजियाला, और उदास मन वालों को जीवन क्यों दिया जाता है?" (अय्युब 3:20)। थोड़ा आगे चलकर अय्युब पूछता है, "मुझ में बल ही क्या है कि मैं आशा रखूं? और मेरा अन्त ही क्या होगा, कि मैं धीरज धरूं?" (अय्युब 6:11); और फिर अय्युब परमेश्वर से कहता है "क्या तुझे अन्धेर करना, और दुष्टों की युक्ति को सफल कर के अपने हाथों के बनाए हुए को निकम्मा जानना भला लगता है?" (अय्युब 10:3)। संसार में अनेकों लोग हैं जिन्होंने असमय और अनायास चले गए किसी प्रीय जन की कब्र पर खड़े होकर अय्युब के प्रश्नों के समान ही प्रश्न उठाए हैं।
लेकिन अय्युब की पुस्तक के अन्त के अध्याय चौंका देने वाले हैं। उन अन्तिम अध्यायों में (अय्युब 38-41) हम पाते हैं कि परमेश्वर ने अय्युब के प्रश्नों का उत्तर दिया; लेकिन परमेश्वर का उत्तर अप्रत्याशित था। उसकी दुःखदायी परिस्थितियों के लिए परमेश्वर ने अय्युब को कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया, वरन पासा पलटते हुए परमेश्वर ने अय्युब से ही प्रश्न पूछने आरंभ कर दिए - ऐसे प्रश्न जो परमेश्वर की बुद्धिमता और सार्वभौमिकता की ओर ध्यान ले जाते हैं। प्रश्न जो पृथ्वी, सितारों और समुद्र आदि में विदित उसकी अद्भुत कारिगरी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। परमेश्वर के सभी प्रश्न केवल एक ही बात की ओर इशारा करते हैं - परमेश्वर सार्वभौम एवं सर्वशक्तिमान है, सब बातों को जानता है, सब बातों और परिस्थितियों पर अधिकार रखता है और सदा ही उन्हें नियंत्रित करता है।
जब कभी विपरीत परिस्थितियों के कारण हमारे मनों में ऐसे प्रश्न उठें, तो हम मसीही विश्वासियों को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारा परमेश्वर एक प्रेमी पिता है, सदा हमारा भला ही चाहता है, सर्वज्ञानी है और जानता है कि वह क्या कर रहा है। - डेव ब्रैनन
प्रत्येक शोक में हमारी सबसे बड़ी सांत्वना का कारण
यह समझ रखना है कि सब बातें परमेश्वर ही के नियंत्रण में हैं।
चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन 46:10
बाइबल पाठ: अय्युब 38:1-11
Job 38:1 तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यूं उत्तर दिया,
Job 38:2 यह कौन है जो अज्ञानता की बातें कहकर युक्ति को बिगाड़ना चाहता है?
Job 38:3 पुरुष की नाईं अपनी कमर बान्ध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे उत्तर दे।
Job 38:4 जब मैं ने पृथ्वी की नेव डाली, तब तू कहां था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे।
Job 38:5 उसकी नाप किस ने ठहराई, क्या तू जानता है उस पर किस ने सूत खींचा?
Job 38:6 उसकी नेव कौन सी वस्तु पर रखी गई, वा किस ने उसके कोने का पत्थर बिठाया,
Job 38:7 जब कि भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?
Job 38:8 फिर जब समुद्र ऐसा फूट निकला मानों वह गर्भ से फूट निकला, तब किस ने द्वार मूंदकर उसको रोक दिया;
Job 38:9 जब कि मैं ने उसको बादल पहिनाया और घोर अन्धकार में लपेट दिया,
Job 38:10 और उसके लिये सिवाना बान्धा और यह कहकर बेंड़े और किवाड़े लगा दिए, कि
Job 38:11 यहीं तक आ, और आगे न बढ़, और तेरी उमंडने वाली लहरें यहीं थम जाएं?
एक साल में बाइबल:
- अय्यूब 38-40
- प्रेरितों 16:1-21
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