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रविवार, 29 नवंबर 2020

समय

 

         कुछ समय पहले की बात है कि मैं अपने बेटे के, जो हमारे घर से लगभग तीन घंटे की यात्रा की दूरी पर रहता था, घर पर चल रहे कुछ निर्माण के काम में लगा हुआ था। उस कार्य को पूरा होने में अनुमान से अधिक दिन लग रहे थे। प्रति प्रातः हम प्रार्थना करते कि आज यह निर्माण कार्य पूर्ण हो जाए, और प्रति संध्या हमें पता चलता कि अभी कुछ और करना शेष है, जिसके लिए अगले दिन फिर से लगना पड़ेगा।

         मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है; क्या इसके पीछे कोई कारण था? अगली ही प्रातः हमें उत्तर मिल गया। मैं एक औज़ार को उठा रहा था कि फोन की घंटी बजी और किसी अजनबी की आवाज़ ने हमें बहुत व्याकुलता से बताया कि हमारी बेटी एक कार दुर्घटना में घायल हो गई है और हमें तुरंत उसके पास पहुँचने की आवश्यकता है।

         क्योंकि वह हमारे बेटे के घर के पास ही रहती थी, इसलिए हमें उसके पास पहुंचने में केवल चौदह मिनिट ही लगे। यदि मैं अपने घर पर होता, तो मुझे कम से कम तीन घंटे लगते। मैं उसे अस्पताल ले जाने वाली एम्बुलेंस के पीछे पीछे अस्पताल तक गया, और उसके आपरेशन से पहले उसे सांत्वना दी, उसकी हिम्मत बढ़ाई। मैं अस्पताल में जब उसके साथ बैठा हुआ था, तो मुझे एहसास हुआ कि यदि बेटे के घर की निर्माण परियोजना में विलम्ब नहीं होते, तो मैं उसके पास उपस्थित नहीं हो पाता।

         हमारे जीवन का हर पल परमेश्वर का है। यह अनुभव उस स्त्री का था जिसके पुत्र को एलिशा भविष्यद्वक्ता के द्वारा परमेश्वर ने फिर से जिलाया था (2 राजाओं 4:18-37)। अकाल के कारण वह देश छोड़ कर चली गई और फिर वर्षों के बाद लौट कर वापस आई, तथा राजा के पास गई कि उसकी भूमि उसे लौटा दी जाए। ठीक उसी समय जब वह आई, राजा भविष्यद्वक्ता के सेवक गहेज़ी के साथ वार्तालाप कर रहा था, और गहेज़ी राजा को बता रहा था कि कैसे एलिशा ने उसके पुत्र को फिर से जिला उठाया था, और वही स्त्री वहाँ तभी राजा के समक्ष आ खड़ी हुई (8:5)। राजा ने तुरंत उसके आग्रह को स्वीकार कर लिया, उसकी भूमि उसे लौटा दी।

         हम समय के बारे में कुछ नहीं जानते हैं; हमें नहीं पता है कि अगला ही पल क्या ले कर आएगा। परन्तु परमेश्वर प्रत्येक बात, प्रत्येक परिस्थिति को भलाई के लिए प्रयोग कर सकता है। परमेश्वर हमें अनुग्रह प्रदान करे कि हम अपने जीवन के समय उसके हाथों में रखे रहें और उसकी योजनाओं तथा कार्यों को उसके समय एवं इच्छा के अनुसार निभाते रहें। - जेम्स बैंक्स

 

हमारे जीवन, हमारे अपने हाथों की बजाए, परमेश्वर के हाथों में अधिक सुरक्षित हैं।


इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्चय है, कि वह मेरी धरोहर की उस दिन तक रखवाली कर सकता है। - 2 तीमुथियुस 1:12

बाइबल पाठ: 2 राजाओं 8:1-6

2 राजा 8:1 जिस स्त्री के बेटे को एलिशा ने जिलाया था, उस से उसने कहा था कि अपने घराने समेत यहां से जा कर जहां कहीं तू रह सके वहां रह; क्योंकि यहोवा की इच्छा है कि अकाल पड़े, और वह इस देश में सात वर्ष तक बना रहेगा।

2 राजा 8:2 परमेश्वर के भक्त के इस वचन के अनुसार वह स्त्री अपने घराने समेत पलिश्तियों के देश में जा कर सात वर्ष रही।

2 राजा 8:3 सात वर्ष के बीतने पर वह पलिश्तियों के देश से लौट आई, और अपने घर और भूमि के लिये दोहाई देने को राजा के पास गई।

2 राजा 8:4 राजा परमेश्वर के भक्त के सेवक गहेज़ी से बातें कर रहा था, और उसने कहा कि जो बड़े बड़े काम एलिशा ने किए हैं उन्हें मुझ से वर्णन कर।

2 राजा 8:5 जब वह राजा से यह वर्णन कर ही रहा था कि एलिशा ने एक मुर्दे को जिलाया, तब जिस स्त्री के बेटे को उसने जिलाया था वही आकर अपने घर और भूमि के लिये दोहाई देने लगी। तब गहेज़ी ने कहा, हे मेरे प्रभु! हे राजा! यह वही स्त्री है और यही उसका बेटा है जिसे एलिशा ने जिलाया था।

2 राजा 8:6 जब राजा ने स्त्री से पूछा, तब उसने उस से सब कह दिया। तब राजा ने एक हाकिम को यह कह कर उसके साथ कर दिया कि जो कुछ इसका था वरन जब से इस ने देश को छोड़ दिया तब से इसके खेत की जितनी आमदनी अब तक हुई हो सब इसे फेर दे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यहेजकेल 35-36
  • 2 पतरस 1

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर।
    गुरु नानक देव जयन्ती
    और कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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