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गुरुवार, 11 नवंबर 2021

मसीही सेवकाई में पवित्र आत्मा की भूमिका - 11


मसीही सेवकाई में पवित्र आत्मा का प्रमाण - यूहन्ना 16:8.

हम देख चुके हैं कि मसीही सेवकाई के निर्वाह के लिए मसीही विश्वासी के जीवन में परमेश्वर पवित्र आत्मा की उपस्थिति कितनी आवश्यक है, सहायक के रूप में पवित्र आत्मा की भूमिका मसीही सेवकाई के लिए अनिवार्य है, और बिना उसमें परमेश्वर पवित्र आत्मा की उपस्थिति के कोई यीशु को प्रभु भी नहीं कह सकता है (1 कुरिन्थियों 12:3)। इसीलिए स्वयं प्रभु परमेश्वर अपने प्रत्येक सच्चे विश्वासी, अपने प्रत्येक वास्तविक शिष्य को स्वतः ही, उसके उद्धार पाने के साथ ही तुरंत ही पवित्र आत्मा भी प्रदान कर देता है। प्रभु के किसी भी वास्तविक शिष्य को पवित्र आत्मा प्राप्त करने के लिए न तो किसी मनुष्य की किसी सहायता की आवश्यकता है, और न ही वह मनुष्यों के द्वारा बताई अथवा बनाई गई किसी विधि या अनुष्ठान आदि के द्वारा पवित्र आत्मा को प्राप्त कर सकता है। 

किन्तु साथ ही प्रत्येक जन, विश्वासी अथवा अविश्वासी, को यह भी समझ लेना चाहिए कि पवित्र आत्मा परमेश्वर है। वह हमारा सहायक अवश्य है, किन्तु न हमारा सेवक है, न हमारे हाथों की कठपुतली है जिसके साथ और जिसके नाम में मनुष्य अपनी इच्छा और समझ के अनुसार कुछ भी कहते और करते रहें। परमेश्वर पवित्र आत्मा को भी हमें वही आदर और श्रद्धा प्रदान करनी है जो पिता परमेश्वर को, प्रभु यीशु को, और उनके नाम के प्रयोग को देते हैं। हमें पवित्र आत्मा के नाम से अपनी समझ और इच्छा के अनुसार कुछ भी, कैसा भी बर्ताव, बात, और व्यवहार करने की स्वतंत्रता नहीं दी गई है। जैसा व्यवहार परमेश्वर पिता तथा परमेश्वर पुत्र के प्रति आवश्यक एवं उचित है, बिलकुल वैसा ही परमेश्वर पवित्र आत्मा के लिए भी है। इसलिए वचन में कही गई और पहले से लिखवा दी गई बातों के अतिरिक्त परमेश्वर या पवित्र आत्मा के नाम से अन्य जो कुछ भी किया, बताया, और सिखाया जाता है, वह परमेश्वर की ओर से नहीं है; वह सब मनुष्य द्वारा वचन में जोड़ना है - जो परमेश्वर द्वारा वर्जित किया गया है। वचन के बाहर की बातों को परमेश्वर पवित्र आत्मा पर थोप कर उनके नाम में विचित्र हाव-भाव एवं अनुचित व्यवहार करना और सिखाना, लोगों को ऐसी शिक्षाएं देना जिनका वचन में कोई समर्थन, उल्लेख, या उदाहरण नहीं है, वह सब परमेश्वर के वचन और बातों में मिलावट करना है, अस्वीकार्य है, दण्डनीय है।

व्यक्तिगत जीवन में पवित्र आत्मा की भूमिका से संबंधित बातों को अपने शिष्यों को बताने के बाद, प्रभु यीशु ने उनकी सुसमाचार प्रचार और मसीही सेवकाई से संबंधित बातों में परमेश्वर पवित्र आत्मा की भूमिका को बताना आरंभ किया। इस सेवकाई में पवित्र आत्मा की भूमिका से संबंधित जो पहली शिक्षा प्रभु ने शिष्यों को दी, वह है, “और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरुत्तर करेगा” (यूहन्ना 16:8) प्रभु के इस कथन को समझने के लिए प्रभु द्वारा यूहन्ना 14 अध्याय में प्रभु द्वारा कही गई इस बात को ध्यान रखना अति आवश्यक है, कि परमेश्वर पवित्र आत्मा ने मसीही विश्वासियों में होकर ही अपनी सामर्थ्य को प्रकट करना था, उनमें होकर ही संसार के समक्ष कार्य करना था। क्योंकि प्रभु के इस कथन में यह निहित है कि परमेश्वर पवित्र आत्मा, मसीही विश्वासियों में होकर इस कार्य को करेगा; इसलिए यह स्वाभाविक निष्कर्ष है कि जो भी मसीही संसार से यूहन्ना 16:8 की बातों के बारे में बात करे, परमेश्वर के नाम से लोगों के सामने इन बातों का प्रचार करे, तो उसका अपना जीवन भी पाप, धार्मिकता, और न्याय के विषय में परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुरूप हो। अन्यथा उस मसीही का प्रचार और गवाही झूठी ठहरेगी, अप्रभावी होगी, उसके अपने तथा साथ ही परमेश्वर के भी उपहास और निन्दा का कारण ठहरेगी। यह बात एक बार फिर मसीही विश्वासी के जीवन में पहले पवित्र आत्मा की भूमिका और कार्य (यूहन्ना 14) द्वारा उचित सुधार और सही व्यवहार कर लेने, और तब सार्वजनिक सेवकाई (यूहन्ना 16) का निर्वाह करने की अनिवार्यता पर बल देता है, उसके महत्व को प्रमुख करता है।

आज मसीही विश्वास के प्रति लोगों के अविश्वास, लोगों की आलोचना, और संसार द्वारा मसीहियों से दुर्व्यवहार का एक बहुत बड़ा कारण मसीही या ईसाई कहलाने वाले लोगों के जीवनों में व्याप्त यही दोगलापन - उनके प्रचार और व्यक्तिगत व्यवहार में विद्यमान एवं सर्व-विदित भिन्नता है। वे संसार से जिस बात, बर्ताव, और व्यवहार का निर्वाह करने का प्रचार करते हैं, वह उनके अपने जीवनों में लोगों को दिखाई नहीं देता है। पवित्र आत्मा की जिस जीवन और मन बदलने वाली सामर्थ्य के बारे में लोगों को बताकर उन्हें प्रभु यीशु की ओर आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं, व्यक्ति के विचार और व्यवहार बदलने वाली वह सामर्थ्य उनके स्वयं के जीवन में लोगों को दिखाई नहीं देती है। आज संसार के लोगों को मसीही या विश्वासी कहलाए जाने वाले बहुत से लोगों में पवित्र आत्मा के नाम से बहुत शोर-शराबा, उछल-कूद, विचित्र व्यवहार और शारीरिक क्रियाएं तथा हाव-भाव, शारीरिक चंगाइयों के दावे आदि तो दिखते हैं; किन्तु सांसारिकता और संसार की बातों तथा वस्तुओं के मोह को त्याग कर प्रभु की आज्ञाकारिता में जिया जाने वाला विनम्र, प्रेमपूर्ण, आत्मा के फलों से भरा व्यावहारिक जीवन दिखाई नहीं देता है। वरन, विडंबना तो यह है कि लोगों ने पवित्र आत्मा के नाम और काम को व्यक्तिगत कमाई का साधन बना लिया है; पवित्र आत्मा के नाम पर सांसारिक धन-संपत्ति, ज़मीन-जायदाद, विलासिता की बातों से भरे महल बना लिए हैं। फिर भी लोग ऐसे भ्रामक प्रचारकों के पीछे भागते हैं, उनकी बातों को बिना जाँचे-परखे ऐसे स्वीकार करते हैं, मानों स्वयं परमेश्वर बोल रहा हो। यदि उन ढोंगी प्रचारकों के ढोंग को लोगों के सामने लाने के प्रयास किए जाएं, तो प्रतिक्रिया अपमान और क्रोध होता है यद्यपि उन प्रचारकों के जीवनों और कार्यों में वचन से संगत और उचित कुछ भी देख पाना लगभग असंभव होता है; और उनके प्रचार में वचन की बातों को संदर्भ से बाहर लेकर, तोड़-मरोड़ कर, उनकी अपनी ही धारणाओं के अनुसार प्रस्तुत किया जाता है। उनकी शिक्षाएं पापों की क्षमा, उद्धार, और आत्मिक उत्थान की बजाए भौतिक लाभ, शारीरिक बातों, सांसारिक उपलब्धियों आदि की प्राप्ति से संबंधित होती हैं; फिर भी लोग अंधे और निर्बुद्धि होकर प्रभु और उसके वचन का नहीं परंतु उन सांसारिक प्रचारकों का और उनकी गलत शिक्षाओं का बड़ी लगन और आदर के साथ अनुसरण करते हैं। 

प्रभु ने कहा कि परमेश्वर पवित्र आत्मा आकर संसार कोनिरुत्तरकरेगा। मूल यूनानी भाषा के जिस शब्द का हिन्दी अनुवादनिरुत्तरकिया गया, मूल भाषा का उसका अर्थ हैडाँट लगाएगा”, याउलाहना देगा; और अँग्रेज़ी में इस शब्द का अनुवाद convict अर्थात दोषी ठहराना किया गया है, जो मूल यूनानी भाषा के अर्थ के साथ अधिक मेल रखता है। जिन बातों के विषय वह ऐसा करेगा, उनके बारे में आगे पद 8 से 11 में और विस्तार से लिखा गया है, और उन्हें हम उन पदों के अध्ययन के साथ ही देखेंगे। किन्तु यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि परमेश्वर पवित्र आत्मा, मसीही विश्वासियों में निवास एवं उनमें होकर कार्य करने के द्वारामसीही विश्वासियों के जीवन, व्यवहार और बर्ताव, उनके जीवन में आए परिवर्तनों के द्वारा संसार के लोगों को उनके जीवन, उनके व्यवहार और बर्ताव, उनके अपरिवर्तित जीवनों के लिए दोषी ठहराएगा। 

यदि आप सच में मसीही विश्वासी हैं, वास्तविकता में प्रभु यीशु मसीह के शिष्य हैं, तो क्या आप में निवास करने वाला पवित्र आत्मा, आपके व्यवहार, बर्ताव, और बदले हुए जीवन के द्वारा, संसार के लोगों को उनके जीवन और व्यवहार के लिए दोषी ठहराता है? क्या आपके जीवन के साथ अपने जीवन की तुलना करने पर वे परमेश्वर की बातों और कार्यों को आपके जीवन में विद्यमान, और अपने जीवन से अनुपस्थित देखने या समझने पाते हैं? क्या आपकी उपस्थिति में लोग छिछोरी बातें और भद्दे मज़ाक करने, सांसारिकता की व्यर्थ बातें करने से हिचकिचाते हैं? या फिर संसार के लोग आप में भी वही बातें, विचार, व्यवहार, और बर्ताव देखते हैं जो उनमें विद्यमान है? क्या आपके मसीही विश्वासी होने के नाते, परमेश्वर पवित्र आत्मा आप में होकर यूहन्ना 16:8 की बात को पूरा करने पाता है? यदि नहीं, तो मसीही सेवकाई में हाथ डालने से पहले, अभी आप को पहले अपने आप में वह आवश्यक परिवर्तन करने और व्यक्तिगत जीवन में पवित्र आत्मा की उपस्थिति प्रमाणित करने वाले कार्य दिखाने अनिवार्य हैं, जो पवित्र आत्मा को आप में होकर संसार के समक्ष सार्वजनिक मसीही सेवकाई के कार्य करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो थोड़ा थम कर विचार कीजिए, क्या मसीही विश्वास के अतिरिक्त आपको कहीं और यह अद्भुत और विलक्षण आशीषों से भरा सौभाग्य प्राप्त होगा, कि स्वयं परमेश्वर आप में आ कर सर्वदा के लिए निवास करे; आपको अपना वचन सिखाए; और आपको शैतान की युक्तियों और हमलों से सुरक्षित रखने के सभी प्रयोजन करके दे? और फिर, आप में होकर अपने आप को औरों पर प्रकट करे, तथा पाप में भटके लोगों को उद्धार और अनन्त जीवन प्रदान करने के अपने अद्भुत कार्य करे, जिससे अंततः आपको ही अपनी ईश्वरीय आशीषों से भर सके? इसलिए अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। स्वेच्छा और सच्चे मन से अपने पापों के लिए पश्चाताप करके, उनके लिए प्रभु से क्षमा माँगकर, अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आप अपने पापों के अंगीकार और पश्चाताप करके, प्रभु यीशु से समर्पण की प्रार्थना कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए मेरे सभी पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।प्रभु की शिष्यता तथा मन परिवर्तन के लिए सच्चे पश्चाताप और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।


एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • यिर्मयाह 50 
  • इब्रानियों 8

गुरुवार, 17 जून 2021

स्वरूप


          मेरी एक सहेली, और मेरी परामर्शदाता ने एक कागज़ पर मानव आकृति का रेखा चित्र बनाया, और कहा कि यह हमारा “व्यक्तिगत” या भीतरी स्वरूप है। फिर उसने उस रेखा चित्र से लगभग आधा इंच बाहर उसी रेखा चित्र के समानान्तर एक और रेखा चित्र बना दिया, और उसे कहा कि यह हमारा “प्रकट” या दिखाने का स्वरूप है। और फिर मुझ से कहा कि इन दोनों चित्रों के मध्य की दूरी हमारी ईमानदारी को दिखाती है। मैं उसकी इस शिक्षा पर विचार करने लगी; मेरे मन में प्रश्न उठा, क्या मैं अपने सार्वजनिक स्वरूप में वही व्यक्ति हूँ, जो व्यक्तिगत स्वरूप में हूँ?

          परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने कोरिन्थ के मसीही विश्वासियों की मण्डली को पत्रियाँ लिखीं, जिनके द्वारा उसने प्रेम और अनुशासन को मिश्रित करते हुए, उन्हें प्रभु यीशु मसीह के समान होने की सलाह दी। उन्हें लिखी गई अपनी दूसरी पत्री के अन्त की ओर आते समय उसने उस पर उन दोष लगाने वालों को चुनौती दी; उन पर जो उसकी ईमानदारी पर उंगली उठाते थे, और कहते थे कि वह पत्री लिखने में तो साहसी है, किन्तु व्यक्तिगत स्वरूप में निर्बल है (2 कुरिन्थियों 10:10)।

          ये आलोचक वे लोग थे जो भाषण देने को व्यवसाय के रूप में प्रयोग करते थे, और अपने श्रोताओं से पैसे कमाते थे। जबकि, उनकी तुलना में, यद्यपि पौलुस बहुत शिक्षित व्यक्ति थी, किन्तु बहुत साधारण और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहता था। पौलुस ने अपनी पहली पत्री में उन्हें लिखा था,और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं; परन्तु आत्मा और सामर्थ्य का प्रमाण था” (1 कुरिन्थियों 2:4)। उसने अपनी दूसरी पत्री में अपनी ईमानदारी के विषय लिखा,सो जो ऐसा कहता है, वह यह समझ रखे, कि जैसे पीठ पीछे पत्रियों में हमारे वचन हैं, वैसे ही तुम्हारे सामने हमारे काम भी होंगे” (2 कुरिन्थियों 10:11)।

          पौलुस ने अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वरूप को एक समान बनाकर रखा और दिखाया। क्या हम भी उसके समान हैं? – एलिसा मॉर्गन

 

हे प्रभु मैं आपके सामने अपने व्यक्तिगत स्वरूप में 

और संसार के सामने सार्वजनिक स्वरूप में भिन्न न रहूं।


तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं। - 1 कुरिन्थियों 11:1

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 10:1-11

2 कुरिन्थियों 10:1 मैं वही पौलुस जो तुम्हारे सामने दीन हूं, परन्तु पीठ पीछे तुम्हारी ओर साहस करता हूं; तुम को मसीह की नम्रता, और कोमलता के कारण समझाता हूं।

2 कुरिन्थियों 10:2 मैं यह बिनती करता हूं, कि तुम्हारे सामने मुझे निर्भय हो कर साहस करना न पड़े; जैसा मैं कितनों पर जो हम को शरीर के अनुसार चलने वाले समझते हैं, वीरता दिखाने का विचार करता हूं।

2 कुरिन्थियों 10:3 क्योंकि यद्यपि हम शरीर में चलते फिरते हैं, तौभी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते।

2 कुरिन्थियों 10:4 क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं।

2 कुरिन्थियों 10:5 सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहचान के विरोध में उठती है, खण्डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद कर के मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं।

2 कुरिन्थियों 10:6 और तैयार रहते हैं कि जब तुम्हारा आज्ञा मानना पूरा हो जाए, तो हर एक प्रकार के आज्ञा न मानने का पलटा लें।

2 कुरिन्थियों 10:7 तुम इन्हीं बातों को देखते हो, जो आंखों के सामने हैं, यदि किसी का अपने पर यह भरोसा हो, कि मैं मसीह का हूं, तो वह यह भी जान ले, कि जैसा वह मसीह का है, वैसे ही हम भी हैं।

2 कुरिन्थियों 10:8 क्योंकि यदि मैं उस अधिकार के विषय में और भी घमण्ड दिखाऊं, जो प्रभु ने तुम्हारे बिगाड़ने के लिये नहीं पर बनाने के लिये हमें दिया है, तो लज्जित न हूंगा।

2 कुरिन्थियों 10:9 यह मैं इसलिये कहता हूं, कि पत्रियों के द्वारा तुम्हें डराने वाला न ठहरूं।

2 कुरिन्थियों 10:10 क्योंकि कहते हैं, कि उस की पत्रियां तो गम्भीर और प्रभावशाली हैं; परन्तु जब देखते हैं, तो वह देह का निर्बल और वक्तव्य में हल्का जान पड़ता है।

2 कुरिन्थियों 10:11 सो जो ऐसा कहता है, वह यह समझ रखे, कि जैसे पीठ पीछे पत्रियों में हमारे वचन हैं, वैसे ही तुम्हारे सामने हमारे काम भी होंगे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • नहेम्याह 7-9
  • प्रेरितों 3


बुधवार, 9 जून 2021

प्रार्थना

 

          एबी उस समय हाई स्कूल की छात्रा थी, जब उसने और उसकी माँ ने एक वायु-यान दुर्घटना का समाचार सुना, जिसमें एक लड़का घायल होने से गंभीर हालत में था, जबकि उसके पिता और सौतेली माँ का उस दुर्घटना में निधन हो गया था। वे उन लोगों को नहीं जानते थे, लेकिन एबी की माँ ने कहा कि उन्हें उस लड़के के लिए प्रार्थनाएँ करनी चाहिएँ, और उन्होंने की भी।

          कुछ वर्षों के बाद, जब एक दिन जब एबी विश्वविद्यालय में अपनी कक्षा में आई तो एक लड़के ने उसे अपने साथ की सीट पर बैठने के लिए आमंत्रित किया, और एबी ने स्वीकार कर लिया। उस लड़के का नाम ऑस्टिन हैच था; वह वही लड़का था जिसके लिए एबी ने प्रार्थनाएँ की थीं। उन दोनों में मित्रता हुई और बढ़ती गई, और फिर 2018 में उनका विवाह हो गया। उनके विवाह से कुछ पहले एक साक्षात्कार में एबी ने कहा, “अब यह सोचना इतना विचित्र सा लगता है कि मैं अनजाने में ही अपने भावी पति के लिए प्रार्थनाएं कर रही थी।”

          हमारे लिए, बिना दूसरों के लिए प्रार्थना करने का समय निकाले, अपनी प्रार्थनाओं को अपनी ही व्यक्तिगत आवश्यकताओं और अपने निकट के लोगों के लिए ही सीमित रखना बहुत सरल होता है। किन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस ने इफिसुस के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में लिखा,और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और बिनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो, कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार बिनती किया करो” (इफिसियों 6:18); और 1 तिमुथियुस 2:1-2 हमें सभी के लिए प्रार्थना करने को कहता है, अधिकारियों के लिए भी।

          हम औरों के लिए भी प्रार्थनाएँ करें – उनके लिए भी जिन्हें हम नहीं जानते हैं। यह “एक दूसरे के भार उठाने” (गलातियों 6:2) का एक तरीका है। - डेव ब्रैनन

 

प्रभु परमेश्वर, मुझे औरों के लिए प्रार्थनाएँ करने वाला बनाएं।


अब मैं सब से पहिले यह उपदेश देता हूं, कि बिनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिये किए जाएं। राजाओं और सब ऊंचे पद वालों के निमित्त इसलिये कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गम्भीरता से जीवन बिताएं। - 1 तीमुथियुस 2:1-2

बाइबल पाठ: इफिसियों 6:16-20

इफिसियों 6:16 और उन सब के साथ विश्वास की ढाल ले कर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्‍ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको।

इफिसियों 6:17 और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, ले लो।

इफिसियों 6:18 और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और बिनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो, कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार बिनती किया करो।

इफिसियों 6:19 और मेरे लिये भी, कि मुझे बोलने के समय ऐसा प्रबल वचन दिया जाए, कि मैं हियाव से सुसमाचार का भेद बता सकूं जिस के लिये मैं जंजीर से जकड़ा हुआ राजदूत हूं।

इफिसियों 6:20 और यह भी कि मैं उस के विषय में जैसा मुझे चाहिए हियाव से बोलूं।

 

एक साल में बाइबल: 

  • इतिहास 32-33
  • यूहन्ना 18:19-40


बुधवार, 13 मार्च 2019

व्यक्तिगत



      लंडन की एक भीड़ से भरी हुई लोकल ट्रेन में, प्रातः के समय कार्यस्थल को  जाने वाले एक यात्री ने दूसरे के साथ धक्कामुक्की की और उसका अपमान किया क्योंकि वह उसके मार्ग में आ गया था। वह असंयम का एक खेदजनक पल था जिसका कोई समाधान नहीं था। किन्तु उसी दिन, कुछ समय के पश्चात अप्रत्याशित घटित हो गया। एक व्यवसायिक प्रबंधक ने अपने मित्रों को सोशल मीडिया के माध्यम से एक सन्देश प्रेषित किया – “ज़रा सोचकर बताओ आज नौकरी के लिए साक्षात्कार देने मेरे पास कौन पहुँचा होगा?” जब यह स्पष्टीकरण इंटरनैट पर आया तो सँसार भर में अनेकों लोग चौंके भी और मुस्कुराए भी। उस व्यक्ति का हाल सोचिए जो नौकरी के लिए साक्षात्कार देने पहुँचा और पाया कि जिसने साक्षात्कार के लिए उसका अभिवादन किया वह वही व्यक्ति था जिसे उसने प्रातः धक्का दिया था और उसका अपमान किया था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु मसीह में विश्वास लाने से पहले पौलुस, जो तब शाउल के नाम से जाना जाता था, इसी प्रकार एक ऐसे व्यक्ति से जा मिला जिसे देखने की उसे कतई आशा नहीं थी। शाउल प्रभु यीशु के अनुयायियों के विरुद्ध बहुत सक्रीय था, उन्हें पकड़ने और बन्दी बनाने के प्रयास में रहता था, और एक ऐसे ही कार्य के लिए जब वह दमिश्क के मार्ग पर था तो “चलते चलते जब वह दमिश्क के निकट पहुंचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति चमकी। और वह भूमि पर गिर पड़ा, और यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? उसने पूछा; हे प्रभु, तू कौन है? उसने कहा; मैं यीशु हूं; जिसे तू सताता है” (प्रेरितों 9:3-5)।

      इस घटना के वर्षों पहले प्रभु यीशु ने कहा था कि हम भूखे-प्यासों, परदेशीयों, और बंदियों आदि के साथ जैसा व्यवहार करते हैं वह प्रभु के प्रति हमारे रवैये को दिखाता है (मत्ती 25:40)। भला कौन यह सोचेगा कि जब सँसार का कोई व्यक्ति हम मसीही विश्वासियों का अपमान करता है, हमें सताता है, या जब हम परस्पर एक दूसरे की सहायता करते हैं या एक दूसरे को चोट पहुंचाते हैं, तो हमारा प्रभु जो हम में से प्रत्येक से प्रेम करता है, उस व्यवहार को अपने प्रति व्यक्तिगत लेता है। - मार्ट डीहान


जब हम एक दूसरे को सहायता अथवा दुःख देते हैं, यीशु उसे अपने प्रति व्यक्तिगत लेता है।

...मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया। - मत्ती 25:40

बाइबल पाठ: प्रेरितों 26:9-15
Acts 26:9 मैं ने भी समझा था कि यीशु नासरी के नाम के विरोध में मुझे बहुत कुछ करना चाहिए।
Acts 26:10 और मैं ने यरूशलेम में ऐसा ही किया; और महायाजकों से अधिकार पाकर बहुत से पवित्र लोगों को बन्‍दीगृह में डाल, और जब वे मार डाले जाते थे, तो मैं भी उन के विरोध में अपनी सम्मति देता था।
Acts 26:11 और हर आराधनालय में मैं उन्हें ताड़ना दिला दिलाकर यीशु की निन्‍दा करवाता था, यहां तक कि क्रोध के मारे ऐसा पागल हो गया, कि बाहर के नगरों में भी जा कर उन्हें सताता था।
Acts 26:12 इसी धुन में जब मैं महायाजकों से अधिकार और परवाना ले कर दमिश्क को जा रहा था।
Acts 26:13 तो हे राजा, मार्ग में दोपहर के समय मैं ने आकाश से सूर्य के तेज से भी बढ़कर एक ज्योति अपने और अपने साथ चलने वालों के चारों ओर चमकती हुई देखी।
Acts 26:14 और जब हम सब भूमि पर गिर पड़े, तो मैं ने इब्रानी भाषा में, मुझ से यह कहते हुए यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? पैने पर लात मारना तेरे लिये कठिन है।
Acts 26:15 मैं ने कहा, हे प्रभु तू कौन है? प्रभु ने कहा, मैं यीशु हूं: जिसे तू सताता है।

एक साल में बाइबल:  
  • व्यवस्थाविवरण 20-22
  • मरकुस 13:21-37