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बुधवार, 10 मई 2023

Miscellaneous Questions / कुछ प्रश्न - 9a - Physical Healing by Stripes (1) / कोड़े खाने द्वारा शारीरिक चंगाई (1)

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यीशु के मार/कोड़े खाने तथा यीशु के लहू द्वारा शारीरिक चंगाई - भाग 1


    प्रश्न: क्या प्रभु यीशु मसीह के मार/कोड़े खाने से, और लहू से हम शारीरिक रोगों से चंगाई प्राप्त करते हैं?

उत्तर:
    पवित्र शास्त्र की व्याख्या करते समय जो गलती सर्वाधिक तथा सामान्यतः की जाती है वह है बाइबल के किसी पद या खण्ड को, या पद के अंश को उसके संदर्भ के बाहर लेना; फिर उसे अपनी इच्छा या समझानुसार अर्थ प्रदान करना; और फिर उन गलत अर्थों को न केवल “परमेश्वर के सत्य’ समझकर मान लेना वरन उन्हें औरों को भी यही कहकर सिखानाचाहे वे अर्थ संदर्भ की आवश्यकता तथा बाइबल में उस बात या शब्दों के प्रयोग के अनुसार सही न भी होंजिससे कि फिर वे अवास्तविक एवं अस्वीकार्य हो जाते हैं। परमेश्वर का वचन बाइबल, 2 तिमुथियुस 2:15 में हमें सिखाता है कि “अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य (न कि मनुष्यों को) और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न करजो लज्ज़ित होने न पाए और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो; तथा ऐसे शिक्षकों के पीछे हो लेने के फंदे में पड़ने वाला न हो जो सही शिक्षा देने के स्थान पर लोगों को केवल वही सुनाते-सिखाते हैं जो कि वे लोग सुनना-सीखना चाहते हैं (2 तिमुथियुस 4:2-4)। शैतान द्वारा परमेश्वर के वचन के दुरूपयोग के षड़यंत्र में फंसने से बचने के लिए (वह तो इतना धूर्त है कि उसने प्रभु यीशु को भी इस फंदे में फंसाने का प्रयास किया – मत्ती 4:1-11), हम सभी को थिस्सलुनीकियों 5:21 “सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो का ध्यान रखना और उसका पालन करना चाहिएतथा बेरिया के मसीही विश्वासियों के समान होना चाहिए जिनकी बाइबल में इसलिए प्रशंसा हुई है क्योंकि वे पहले सभी शिक्षाओं को पवित्र शास्त्र से जांचते थे और तब ही उन पर विश्वास करते थे (प्रेरितों 17:11-12) – चाहे उन्हें सिखाने वाला पौलुस प्रेरित ही क्यों न रहा हो।

    प्रभु यीशु के मार/कोड़े खाने के द्वारा चंगाई के संदर्भ मेंबाइबल के जिस पद का अकसर प्रयोग किया जाता है वह है यशायाह 53:5 “परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गयावह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गयाहमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।” पतरस ने इसी पद में से अपनी पहली पत्री में उद्धृत किया – “वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिये हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए” (1 पतरस 2:24)। यह काफी रोचक ‘संयोग’ है किइन दो पदों के अतिरिक्त (वास्तव मेंकेवल एक ही पद), संपूर्ण बाइबल में और कोई पद है ही नहीं जिसमें “मार/कोड़े” तथा “चंगाई” शब्द एक साथ आए हों। साथ हीहम इन दोनों ही पदों में यह भी देखते हैं कि जिस ‘चंगाई’ की बात हो रही है वह पाप के दुष्प्रभाव से आत्मिक चंगाई हैन कि किसी रोग, बीमारी, विकार, या अन्य किसी शारीरिक व्याधि से देह की चंगाई।

    सामान्य उपयोग मेंक्योंकि शब्द ‘चंगाई’ का प्रयोग मुख्यतः शारीरिक अस्वस्थताओं, तथा शरीर के रोगों के लिए होता हैइसलिए इस पर कुछ विशेष ध्यान दिए बिनालोग बस यही मान लेते हैं कि इन पदों में भी जिस ‘चंगाई’ की बात हो रही है वह भी शारीरिक चंगाई ही है। दुर्भाग्यवश, बहुतेरे प्रचारक और शिक्षक भी यही चाहते हैं कि हम इसी गलती को मानेंइसलिए पवित्र शास्त्र के पदों को संदर्भ और वास्तविक लेख से बाहर लेकर और फिर उन पर आधारित व्याख्या करने के द्वारा वे इस गलत अर्थ और व्याख्या पर बल देते रहते हैं और उसे ही सिखाते रहते हैं। न तो वे स्वयँ व्याख्या करते समय पद के संदर्भ या खण्ड से संबंधित बातों पर ध्यान देते हैंऔर न ही हमें प्रोत्साहित करते हैं कि हम किसी बात को स्वीकार करने या किसी निष्कर्ष पर आने से पहले, पूर्ण पद का अध्ययन उसके सही संदर्भ तथा संबंधित बातों में होकर करें।

    एक अन्य बहुत महत्वपूर्ण और संबंधित तथ्य जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए यह है कि संपूर्ण बाइबल में कहीं पर भीवाक्याँश “उसके मार/कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं” तथा  “उसी के मार/कोड़े खाने से तुम चंगे हुए” का कभी भी कहीं भी किसी करिश्माई शारीरिक चंगाई के लिए प्रयोग नहीं हुआ है; किसी भी भविष्यद्वक्ताया प्रेरितया परमेश्वर के जन के द्वारा कभी कहीं भी नहीं – जबकि पुराने नियम में और नए नियम में करिश्माई शारीरिक चंगाइयों की घटनाओं की कोई कमी कतई नहीं है। 
- क्रमशः
अगला लेख: नए नियम कुछ उदाहरण तथा विषय का स्पष्टीकरण

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Physical healing by the stripes and the blood of Jesus - Part 1


    Question: Do the stripes and the blood of Lord Jesus Christ physically heal us?

Answer:
    The most common and most often committed error in interpreting Scripture is to take a particular passage or verse, or even a portion of a verse out of its context; then give it meanings and interpretations according to one’s liking or understanding; and then not only accept those erroneous meanings but also share those misinterpretations with others as ‘God’s truths’; even though those meanings do not stand up to the requirements of the context and the evidence of Biblical usage, therefore making them unrealistic and unacceptable. God’s Word, the Bible, in 2 Timothy 2:15 exhorts us to “diligently present ourselves approved to God (not to any man)” and to “rightly divide the Word of Truth”; and not fall for the trap of following teachers who instead of teaching sound doctrine, misuse God’s Word to only teach things that the audience want to hear (2 Timothy 4:2-4). To avoid falling for Satan’s ploys to misuse God’s Word (he had the audacity to do so even with the Lord Jesus – Matthew 4:1-11), we all need to take heed and obey 1 Thessalonians 5:21 “Test all things; hold fast what is good”; and be like the Berean Christians, who have been commended in the Bible for first cross checking everything from the Scriptures and only then believing in what was taught (Acts 17:11-12) – even though it was the apostle Paul who was teaching them.

    In context of healing by the stripes of Lord Jesus, the Bible verse often stated is Isaiah 53:5 “But He was wounded for our transgressions, He was bruised for our iniquities; The chastisement for our peace was upon Him, And by His stripes we are healed.” Peter too quoted from this verse in his first epistle – “who Himself bore our sins in His own body on the tree, that we, having died to sins, might live for righteousness--by whose stripes you were healed” (1 Peter 2:24). Incidentally, and quite interestingly, other than these two verses (essentially, only a single verse), there is no other verse in the Bible containing the both the terms “stripes” and “healed.” Also, in both of these verses we see that the ‘healing’ being mentioned is the spiritual healing from effects of sin; and not a physical healing of the body from any disease, or sickness, or deformity, or any other physical ailment.

 Since in common usage, the word ‘healing’ is mainly associated with physical infirmities, and with ailments of the body, hence without giving it much thought, people take it for granted that the ‘healing’ mentioned in these verses is physical healing as well. Unfortunately, many preachers and teachers also would like to have us believe it to be so; therefore they continue to emphasize and teach the misinterpretation, basing it upon verse portions taken out of context and out of continuity with the actual text of the Scriptures. They neither themselves pay heed to the context and related things in interpreting the verse or passage, nor encourage and allow us to study the context and related things of the complete verse and its passage, before accepting or coming to a conclusion about it.

    Another very pertinent fact to be considered is that nowhere in the whole of the Bible, have either of the phrases “by His stripes we are healed” and “by whose stripes you were healed” ever been used or alluded to in any form of miraculous healing, by any Prophet, Apostle, or Man of God – and there is no dearth of instances of physical healings in either the Old or the New Testaments.
- To Be Continued:

Next Article: Some Examples from the New Testament & Clarification of the Topic

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