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सोमवार, 17 मई 2010

जागृति का संगीत

कीनिया देश के नायरोबी शहर के एक कसबे में, अन्तराष्ट्रीय शरणार्थियों का एक समूह गीत-संगीत द्वारा अपनी मातृभूमी के लोगों को जागृत करने का प्रयास कर रहा है। बी.बी.सी. के अनुसार, ’वायाह कुसुब’ नाम की यह टोली, रेडियो और टेलिविज़न पर काफी समय पा रही है, क्योंकि वे स्पष्ट और दबंग गीतों के द्वारा सामाजिक समस्याओं को संबोधित करते हैं। उनमें से एक संगीतज्ञ ने कहा, " जो हमारे देश में हो रहा है हम उससे खुश नहीं हैं; हमने एक उकसाने वाला गाना रिकॉर्ड किया है और आशा रखते हैं कि इस गीत से हमारे नेता जागृत होंगे।"

सामाजिक तकलीफ और हिंसा को गीत-संगीत द्वारा रोकने के वायाह कुसुब के इस प्रयास से बहुत पहिले परमेश्वर ने स्पष्ट और दबंग गीत-संगीत का प्रयोग को मूसा को सिखाया। यह जानते हुए कि उसकी प्रजा के लोग जब वाचा के देश में सुख-समृधी का जीवन जीने लगेंगे, तो पापमय पृवृतियां उनका ध्यान परमेश्वर से दूर खींचेंगी (व्यवस्थाविवरण ३२:१), परमेश्वर ने मूसा के द्वारा उन्हें एक गीत सिखाया (व्यवस्थाविवरण ३२)। यह गीत चेतावनियों से भरा एक चौंकाने वाला गीत है, जिसका उद्देश्य उन लोगों का ध्यान आकर्षित करना है जो परमेश्वर को भुला कर अपने जीवन को समस्याओं से भर लेते हैं।

क्या हमारा प्रेमी और बुद्धिमान परमेश्वर, यही युक्ति हमारे साथ तो नहीं दोहरा रहा है? क्या कोई भजन, स्तुति या आत्मिक बातों का गीत हमें वापस उसकी विश्वासयोग्यता और अद्‍भुत अनुग्रह की ओर तो नहीं खींच रहा है? क्या वह किसी गीत उपयोग कर रहा है हमारी स्वाभाविक सांसारिक पृवृति को भेद कर हमारे हृदयों को पुनः उसके प्रति सजीव करने के लिये? - मार्ट डी हॉन


जहां शब्द कारगर नहीं हो पाते, वहां संगीत कारगर हो जाता है। - हैन्स क्रिशच्यन एंडर्सन


बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ३१:१६-२२


मसीह के वचन को अपने ह्रृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। - कुलिसियों ३:१६


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १-३
  • यूहन्ना ५:२५-४७

रविवार, 16 मई 2010

स्वेच्छापूर्ति की भेंट

लन्दन में एक सम्पन्न इलाके के स्टोर ने एक नया भेंट कार्ड आरम्भ किया जिसका उद्देश्य था लोगों को स्वेच्छापूर्ति के लिये प्रेरित करना, उस कार्ड पर लिखा नारा था ’स्वेच्छापूर्ति की भेंट’। पूरे स्टोर में जगह जगह इस बात के विज्ञापने लगाये गये। स्टोर के एक कर्मचारी के अनुसार, इन भेंट कार्डों की बिक्री, आरम्भ के कुछ सप्ताहों में ही, कम्पनी के अनुमान से कहीं अधिक हो गई। हमारी उदारता, अपने किसी प्रीय को कोई कीमती भेंट देने को प्रोत्साहित कर सकती है, किंतु अपनी पसन्द की कोई चीज़ अपने ही लिय्रे लेना ज़्यादा आसान होता है।

यहेजेकेल भविष्यद्वक्ता ने एक प्राचीन नगर के लोगों के बारे में कहा जिन्होंने परमेश्वर के प्रकोप को सहा, जिसका एक कारण था उनका स्वेच्छापूर्ति का जीवन जीना। भविष्यद्वक्ता ने कहा "देख, तेरी बहिन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरके खाती, और सुख चैन से रहती थी: और दीन दरिद्र को न संभालती थी। सो वह गर्व करके मेरे साम्हने घृणित काम करने लगी, और यह देखकर मैं ने उन्हें दूर कर दिया।" (यहेजकेल १६:४९, ५०)।

यह इतिहास की सच्चाई है कि परमेश्वर ने अपने लोगों को भी दंड दिया जब वे घमन्डी, बेपरवाह और लोभी हो गए (पद ४९)। स्वेच्छापूर्ति के ज़हर का उपाय है परमेश्वर को प्रसन्न करने की तत्परता रखना और अपनी नहीं वरन दूसरों की सेवा करना (फिलिप्पियों २:४)।

स्वेच्छापूर्ति एक ऐसी भेंट है जिसकी हमें कोई आवश्यक्ता नहीं है। - डेविड मैककैस्लैंड


हम जितना अधिक मसीह की सेवा करंगे, उतनी ही कम हम अपनी सेवा करेंगे।


बाइबल पाठ: यहेजकेल १६:४८-५७


वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरके खाती, और सुख चैन से रहती थी: और दीन दरिद्र को न संभालती थी। - यहेजकेल १६:४९


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा २४, २५
  • यूहन्ना ५:१-२४

शनिवार, 15 मई 2010

भेद की बात

यदि आप प्रसिद्ध पुस्तक ’द सीक्रिट’ की जानी-मानी लेखिका रहोंडा बायर्ने की मानें तो, "जीवन में कुछ भी पाने का आसान मार्ग है अब, वर्तमान में, खुश रहना"। उनकी राय में इसका संबंध ’आकर्षण के नियम’ से है - यदि आप केवल उन ही बातों के बारे में सोचें जो आपको खुश रखती हैं, तो खुश रखने वाली बातें आपकी ओर आकर्षित होंगी।

यह बहुत आसान लगता है।

परन्तु बाइबल सिखाती है कि जीवन के ’भेद की बात’ कुछ और ही है; और उसका संबंध ’जीवन की आत्मा की व्यवस्था’ से है, जिसने हमें ’पाप की और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया’ (रोमियों ८:२)।

पौलुस प्रेरित के अनुसार, जानने योग्य सबसे महत्वपूर्ण बात है ’यीशु मसीह वरन क्रूस पर चढ़ाया गया मसीह’ (१ कुरिन्थियों २:२)। जिन लोगों की धारणा केवल वर्तमान की खुशी के बारे में ही है, उन्हें आत्मा की यह बातें मूर्खता लगती हैं (पद १४)। वे इन्हें कमज़ोरी मानते हैं और इनमें उन्हें परमेश्वर की सामर्थ नज़र नहीं आती।

परमेश्वर ने हम में रहस्य की बातें जानने की उत्सुक्ता रची है। उसने, अपनी बुद्धिमानी में कुछ बातों को कुछ समय के लिये गुप्त रखा। परन्तु अब, अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा उसने इन बातों को प्रगट किया है। जो भेद की बात अब उसने प्रगट करी है उसका संबंध अच्छे विचारों द्वारा अच्छी वस्तुएं पाने से बिलकुल नहीं है। उन बातों का संबंध है मसीह जैसा मन होने से (पद १६)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


अनन्त आनन्द यीशु मसीह को जानने में है।


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों २:६-१६


हम परमेश्वर का यह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया है। - १ कुरिन्थियों २:७


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा २२, २३
  • यूहन्ना ४:३१-५४

शुक्रवार, 14 मई 2010

चुने जाना

हर साल स्कूल के छात्र अपने पसंद के विश्वविद्यालयों में आगे की पढ़ाई के लिये आवेदन देते हैं और प्रतीक्षा करते हैं विश्वविद्यालय में अपने चुने जाने और दाखिला पाने की सूचना के पत्र की।

यीशु के पृथ्वी के जीवन के समय के बालकों के लिये यह भिन्न होता था। यहूदी बालक १३ वर्ष की आयु तक अपने क्षेत्र के रब्बी (धर्मगुरू) की पाठशला में जाते थे, फिर उनमें से जो सबसे अच्छे और बुद्धिमान होते थे उन्हें चुना जाता था उस रब्बी के साथ बने रहने और सीखने के लिये। ये चुने हुए छात्र अपने गुरू के साथ आते जाते थे और जैसे भी वो रहता-खाता, वे भी रहते-खाते, अपने गुरू के अनुसार अपने जीवन को ढालते थे। जो चुनाव में अयोग्य निकलते थे वे कोई व्यवसाय सीखते थे, जैसे बढ़ई, मछुआ, चरवाहा आदि।

शमौन, अन्द्रियास, याकूब, यूहन्ना वे लोग थे जो इस चुनाव में योग्य नहीं पाये गये थे। इस कारण अपने रब्बी के साथ होने के स्थान पर वे तट पर अपने पैत्रिक व्यवसाय - मछली पकड़ने में मगन थे। यह रोचक है कि यीशु ने ऐसे लोगों को ढूंढा जिन्हें वहां के रब्बी ने तिरिस्कृत कर दिया था। सबसे अच्छे और बुद्धिमान लोगों को बुलाने की बजाये, यीशु ने अपने पीछे आने का निमंत्रण साधारण मछुआरों को दिया। उन्हें कैसा सम्मान मिला, कि वे सर्वोत्तम रब्बी के चेले हुए!

यीशु इसी सम्मान का निमंत्रण आपको और मुझे भी देता है - इसलिये नहीं कि हम सबसे अच्छे या बुद्धिमान हैं, वरन इसलिये कि उसे हमारे जैसे साधारण लोग चाहियें जो उसका अनुसरण करें और अपने जीवन उसके अनुसार ढालें, तथा प्रेम से उसके लिये लोगों को बचा सकें।

इसलिये यीशु का अनुसरण करो और उसे अपने जीवन को सार्थक करने दो। - जो स्टोवैल


साधारण और ठुकाराये गये भी यीशु के योग्य होने के लिये चुने जा सकते हैं।


बाइबल पाठ: मत्ती ४:१८-२२


यीशु ने उन से कहा: मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुमको मनुष्यों का पकड़ने वाले बनाउंगा। - मत्ती ४:१९


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १९ - २१
  • यूहन्ना ४:१-३०

गुरुवार, 13 मई 2010

भक्ति का शोक

चोरों ने वेस्ट विर्जीनिया के एक चर्च से ५००० डॉलर मूल्य का सामान चुरा लिया। अगली रात उन्होंने चुपचाप से चर्च में घुसकर सारा सामान वापस रख दिया। सम्भवतः एक चर्च में चोरी करने के दोष ने उनकी अन्तरात्मा को बोझिल किया और उन्हें लगा कि "तू चोरी न करना" (निर्गमन २०:१५) आज्ञा के उल्लंघन के अपने इस आपराधिक व्यवहार को उन्हें सुधारना चाहिये। उनके इस व्यवहार ने मुझे सांसरिक रीति के शोक और परमेश्वरीय भक्ति के शोक के बारे में सोचने का अवसर दिया।

पौलुस ने कुरिन्थियों की मण्डली द्वारा इस फर्क को समझने के लिये उनकी सराहना करी। उस मण्डली को लिखी गई पौलुस की पहली पत्री काफी तीखी थी, क्योंकि उसमें उस ने उन में पाये जाने वाले पापों के बारे में लिखा था। पौलुस की बातों से उनमें शोक उत्पन्न हुआ और इससे पौलुस आनन्दित हुआ। क्यों? क्योंकि उनका शोक पापों के पकड़े जाने या पापों के बुरे परिणाम भोगने से ही संभधित नहीं था। उनक शोक परमेश्वरीय भक्ति का शोक था, अपने पापों के लिये सच्चा पछ्तावा। इस शोक ने उन्हें पश्चाताप करवाया - उनकी विचारधारा में एक परिवर्तन जिससे वे पापों को त्यागकर सच्चे मन से परमेश्वर की ओर मुड़े। पश्चाताप ने अन्ततः उन्हें उनके पापम्य स्वभाव से मुक्ति दिलाई।

पश्चाताप या मनफिराव ऐसा कार्य नहीं है जिसे हम स्वतः ही कर सकें, इसके लिये पवित्र आत्मा की प्रेरणा आवश्यक है; यह परमेश्वर की ओर से दिया गया वरदान है। परमेश्वर से आज ही मनफिराव के लिये प्रार्थना करें (२ तिमुथियुस २:२४-४६)। - मार्विन विलियम्स


मनफिराव का अर्थ है कि पाप से ऐसी घृणा करना के उससे हट जाएं।


बाइबल पाठः २ कुरिन्थियों ७:५-१०


मैं आनन्दित हूं, पर इसलिये नहीं कि तुम को शोक पहुंचा, वरन इसलिये कि तुमने उस शोक के कारण मन फिराया, क्योंकि तुम्हारा शोक परमेश्वर की इच्छा के अनुसार था। - २ कुरिन्थियों ७:(


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १७, १८
  • यूहन्ना३:१९-३६

बुधवार, 12 मई 2010

बेहतर होता जा रहा है

१९६० के दशक का एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी गाना था "Getting Better" - अर्थात बेहतर होता जा रहा है। इस गीत में गायक अपनी जवानी तक के थोड़े से जीवन के बारे में सोचता है और उसे लगता है कि सब कुछ बेहतर ही होता जा रहा है। यह आशावादी गाना अवश्य है, किंतु इस आशा के किसी ठोस आधार के बिना।

इसकी तुलना में बाइबल हमें चिताती है कि हम एक ऐसे संसार में रहते हैं जो बदतर ही होता जा रहा है ( २ तिमुथियुस ३:१३)। प्रतिदिन हमें संसार के इस बिगाड़ के प्रमाण अधिकाधिक मिलते रहते हैं। तो इसे बिगड़े हुए संसार में हम जीवन की सच्चाईयों का सामना कैसे करेंगे? खोखले आशावाद के साथ? घोर निराशा के साथ? पौलूस प्रेरित हमें सिखाता है कि कैसे करें।

रोम में बन्दी बनाए जाने पर, बन्दीगृह में से फिलिप्पी की मण्डली को पौलुस ने पत्र लिखा, उन्हें इस बिगड़े संसार में सच्ची आशा देने के लिये। उसने अपने पाठकों का हौसला बढ़ाया, उन्हें बताकर कि इस संसार में जीवन अकसर कठिन और दुखदायी होता है लेकिन मसीही के लिये अन्तत: में सब कुछ अच्छा ही होगा। उसने लिखा, "जी चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूं क्योंकि यह बहुत अच्छा है" (फिलिप्पियों १:२३)। यह हमें स्मरण दिलाता है कि मसीह के लिये जीने से संबंधित हर दुख हम झेल सकते हैं क्योंकि एक दिन हम उसके साथ होंगे महिमा और भरपूरी के अनन्त घर में।

जीवन कठिन हो सकता है, परन्तु एक दिन जब हम मसीह को देखेंगे तब वास्तव में बेहतर हो जायेगा। - बिल क्राउडर


यीशु के साथ सदैव रहना सारे आनन्द का सार है।


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:१९-२६


मैं दोनो के बीच अधर में लटका हूं, जी तो चाहता हि कि कूच करके मसीह के पास रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है। - फिलिप्पियों १:२३


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १५, १६
  • यूहन्ना ३:१-१८

मंगलवार, 11 मई 2010

संसार देख रहा है

मेरे कुछ मित्र एक सेवकाई में थे जो मुख्यतः मसीही विश्वासियों के लिये थी। उन्हें अवसर मिला कि वे अपना काम में परिवर्तन करें और हज़ारों अविश्वासियों के जीवनों को प्रभावित कर सकें। उन्हों ने यह रोमाँचकारी परिवर्तन कर लेने का निर्णय लिया।

कई लोगों को, जिनमें से कुछ उन्हें व्यक्तिगत रीति से जानते भी नहीं थे, इस बात से बहुत धक्का लगा, और उन्हों ने मेरे मित्रों पर दोष लगाया कि वे सांसारिक ख्याति और खज़ाना पाने के लिये ऐसा कर रहे हैं। किंतु यीशु की इस बात का विश्वास करके, कि वह "खोए हुओं को ढूंढने और उनका उद्धार करने आया" (लूका १९:१०), इसी के अनुसार, मेरे मित्रों ने इस और भी बड़े अवसर का उपयोग अपने समाज के "खोये हुओं" को ढूंढने के लिये करना चाहा।

बाद में उन्होंने बताया कि "कुछ मसीही्यों ने हमारे प्रति बहुत क्रूर व्यवहार किया और हमें घृणापूर्ण ई-मेल भेजे। हमारे नए गैर-मसीही मित्र उन पुराने मसीही मित्रों से अधिक सहृदय थे। हम उनके इस व्यवहार को समझ नहीं सके और बहुत आहत हुए।" उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा तो केवल जगत में ’नमक’ और ’ज्योति’ बनके रहने के परमेश्वर के निर्देश (मत्ती ५:१३, १४) का पालन करना की थी।

जब कोई, जिसे हम जानते हैं, किसी बदलाव के लिये निर्णय ले रहा हो, तो इस बदलव को लेने के पीछे उसके उद्देश्यों के बारे में पूछना मददगार हो सकता है, लेकिन हम किसी के हृदय की बात पूरी रीति से नहीं जान सकते। हमें अपने मसीही भाई-बहिनों को "काटना और फाड़ खाना" नहीं चाहिये (गलतियों ५:१५), अपितु ऐसा प्रेम दिखाना चाहिये जिससे अन्य लोग जान सकें कि हम मसीह के अनुयायी हैं (यूहन्ना १३:३५)।

संसार हमें देख रहा है। - ऐनी सेटास


केवल परमेश्वर ही हृदय देख सकता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना १३:३१-३५


यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो। - यूहन्ना १३:३५


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १३, १४
  • यूहन्ना २