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गुरुवार, 30 सितंबर 2010

प्रेम का माप

अक्तूबर २, १९५४ के दिन, जेम्स कौनवे ने, जो एक वायुसेना का अफसर था, बौस्टन हवाई अड्डे से उड़ान भरी, वह अपने विमान में विस्फोटक ले जा रहा था। उड़ान भरने के कुछ ही देर में उसके विमान में खराबी आ गई और विमान नीचे आने लगा। कौनवे के सामने कठिन चुनाव था, या तो विमान से कूद कर अपनी जान बचा ले, नहीं तो विमान को निकट की खाड़ी के जल में ले जा कर टकरा दे। यदि वह सव्यं कूद कर अपनी जान बचाता तो विमान नीचे आबादी वाले क्षेत्र में जा गिरता और बहुत से लोग मारे जाते, किंतु यदि खाड़ी के जल में विमान को टकराता तो उसे अपने प्राण गंवाने पड़ते। कौन्वे ने दूसरा विकल्प चुना और बहुतों के प्राण बचाने के लिये अपने प्राण दे दिये।

यूहन्ना १५:१३ में प्रभु यीशु मसीह ने कहा " इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।" स्वेच्छा से दुसरों के लिये यह सबसे बड़ा बलिदान देना एक ऐसे मन को दिखाता है जो अपनी आवश्यक्ताओं से अधिक दूसरों की आवश्यक्ताओं की चिंता करता है। किसी ने कहा है कि "प्रेम का माप इस में है कि वह दूसरों के लिये क्या कुछ त्यागने को तैयार रहता है।" परमेश्वर पिता ने हम से इतना प्रेम किया कि अपने पुत्र को हमारे लिये बलिदान कर दिया। प्रभु यीशु मसीह ने हम से इतना प्रेम किया कि हमारे पापों को अपने ऊपर ले कर, हमारी जगह दण्ड - मृत्यु दण्ड भोगने चला गया।

आपके लिये परमेश्वर के प्रेम का माप तो असीम है, प्रश्न यह है कि क्या आपने उस के प्रेम को व्यक्तिगत रूप से स्वीकार कर के अपनाया है या नहीं! - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु मसीह के क्रूस से अधिक स्पष्ट परमेश्वर के प्रेम का कोई और प्रमाण नहीं है।

इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। - यूहन्ना १५:१३


बाइबल पाठ:

जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्‍द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्‍द पूरा हो जाए।
मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्‍योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्‍या करता है: परन्‍तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्‍योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
तुम ने मुझे नहीं चुना परन्‍तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ९, १०
  • इफिसियों ३

बुधवार, 29 सितंबर 2010

मध्यस्थ की प्रार्थनाएं

अमेरिका में सांसद के रूप में शपथ लेने से कुछ देर पहले जौन एशक्रौफ्ट अपने परिवार और मित्रों के साथ प्रार्थना करने के लिये मिले। जब परिवार और मित्रगण प्रार्थना के लिये उनके चारों ओर एकत्रित होने लगे तो जौन ने अपने पिता को, जिस दीवान पर वे बैठे थे, उसपर से उठने का प्रयास करते हुए देखा। उठने में होने वाली उनकी परेशानी को देखते हुए जौन ने कहा, "पिताजी कोई बात नहीं, मेरे लिये प्रार्थना करने के लिये आपको खड़े होने की आवश्यक्ता नहीं है।" उनके पिता ने उत्तर दिया, "मैं खड़े होने के लिये यह परेशानी नहीं उठा रहा हूँ, मैं तो तुम्हारे लिये घुटनों पर आकर परमेश्वर से प्रार्थना करना चाहता हूँ।"

जौन के पिता के प्रयास की इस घटना ने मुझे स्मरण दिलाया कि कैसे कभी कभी किसी विश्वासी भाई के लिये प्रार्थना करने के लिये हमें ज़ोर और कष्ट के साथ प्रार्थना में मध्यस्थता करनी पड़ती है। कुलुस्सियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस याद दिलाता है कि कैसे इपफ्रास "...सदा तुम्हारे लिये प्रार्थनाओं में प्रयत्‍न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्‍छा पर स्थिर रहो" (कुलुस्सियों ४:१२)। मूल युनानी भाषा में प्रयुक्त जिस शब्द का अनुवाद ’प्रार्थनाओं में प्रयत्न’ किया गया है वह किसी कार्य को करने के लिये घोर व्यथा उठाने को व्यक्त करता है, जैसे प्राचीन यूनान में अखाड़े में योद्धा अपने प्रतिद्वंदी को हराने के लिये जी जान लगा देते थे, क्योंकि हार या जीत, उनके लिये जीवन या मृत्यु का फैसला होता था।

इपफ्रास विश्वासियों के लिये ऐसे ही घोर प्रयास के साथ प्रार्थना करता था कि वे अपने उद्धारकर्ता के साथ चलने में परिपक्व और विश्वास में स्थिर हो जाएं, मध्यस्थ के रूप में वह परमेश्वर से उनके लिये आग्रह करता था कि उनके आत्मिक जीवन की बढ़ोतरी में आने वाली हर बाधा को परमेश्वर हटा दे। ऐसी प्रार्थनाएं करना, प्रार्थना करने वाले के जीवन में बहुत अनुशासन और एकाग्रता होने की मांग करता है।

क्या हम भी इपफ्रास के समान अपने सहविश्वासियों के लिये जी जान लगाकर परमेश्वर से मध्यस्थता करने को प्रयत्नशील होते हैं, जिससे परमेश्वर उनकी आवश्यक्ताओं को पूरा करे? - डेनिस फिशर


मध्यस्थ के रूप में प्रार्थना करने का जीवन गहन प्रयास का जीवन होता है।

इपफ्रास जो तुम में से है, और मसीह यीशु का दास है, तुम से नमस्‍कार कहता है और सदा तुम्हारे लिये प्रार्यनाओं में प्रयत्‍न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्‍छा पर स्थिर रहो। - कुलुस्सियों ४:१२


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ४:१-१२
हे स्‍वामियों, अपने अपने दासों के साथ न्याय और ठीक ठीक व्यवहार करो, यह समझकर कि स्‍वर्ग में तुम्हारा भी एक स्‍वामी है।
प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो।
और इस के साथ ही साथ हमारे लिये भी प्रार्थना करते रहो, कि परमेश्वर हमारे लिये वचन सुनाने का ऐसा द्वार खोल दे, कि हम मसीह के उस भेद का वर्णन कर सकें जिस के कारण मैं कैद में हूं।
और उसे ऐसा प्रगट करूं, जैसा मुझे करना उचित है।
अवसर को बहुमूल्य समझकर बाहरवालों के साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करो।
तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।
प्रिय भाई और विश्वासयोग्य सेवक, तुखिकुस जो प्रभु में मेरा सहकर्मी है, मेरी सब बातें तुम्हें बता देगा।
उसे मैं ने इसलिये तुम्हारे पास भेजा है, कि तुम्हें हमारी दशा मालूम हो जाए और वह तुम्हारे ह्रृदयों को शान्‍ति दे।
और उसके साथ उनेसिमुस को भी भेजा है जो विश्वासयोग्य और प्रिय भाई और तुम ही में से है, ये तुम्हें यहां की सारी बातें बता देंगे।
अरिस्‍तर्खुस जो मेरे साथ कैदी है, और मरकुस जो बरनबा का भाई लगता है। (जिस के विषय में तुम ने आज्ञा पाई थी कि यदि वह तुम्हारे पास आए, तो उस से अच्‍छी तरह व्यवहार करना।)
और यीशु जो यूस्‍तुस कहलाता है, तुम्हें नमस्‍कार कहते हैं। खतना किए हुए लोगों में से केवल ये ही परमेश्वर के राज्य के लिये मेरे सहकर्मी और मेरी शान्‍ति का कारण रहे हैं।
इपफ्रास जो तुम में से है, और मसीह यीशु का दास है, तुम से नमस्‍कार कहता है और सदा तुम्हारे लिये प्रार्थनाओं में प्रयत्‍न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्‍छा पर स्थिर रहो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ७, ८
  • इफिसियों २

मंगलवार, 28 सितंबर 2010

जल्दबाज़ी के निर्णय

मुझे एक ई-मेल मिला जो बाइबल के बहुत से पदों का संकलन था। यह ऐसे समय हुआ जब हमारे चर्च में कुछ बातों को लेकर चर्च की कार्यकारी समिति के सदस्यों में आपसी मतभेद चल रहे थे और ई-मेल भेजने वाली एक ऐसी स्त्री थी जिसे मैं ठीक से जानती भी नहीं थी। स्वाभाविक था कि मैं यह मान बैठी कि वह ई-मेल और उसमें उद्वत पद मुझे निशाना बनाकर भेजे गए थे। मैं इस बात से अति क्रुद्ध हुई कि कोई ऐसा व्यक्ति जो मतभेदों के संबंध में सारी बातों को ठीक से जानता भी नहीं है, परमेश्वर के वचन का सहारा लेकर मुझ पर प्रहार कर रहा है।

इससे पहले कि मैं पलटवार करती, मेरे पति जे ने मुझसे कहा कि किसी बुरे निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले मुझे उस ई-मेल भेजने वाले को एक अवसर देना चाहिये और सन्देह का निवारण करने का प्रयत्न करना चाहिये। मेरे लिये तो बात साफ थी और मैं इसमें किसी सन्देह या गलती होने की मैं कोई कलपना भी नहीं कर सकती थी, फिर भी अपने पति के आग्रह पर मैं ने ई-मेल भेजने वाले को मौका देने की बात मान ली और उससे इस विषय पर बात करने के उद्देश्य से उसे फोन किया।

मेरा फोन मिलने पर वह बहुत धन्यवादी हुई और मुझे ई-मेल का कारण समझाया - उसके कम्पयूटर में एक वायरस आ गया था जो कम्पयूटर द्वारा उसके ई-मेल संपर्क के लोगों को उसके बाइबल अध्ययन के हिस्सों को इधर उधर भेज रहा था। मुझे जल्दबाज़ी के अपने निष्कर्ष पर ग्लानि हुई तथा मैंने परमेश्वर का धन्यवाद किया कि अपने पति की सहायता से मैं जहां समस्या थी ही नहीं वहां एक बड़ी समस्या खड़ी करने से बच गई। एक स्वाभाविक लगने वाले किंतु गलत निष्कर्ष पर पहुंचने के कारण मैं व्यर्थ के झगड़े में फंसने वाली थी। वार्तालाप द्वारा बात स्पष्ट करने से यह बेवजह का झगड़ा टल गया।

इस्त्राएल के इतिहास में भी एक ऐसी घटना का वर्णन है। वे अपने ही कु्छ गोत्रों के साथ युद्ध करने को तैयार हो गए क्योंकि उन्हें लगा कि उन गोत्रों द्वारा बनायी गई परमेश्वर की वेदी, परमेश्वर के विरुध्द विद्रोह का चिन्ह है, जबकि उन लोगों ने वह वेदी यह स्थापित करने को बनाई थी कि भविष्य में यदि कोई उन पर इस्त्राएल के मुल समाज से अलग बताता तो उस वेदी के द्वारा वे उसे प्रमाणित करते कि वे भी उसी परमेश्वर के उपासक हैं जिसका शेष इस्त्राएल है (यहोशु २२:९-३४)। युद्ध पर जाने से पहले जब इस्त्राएल के कुछ अगुवों ने उनके पास जाकर बात करी और कारण पुछा तो बात स्पष्ट हो गई और युद्ध का कोई औचित्य ही नहीं रहा।

किसी भी गलत निष्कर्ष और उसके दुषपरिणमों से बचने के लिये अनिवार्य है कि हम अपने तथ्यों को जांच लें, उन्हें सुनिश्चित कर लें, तब ही कोई कदम उठाएं। - जूली एकैरमैन लिंक

शर्मनाक स्थिति में औंधे मुँह गिरने से बचने के लिये किसी गलत निर्णय पर मत कूदिये।

अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के ह्रृदय में रहता है। - सभोपदेशक ७:९


बाइबल पाठ: यहोशु २२:१०-३४

और जब रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्री यरदन की उस तराई में पहुंचे जो कनान देश में है, तब उन्होंने वहां देखने के योग्य एक बड़ी वेदी बनाई।
और इसका समाचार इस्राएलियों के सुनने में आया, कि रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों ने कनान देश के साम्हने यरदन की तराई में, अर्थात उसके उस पार जो इस्राएलियों का है, एक वेदी बनाई है।
जब इस्राएलियों ने यह सुना, तब इस्राएलियों की सारी मण्डली उन से लड़ने के लिये चढ़ाई करने को शीलो में इकट्ठी हुई।।
तब इस्राएलियों ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों के पास गिलाद देश में एलीआज़र याजक के पुत्र पीनहास को,
और उसके संग दस प्रधानों को, अर्थात इस्राएल के एक एक गोत्र में से पूर्वजों के घरानों के एक एक प्रधान को भेजा, और वे इस्राएल के हजारों में अपने अपने पूर्वजों के घरानों के मुख्य पुरूष थे।
वे गिलाद देश में रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों के पास जाकर कहने लगे,
यहोवा की सारी मण्डली यह कहती है, कि तुम ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का यह कैसा विश्वासघात किया? आज जो तुम ने एक वेदी बना ली है, इस में तुम ने उसके पीछे चलना छोड़कर उसके विरूद्ध आज बलवा किया है?
सुनो, पोर के विषय का अधर्म हमारे लिये कुछ कम था, यद्दपि यहोवा की मण्डली को भारी दण्ड मिला तौभी आज के दिन तक हम उस अधर्म से शुद्ध नहीं हुए; क्या वह तुम्हारी दृष्टि में एक छोटी बात है,
कि आज तुम यहोवा को त्याग कर उसके पीछे चलना छोड़ देते हो? क्या तुम यहोवा से फिर जाते हो, और कल वह इस्राएल की सारी मण्डली पर क्रोधित होगा।
परन्तु यदि तुम्हारी निज भूमि अशुद्ध हो, तो पार आकर यहोवा की निज भूमि में, जहां यहोवा का निवास रहता है, हम लोगों के बीच में अपनी अपनी निज भूमि कर लो, परन्तु हमारे परमेश्वर यहोवा की वेदी को छोड़ और कोई वेदी बनाकर न तो यहोवा से बलवा करो, और न हम से।
देखो, जब जेरह के पुत्र आकान ने अर्पण की हुई वस्तु के विषय में विश्वासघात किया, तब क्या यहोवा का कोप इस्राएल की पूरी मण्डली पर न भड़का? और उस पुरूष के अधर्म का प्राण दण्ड अकेले उसी को न मिला।।
तब रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों ने इस्राएल के हजारों के मुख्य पुरूषों को यह उत्तर दिया,
कि यहोवा जो ईश्वरों का परमेश्वर है, ईश्वरों का परमेश्वर यहोवा इसको जानता है, और इस्राएली भी इसे जान लेंगे, कि यदि यहोवा से फिर के वा उसका विश्वासघात करके हम ने यह काम किया हो, तो तू आज हम को जीवित न छोड़,
यदि आज के दिन हम ने वेदी को इसलिये बनाया हो कि यहोवा के पीछे चलना छोड़ दें, वा इसलिये कि उस पर होमबलि, अन्नबलि, वा मेलबलि चढ़ाएं, तो यहोवा आप इसका हिसाब ले;
परन्तु हम ने इसी विचार और मनसा से यह किया है कि कहीं भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने लगे, कि तुम को इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से क्या काम?
क्योंकि, हे रूबेनियों, हे गादियों, यहोवा ने जो हमारे और तुम्हारे बीच में यरदन को हद ठहरा दिया है, इसलिये यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं है। ऐसा कह कर तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान में से यहोवा का भय छुड़ा देगी।
इसीलिये हम ने कहा, आओ, हम अपने लिथे एक वेदी बना लें, वह होमबलि वा मेलबलि के लिये नहीं,
परन्तु इसलिये कि हमारे और तुम्हारे, और हमारे बाद हमारे और तुम्हारे वंश के बीच में साक्षी का काम दे; इसलिये कि हम होमबलि, मेलबलि, और बलिदान चढ़ा कर यहोवा के सम्मुख उसकी उपासना करें और भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने पाए, कि यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं।
इसलिये हम ने कहा, कि जब वे लोग भविष्य में हम से वा हमारे वंश से यों कहने लेगें, तब हम उन से कहेंगे, कि यहोवा के वेदी के नमूने पर बनी हुई इस वेदी को देखो, जिसे हमारे पुरखाओं ने होमबलि वा मेलबलि के लिये नहीं बनाया परन्तु इसलिये बनाया था कि हमारे और तुम्हारे बीच में साक्षी का काम दे।
यह हम से दूर रहे कि यहोवा से फिर कर आज उसके पीछे चलना छोड़ दें, और अपने परमेश्वर यहोवा की उस वेदी को छोड़ कर जो उसके निवास के साम्हने है होमबलि, और अन्नबलि, वा मेलबलि के लिये दूसरी वेदी बनाएं।।
रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों की इन बातों को सुनकर पीनहास याजक और उसके संग मण्डली के प्रधान, जो इस्राएल के हजारों के मुख्य पुरूष थे, वे अति प्रसन्न हुए।
और एलीआजर याजक के पुत्र पीनहास ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शेइयों से कहा, तुम ने जो यहोवा का ऐसा विश्वासघात नहीं किया, इस से आज हम ने यह जान लिया कि यहोवा हमारे बीच में है: और तुम लोगों ने इस्राएलियों को यहोवा के हाथ से बचाया है।
तब एलीआज़र याजक का पुत्र पीनहास प्रधानों समेत रूबेनियों और गादियों के पास से गिलाद होते हुए कनान देश में इस्राएलियों के पास लौट गया: और यह वृतान्त उनको कह सुनाया।
तब इस्राएली प्रसन्न हुए और परमेश्वर को धन्य कहा, और रूबेनियों और गादियों से लड़ने और उनके रहने का देश उजाड़ने के लिये चढ़ाई करने की चर्चा फिर न की।
और रूबेनियों और गादियों ने यह कह कर, कि यह वेदी हमारे और उनके मध्य में इस बात का साक्षी ठहरी है, कि यहोवा ही परमेश्वर है: उस वेदी का नाम एद रखा।।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ५, ६
  • इफिसियों १

सोमवार, 27 सितंबर 2010

खुला मार्ग

उस दिन की चर्च सभा हृदय स्पर्षी थी। हमारे पास्टर ने प्रभु यीशु मसीह द्वारा हमारे पापों को अपने उपर लेकर हमारे स्थान पर दण्ड और मृत्यु सहने के विष्य में संदेश दिया। फिर उन्होंने पूछा कि क्या अभी भी कोई ऐसा है जो अपने पापों का अंगीकार करने के बाद भी अपने आप को दोषी महसूस कर रहा है और परमेश्वर की क्षमा का आनन्द नहीं उठा पा रहा? उन्होंने कहा जो ऐसा अनुभव कर रहे हों वे अपने उस पाप को काग़ज़ पर लिखें और चर्च में सामने रखे हुए लकड़ी के क्रूस पर ठोंक दें। बहुत से लोग सामने आए और काफी देर तक कीलें ठोंकने की आवाज़ आती रही। ऐसा करने से पापों की क्षमा नहीं मिलती, यह केवल स्मरण दिलाने का साधन मात्र था कि प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ कर हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया है।

यह बात कुलुस्से की मण्डली को पौलुस ने सिखाई। वहां के लोग झुठे शिक्षकों द्वारा प्रभावित हो रहे थे; ये शिक्षक प्रभु यीशु को उनके पापों की क्षमा के लिये पूर्णत्या पर्याप्त न होने की शिक्षा दे रहे थे। पौलुस ने समझाया कि कैसे प्रभु यीशु ने समस्त संसार के समस्त लोगों के समस्त पापों का पूरा दाम क्रूस पर चढ़ कर चुकाया और उन के उद्धार के विरोध में खड़ी हर बात को क्रूस पर ठोंक कर उसे उद्धार में अवरोध बनने से दूर कर दिया - "और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला, और उस को क्रूस पर कीलों से जड़ कर साम्हने से हटा दिया है" (कुलुस्सियों २:१४)।

यदि हम अपने पापों का अंगीकार परमेश्वर से करें और उस से शुद्धी की प्रार्थना करें तो वह हमारे लिये यह करेगा "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (१ यूहन्ना १:९)। हमें अपने पापों के दोष में पड़े रहने की आवश्यक्ता नहीं है। हमारे पाप क्रूस पर ठोंक कर हटा दिये गए हैं। प्रभु यीशु ने अपनी क्षमा द्वारा मुक्ति के मार्ग को संसार के लिये खोल दिया है, जो कोई विश्वास से आयेगा वह पायेगा। - ऐनी सेटास।


पाप का बोझ परमेश्वर के लोग ढोएं, यह कभी परमेश्वर की मनसा नहीं रही।

और उस ने तुम्हें भी, जो अपने अपराधों, और अपने शरीर की खतना रहित दशा में मुर्दा थे, उसके साथ जिलाया, और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया। - कुलिस्सियों २:१३


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों २:८-१८

चौकस रहो कि कोई तुम्हें उस तत्‍व-ज्ञान और व्यर्थ धोखे के द्वारा अहेर न करे ले, जो मनुष्यों के परम्पराई मत और संसार की आदि शिक्षा के अनुसार है, पर मसीह के अनुसार नहीं।
क्‍योंकि उस में ईश्वरत्‍व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है।
और तुम उसी में भरपूर हो गए हो जो सारी प्रधानता और अधिकार का शिरोमणि है।
उसी में तुम्हारा ऐसा खतना हुआ है, जो हाथ से नहीं होता, अर्थात मसीह का खतना, जिस से शारीरिक देह उतार दी जाती है।
और उसी के साथ बपतिस्मे में गाड़े गए, और उसी में परमेश्वर की शक्ति पर विश्वास कर के, जिस ने उस को मरे हुओं में से जिलाया, उसके साथ जी भी उठे।
और उस ने तुम्हें भी, जो अपने अपराधों, और अपने शरीर की खतनारिहत दशा में मुर्दा थे, उस के साथ जिलाया, और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया।
और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला, और उस को क्रूस पर कीलों से जड़ कर साम्हने से हटा दिया है।
और उस ने प्रधानताओं और अधिकारों को अपने ऊपर से उतार कर उन का खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया और क्रूस के कारण उन पर जय-जय-कार की ध्वनि सुनाई।
इसलिये खाने पीने या पर्ब्‍ब या नए चान्‍द, या सब्‍तों के विषय में तुम्हारा कोई फैसला न करे।
क्‍योंकि ये सब आने वाली बातों की छाया हैं, पर मूल वस्‍तुएं मसीह की हैं।
कोई मनुष्य दीनता और स्‍वर्गदूतों की पूजा कर के तुम्हें दौड़ के प्रतिफल से वंचित न करे। ऐसा मनुष्य देखी हुई बातों में लगा रहता है और अपनी शारीरिक समझ पर व्यर्थ फूलता है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ३, ४
  • गलतियों ६

रविवार, 26 सितंबर 2010

प्रेम की सहिषुण्ता

लगभग ४० वर्ष पूर्व की बात है, मेरा ध्यान अपने एक मित्र की ओर गया। वह मित्र किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति बहुत लगाव दिखा रहा था जो मेरी दृष्टि में प्रेम के ज़रा भी योग्य नहीं था। मुझे लगा कि मेरे मित्र को किसी जाल में फंसाया जा रहा है और वह अन्त में इस धोखे के कारण दुखी और निराश होगा।

मैं ने अपने मित्र से इस बात को लेकर अपनी चिन्ता व्यक्त करी। उसका उत्तर मुझे आज भी नहीं भूला, उसने कहा "जब मैं अपने प्रभु के सामने अपने जीवन का हिसाब देने के लिये खड़ा होऊंगा, तब मैं चाहता हूँ कि वह मेरे लिये कहे कि ’इसने बहुतों से प्रेम किया’ न कि यह कि ’इसने बहुत थोड़ों से प्रेम किया’।"

पौलुस आग्रह के साथ कहता है कि प्रेम "सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है" (१ कुरिन्थियों १३:७)। प्रेम लोगों में छिपी अन्तःशक्ति को देखता है, और उन पर विश्वास रखता है। प्रेम जानता है कि परमेश्वर सबसे अयोग्य और अप्रीय व्यक्ति को भी अनुग्रह और सौन्दर्य की महान कृति में बदल सकता है; इस कारण प्रेम किसी को तुच्छ नहीं जानता। यदि प्रेम गलती भी करता है तो वह गलती विश्वास और आशा रखने की होती है।

परमेश्वर का वचन हमें जान बूझ कर मूर्ख बनने के लिये नहीं कहता, वह सिखाता है कि " देखो, मैं तुम्हें भेड़ों की नाईं भेडिय़ों के बीच में भेजता हूं सो सांपों की नाई बुद्धिमान और कबूतरों की नाई भोले बनो" (मती १०:१६)। यदि मूर्ख, निकम्मे और गैरज़िम्मेदार लोगों के प्रति कठोर भी होना पड़े तो वह कठोरता प्रतिशोध और निर्दयता सहित नहीं वरन प्रेम सहित होनी चाहिये।

प्रेम रखने में यदि हमें धोखा भी खाना पड़े तो वह हमारे लिये कोई बड़ी हानि का कारण नहीं ठहरेगा ( मत्ती ५:३८-४८)। बेहतर है कि हम प्रेम सहित विश्वास रखने में धोखा खायें और हमारे दिल टूट जाएं, बजाए इसके कि हम बेदिल और निष्प्रेम रहें। अंग्रेज़ी कवि एल्फ्रेड टैनिसन ने कहा "प्रेम नहीं करने से कहीं बेहतर है कि प्रेम करते हुए हार जाएं" और मैं इससे पूर्णतया सहमत हूँ।

प्रभु यीशु ने जो प्रेम हमसे किया, उस प्रेम को प्रदर्शित करने में हमें ध्यान रखना चाहिये कि हम आवश्यक्ता से अधिक सतर्कता, सन्देह और सुरक्षा रखने वाले न बने क्योंकि "जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्‍योंकि परमेश्वर प्रेम है" और "...परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है, और परमेश्वर उस में बना रहता है" ( १ यूहन्ना ४:८, १६)। - डेविड रोपर


प्रेम यह नहीं देखता कि कौन क्या है, वरन यह कि वह "प्रेम" द्वारा क्या बनाया जा सकता है।

वह[प्रेम] सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। - १ कुरिन्थियों १३:७


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १३

यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झंझ हूं।
और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्‍तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।
और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है, प्रेम डाह नहीं करता, प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।
कुकर्म से आनन्‍दित नहीं होता, परन्‍तु सत्य से आनन्‍दित होता है।
वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्‍त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी, ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।
क्‍योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।
परन्‍तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।
जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी, परन्‍तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दीं।
अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है, परन्‍तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है परन्‍तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं।
पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह १, २
  • गलतियों ५

शनिवार, 25 सितंबर 2010

नए जीवन की पीड़ाएं

प्राचीन युनानी दार्शनिक सुकरात की माँ एक दाई थी, इसलिये सुकरात यह देखते हुए बड़ा हुआ कि उसकी माँ संसार में नया जीवन लाने में स्त्रियों की सहायता करती है। उसके इन अनुभवों का प्रभाव बाद में उसके शिक्षा देने के तरीकों पर भी पड़ा। सुकरात ने कहा "मेरी दाई कि कला उनकी जैसी ही है, फर्क सिर्फ इतना है कि मेरे मरीज़ पुरुष होते हैं स्त्रीयां नहीं, और मेरा सरोकार शरीर से नहीं वरन आत्मा से है जो नया जीवन देने को कराह रही है।"

अपने शिष्यों को सिखाने के लिये अपना ज्ञान प्रदान करने की बजाए, सुकरात का तरीका कुछ कष्ट दायक था। वह उनसे टटोलने वाले प्रश्न पूछता था जिनके उत्तर खोजने और फिर निषकर्श निकालने के लिये उन्हें मेहनत करनी पड़ती थी। शिष्यों को ज्ञान अर्जित करने के लिये विचार और चिंतन करना सिखाना, सुकरात के लिये जच्चा की पीड़ा के समान था जो संसार में कुछ नया लाने के लिये स्वयं दर्द सहती है।

पौलुस ने भी, विश्वासियों को विश्वास में शिक्षित करने के लिये, कुछ ऐसे ही भावनाओं को व्यक्त किया, उसने लिखा " हे मेरे बालकों, जब तक तुम में मसीह का रूप न बन जाए, तब तक मैं तुम्हारे लिये फिर जच्‍चा की सी पीड़ाएं सहता हूं" (गलतियों ४:१९)। पौलुस की इच्छा थी कि प्रत्येक विश्वासी, आत्मिक रूप से परिपक्व होकर मसीह यीशु की समानता में बन जाये - "जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं" (इफिसियों ४:१३)।

मसीह यीशु की समानता में होना जीवन भर का प्रयत्न और कार्य है। इस के लिये हमें, अपने तथा दूसरों के प्रति धैर्य रखना होता है। मसीह की समानता के इस मार्ग में आगे बढ़ते हुए हम में से प्रत्येक को चुनौतियों, कठिनाइयों और निराशाओं का सामना करना पड़ेगा। परन्तु यदि विपरीत परिस्थितियों में भी हम अपना विश्वास प्रभु यीशु पर बनाए रखेंगे तो वह आत्मिक परिपक्वता प्राप्त करने में हमारी सहायता करेगा (२ पतरस १:३-८) और हमें इस योग्य करेगा कि हमारे द्वारा संसार में नए जन्म और जीवन के मार्ग खुल जाएं (मरकुस १६:१५-२०)। - डेनिस फिशर


मन परिवर्तन एक क्षण का चमात्कार है, परिपक्वता आने में सारा जीवन लग जाता है।

हे मेरे बालकों, जब तक तुम में मसीह का रूप न बन जाए, तब तक मैं तुम्हारे लिये फिर जच्‍चा की सी पीड़ाएं सहता हूं। - गलतियों ४:१९


बाइबल पाठ:

२ पतरस १:३-८
क्‍योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सदगुण के अनुसार बुलाया है।
जिन के द्वारा उस ने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ।
और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न कर के, अपने विश्वास पर सदगुण, और सदगुण पर समझ।
और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।
और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।
क्‍योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचान में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी।

मरकुस १६:१५-२०

और उस[यीशु] ने उन[चेलों] से कहा, तुम सारे जगत में जा कर सारी सृष्‍टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो।
जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्‍तु जो विश्वास ने करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा।
और विश्वास करने वालों में ये चिन्‍ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को निकालेंगे।
नई नई भाषा बोलेंगे, सांपों को उठा लेंगे, और यदि वे नाशक वस्‍तु भी पी जांए तौभी उन की कुछ हानि न होगी, वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएंगे।
निदान प्रभु यीशु उन से बातें करने के बाद स्‍वर्ग पर उठा लिया गया, और परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठ गया।
और उन्‍होंने निकल कर हर जगह प्रचार किया, और प्रभु उन के साथ काम करता रहा, और उन चिन्‍हों के द्वारा जो साथ साथ होते थे वचन को, दृढ़ करता रहा। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • श्रेष्ठगीत ६-८
  • गलतियों ४

शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

संतोष

एक बुज़ुर्ग औरत की फोटो ने मेरे मन को जकड़ लिया और मुझे सोचने पर बाध्य कर दिया। मुस्कुराती हुई वह बुज़ुर्ग औरत कूड़े के एक ढेर पर बैठी थी और वहां से उठाया कुछ भोजन खा रही थी। उस औरत को प्रसन्न करने के लिये कितनी ज़रा सी और कैसी तुच्छ चीज़ भी काफी थी!

अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और महंगाई की चर्चाएं बहुत आम बात हो गई है। बहुत से लोग अपने जीविका कमाने के बारे में चिंतित रहते हैं। क्या इन परिस्थितियों में यह संभव है कि हम मत्ती ६:२५ में अपने प्रभु यीशु द्वारा दी गई शिक्षा "मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे" पर ध्यान दें और विश्वास रखें?

हमारा प्रभु यह नहीं कह रहा था कि हमें कोई काम करने की आवश्यक्ता नहीं है, या हमें कुछ खाने की आवश्यक्ता नहीं है, या हम ने कैसे कपड़े पहने हैं इस के लिये सोचने की आवश्यक्ता नहीं है। वह जीवन में इन बातों के महत्व और आवश्यक्ता को भली भांति जानता था। वह जो सिखा रहा था वह था जीवन में इन बातों के प्रति सही दृष्टिकोण रखना। वह चेतावनी दे रहा था कि ये बातें हमारे लिये कभी इतनी बड़ी न बन जाएं कि इन की प्राप्ति के पीछे हम धन संपत्ति के ग़ुलाम बन जाएं और यीशु पर अपने विश्वास को छोड़ बैठें। उसने कहा "कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते" और "इसलिये पहिले तुम उस [परमेश्वर] के राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी"(मत्ती ६:२४, ३३)।

पहले परमेश्वर के धर्म और राज्य की खोज करने का तातपर्य है कि हम इस बात को पहिचाने कि हम चाहे जितनी भी मेहनत अपने और अपने परिवार की समृद्धि के लिये कर लें, अन्ततः परमेश्वर ही है जो हमारी आवश्यक्ताओं को पूरा करता है; और क्योंकि हम स्वर्गीय परमेश्वर पिता की सन्तान हैं, तो हमारी आवश्यक्ताओं की चिंता करना उसका कार्य है और वह समय अनुसार हमें हमारी आवश्यक्ता कि हर वस्तु उपलब्ध कराता रहेगा। - सी. पी. हिया


यदि धन के ग़ुलाम बनने से बचना है तो उसे परमेश्वर द्वारा उपलब्ध कराया संसाधन बना कर प्रयोग करें।

कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते। - मत्ती ६:२४


बाइबल पाठ: मत्ती ६:२४-३४

कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते।
इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे? क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं, तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है। क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?
तुम में कौन है, जो चिन्‍ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
और वस्‍त्र के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्‍योंकर न पहिनाएगा?
इसलिये तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे?
क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिएं।
इसलिये पहले तुम उस के राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।
सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा, आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।

एक साल में बाइबल:
  • श्रेष्टगीत ४, ५
  • गलतियों ३

गुरुवार, 23 सितंबर 2010

साधारण विश्वास की प्रार्थना

सन २००८ में Day of Discovery का फिल्म बनाने वाला दल एक विशेष अभियान पर चीन गया। उनका उद्देश्य था चीन में काम कर चुके प्रसिद्ध मिशनरी एरिक लिडल के मिशनरी जीवन पर फिल्म बनाना। एरिक लिडल १९२४ के ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भी था और उसके जीवन पर Chariots of Fire नामक फिल्म बन चुकी थी। वह दल एरिक की तीन बेटियों और उनकी बुज़ुर्ग रिशतेदार लूइज़ी को भी अपने साथ ले गया, जिससे वे उन स्थानों को देख सकें जहां एरिक ने काम किया था और एरिक की दो बड़ी बेटियां रहीं थीं।

जब वे चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे तो एक स्थान पर उन्हें अपना सामान उठा कर काफी लंबी दूरी पैद्ल चलना पड़ा, चलते चलते लूइज़ी की सांस फूल गई और उसे सांस लेने में मुशकिल होने लगी। उस द्ल की एक सद्स्या जूली लूइज़ी के पास उसके साथ बैठ गई और उस के घुटनों पर हाथ रख कर बड़े स्वाभाविक रूप से छोटी से प्रार्थना करी - "प्रीय प्रभु यीशु, आंटी लूइज़ी को सांस लेने में सहायता करें" और तुरंत ही लुइज़ी की सांस ठीक चलने लगी।

बाद में एरिक की एक बेटी हीदर ने बताया कि जूली की प्रार्थना और इस घटना ने उसके विश्वास में नई जान फूंकी। जूली के साधारण विश्वास के कार्य ने हीदर को यीशु के साथ उसके लगातार बने रहने वाले रिशते को स्मरण दिलाया - यह वह सच्चाई थी जिसे हीदर उस समय अपने जीवन में भुला चुकी थी।

कभी कभी हमें ऐसे अनुभवों की आवश्यक्ता होती है जो हमें परमेश्वर की लगातार हमारे साथ बनी रहने वाली उपस्थिति हमें स्मरण दिला सकें। जब आपके जीवन में कठिनाईयां और परीक्षाएं आयें, आपको लगे कि परमेश्वर आपसे दूर कहीं है, तो जूली की साधारण विश्वास की प्रार्थना को याद कीजिए - संसार के सृष्टीकर्ता परमेश्वर से हमारी दूरी केवल एक प्रार्थना भर की है, और साधारण विश्वास से करी गई प्रार्थना उसके साथ हमारे संबंध को कार्यान्वित कर देती है (यूहन्ना १४:१३, १४)। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर अपने लोगों की सच्ची प्रार्थनाओं में आनन्दित होता है।

जो कुछ तुम मेरे नाम से मांगोगे, वही मैं करूंगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो। यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा। - यूहन्ना १४:१३, १४


बाइबल पाठ: यूहन्ना १४: १२-१४

मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा, वरन इन से भी बड़े काम करेगा, क्‍योंकि मैं पिता के पास जाता हूं।
और जो कुछ तुम मेरे नाम से मांगोगे, वही मैं करूंगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।
यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा।

एक साल में बाइबल:
  • श्रेष्ठगीत १-३
  • गलतियों २

बुधवार, 22 सितंबर 2010

अनन्त स्तुतिगान

मैं प्रत्येक ग्रीष्मकाल में हमारे शहर में खुले स्थानों पर आयोजित निशुल्क संगीत समूहगानों का आनन्द लेता हूँ। ऐसे ही एक समूहगान से पहले उस संगीत मंडली के सद्स्यों ने अपना अपना परिचय दिया और बताया कि एक साथ अभ्यास करना और संगीत प्रस्तुत करना उन्हें कितना अच्छा लगता है।

एक साथ जमा हो कर संगीत का आनन्द लेना सदीयों से लोगों को आकर्षित करता रहा है। मसीह यीशु के अनुयायी होने के कारण, चाहे हम छोटे गुट में हों या संगीत मंडली में अथवा किसी बड़े संगीत समूह में, परमेश्वर का स्तुतिगान करना हमारे विश्वास की अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है; और एक दिन हम ऐसे समूह में साथ गाएंगे जो आज हमारी कलपना और समझ से परे है।

अन्त के समय पर होने वाली घटनाओं का प्रेरित यूहन्ना ने दर्शन पाया। यूहन्ना लिखता है उस स्तुतिगान के बारे में जो बहुत थोड़ों से आरंभ होता है और बढ़ कर अनगिनित समूह हो जाता है। परमेश्वर के मेम्ने के सम्मान में, जिसने अपने लोहू से हर जाति, कुल एवं राष्ट्र से लोगों का उद्धार किया, यह समूहगान परमेश्वर के सिंहासन के निकट से आरंभ होता है और फिर इसमें हज़ारों हज़ार स्वर्गदूत और अन्ततः समस्त सृष्टि का हर प्राणी सम्मिलित हो जाता है - "फिर मैं ने स्‍वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्‍तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे" (प्रकाशितवाक्य ५:१३)।

क्या खूब समूह है! क्या खूब स्तुति का समूहगान है! क्या खूब यह सौभाग्य कि हम अभी से इसमें भाग लेने का अभ्यास कर सकते हैं! - डेविड मैक्कैसलैंड


जो अब मसीह को जानते हैं वे सदा उसकी स्तुति गाते रहेंगे।

फिर मैं ने स्‍वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्‍तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे। - प्रकाशितवाक्य ५:१३


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ५:८-१४

और जब उस ने पुस्‍तक ले ली, तो वे चारों प्राणी और चौबीसों प्राचीन उस मेम्ने के साम्हने गिर पड़े और हर एक के हाथ में वीणा और धूप से भरे हुए सोने के कटोरे थे, ये तो पवित्र लोगों की प्रार्थनाएं हैं।
और वे यह नया गीत गाने लगे, कि तू इस पुस्‍तक के लेने, और उसकी मुहरें खोलने के योग्य है क्‍योंकि तू ने वध होकर अपने लोहू से हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है।
और उन्‍हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।
और जब मै ने देखा, तो उस सिंहासन और उन प्राणियों और उन प्राचीनों की चारों ओर बहुत से स्‍वर्गदूतों का शब्‍द सुना, जिन की गिनती लाखों और करोड़ों की थी।
और वे ऊंचे शब्‍द से कहते थे, कि वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और धन्यवाद के योग्य है।
फिर मैं ने स्‍वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्‍तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे।
और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिर कर दण्‍डवत किया।

एक साल में बाइबल:
  • सभोपदेशक १०-१२
  • गलतियों १

मंगलवार, 21 सितंबर 2010

पाखण्ड

जैसे जैसे मैं प्रभु यीशु के जीवन का अध्ययन करता हूँ, मुझे विस्मय होता है कि जिन लोगों से वह सबसे अधिक क्रुद्ध हुआ, वे बाहरी रूप से उस से मेल खाने वाले लोग थे। प्रभु यीशु ने मूसा की व्यवस्था का पूरी रीति से पालन किया, कुछ फरीसियों की शिक्षाओं को भी उद्ध्वत किया (मरकुस ९:११, १२; १२:२८-३४)। फिर भी उसने फरीसियों को ही सबसे अधिक डांटा। उसने उन्हें ’सांपों’, ’करैत के बच्चों’, ’मूर्खों’ और ’कपटी’ कहा।

उन में ऐसा क्या था जिसने प्रभु यीशु को उन्हें ऐसा कहने को उकसाया?

फरीसी परमेश्वर के लिये जीवन जीने को समर्पित होते थे; वे, व्यवस्था के अनुसार, अपनी आमदनी का दसवां भाग पूरी खराई से मन्दिर में देते थे (मती २३:२३); व्यवस्था की हर बात का पालन वैधानिक रीति से करते थे; अन्य लोगों में प्रचार करने के लिये सेवकों को भेजते थे कि उन्हें अपने साथ मिला सकें (मती २३:१५); वे अपने समय के ’खुली’ विचारधारा वाले लोगों और नास्तिकों की अपेक्षा, पारंपरिक सिद्धांतों का पालन करते थे।

किंतु फिर भी प्रभु यीशु का उन पर किया गया भीषण दोषारोपण दिखाता है कि वह उनके वैधानिक विधिवादिता - अर्थात सच्चे और खरे मन से नहीं वरन केवल बाहरी रूप से आज्ञा पालन करना, के विषैले प्रभाव को कितनी गंभीरता से लेता था। उसे पता था कि इस वैधानिक विधिवादिता के खतरे अप्रत्यक्ष लेकिन बहुत खतरनाक होते हैं, उन्हें परोक्ष में देखना सदा संभव नहीं होता। मेरा मानना है कि यही खतरे आज हमारे लिये भी गंभीर समस्या हैं।

प्रभु यीशु ने भीतरी के बजाए बाहरी पर उनके द्वारा दिये गए ज़ोर की निन्दा की - "हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय, तुम कटोरे और थाली को ऊपर ऊपर से तो मांजते हो परन्‍तु वे भीतर अन्‍धेर असंयम से भरे हुए हैं" (मती२३:२५)। पाखण्ड उन के जीवनों में भरा था, और उन्होंने परमेश्वर के प्रेम को प्रगट करने वाली उसकी व्यवस्था को अपनी स्वार्थसिद्धी का आधार, निज कमाई का साधन और लोगों को प्रभावित करने का ज़रिया बना लिया था - सब कुछ धर्म और परमेश्वर ही के नाम पर। यही प्रभु यीशु को नागवार गुज़रता था, और वह नहीं चाहता था कि ऐसी कोई बात उसके चेलों में कभी पाई जाए।

आपकी आत्मिक परिपक्वता का प्रमाण इसमें नहीं है कि आप संसार के समक्ष अपने आप को कितना "पवित्र और शुद्ध" दिखाते हैं, वरन इसमें है कि आप स्वयं अपनी खामियों को कितना पहचानते हैं, मानते हैं और उनके लिये कितने पश्चातापी हैं। आपका यही बोध और उन खामियों का अंगीकार, परमेश्वर की कृपा और अनुग्रह के द्वार आपके लिये खोल देता है। - फिलिप यैन्सी


पाखण्ड परमेश्वर से हमारे प्रेममय सबंध को नाश कर देता है।

हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय... तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों, अर्थात न्याय और दया और विश्वास को छोड़ दिया है। - मती २३:२३


बाइबल पाठ: मत्ती २३:१-१५

तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा।
शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं।
इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना परन्‍तु उन के से काम मत करना क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं।
वे एक ऐसे भारी बोझ को जिस को उठाना कठिन है, बान्‍धकर उन्‍हें मनुष्यों के कन्‍धों पर रखते हैं, परन्‍तु आप उन्‍हें अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते ।
वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्‍त्रों की कोरें बढ़ाते हैं।
जेवनारों में मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन।
और बाजारों में नमस्‍कार और मनुष्य में रब्‍बी [गुरू] कहलाना उन्‍हें भाता है।
परन्‍तु, तुम रब्‍बी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो।
और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, कयोंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्‍वर्ग में है।
और स्‍वामी भी न कहलाना, क्‍योंकि तुम्हारा एक ही स्‍वामी है, अर्थात मसीह।
जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।
जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।
हे कपटी शास्‍त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय!
तुम मनुष्यों के विरोध में स्‍वर्ग के राज्य का द्वार बन्‍द करते हो, न तो आप ही उस में प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो।
हे कपटी शास्‍त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है, तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो।

एक साल में बाइबल:
  • सभोपदेशक ७-९
  • २ कुरिन्थियों १३

सोमवार, 20 सितंबर 2010

विश्वास के अनजाने, अनपहचाने योद्धा

अपने लड़कपन के समय अक्सर, ग्रीष्म कल की अपनी छुट्टियों में से कुछ समय मैं अपने दादा-दादी के साथ बिताती थी। कई बार दोपहर को घर के पीछे के आंगन में टंगे झूले में लेट कर दादा के पुस्तक संग्रह में से पुस्तकें पढ़ती थी। उनमें से एक पुस्तक जो मैंने पढ़ी वह थी Foxe's Book of Martyrs - जो मसीही विश्वास के लिये शहीद हुए विश्वासियों की जीवन गाथाओं का संकलन था। मेरी छोटी उम्र के हिसाब से यह गंभीर और गहन अध्ययन की पुस्तक थी, परन्तु मैं उसमें दिये मसीही विश्वासियों के विश्वास की परीक्षा के वृतांत में पूरी तरह मग्न हो जाती थी - कैसे उन्हें अपने विश्वास से पीछे हटने को मजबूर करने के लिये सताया जाता था और उनके इन्कार करने पर उन्हें कैसी दर्दनाक और भयनाक मृत्यु से होकर जाना पड़ता था।

इब्रानियों की पत्री के ११वें अध्याय में भी ऐसी ही कुछ विश्वासियों के बारे में लिखा है, जिन्होंने परमेश्वर के प्रति असीम विश्वास प्रदर्शित किया। क्लेशों, परीक्षाओं और भारी सताव से निकलने वालों की सूचि में कुछ जाने-पहचाने नामों के बाद वर्णन आता है कई अनाम लोगों का जिन्हें लेखक सिर्फ "कितने’ और "कई और" करके संबोधित करता है (पद ३५, ३६)। यद्यपि उनके नाम तो नहीं दिये गए हैं परन्तु पद ३८ उन्हें यह कह कर श्रद्धांजलि देता है कि "संसार उन के योग्य न था" - यीशु के लिये उन्होंने साहसपूर्वक मृत्यु को गले लगा लिया।

आज भी हम सारे संसार में अपने विश्वास के लिये सताये जाने वाले मसीही विश्वासियों के बारे में सुनते हैं, किंतु हम में से बहुतेरे अभी इस हद तक परखे नहीं गए हैं। मैं अपने विश्वास के बारे में सोचती हूं कि ऐसे सताव, परीक्षा और मृत्यु के जोखिम में क्या मैं विश्वास में स्थिर रह पाउंगी? मैं चाहती हूं कि यदि मुझे इन परिस्थितियों से होकर निकलना पड़े तो मेरा रवैया पौलुस के समान हो जिसने कहा यद्यपि बन्धन और क्लेश मेरा इन्तज़ार कर रहे हैं तौभी मैं अपनी सेवकाई को आनन्द सहित पूरी करूं (प्रेरितों २०:२३, २४)।

क्या हम अपने जीवन को मसीह में ऐसे स्थिर विश्वास से जी रहे हैं? - सिंडी हैस कैस्पर


सताव में भी आनन्दित रहने के लिये यीशु को अपने आनन्द का आधार बनाओ।

धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। आनन्‍दित और मगन होना क्‍योंकि तुम्हारे लिये स्‍वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्‍होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था। - मत्ती ५:१०, ११


बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:३२-४०

अब और क्‍या कहूँ क्‍योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते, धर्म के काम किए, प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तुएं प्राप्‍त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए।
आग ही ज्‍वाला को ठंडा किया, तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए, लड़ाई में वीर निकले, विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
स्‍त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया, कितने तो मार खाते खाते मर गए और छुटकारा न चाहा इसलिये कि उत्तम पुनरूत्थान के भागी हों।
कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने, और कोड़े खाने, वरन बान्‍धे जाने, और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
पत्थरवाह किए गए, आरे से चीरे गए, उन की परीक्षा की गई, तलवार से मारे गए, वे कंगाली में और क्‍लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे।
और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे।
संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्‍छी गवाही दी गई, तोभी उन्‍हें प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तु न मिली।
क्‍योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचें।

एक साल में बाइबल:
  • सभोपदेशक ४-६
  • २ कुरिन्थियों १२

रविवार, 19 सितंबर 2010

और बेहतर योजना

हाल ही में हमारा परिवर एक रिश्तेदार से मिलने पेन्सिल्वेनिया प्रदेश के ईरी इलाके में गया। वहां पर हमें एक सामुदायिक तैराकी स्थल पर तैराकी करने का अवसर मिला। इसमें हमें बहुत मज़ा आया, लेकिन हमारे मेज़बान की इच्छा थी कि हम वहां से निकल कर ईरी झील के किनारे चलें और झील के तट की बालु, लहरों की अटखेलियां तथा झील में डूबते सूर्य की छटा का आनन्द लें। मेरे बच्चों ने इसका इसका विरोध किया क्योंकि वे तैरने के मज़े को छोड़ना नहीं चाहते थे। मुझे उन्हें समझाना पड़ा कि झील तट पर जाना इससे कहीं अच्छी और मज़ेदार योजना है।

मेरा मानना है कि प्रभु यीशु भी शमौन पतरस को समझाना चाहते थे कि उसके लिये उनकी योजना कहीं उत्तम है - वह मछलियों का नहीं, मनुष्यों का ’मछुआरा’ होगा (लूका ५:१०)। यीशु ने पतरस से कहा कि गहरे पानी में चलकर जाल डाले। जब प्रभु ने उससे यह कहा, तब पतरस सारी रात के असफल प्रयासों के बाद खाली हाथ लौटा ही था, फिर भी उसने आज्ञा मनी और कहा "हे स्‍वामी, हम ने सारी रात मेहनत की और कुछ न पकड़ा, तौभी तेरे कहने से जाल डालूंगा। जब उन्‍होंने ऐसा किया, तो बहुत मछिलयां घेर लाए, और उन के जाल फटने लगे" (लूका ५:५, ६)। इस चमत्कार से प्रभावित होकर वह प्रभु के सामने भय और श्रद्धा के साथ झुक गया, और प्रभु ने उससे कहा कि वह चाहता है कि अब से पतरस मनुष्यों का ’मछुआरा’ बने। पतरस अपना सब कुछ छोड़ कर प्रभु यीशु के पीछे हो लिया।

हमारे लिये परमेश्वर की बेहतर योजना चाहे हमारी जीविका छोड़ने की ना हो, परन्तु हमारे लिये उसकी योजना में सम्मिलित है कि हम अपने समय, संसाधन और जीविका का उपयोग दूसरों को परमेश्वर के राज्य में लाने के लिये करें। - मार्विन विलियम्स


जिस अगले व्यक्ति से आप मिलें, उसे प्रभु यीशु से मिलने की बड़ी ज़रूरत हो सकती है।

तब यीशु ने शमौन से कहा, मत डर: अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा। - लूका ५:१०


बाइबल पाठ: लूका ५:१-११

जब भीड़ उस पर गिरी पड़ती थी, और परमेश्वर का वचन सुनती थी, और वह गन्नेसरत की झील के किनारे पर खड़ा था, तो ऐसा हुआ।
कि उस ने झील के किनारे दो नावें लगी हुई देखीं, और मछुवे उन पर से उतर कर जाल धो रहे थे।
उन नावों में से एक पर जो शमौन की थी, चढ़ कर, उस ने उस से बिनती की, कि किनारे से थोड़ा हटा ले चले, तब वह बैठ कर लोगों को नाव पर से उपदेश देने लगा।
जब वे बातें कर चुका, तो शमौन से कहा, गहिरे में ले चल, और मछिलयां पकड़ने के लिये अपने जाल डालो।
शमौन ने उसको उत्तर दिया, कि हे स्‍वामी, हम ने सारी रात मेहनत की और कुछ न पकड़ा, तौभी तेरे कहने से जाल डालूंगा।
जब उन्‍होंने ऐसा किया, तो बहुत मछिलयां घेर लाए, और उन के जाल फटने लगे।
इस पर उन्‍होंने अपने साथियों को जो दूसरी नाव पर थे, संकेत किया, कि आकर हमारी सहायता करो: और उन्‍होंने आकर, दोनो नाव यहां तक भर लीं कि वे डूबने लगीं।
यह देखकर शमौन पतरस यीशु के पांवों पर गिरा, और कहा हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्‍योंकि मैं पापी मनुष्य हूं।
क्‍योंकि इतनी मछिलयों के पकड़े जाने से उसे और उसके साथियों को बहुत अचम्भा हुआ।
और वैसे ही जब्‍दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना को भी, जो शमौन के सहभागी थे, अचम्भा हुआ: तब यीशु ने शमौन से कहा, मत डर: अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा।
और व नावों को किनारे पर ले आए और सब कुछ छोड़ कर उसके पीछे हो लिए।

एक साल में बाइबल:
  • सभोपदेशक १-३
  • २ कुरिन्थियों ११:१६-३३

शनिवार, 18 सितंबर 2010

दृष्टिकोण

लगता है कि संसार में दो तरह के लोग रहते हैं - एक वे जिनका दृष्टिकोण अनन्त के लिये है और दूसरे वे जो वर्तमान के लिये व्यस्त रहते हैं।

एक शाशवत पर मन लगाते हैं, दूसरे क्षणिक पर। एक स्वर्ग में धन एकत्रित करते हैं, दूसरे इस धरती पर। एक समस्याओं भरे वैवाहिक जीवन को भी निभा लेते हैं इस विश्वास से कि इससे आगे भी कुछ है, दूसरे समस्याओं में नए जीवन साथी ढूंढने लगते हैं यह मान कर कि जो है वो यहीं है। एक दरिद्रता, भूख, अपमान और लज्जा इसलिये सह लेते हैं "क्योंकि मैं समझता हूं, कि इस समय के दु:ख और क्‍लेश उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं" (रोमियों ८:१८), दूसरे इस उद्देश्य से जीवन जीते हैं कि धनी और प्रसिद्ध होना ही सुखी होना है।

सब दृष्टिकोण की बात है।

इब्राहिम का दृष्टिकोण परलोक का था; इसी लिये वह यरदन नदी की तराई का उपजाऊ और भली भांति सींचा हुआ भूभाग बड़ी सहजता से अपने भतीजे लूत के लिये छोड़ सका (उत्पति १३)। वह जानता था कि भविष्य में परमेश्वर ने उसके लिये कुछ इससे भी उत्तम रख छोड़ा है। और ऐसा ही हुआ, परमेश्वर ने उससे कहा कि वह अपने चारों ओर दृष्टि करे, जहां तक भी उसकी निगाह जाती है, वह सारी भूमि उसकी और उसके वंश की होगी और उसके वंशज धूल के किनकों के समान अनगिनत होंगे (पद १६)।

यह ऐसा दृष्टिकोण है जिसे आज बहुतेरे समझ नहीं पाते। वे तो अपनी सारी युक्ति और सामर्थ से बस वर्तमान के लिये ही जीते हैं, यहीं सब कुछ पाना चाहते हैं। पर परमेश्वर के लोग कुछ और ही दृष्टिकोण रखते हैं - वे जानते हैं कि भविष्य में परमेश्वर ने उनके लिये कुछ और भी उतम रख छोड़ा है - "परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखीं, और कान ने नहीं सुनीं, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं" (१ कुरिन्थियों २:९)। - डेविड रोपर


जो प्रभु यीशु मसीह के लिये जीवन जीते हैं, वे अनन्तता के लिये जीवन जीते हैं।

क्योंकि मैं समझता हूं, कि इस समय के दु:ख और क्‍लेश उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं। - रोमियों ८:१८


बाइबल पाठ: उत्पति १३:१०-१८

तब लूत ने आंख उठा कर, यरदन नदी के पास वाली सारी तराई को देखा, कि वह सब सिंची हुई है।
तब तक यहोवा ने सदोम और अमोरा को नाश न किया था, तब तक सोअर के मार्ग तक वह तराई यहोवा की वाटिका, और मिस्र देश के समान उपजाऊ थी।
अब्राम तो कनान देश में रहा, पर लूत उस तराई के नगरों में रहने लगा, और अपना तम्बू सदोम के निकट खड़ा किया।
सदोम के लोग यहोवा के लेखे में बड़े दुष्ट और पापी थे।
जब लूत अब्राम से अलग हो गया तब उसके पश्चात यहोवा ने अब्राम से कहा, आंख उठा कर जिस स्थान पर तू है वहां से उत्तर-दक्खिन, पूर्व-पश्चिम, चारों ओर दृष्टि कर।
क्योंकि जितनी भूमि तुझे दिखाई देती है, उस सब को मैं तुझे और तेरे वंश को युग युग के लिये दूंगा।
और मैं तेरे वंश को पृथ्वी की धूल के किनकों की नाईं बहुत करूंगा, यहां तक कि जो कोई पृथ्वी की धूल के किनकों को गिन सकेगा वही तेरा वंश भी गिन सकेगा।
उठ, इस देश की लम्बाई और चौड़ाई में चल फिर क्योंकि मैं उसे तुझी को दूंगा।
इसके पशचात अब्राम अपना तम्बू उखाड़ कर, माम्रे के बांज वृक्षों के बीच जो हेब्रोन में थे जा कर रहने लगा, और वहां भी यहोवा की एक वेदी बनाई।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन ३०, ३१
  • २ कुरिन्थियों ११:१-१५

शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

सोच-विचार करने वाले

डेविड मैक्कल्लो द्वारा लिखित अमेरिका के संस्थापकों और आरंभिक राष्ट्रपतियों में से एक, जौन एडम्स, की जीवनी में उन्हें "दोनो, एक धर्मपरायण मसीही विश्वासी तथा स्वतंत्र विचारक, और जिनमें दोनो गुणों से कोई अन्तःकलह न हो" कहा गया है। मुझे इस राय ने विचिलित किया, क्योंकि इसमें इस बात पर आश्चर्य निहित है कि एक मसीही विश्वासी में ये दोनो गुण एक साथ हैं। साधारण्तः लोग मसीही विश्वासी को सीधा-सादा और बिना सोच-समझ वाला समझते हैं। लोगों के लिये सोच-विचार करने वाला मसीही विश्वासी होना संभव नहीं है।

यह बिलकुल निराधार और गलत धारणा है। उद्धार का एक बड़ा लाभ है कि उस के कारण विश्वासी के मन में परमेश्वर की शांति रहती है (फिलिप्पियों ४:७), जिससे जीवन की हर बात का वह स्पष्ट विचार, विवेकशीलता और समझ-बूझ के साथ विशलेषण कर सकता है। पौलुस ने इसका वर्णन कुरिन्थुस के विश्वासियों को लिखी अपनी दूसरी पत्री में किया। उसने उन्हें स्मरण दिलाया कि मसीह में हमें क्षम्ता मिली है कि "हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्‍डन करते हैं, और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं।" (२ कुरिन्थियों १०:५)

किसी तर्क का बुद्धिमानी से विशलेषण करना, परमेश्वर के ज्ञान को स्पष्टता से समझ लेना और अपने मन को मसीह के मन के अनुरूप ढाल लेना बहुत मूल्यवान कौशल हैं, ऐसे संसार में जीने के लिये जहां भले बुरे की पहचान रखना कठिन रहता है। ये कौशल हमें मसीह का प्रतिनिधी होकर रहने के योग्य भी करते हैं।

प्रत्येक मसीही विश्वासी को सोच-विचार करने वाला होना चाहिये - क्या आप हैं? - बिल क्राउडर


विश्वास करना, कभी भी बुद्धिमता एवं विचारशीलता को अनुपयोगी करना नहीं है।

सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्‍डन करते हैं, और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं। - २ कुरिन्थियों १०:५


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों १०:१-११

मैं वही पौलुस जो तुम्हारे साम्हने दीन हूं, परन्‍तु पीठ पीछे तुम्हारी ओर साहस करता हूं, तुम को मसीह की नम्रता, और कोमलता के कारण समझाता हूं।
मैं यह बिनती करता हूं, कि तुम्हारे साम्हने मुझे निर्भय होकर साहस करना न पड़े जैसा मैं कितनों पर जो हम को शरीर के अनुसार चलने वाले समझते हैं, वीरता दिखाने का विचार करता हूं।
क्‍योंकि यद्यपि हम शरीर में चलते फिरते हैं, तौभी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते।
क्‍योकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं।
सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्‍डन करते हैं, और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं।
और तैयार रहते हैं कि जब तुम्हारा आज्ञा मानना पूरा हो जाए, तो हर एक प्रकार के आज्ञा न मानने का पलटा लें।
तुम इन्‍हीं बातों को दखते हो, जो आंखों के साम्हने हैं, यदि किसी का अपने पर यह भरोसा हो, कि मैं मसीह का हूं, तो वह यह भी जान ले, कि जैसा वह मसीह का है, वैसे ही हम भी हैं।
क्‍योंकि यदि मैं उस अधिकार के विषय में और भी घमण्‍ड दिखाऊं, जो प्रभु ने तुम्हारे बिगाड़ने के लिये नहीं पर बनाने के लिये हमें दिया है, तो लज्ज़ित न हूंगा।
यह मैं इसलिये कहता हूं, कि पत्रियों के द्वारा तुम्हें डराने वाला न ठहरूं।
क्‍योंकि कहते हें, कि उस की पत्रियां तो गम्भीर और प्रभावशाली हैं, परन्‍तु जब देखते हैं, तो वह देह का निर्बल और वक्तव्य में हल्का जान पड़ता है।
सो जो ऐसा कहता है, कि समझ रखे, कि जैसे पीठ पीछे पत्रियों में हमारे वचन हैं, वैसे ही तुम्हारे साम्हने हमारे काम भी होंगे।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन २७-२९
  • २ कुरिन्थियों १०

गुरुवार, 16 सितंबर 2010

गुमनामी में कही बातें

कहावत है कि कायर ही गुमनामी के पीछे छिप कर अपनी बात कहते या करते हैं। गुमनाम लोगों द्वारा जो मुझे पत्र और टिप्पणियां भेजी जाती हैं और जो बातें वे लिखते हैं, उनके आधार पर मुझे यह कहावत काफी सत्य प्रतीत होती है। लोग गुमनामी या झूठी पहचान के पीछे छिप कर दूसरों पर तीव्र आघात और दोषारोपण करने की स्वतंत्रता महसूस करते हैं। गुमनामी उन्हें बिना अपनी कही बातों की ज़िम्मेदारी लिये, कटु होने का अवसर देती है।

जब कभी मुझे प्रलोभन होता है कि मैं किसी बात पर गुमनामी से लिखुं, क्योंकि मैं अपने नाम को अपनी उस बात के साथ जोड़ना नहीं चाहती, तो मैं ठहर कर उस बात पर पुनः विचार करती हूँ। यदि मैं अपने नाम को किसी बात के साथ जुड़ा हुआ नहीं देखना चाहती तो उस बात को कहना मेरे लिये अनुचित होगा; ऐसे में मैं फिर दो में से कोई एक बात करती हूँ - या तो मैं उस बात को छोड़ देती हूँ, या उसे ऐसे तरीके से कहती हूँ कि वह बात चोट पहुँचाने की बजाए उभारने और सहायता करने वाली बात हो जाए।

इफिसियों की पत्री के अनुसार हमारे शब्दों द्वारा दूसरों की उन्नति हो और उन्हें अनुग्रह पहुँचे (इफिसियों ४:२९)। यदि मैं बात कहने के लिये अपने नाम का प्रयोग नहीं करना चाहती, तो प्रगट है कि संभवतः बात का उद्देश्य चोट पहुँचाना है न कि उभारना।

आप को जब कभी किसी को कोई बात गुमनामी में कहने का प्रलोभन हो - चाहे अपने परिवार के सदस्य या सहकर्मी या अपने पास्टर से, तो थोड़ा रुक कर सोचिये कि आप अपनी बात के साथ अपना नाम क्यों नहीं जोड़ना चाहते? और यदि आप ही अपने नाम को अपनी बात के साथ नहीं जोड़ना चाहते तो फिर भला परमेश्वर क्यों चाहेगा कि ऐसी किसी भी बात के साथ उसका नाम जोड़ा जाये?

परमेश्वर अनुग्रहकारी, सहनशील और विलंब से क्रोध करने वाला है (निर्गमन ३४:६) और चाहता है कि उसके लोग भी ऐसे ही हों। - जूली ऐकरमैन लिंक


चोट पहुंचाने वाले शब्दों को कहने के लिये गुमनामी के पीछे छुपना का कायरों का काम है।

बुद्धिमान के वचनों के कारण अनुग्रह होता है - सभोपदेशक १०:१२


बाइबल पाठ: इफिसियों ४:२५-३२

इस कारण झूठ बोलना छोड़ कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्‍योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
और न शैतान को अवसर दो।
चोरी करने वाला फिर चोरी न करे वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्र्म करे, इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन २५, २६
  • २ कुरिन्थियों ९

बुधवार, 15 सितंबर 2010

छोड़ देना

कहते हैं कि जो किसी के लिये रद्दी है, वही किसी और के लिये बहुमूल्य हो सकता है। डेविड डडले घर बदलने में अपने माता-पिता की सहायता कर रहा था। जिस दूसरे घर में उन्हें जाना था वह उनके वर्तमान घर से छोटा था और उन्हें अपने सामान की छंटाई करने तथा अनुपयोगी चीज़ों को छोड़ देने की आवश्यक्ता थी। परन्तु डेविड के लिये यह बहुत मुश्किल और झुंझलाने वाला कार्य साबित हुआ; क्योंकि जिन वस्तुओं को उसके माता-पिता ने दशकों से प्रयोग नहीं किया था वे उन्हें भी छोड़ने को तैयार नहीं थे। आखिरकर डेविड के पिता ने उसे समझाया की जिन वस्तुओं को वह घिसी-पिटी, पुरानी और अनुपयोगी समझता है वे उनके नज़दीकी मित्रों और कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ी हुई हैं और उनके लिये उन वस्तुओं को बेकार समझ कर फेंकना ऐसा है कि मानो वे अपने जीवन को ही फेंक रहे हैं।

अपने घर के बेकार पड़े सामान की छंटाई करने से अनिच्छुक होने का आत्मिक समानन्तर होगा हमारा अपने मन को उन बातों और प्रवृत्तियों से साफ नहीं कर पाना जो हमें बांधे रहती हैं और आगे नहीं बढ़ने देतीं।

कई साल तक पौलूस कुछ बातों को दृढ़ता से थामे रहा; जैसे, परमेश्वर की व्यवस्था के पालन की उसकी स्वधार्मिकता का घमंड, उसका अपने गोत्र, वंश, ज्ञान और कार्य कौशल पर घमंड आदि। उसने इन सबको तब तक नहीं छोड़ा जब तक दमिशक के मार्ग पर उसक सामना जीवित उद्धारकर्ता यीशु से नहीं हुआ। यीशु से हुए साक्षात्कार ने उसकी स्वधार्मिकता और अन्य बातों पर उसके घमंड को उसके जीवन से निकाल दिया। उसके जीवन में आये इस अति महत्वपूर्ण परिवर्तन ने उसे हर बात में अपनी किसी भी सामर्थ पर नहीं वरन केवल परमेश्वर ही पर निर्भर होकर काम करने वाला बना दिया। इसी कारण वह परमेश्वर के लिये बहुत उपयोगी हो सका, और आज भी उसकी लिखी पत्रियां हमें शिक्षाएं देतीं हैं। उसने बाद में लिखा, "परन्‍तु जो जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्‍हीं को मैं ने मसीह के कारण हानि समझ लिया है"। (फिलिप्पियों ३:७)

जब परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमें हमारी किसी ऐसी आदत या प्रवृत्ति को छोड़ देने के लिये उकसाता है जिसके कारण हम प्रभु यीशु का अनुसरण ठीक से नहीं कर पा रहे हैं, तो उसे छोड़ देने से ही हमें सच्ची स्वतंत्रता प्राप्त हो सकती है। - डेविड मैककैसलैंड


मसीह से हमें अनुपयोगी बातों को छोड़ देने की सामर्थ, और छोड़ देने से स्वतंत्रता मिलती है।

परन्‍तु जो जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्‍हीं को मैं ने मसीह के कारण हानि समझ लिया है। - फिलिप्पियों ३:७


बाइबल पाठ: फिलिपियों ३:३-११

क्‍योंकि खतना वाले तो हम ही हैं जो परमेश्वर के आत्मा की अगुवाई से उपासना करते हैं, और मसीह यीशु पर घमण्‍ड करते हैं और शरीर पर भरोसा नहीं रखते।
पर मैं तो शरीर पर भी भरोसा रख सकता हूं यदि किसी और को शरीर पर भरोसा रखने का विचार हो, तो मैं उस से भी बढ़कर रख सकता हूं।
आठवें दिन मेरा खतना हुआ, इस्‍त्राएल के वंश, और बिन्यामीन के गोत्र का हूं, इब्रानियों का इब्रानी हूं, व्यवस्था के विषय में यदि कहो तो फरीसी हूं।
उत्‍साह के विषय में यदि कहो तो कलीसिया का सताने वाला और व्यवस्था की धामिर्कता के विषय में यदि कहो तो निर्दोष था।
परन्‍तु जो जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्‍हीं को मैं ने मसीह के कारण हानि समझ लिया है।
वरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्‍तुओं की हानि उठाई, और उन्‍हें कूड़ा समझता हूं, जिस से मैं मसीह को प्राप्‍त करूं।
और उस में पाया जाऊं, न कि अपनी उस धामिर्कता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन उस धामिर्कता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है, और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है।
और मैं उसको और उसके मृत्युंजय की सामर्थ को, और उसके साथ दुखों में सहभागी हाने के मर्म को जानूं, और उस की मृत्यु की समानता को प्राप्‍त करूं।
ताकि मैं किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुंचूं।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन २२-२४
  • २ कुरिन्थियों ८

मंगलवार, 14 सितंबर 2010

धरोहर

हाल ही में, मेरे छोटे मोटे कम करने के लिये इधर उधर जाने के समय, मेरा पोता एलक्स मेरे साथ रहा। एक दिन अप्रतिक्षित रूप से उसने मुझ से प्रश्न किया, "तो दादा जी आपने यीशु को अपना उद्धारकर्ता कैसे ग्रहण किया?" उसके इस प्रश्न ने मेरा हृदय छू लिया और मैंने उसे बताया कि कैसे बचपन में ही मैंने यह कदम उठाया। इस विष्य पर एलक्स की दिलचस्पी बनी रही तो मैंने उसे बताया कि कैसे उसके परदादा विश्वास में आये। उनके इस वर्णन में यह भी सम्मिलित था कि वे कैसे द्वितीय विश्वयुद्ध में जीवित बच सके, पहले पहल कैसे उन्होंने उद्धार के सुसमाचार का विरोध किया, और फिर कैसे मसीही विश्वास में आने के बाद उनका जीवन बदल गया।

कुछ समय पश्चात जब मैं बाइबल पढ़ रहा था तो उसके एक खंड ने, जहां विश्वास का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को पहुंचाये जाने की ज़िम्मेदारी के विष्य में लिखा है, मुझे अपने पोते से हुई यह बातचीत स्मरण दिलाई। मूसा ने व्यवस्थाविवरण की पुस्तक में इस्त्रालियों को निर्देश दिये कि उनकी जीवन शैली में अनिवार्य हो कि वे परमेश्वर के शाश्वत सत्य को अपने हृदय में बनाए रखें और उसे अपनी अगली पीढ़ी को भी सिखाएं: "और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें। और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझा कर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।" - व्यवस्थाविवरण ६:६, ७

मसीही विश्वास में होना यह निश्चित तो नहीं करता कि हमारी सन्तान भी परमेश्वर से प्रेम करने वाली होगी, किंतु जब हम अपनी अगली पीढ़ी में आत्मिक बातों की रुचि देखते हैं तो हम उनसे परमेश्वर के वचन के बारे में बातें कर के उनके अन्दर परमेश्वर और उद्धार के लिये आकर्शण उत्पन्न कर सकते हैं। यह किसी भी माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी द्वारा अपनी अगली पीढ़ी को दी गई सर्वोतम धरोहर होगी। - डेनिस फिशर


एक ईश्वरीय जीवन शैली का उदाहरण, बच्चों के लिये छोड़ी गई सबसे बहुमूल्य धरोहर है।

तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझा कर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना। - व्यवस्थाविवरण ६:७


बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ६:४-९

हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है।
तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना।
और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें।
और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझा कर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।
और इन्हें अपने हाथ पर चिन्हानी करके बान्धना, और ये तेरी आंखों के बीच टीके का काम दें।
और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन १९-२१
  • २ कुरिन्थियों ७

सोमवार, 13 सितंबर 2010

त्रासदी में आशा

कुछ लोगों का मानना है कि हमें अपनी बाइबल में चित्रांकन नहीं करना चाहिये। परन्तु मुझे खुशी है कि मेरी बेटी मेलिसा ने अपनी बाइबल में चित्रांकन किया। उसने अपनी बाइबल में रोमियों ५ के हाशिये में हरी स्याही से एक मुस्कुराता चेहरा बनाया और पद ३ पर गोलाकार निशान लगाया।

वह कैसे जान सकी कि उसके परिवार और मित्रों को, १७ वर्ष की आयु में उसके अचानक कार दुर्घटना में चले जाने के बाद, इस खंड की आवश्यक्ता होगी? वह कैसे जान सकी कि ये पद उसकी कहानी बयान करेंगे और हमारे तथा दूसरों के जीवन को मार्गदर्शन देते रहेंगे, जैसे वे पिछले ७ वर्षों से, उसके जाने के बाद से कर रहे हैं?

रोमियों ५ का आरंभ होता है प्रभु यीशु पर विश्वास करने के द्वारा हमारा परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी ठहराये जाकर उसके साथ हुए मेल से मिलने वाली शांति की व्याख्या से (पद १)। मेलिसा के पास यह शांति थी। अब वह अपने इस विश्वास के फलों का आनन्द ले रही है, जैसा पद २ में बताया गया है। कलपना कीजिये कि अब ऐसे आनन्द में वह और कैसा मुस्कुराता चेहरा बनाती!

और फिर हम सब हैं - हम सब जो पीछे रह गये हैं, जब हमारे प्रीय जन मृत्यु द्वारा हम से आगे चले गये। ऐसे में भी हम "हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें" - क्यों? क्योंकि क्लेशों से धीरज और धीरज से खरा निकलना होता है और उससे आशा उत्पन्न होती है (पद ३, ४)।

त्रासदी के समय हम असहाय महसूस करते हैं, परन्तु फिर भी हम कभी आशाविहीन नहीं होते। परमेश्वर अपने प्रेम को हमारे हृदय में उंडेलता है और उसके साथ अपनी महीमा की महान आशा भी। यह सब परमेश्वर की महान, रहस्यमयी और अद्भुत योजना का भाग है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर अक्सर दुखों के फावड़ों से हमारे जीवनों में आनन्द के कुएं खोदता है।

केवल यही नहीं, बरन हम क्‍लेशोंमें भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज [उत्पन्न होता है]। - रोमियों ५:३


बाइबल पाठ: रोमियों ५:१-५

सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्‍ड करें।
केवल यही नहीं, बरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज।
ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है।
और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्‍योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन १६-१८
  • २ कुरिन्थियों ६

रविवार, 12 सितंबर 2010

अभद्र व्यवहार

नर्सों की एक पत्रिका Michigan Nurse के एक अंक में एक हैरान करने वाला लेख छपा, जिसने नर्सों के काम काज के दौरान उनके आपसी व्यवहार के कुछ अवगुण प्रकट किये। उस लेख के अनुसार, उनमें आपस में एक दूसरे पर धौंस देना, ज़बर्दस्ती करना, अभद्र व्यवहार करना और गालियां देना, पीठ पीछे बुराई करना, आपसी लड़ाईयां, एक दूसरे पर गलत इल्ज़ाम लगाना, एक दूसरे के विरुद्ध षड़यंत्र रचना आदि प्रचलित था।

यह नहीं है कि इस तरह का व्यवहार न केवल नर्सों में ही देखा जाता है, वरन अन्य काम-काज के स्थानों पर भी देखा जा रहा है और बढ़ता जा रहा है। यह व्यवहार हमेशा ओहदे के दुरुपयोग, हानि के उद्देश्य और भविष्य में और अधिक हानि पहुंचाने की नीयत के साथ जुड़ा होता है।

यदि आपकी धारणा है कि ऐसा व्यवहार क्लीसिया (चर्च) में तो नहीं हो सकता, तो कलीसिया के लोगों और अगुवों के आपसी संबंधों और व्यवहार और जीवन पर ज़रा ग़ौर कीजिये। साथ ही इस पर भी ग़ौर कीजिये कि परिवार के सदस्यों का आपसी व्यवहार कैसा रहता है?

जब भावी स्वर्गीय राज्य में पद-प्रतिष्ठा पाने के लिये चेलों में होड़ लगी तो प्रभु ने उन्हें डांटा और कहा "परन्‍तु तुम में ऐसा न होगा; परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने। जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल करी जाए, परन्‍तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिये अपने प्राण दे।" (मत्ती २०:२६-२८)

यदि प्रभु की यह शिक्षा हमारे जीवन में पाई जाये तो हमारे जीवन में कोई अभद्र व्यवहार कभी नहीं पाया जाएगा। - डेव एगनर


केवल वही जो सेवा करना जानता है और करता है, सच्चा अगुवा होने के योग्य होता है।

परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। - मत्ती २०:२६


बाइबल पाठ: मती २०:२०-२८

तब जब्‍दी के पुत्रों की माता ने अपने पुत्रों के साथ उसके पास आकर प्रणाम किया, और उस से कुछ मांगने लगी।
उस ने उस से कहा, तू क्‍या चाहती है? वह उस से बोली, यह कह, कि मेरे ये दो पुत्र तेरे राज्य में एक तेरे दाहिने और एक तेरे बाएं बैठें।
यीशु ने उत्तर दिया, तुम नहीं जानते कि क्‍या मांगते हो; जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्‍या तुम पी सकते हो? उन्‍होंने उस से कहा, पी सकते हैं।
उस ने उन से कहा, तुम मेरा कटोरा तो पीओगे पर अपने दाहिने बाएं किसी को बिठाना मेरा काम नहीं, पर जिन के लिये मेरे पिता की ओर से तैयार किया गया, उन्हीं के लिये है।
यह सुनकर, दसों चेले उन दोनों भाइयों पर क्रुद्ध हुए।
यीशु ने उन्‍हें पास बुला कर कहा, तुम जानते हो, कि अन्य जातियों के हाकिम उन पर प्रभुता करते हैं, और जो बड़े हैं, वे उन पर अधिकार जताते हैं।
परन्‍तु तुम में ऐसा न होगा, परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने।
और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने।
जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल करी जाए, परन्‍तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिये अपने प्राण दे।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन १३-१५
  • २ कुरिन्थियों ५

शनिवार, 11 सितंबर 2010

ईमानदारी के दर्जे

महिलाओं की एक पत्रिका Woman's Day ने २००० से अधिक लोगों का सर्वेक्षण करके पता लगाया कि वे कितने ईमानदार हैं। जब उन लोगों से पूछा गया कि "आप कितने ईमानदार हैं?" तो ४८% ने कहा "बहुत ईमानदार", ५०% ने कहा "कुछ हद तक ईमानदार" और २% ने कहा "ज़्यादा नहीं"।

उन लोगों में से ६८% ने माना कि अपने निज काम के लिये उन्होंने दफतर के सामान को लिया है; और ४०% ने माना कि यदि उन्हें पक्का हो कि वे पकड़े नहीं जाएंगे तो वे अपने कर देने में बेईमानी करेंगे।

हनन्याह और सफीरा ने भी सोचा होगा कि वे बेईमानी से बच निकलेंगे (प्रेरितों ५:१-११)। पर वे शीघ्र ही जान गए कि ऐसा संभव नहीं है, जब पतरस ने उनका झूठ पकड़ कर उनसे कहा कि उन्होंने मनुष्य से नहीं, परमेश्वर के पवित्र आत्मा से झूठ बोला है, और तुरंत मृत्यु ने उन्हें ले लिया।

प्रभु की इच्छा थी कि उसकी नयी कलीसिया (चर्च) पवित्र रहे जिससे वह उस कलीसिया के विश्वासियों को दूसरों तक प्रभु के जीवन को पहुंचाने के लिये प्रयोग कर सके। बाइबल शिक्षक कैम्पबल मौरगन का कहना है कि "पवित्र कलीसिया ही सामर्थी कलीसिया है.... कलीसिया की पवित्रता केवल कलीसिया में परमेश्वर के पवित्र आत्मा के निवास और सामर्थ से होती है।" कलीसिया की पवित्रता द्वारा ही उनकी गवाही अन्य लोगों तक पहुंची जिससे "विश्वास करने वाले बहुतेरे पुरूष और स्‍त्रियां प्रभु की कलीसिया में और भी अधिक आकर मिलते रहे।" (प्रेरितों ५:१४)

हम ऐसे लोग बनें जो ईमानदारी से काम करते हों (नीतिवचन १२:२२) जिससे प्रभु हमारा उपयोग कर सके। - एनी सेटास

ईमानदारी के कोई दर्जे नहीं होते।


झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है। - नीतिवचन १२:२२

बाइबल पाठ: प्रेरितों ५:१-११

और हनन्याह नाम एक मनुष्य, और उस की पत्‍नी सफीरा ने कुछ भूमि बेची।
और उसके दाम में से कुछ रख छोड़ा, और यह बात उस की पत्‍नी भी जानती थी, और उसका एक भाग लाकर प्ररितों के पावों के आगे रख दिया।
परन्‍तु पतरस ने कहा, हे हनन्याह! शैतान ने तेरे मन में यह बात क्‍यों डाली है कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले, और भूमि के दाम में से कुछ रख छोड़े?
जब तक वह तेरे पास रही, क्‍या तेरी न थी और जब बिक गई तो क्‍या तेरे वश में न थी? तू ने यह बात अपने मन में क्‍यों विचारी? तू मनुष्यों से नहीं, परन्‍तु परमेश्वर से झूठ बोला।
ये बातें सुनते ही हनन्याह गिर पड़ा, और प्राण छोड़ दिए, और सब सुनने वालों पर बड़ा भय छा गया।
फिर जवानों ने उठ कर उसकी अर्थी बनाई और बाहर ले जाकर गाड़ दिया।
लगभग तीन घंटे के बाद उस की पत्‍नी, जो कुछ हुआ था न जान कर, भीतर आई।
तब पतरस ने उस से कहा मुझे बता क्‍या तुम ने वह भूमि इतने ही में बेची थी? उस ने कहा हां, इतने ही में।
पतरस ने उस से कहा यह क्‍या बात है, कि तुम दोनों ने प्रभु की आत्मा की परीक्षा के लिये एका किया है? देख, तेरे पति के गाड़ने वाले द्वार ही पर खड़े हैं, और तुझे भी बाहर ले जाएंगे।
तब वह तुरन्‍त उसके पांवों पर गिर पड़ी, और प्राण छोड़ दिए: और जवानों ने भीतर आकर उसे मरा पाया, और बाहर ले जाकर उसके पति के पास गाड़ दिया।
और सारी कलीसिया पर और इन बातों के सब सुनने वालों पर, बड़ा भय छा गया।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन १०-१२
  • २ कुरिन्थियों ४

शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

उपेक्षित स्थान

हमने सपरिवार छुट्टी मनाने के लिये एक झील के किनारे एक घर किराये पर लिया। छुट्टी का अपना सप्ताह आराम से बिताने के लिये हम बड़े उत्सुक्त थे। जब हम उस घर में पहुंचे तो मेरी पत्नी ने वहां मकड़ियां और चूहों के होने के चिन्ह देखे। ऐसा नहीं है कि हमने पहले कभी इनका सामना नहीं किया था, पर हमारी उम्मीद थी कि हमारे आने से पहले वह घर साफ करके हमारे रहने के लिये तैयार किया जायेगा। परन्तु इस की अपेक्षा उस घर की अलमारियां, मेज़, बिस्तर आदि इन जीवों की गन्दगी से भरे हुए थे और इससे पहले कि हम उसमें रहने पाते, हमें उसे साफ करने में काफी वक्त बिताना पड़ा। घर तो बुरा नहीं था, बस केवल उसकी देख रेख ठीक नहीं हुई थी।

जैसे उस घर की उपेक्षा करी गई, हम भी अपने मन की उपेक्षा करने के ऐसे ही दोषी हो सकते हैं। हमारे मन के उपेक्षित स्थान बुरी बातों, गलत सोच, गलत प्रवृत्तियों और पापमय व्यवहार के पनपने और पलने के स्थान बन सकते हैं, जिन्हें बाद में ठीक करने के लिये बहुत ध्यान की आवश्यक्ता पड़ती है। अकलमंदी इसी में है कि हम परमेश्वर के वचन द्वारा अपने मन को संवार कर रखने की आवश्यक्ता को समझें और उस वचन के सत्य में बने रहें।

भजन ११९:११ में भजनकार ने परमेश्वर के वचन पर आधारित जीवन न बनाने के खतरे को समझा और कहा "मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं।"

परमेश्वर के वचन पर ध्यान बनाये रखने से हम अपने आत्मिक जीवन दृढ़ बना सकते हैं, जो फिर उपेक्षित स्थान होने के खतरों से बचे रहेंगे। - बिल क्राउडर


आत्मिक सामर्थ प्राप्त करने और उसमें बढ़ने के लिये परमेश्वर के वचन का नित्य अध्ययन कीजीये।

मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं। - भजन ११९:११


बाइबल पाठ: भजन ११९:९-१६

जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।
मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं, मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं।
हे यहोवा, तू धन्य है, मुझे अपनी विधियां सिखा!
तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।
मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।
मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।
मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा और तेरे वचन को न भूलूंगा।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन ८, ९
  • २ कुरिन्थियों ३

गुरुवार, 9 सितंबर 2010

धनवान बनना

मुझे यह रोचक लगता है कि प्रभु यीशु ने धन के बारे में जितनी शिक्षाएं दीं, उतनी अन्य किसी विष्य के बारे में नहीं दीं, और यह तब जब कि उसका उद्देश्य कभी पृथ्वी पर कोई खज़ाना भरने का नहीं था। जहां तक हम जानते हैं, उसने अपने लिये कभी कोई भेंट उठाने को भी नहीं कहा। धन के बारे में उसका इतनी अधिक शिक्षा देने का विशेष कारण था - वह जानता था कि धन कमाने के लिये बहुत मेहनत करना या बहुत धन की लालसा रखना, दोनों ही हमारी आत्मिक जीवन के लिये हनिकारक हैं।

उस मनुष्य के बारे में सोचिये जिसने उदण्डता पूर्वक यीशु से कहा "... हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे" (लूका १२:१३)। अद्भुत है, उस मनुष्य के पास यीशु के साथ गहरा संबंध बनाने का अवसर था, किंतु उसे केवल अपनी जेब गहरी करने ही की चिंता थी!

प्रभु यीशु ने भी उसे चौंका देने वाले कठोर अन्दाज़ में उत्तर दिया "उस ने उस से कहा हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है? और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता" (लूका १२:१४, १५)। फिर यीशु ने उन्हें उस धनी व्यक्ति का दृष्टांत कहा जो सांसारिक रीति से तो बहुत धनी और कमयाब था - उसके खेतों में इतनी उपज हुई थी कि उसे बड़े खत्ते बनाने की आवश्यक्ता पड़ गई थी; परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में वह "मूर्ख" था - इसलिये नहीं कि वह धनी था, वरन इसलिये कि वह परमेश्वर के प्रति धनी नहीं था।

संसार से आप धनवान बनने के लिये बहुत तरह की सलाह और शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, पर केवल यीशु ही है जो आपसे खरी बात दो टूक कहता है - आवश्यक्ता सांसारिक रीति से धनवान होने की नहीं है, वरन यीशु के साथ बहुमूल्य संबंध बनाने और अपने लालच को उदारता में बदलने की है। - जो स्टोवैल


परमेश्वर के प्रति धनवान होने से अनन्त लाभ मिलता रहता है।

चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता - लूका १२:१५

बाइबल पाठ: लूका १२:१३-२१

फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे।
उस ने उस से कहा हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है?
और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।
उस ने उन से एक दृष्‍टान्‍त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्‍या करूं, क्‍योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं।
और उस ने कहा मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;
और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।
परन्‍तु परमेश्वर ने उस से कहा हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?
ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्‍तु परमेश्वर की दृष्‍टि में धनी नहीं।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन ६, ७
  • २ कुरिन्थियों २

बुधवार, 8 सितंबर 2010

ढाढ़स देने के लिये ढाढ़स पाना

कुछ मसीही खिलाड़ियों से मैंने पूछा कि कठिनाईयों का सामना करते में उनकी स्वभाविक प्रतिक्रीया क्या होती है? उनके उत्तरों में भय, क्रोध, आत्मग्लानि, आक्रमण, निराशा, गाली-गलौज का व्यवहार, उदासीनता, परमेश्वर की ओर मुड़ना आदि प्रतिक्रीयाएं सम्मिलित थीं। मैं ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि हर कठिनाई में परमेश्वर उन्हें ढाढ़स देगा और फिर उन्हें दूसरों को ढाढ़स देने के लिये प्रयोग करेगा।

जैसे मैंने उन खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया, कुरिन्थुस शहर में पौलूस ने भी विश्वासियों को प्रोत्साहित किया। उसने उन्हें स्मरण दिलाया कि मसीह के विश्वासियों के लिये क्लेश अवश्यंभावी हैं। उनमें से कई, मसीह के साथ अपने संबंध के कारण, क्लेशों से निकल रहे थे; कोई ताड़ना सह रहा था, कोई निर्दयता और सताव में होकर निकल रहा था तो कोई बन्दीगृह में डाला गया था। पौलुस चाहता था कि वे यह बात जानें कि उनके क्लेशों में परमेश्वर उनके साथ था और उनका मददगार था, जिससे इन क्लेशों में उनका प्रत्युत्तर सांसारिक नहीं वरन ईश्वरीय स्वभाव के अनुसार हो। फिर पौलुस ने परमेश्वर द्वारा उन पर इन क्लेशों के आने की अनुमति और क्लेशों में ईश्वरीय शांति प्राप्त होने एक कारण उन्हें बताया - जिससे कुरिन्थुस के वे विश्वासी दूसरों के क्लेशों में उन से सहानुभूति रख सकें और उन क्लेशों में उन्हें ढाढ़स दे सकें। (२ कुरिन्थियों १:४)

जब हम क्लेशों से होकर निकलते हैं तो स्मरण रखें कि परमेश्वर अपने वचन, अपने आत्मा और हमारे सहविश्वासियों के द्वारा हमें ढाढ़स देगा, इसलिये नहीं कि हम आराम से रहें, वरन इसलिये कि जब हम परमेश्वर से ढाढ़स पाते हैं तो दूसरों को भी ढाढ़स देने वाले हों। - मार्विन विलियम्स


जब परमेश्वर प्रीक्षाएं आने देता है तब अपनी शांति भी देता है।

वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है, ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्‍हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। - २ कुरिन्थियों १:४

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों १:३-११

हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है।
वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है, ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्‍हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों।
क्‍योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्‍ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है।
यदि हम क्‍लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्‍ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्‍लेशों को सह लेते हो, जिन्‍हें हम भी सहते हैं।
और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है, क्‍योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों, के वैसे ही शान्‍ति के भी सहभागी हो।
हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्‍लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे।
वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है।
उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा, और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा।
और तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे, कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन ३-५
  • २ कुरिन्थियों १

मंगलवार, 7 सितंबर 2010

निरुत्तर प्रार्थनाएं

प्रार्थना का उत्तर न मिलने का एक कारण जो अकसर दिया जाता है वह है प्रार्थना मांगने वाले के विश्वास की घटी। परन्तु यीशु ने लूका १७:६ में चेलों से कहा "कि यदि तुम को राई के दाने के बराबर भी विश्वास होता, तो तुम इस तूत के पेड़ से कहते कि जड़ से उखड़कर समुद्र में लग जा, तो वह तुम्हारी मान लेता।" कहने का तातपर्य था कि प्रार्थना का प्रभावी होना विश्वास की मात्रा पर नहीं वरन विश्वास की मौजूदगी पर निर्भर है।

लूका एक रोमी सूबेदार के बारे में बताता है कि जो "बड़ा विश्वासी" था (लूका ७:९)। उसके विश्वास के बड़े होने का प्रगटीकरण सबसे पहले प्रभु यीशु से उसके बीमार दास को चंगा करने की विनती से हुआ, फिर इस बात से कि उसने माना कि यीशु कहीं से भी और कभी भी उसके सेवक को चंगा कर सकता है। उस सूबेदार ने अपनी इच्छा के अनुसार करने के लिये यीशु को मजबूर नहीं किया।

विश्वास की एक परिभाषा है "परमेश्वर की सामर्थ और उसके मन पर भरोसा रखना।" कुछ प्रार्थनाओं के निरुत्तर रहने का कारण हो सकता है कि परमेश्वर ने अपने प्रेम में हमारी इच्छाओं को खारिज कर दिया, क्योंकि वह जानता है कि जो हमने मांगा उसमें हमारी भलाई नहीं है; अथवा हो सकता है कि प्रार्थना में मांगी गई बात के लिये हमारे और परमेश्वर के समय में अन्तर हो; या यह भी हो सकता है कि परमेश्वर हमारे लिये उससे भी कुछ अधिक और अच्छा चाहता है, इसलिये जो हमने मांगा वह न देकर अपने समय में मांगे हुए से भी उत्तम देगा। हमें नहीं भूलना चाहिये कि प्रभु यीशु ने भी प्रार्थना करी कि "...मेरी नहीं परन्‍तु तेरी ही इच्‍छा पूरी हो।" (लूका २२:४२)

क्या हमारा विश्वास उस सूबेदार के समान बड़ा है - ऐसा विश्वास जो परमेश्वर को उसका काम उस ही के तरीके से करने देता है? - सी. पी. हिया


परमेश्वर के उत्तर हमारी प्रार्थनाओं से अधिक समझदार हैं।

यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और उस ने मुंह फेरकर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही यी कहा, मैं तुम से कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया। - लूका ७:९



बाइबल पाठ: लूका ७:१-१०

जब वह लोगों को अपनी सारी बातें सुना चुका, तो कफरनहूम में आया।
और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था, बीमारी से मरने पर था।
उस ने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई पुरिनयों को उस से यह बिनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर।
वे यीशु के पास आकर उस से बड़ी बिनती करके कहने लगे, कि वह इस योग्य है, कि तू उसके लिये यह करे।
क्‍योंकि वह हमारी जाति से प्रेम रखता है, और उसी ने हमारे आराधनालय को बनाया है।
यीशु उन के साथ साथ चला, पर जब वह घर से दूर न था, तो सूबेदार ने उसके पास कई मित्रों के द्वारा कहला भेजा, कि हे प्रभु दुख न उठा, क्‍योंकि मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए।
इसी कारण मैं ने अपने आप को इस योग्य भी न समझा, कि तेरे पास आऊं, पर वचन ही कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा।
मैं भी पराधीन मनुष्य हूं, और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक को कहता हूं, जा, तो वह जाता है, और दूसरे से कहता हूं कि आ, तो आता है; और अपने किसी दास को कि यह कर, तो वह उसे करता है।
यह सुन कर यीशु ने अचम्भा किया, और उस ने मुंह फेर कर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही थी कहा, मैं तुम से कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।
और भेजे हुए लोगों ने घर लौट कर, उस दास को चंगा पाया।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन १, २
  • १ कुरिन्थियों १६

सोमवार, 6 सितंबर 2010

आरधना का प्रारंभ

संगीत कार्यक्रम के आरंभ में वाद्यवृन्द के सद्स्य अपने अपने वाद्यों की के सुर ठीक करते हैं। संगीत सुनने के लिये आए और उतसुक्ता से बैठे श्रोताओं को यह यह बेसुरा और बिन तालमेल का लगता है। किंतु यह सुर ठीक करना और आपसी तालमेल बैठाना आने वाले सुरीले संगीत का पूर्वरंग मात्र है और अति आवश्यक है।

सी. एस. ल्युइस के अनुसार हमारी इस पृथ्वी करी गई आरधना और गाया गया भजन संगीत भी कुछ ऐसा ही है। कभी कभी हमें यह सब बेसुरा और बिना तालमेल का लग सकता है, परन्तु परमेश्वर इसे प्रेमी पिता के समान आनन्द से सुनता है। हम तो स्वर्ग में होने वाली महिमामयी आरधना संगीत की तैयारी कर रहे हैं। स्वर्गदूतों और उद्धार पाये लोगों की उस आराधना सभा में अभी हमारा योगदान लेशमात्र है, परन्तु यह छोटा सा प्रयास भी सुनने वाले हमारे स्वर्गीय पिता को प्रसन्न करता है। वह इस उपासना को पृथ्वी के किसी भी बड़े से बड़े वाद्यवृन्द द्वारा प्रस्तुत संगीत से अधिक रुचि से सुनता है।

क्या हम उस स्वर्गीय आराधना में भाग लेने को उतसुक्त रहते हैं? परमेश्वर के हृदय को प्रसन्न करने वाली उपासना में क्या हम आनन्द सहित संभागी होते हैं? या आराधना करना हमें कर्तव्य की पूर्ति मात्र लगता है और हम आनन्द से नहीं वरन अनुशासन के आधीन होकर यह करते हैं?

आरधना के प्रति हमारा रवैया बदल जाएगा जब हम यह समझेंगे कि हमारी कमज़ोर सी आराधना भी परमेश्वर के मन को आनन्दित करती है। आराधना हमारे जीवनों का तालमेल स्वर्गीय स्तुतिगान के साथ बैठाने में हमारी सहायता करती है।

अभी की उपासना उस आने वाले अनन्त और आनन्दमय स्तुतिगान के लिये करी गई आवश्यक तैयारी है - जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो! (भजन १५०:६) - वेर्नन ग्राउंड्स


आरधना से भरा हृदय परमेश्वर को आनन्दित करता है।

और मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूंगा। - भजन ६१:८


बाइबल पाठ: भजन १५०

याह की स्तुति करो! ईश्वर के पवित्रस्थान में उसकी स्तुति करो, उसकी सामर्थ्य से भरे हुए आकाशमण्डल में उसी की स्तुति करो!
उसके पराक्रम के कामों के कारण उसकी स्तुति करो, उसकी अत्यन्त बड़ाई के अनुसार उसकी स्तुति करो!
नरसिंगा फूंकते हुए उसकी स्तुति करो, सारंगी और वीणा बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
डफ बजाते और नाचते हुए उसकी स्तुति करो, तारवाले बाजे और बांसुली बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
ऊंचे शब्दवाली झांझ बाजाते हुए उसकी स्तुति करो, आनन्द के महाशब्दवाली झांझ बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो!

एक साल में बाइबल:
भजन १४८ - १५०
१ कुरिन्थियों १५:२९-५८

रविवार, 5 सितंबर 2010

जीवन अच्छा है

अपने निकट के एक सैलानियों के स्थान पर मैं वस्त्रों की एक छोटी दुकान में गई। उस दुकान में बिकने वाले हर वस्त्र पर छपा था "जीवन अच्छा है।" कभी कभी हमें अपने आप को यह साधारण सत्य स्मरण दिलाने की आवश्यक्ता होती है।

जब जीविका कमाने, परिवार का पालन करने, स्वास्थ की देखभाल करने और संबंधों को बनाए रखने आदि के द्वारा हम दबाव में आकर परेशान हों, तो भला हो कि हम इस बात पर विचार करें कि इस सृष्टि में हमारी भुमिका कितनी छोटी है। चाहे हम अपने कामों से चिंतित रहते हों, परमेश्वर शांति से अपना काम करता रहता है। वह पृथ्वी को सही गति से घुमाता है, नक्षत्रों की परिक्रमा को बनाये रखता है, मौसम बदलता रहता है। हमारी किसी सहायता के बिना वह प्रति प्रातः सूर्योदय और प्रति संध्या सूर्यास्त करता है, वह आकाश में ज्योतियों की स्थिति को हर रात बदलता है। वह नियमित रूप से हमें सोने और आराम करने के लिये रात्रि और कार्य करने के लिये दिन देता है। बिना उंगली उठाए हम सूर्यास्त और सूर्योदय का आनन्द ले सकते हैं। वह नियत समय पर मौसम बदलता है, हमें परमेश्वर से प्रार्थना करके उसे बताने की आवश्यक्ता नहीं होती कि अब किस मौसम की बारी है और कब कौन सा मौसम लागू करना है। वह जो भी करता है, हमें याद दिलाता है कि वह भला है (प्रेरितों १४:१७)।

कभी कभी जीवन कठिन होगा, कभी दुखदायी भी होगा, कभी अपूर्ण भी होगा, परन्तु फिर भी अच्छा ही रहेगा; क्योंकि इन सब परिस्थितियों में भी परमेश्वर का प्रेम हमारे साथ बना रहता है, कोई भी बात हमें उसके प्रेम से अलग नहीं कर सकती (रोमियों ८:३९)। - जूली ऐकरमैन लिंक


परमेश्वर का अनुग्रह असीम, उसकी कृपा अमिट और उसकी शान्ति अवर्णनीय है।

क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी। - रोमियों ८:३८, ३९


बाइबल पाठ: रोमियों ८:३१-३९

सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
जिस ने अपके निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा?
परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
फिर कौन है जो दण्‍ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्‍या क्‍लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं, हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
परन्‍तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्‍त से भी बढ़कर हैं।
क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्य, न ऊंचाई,
न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १४६, १४७
  • १ कुरिन्थियों १५:१-२८

शनिवार, 4 सितंबर 2010

अद्भुत चिन्ह

महान वैज्ञानिक और भौतिकशास्त्री एलबर्ट आईन्स्टीन से पूछा गया कि क्या वह परमेश्वर पर विश्वास करता है? उसने उत्तर दिया, "हम उस छोटे बालक के समान हैं जो अनेक भाषाओं में लिखी गई बहुत सी पुस्तकों के एक बहुत बड़े पुस्तकालय में प्रवेश करता है। बालक इतना समझता है कि इन पुस्तकों का कोई न कोई लेखक तो होगा, लेकिन नहीं जानता कि वह कौन है और पुस्तकें कैसे लिखीं गईं। मुझे लगता है कि संसार के सबसे विद्वान व्यक्ति की परमेश्वर के प्रति प्रतिक्रीया भी ऐसी ही होगी। हम सृष्टि को अद्भुत और सुनियोजित रीति से कार्य करते देखते हैं, यह भी देखते हैं कि सारी सृष्टि कुछ नियमों का पालन कर रही है, लेकिन उन नियमों को स्पष्ट नहीं समझते।" यद्यपि आईन्स्टीन सृष्टि की अद्भुत रचना पर विस्मित रहा, किंतु उसने व्यक्तिगत सृष्टिकर्ता पर विश्वास नहीं किया।
भजनकार भी आईन्स्टीन की तरह सृष्टि की रचना से विस्मित रहा, परन्तु उसने आइन्सटीन से एक कदम आगे बढ़ाय़ा और सृष्टि के सृष्टिकर्ता पर विश्वास किया। भजनकार ने लिखा, "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है, और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।" (भजन १९:१)

सृष्टि को निहारने से जो अचंभा और रोमांच होता है, वह सृष्टिकर्ता की ओर इशारा करने वाला एक चिन्ह है। पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि "सब कुछ उसी[प्रभु यीशु] के द्वारा उत्‍पन्न हुआ और जो कुछ उत्‍पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्‍तु उसके बिना उत्‍पन्न न हुई।" (यूहन्ना १:३)

क्या आपके मन में सृष्टिकर्ता पर सन्देह है? आज रात ऊपर निगाहें करके सितारों को देखिये, और उनके बारे में विचार कीजिए। वे आकाश में सृष्टिकर्ता की ओर इशारा करने वाले अद्भुत चिन्ह हैं। - डेनिस फिशर


सृष्टि की रचना उसको रचने वाले महान रचनाकार का प्रमाण है।

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है, और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन १९:१


बाइबल पाठ: भजन १९:१-६

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है, और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।
दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है।
न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है।
उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उस ने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है,
जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाई अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है।
वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है, और उसकी गर्मी सबको पहुंचती है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १४३-१४५
  • १ कुरिन्थियों १४:२१-४०

शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

जीवन यात्रा

मेरी बाइबल के अन्त के पृष्ठों में कुछ नक्शे हैं, जिनमें से एक है पौलुस द्वारा करी गई सुसमाचार प्रचार यात्राओं का। पौलुस की यात्राओं के इस नक्शे में, उसकी यात्राओं को रंगीन लकीरों द्वारा दिखाया गया है और उसकी यात्रा की दिशा को तीर के निशान द्वारा दिखाया गया है। उसकी पहली तीन यात्राओं में तीर के निशान यात्रा आरंभ करने के स्थान से दूर होते हुए फिर लौटकर उसी स्थान पर आ जाते हैं। चौथी यात्रा के लिये तीर के निशान केवल रोम की ओर ही हैं, वापस नहीं आते, क्योंकि पौलुस बन्दी बनाया जाकर रोम भेजा जा रहा था, जहां से वह फिर नहीं लौटा।

हमें लग सकता है कि पौलुस के लिये यह जीवन का दुर्भाग्य पूर्ण समय था, परन्तु पौलुस के नज़रिये से वह परमेश्वर की इच्छा और मार्गदर्शन में रोम गया और परमेश्वर ने उसे वैसे ही सुसमाचार प्रचार के लिये उपयोगी किया जैसे पहली तीन यात्राओं में किया।

पौलुस ने लिखा, " हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है। यहां तक कि कैसरी राज्य की सारी पलटन और शेष सब लोगों में यह प्रगट हो गया है कि मैं मसीह के लिये कैद हूं। और प्रभु में जो भाई हैं, उन में से बहुधा मेरे कैद होने के कारण, हियाव बान्‍ध कर, परमेश्वर का वचन निधड़क सुनाने का और भी हियाव करते हैं।" (फिलिप्पियों १:१२-१४)

चाहे हमारी जीवन यात्रा बाधाओं और बन्धनों से अवरुध भी हो, तब भी जब हम विश्वास में बने रहकर परमेश्वर के वचन का प्रचार करते हैं, तो विश्वास रखिये कि परमेश्वर हमारे इस प्रयास का उपयोग दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिये करता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


मसीही विश्वासी के लिये, जीवन यात्रा का घुमावदार और टेढ़ा-मेढ़ा मार्ग, वास्तव में आशीश का एक नया मार्ग हो सकता है।

हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है। - फिलिप्पियों १:१२


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:८-१८

इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति करके तुम सब की लालसा करता हूं।
और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्‍चे बने रहो, और ठोकर न खाओ।
और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।।
हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है।
यहां तक कि कैसरी राज्य की सारी पलटन और शेष सब लोगों में यह प्रगट हो गया है कि मैं मसीह के लिये कैद हूं।
और प्रभु में जो भाई हैं, उन में से बहुधा मेरे कैद होने के कारण, हियाव बान्‍ध कर, परमेश्वर का वचन निधड़क सुनाने का और भी हियाव करते हैं।
कितने तो डाह और झगड़े के कारण मसीह का प्रचार करते हैं और कितने भली मनसा से।
कई एक तो यह जान कर कि मैं सुसमाचार के लिये उत्तर देने को ठहराया गया हूं प्रेम से प्रचार करते हैं।
और कई एक तो सीधाई से नहीं पर विरोध से मसीह की कथा सुनाते हैं, यह समझ कर कि मेरी कैद में मेरे लिये क्‍लेश उत्‍पन्न करें।
सो क्‍या हुआ केवल यह, कि हर प्रकार से चाहे बहाने से, चाहे सच्‍चाई से, मसीह की कथा सुनाई जाती है, और मैं इस से आनन्‍दित हूं, और आनन्‍दित रहूंगा भी।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १४०-१४२
  • १ कुरिन्थियों १४:१-२०