एक कम्यूनिस्ट देश में एक सामाजिक संसाधन अधिकारी गांव के एक किसान के पास पहुंचा और उसकी आलू की फसल के बारे जानना चाहा। किसान ने कहा "फसल तो बहुत बढ़िया रही।" अधिकरी प्रसन्न होकर बोला, "बहुत अच्छे, बहुत अच्छे - कितनी फसल हुई?" किसान ने बोला, "ओह, फसल तो परमेश्वर जैसी बढ़िया हुई।" अधिकारी की भृकुटि तन गई और वह सखत भाव से बोला, "कॉमरेड, तुम्हें नहीं भूलना चहिये कि हम किसी परमेश्वर में विश्वास नहीं करते और कोई परमेश्वर नहीं है।" किसान ने कहा, "जनाब आप सही कह रहे हैं, मैं भी वही कह रहा हूँ - न परमेश्वर है, न आलू!"
इस हास्य कथा में एक गहरा अर्थ छुपा है - परमेश्वर ही हर बात का स्त्रोत है - चाहे हम इसे माने या न माने। प्रेरित पौलुस ने अपने अविश्वासी श्रोताओं से कहा "क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं" (प्रेरितों १७:२८)। उसने परमेश्वर के सृष्टि की रचना और संचालन के महान कार्यों को परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु मसीह में केंद्रित दिखाया (कुलुस्सियों १:१६-१८)। उसके बिना हम एक सांस भी नहीं ले सकते, हमारे शरीर कुछ नहीं कर सकते और हमारी प्रतिदिन की आवश्यक्ताएं पूरी नहीं हो सकतीं; कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन संभव नहीं है।
नास्तिकों ने अपने आप को कायल कर रखा है कि परमेश्वर नहीं है, लेकिन हम जो प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर की संतान हैं, इससे भिन्न जानते हैं। लेकिन मुख्य प्रश्न तो यह है कि क्या हम अपने इस विश्वास को अपने जीवन द्वारा प्रदर्शित भी करते हैं?
प्रत्येक मसीही विश्वासी को प्रतिदिन अपनी प्रत्येक आवश्यक्ता के लिये अपने उद्धारकर्ता प्रभु पर आश्रित और आश्वस्त रहना चाहिये, और उसके अनुग्रहकारी हाथों से मिली अपनी प्रत्येक आशीश के लिये निरंतर उसका धन्यवादी और कृतज्ञ रहना चाहिए, और अपने जीवन से इस बात की गवाही संसार के समक्ष रखनी चाहिए। - डेनिस डी हॉन
क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं" - प्रेरितों १७:२८
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों १:९-१९
इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ।
ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ।
और उस की महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ से बलवन्त होते जाओ, यहां तक कि आनन्द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको।
और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिस ने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में समभागी हों।
उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।
जिस से हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है।
वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्टि में पहिलौठा है।
क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
और वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है, वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।
क्योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे।
एक साल में बाइबल:
इस हास्य कथा में एक गहरा अर्थ छुपा है - परमेश्वर ही हर बात का स्त्रोत है - चाहे हम इसे माने या न माने। प्रेरित पौलुस ने अपने अविश्वासी श्रोताओं से कहा "क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं" (प्रेरितों १७:२८)। उसने परमेश्वर के सृष्टि की रचना और संचालन के महान कार्यों को परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु मसीह में केंद्रित दिखाया (कुलुस्सियों १:१६-१८)। उसके बिना हम एक सांस भी नहीं ले सकते, हमारे शरीर कुछ नहीं कर सकते और हमारी प्रतिदिन की आवश्यक्ताएं पूरी नहीं हो सकतीं; कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन संभव नहीं है।
नास्तिकों ने अपने आप को कायल कर रखा है कि परमेश्वर नहीं है, लेकिन हम जो प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर की संतान हैं, इससे भिन्न जानते हैं। लेकिन मुख्य प्रश्न तो यह है कि क्या हम अपने इस विश्वास को अपने जीवन द्वारा प्रदर्शित भी करते हैं?
प्रत्येक मसीही विश्वासी को प्रतिदिन अपनी प्रत्येक आवश्यक्ता के लिये अपने उद्धारकर्ता प्रभु पर आश्रित और आश्वस्त रहना चाहिये, और उसके अनुग्रहकारी हाथों से मिली अपनी प्रत्येक आशीश के लिये निरंतर उसका धन्यवादी और कृतज्ञ रहना चाहिए, और अपने जीवन से इस बात की गवाही संसार के समक्ष रखनी चाहिए। - डेनिस डी हॉन
संसाधनों और आवश्यक्ता पूर्ति की शेष कड़ियां किसी के भी हाथों में प्रतीत हों, पहली कड़ी सदा परमेश्वर ही के हाथ में होती है।
क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं" - प्रेरितों १७:२८
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों १:९-१९
इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ।
ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ।
और उस की महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ से बलवन्त होते जाओ, यहां तक कि आनन्द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको।
और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिस ने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में समभागी हों।
उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।
जिस से हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है।
वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्टि में पहिलौठा है।
क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
और वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है, वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।
क्योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था ६-७
- मत्ती २५:१-३०
विचारणीय पोस्ट।
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पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?