मेरे एक मित्र से किसी ने कहा, "साल के बाद मिलते हैं" तो मेरे मित्र का उत्तर कुछ विचित्र लगा, क्योंकि उसने कहा, "हाँ, उस पार मिलेंगे।" यद्यपि यह कहने में उसका तात्पर्य था कि नौसेना में एक साल के कार्य पर भेजे जाने के कारण साल पूरा होने के ’उस पार’ ही अब मिलना हो पाएगा, लेकिन क्योंकि यह वाक्यांश साधारणतया दूसरे संदर्भ - मृत्युओपरांत की दशा के लिए प्रयोग होता है, इसलिए मेरे विचार जीवन की अनिश्चितताओं की ओर चले गए। मैं सोचने लगा, एक साल के बाद कौन यहां होगा और कौन नहीं किसे पता है? उस पार वालों में से कौन स्वर्ग में होगा?
हम निश्चय ही यह नहीं जानते कि एक वर्ष, या अगला एक घंटा भी क्या लाने वाला है। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने अपनी पत्री में इस अनिश्चितता के विषय में लिखा है। उसने उन लालची व्यापोरियों को संबोधित करते हुए उन्हें उलाहना दी और कहा, "तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ उठाएंगे। और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है" (याकूब ४:१३-१४)। टिप्पणीकार पीटर डेविड ने याकूब की इस बात पर टिप्पणी में कहा कि याकूब उन व्यापारियों को उनकी मूर्खता बता रहा था, और याकूब के कहने का तात्पर्य था कि, "तुम जो बड़ी बड़ी योजनाएं बनाते हो ज़रा सुनो और ध्यान दो; जीवन पर तुम्हारा क्या कोई नियंत्रण है जो तुम ऐसे योजनाएं बना रहे हो?"
याकूब ने उन्हें स्मरण दिलाया कि जीवन भाप के समान क्षणभंगुर है। ऐसे में बिना परमेश्वर की इच्छा जाने और बिना अपना जीवन उसे समर्पित किए, अपनी लालसाओं की पूर्ति के लिए कोई भी योजना बनाना मूर्खता है। योजना बनाना बुरा नहीं है लेकिन घमण्ड करना और घमण्ड में आकर योजनाओं मे परमेश्वर को ना रखना बुरा है, पाप है। क्योंकि केवल वो ही है जो भविष्य जानता है इसलिए जो कुछ उसकी इच्छा के अनुसार होगा अन्ततः वही चिरस्थायी और सफल होगा, बाकी सब बिना कोई लाभ दिए मिट जाएगा।
जीवन का कोई क्षेत्र परमेश्वर के नियंत्रण के बाहर नहीं है। इसलिए जब हम योजनाएं बनाएं तो व्यापारियों को दी गई याकूब की चेतावनी में उसका अगला वाक्य हमें स्मरण रखना चाहिए, "इस के विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे" (याकूब ४:१५)। - एनी सेटास
परमेश्वर की इच्छा में बनी और परमेश्वर को समर्पित योजनाएं ही सफल योजनाएं होती हैं।
बाइबल पाठ: याकूब ४:१०-१७
Jas 4:10 प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा।
Jas 4:11 हे भाइयों, एक दूसरे की बदनामी न करो, जो अपने भाई की बदनामी करता है, या भाई पर दोष लगाता है, वह व्यवस्था की बदनामी करता है, और व्यवस्था पर दोष लगाता है, तो तू व्यवस्था पर चलने वाला नहीं, पर उस पर हाकिम ठहरा।
Jas 4:12 व्यवस्था देने वाला और हाकिम तो एक ही है, जिसे बचाने और नाश करने की सामर्थ है? तू कौन है, जो अपने पड़ोसी पर दोष लगाता है?
Jas 4:13 तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ उठाएंगे।
Jas 4:14 और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।
Jas 4:15 इस के विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे।
Jas 4:16 पर अब तुम अपनी ड़ींग पर घमण्ड करते हो; ऐसा सब घमण्ड बुरा होता है।
Jas 4:17 इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था ११-१२
- मत्ती २६:१-२५
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