मैं केवल दो ही ’ज़ेवर’ पहनता हूँ - अपनी ऊँगली पर शादी की अंगूठी और अपने गले में एक चेन से लटका हुआ क्रूस। अंगूठी उस प्रतिज्ञा का प्रतीक है जो मैंने अपनी पत्नि कैरोलिन से विवाह के समय करी है, कि मैं जीवन भर उसके प्रति वफादार रहूँगा; क्रूस इस बात को दिखाता है कि मेरा अपनी पत्नि से करी गई प्रतिज्ञा को निभाते रहना केवल उसी के कारण नहीं है, लेकिन मेरे उद्धारकर्ता और मुझे नया जीवन तथा पापों से क्षमा देने वाले प्रभु यीशु के प्रति मेरे समर्पण और ज़िम्मेदारी के कारण भी है। मेरे प्रभु ने मुझे यह ज़िम्मेदारी दी है कि मैं अपनी पत्नि के प्रति सदा वफादार बना रहूँ, और मैं इस ज़िम्मेदारी को सदा निभाता रहूँगा।
विवाह समय परस्पर करी गई प्रतिज्ञाएं केवल दो मनुष्यों के बीच किया गया एक ठेका या अनुबन्ध नहीं हैं जिसे तोड़ने की हानि सांसारिक संपत्ति द्वारा चुका कर अनुबन्ध तोड़ा जा सकता है। परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार यह जीवन भर एक दूसरे के प्रति वफादारी से निभाने की ज़िम्मेदारी है। जब मसीही विवाह में बन्धने वाले दोनों जन एक दूसरे से यह प्रण करते हैं कि "दुख में और सुख में, संपन्नता और दरिद्रता में, रोगावस्था और अरोग्यता में" तो वे इस बात को मान कर चल रहे हैं कि ऐसी परिस्थितियाँ भी जीवन में आएंगी जब निभाना कठिन होगा; यह भी हो सकता है कि एक या दूसरे या फिर दोनों ही के स्वभाव में परिवर्तन आ जाए या जीवन की ही परिस्थितियाँ बदल जाएं, किंतु परस्पर किया गया यह वायदा सदा ही मान्य और लागू रहेगा।
वैवाहिक ज़िम्मेदारियाँ निभाना सरल नहीं है; परस्पर असहमति और भिन्न दृष्टिकोण होने के अवसर अनेक होते हैं। यद्यपि किसी को भी असुरक्षित, अपमानजनक या अत्याचारपूर्ण परिस्थितियों में नहीं रहना चाहिए, लेकिन दरिद्रता, कठिनाईयों, निराशाओं में एक दूसरे के साथ बने रहने से और एक दूसरे को उभारने और सहारा देने से विवाह संबंध में एक अलग ही आनन्द मिलता है।
एक मसीही विश्वासी के लिए विवाह की प्रतिज्ञाएं निभाना बाध्य है; उसके लिए अनिवार्य है कि वह अपने जीवन साथी के साथ प्रेम, आदर और उसे उभारते रहने के संबंध को जीवन भर बनाए रखे, ना केवल इसलिए कि यह उससे करी गई हमारी प्रतिज्ञा है वरन इसलिए भी क्योंकि हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ने हमारे साथ यही किया है, यही कर रहा है और यही करता भी रहेगा। हमारा प्रभु प्रत्युत्तर में हमसे यही आशा रखता है कि हम अपने जीवन साथी के साथ भी यही ज़िम्मेदारी इसी प्रकार निभाते रहेंगे जैसे वह हमारे साथ हमारे हर एक भले-बुरे आचरण के बावजूद निभाता रहता है। मेरे एक मित्र ने मसीह यीशु के प्रति समर्पण की प्रतिज्ञा के संबंध में कहा: "यह वह प्रतिज्ञा है जो हमें हमारी अन्य प्रत्येक प्रतिज्ञा के प्रति वफादार रखती है, चाहे हमें उस प्रतिज्ञा का पालन अच्छा ना भी लगे!"
अपने जीवन को मसीह यीशु को समर्पित करके एक ऐसी प्रतिज्ञा से बांध लीजिए जो आपको अन्य हर प्रतिज्ञा निभाने की सामर्थ और मार्गदर्शन देती रहेगी। - डेविड रोपर
प्रेम केवल एक भावना ही नहीं है, प्रेम वचनबद्धता एवं उसका पालन भी है।
कि इस कारण मनुष्य अपने माता पिता से अलग हो कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे; सो व अब दो नहीं, परन्तु एक तन हैं: इसलिये जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे। - मत्ती 19:5-6
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 2:18-25
Genesis 2:18 फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए।
Genesis 2:19 और यहोवा परमेश्वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखें, कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है; और जिस जिस जीवित प्राणी का जो जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया।
Genesis 2:20 सो आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के बनैले पशुओं के नाम रखे; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो उस से मेल खा सके।
Genesis 2:21 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भारी नीन्द में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकाल कर उसकी सन्ती मांस भर दिया।
Genesis 2:22 और यहोवा परमेश्वर ने उस पसली को जो उसने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया।
Genesis 2:23 और आदम ने कहा अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है: सो इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।
Genesis 2:24 इस कारण पुरूष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक तन बने रहेंगे।
Genesis 2:25 और आदम और उसकी पत्नी दोनो नंगे थे, पर लजाते न थे।
एक साल में बाइबल:
- अय्युब 36-37
- प्रेरितों 15:22-41
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