जब सन 1922 में मिस्र के राजा तूतनखामेन की
कब्र मिली, तो उसके अन्दर साथ ही अनेकों ऐसी अन्य वस्तुएँ भी रखी हुई थीं जिन्हें
मिस्री परलोक के जीवन के लिए आवश्यक समझते थे, जैसे कि सोने की बनी वेदियाँ, आभूषण,
वस्त्र, फर्नीचर, हथियार, और मधु से भरा हुआ एक बर्तन, और 3200 वर्ष के बाद भी वह
मधु खाने योग्य था!
आज हम मधु को मुख्यतः मीठा करने वाली वस्तु
समझते हैं, परन्तु प्राचीन सँसार में, उसके अन्य भी उपयोग थे। मधु ही एकमात्र ऐसा
भोजन है जिसमें जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व एक साथ मिलते हैं, इसलिए वह पोषण के
लिए प्रयोग होता था। इसके अतिरिक्त, मधु में चिकित्सीय गुण भी पाए जाते हैं; इसमें
संक्रमण को रोकने की क्षमता होती है, इसलिए इसे घावों की मरहम-पट्टी के लिए भी
प्रयोग किया जाता था।
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब
परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिस्र से छुड़ाया, तो उसने उनके साथ उन्हें एक ऐसे देश
में ले जाकर बसाने की वाचा बांधी जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती थीं (निर्गमन
3:8, 17), जो कि बहुतायत को दिखाने वाला अलंकार है। जब इस्राएलियों के पाप के कारण
उनकी यात्रा का समय बढ़ गया, तब जंगल की यात्रा में परमेश्वर ने उन्हें मन्ना
खिलाया, जिसका स्वाद मधु के समान था (निर्गमन 16:31)। बाद में इस्राएली एक ही
प्रकार के भोजन को लेकर कुड़कड़ाए, परन्तु संभव है कि परमेश्वर उन्हें उस वस्तु के
स्वाद का आदि करना चाह रहा था, जिसे वे उस वाचा किए हुए देश में बहुतायत से पाने
और उपयोग करने वाले थे।
परमेश्वर आज भी मधु को अपने वचन और गुणों को
हमें स्मरण दिलाने के लिए प्रयोग करता है: “तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!” (भजन 119:103)।
इसलिए हम मसीही विश्वासियों द्वारा बोले गए शब्द भी परमेश्वर द्वारा हमें दिए जाने
वाले उसके वचन के मधु के समान ही होने चाहिएँ। - जूली ऐकैर्मैन लिंक
अपना
समय अपनी आशीषों को गिनने में लगाएं
न कि अपनी शिकायतों को व्यक्त करने में।
मन
भावने वचन मधु भरे छते के समान प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं। - नीतिवचन 16:24
बाइबल
पाठ: निर्गमन 3:7-17
Exodus 3:7 फिर यहोवा ने कहा, मैं ने अपनी प्रजा के लोग जो
मिस्र में हैं उनके दु:ख को निश्चय देखा है, और उनकी जो
चिल्लाहट परिश्रम कराने वालों के कारण होती है उसको भी मैं ने सुना है, और उनकी पीड़ा पर मैं ने चित्त लगाया है ;
Exodus 3:8 इसलिये अब मैं उतर आया हूं कि उन्हें मिस्रियों के वश से छुड़ाऊं,
और उस देश से निकाल कर एक अच्छे और बड़े देश में जिस में दूध और मधु
की धारा बहती है, अर्थात कनानी, हित्ती,
एमोरी, परिज्जी, हिव्वी,
और यबूसी लोगों के स्थान में पहुंचाऊं।
Exodus 3:9 सो अब सुन, इस्राएलियों की चिल्लाहट मुझे सुनाईं
पड़ी है, और मिस्रियों का उन पर अन्धेर करना भी मुझे दिखाई
पड़ा है,
Exodus 3:10 इसलिये आ, मैं तुझे फिरौन के पास भेजता हूं कि
तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र से निकाल ले आए।
Exodus 3:11 तब मूसा ने परमेश्वर से कहा, मैं कौन हूं जो
फिरौन के पास जाऊं, और इस्राएलियों को मिस्र से निकाल ले आऊं?
Exodus 3:12 उसने कहा, निश्चय मैं तेरे संग रहूंगा; और इस बात का कि तेरा भेजने वाला मैं हूं, तेरे लिये
यह चिन्ह होगा कि जब तू उन लोगों को मिस्र से निकाल चुके तब तुम इसी पहाड़ पर
परमेश्वर की उपासना करोगे।
Exodus 3:13 मूसा ने परमेश्वर से कहा, जब मैं इस्राएलियों
के पास जा कर उन से यह कहूं, कि तुम्हारे पितरों के परमेश्वर
ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है, तब यदि वे मुझ से पूछें,
कि उसका क्या नाम है? तब मैं उन को क्या बताऊं?
Exodus 3:14 परमेश्वर ने मूसा से कहा, मैं जो हूं सो हूं।
फिर उसने कहा, तू इस्राएलियों से यह कहना, कि जिसका नाम मैं हूं है उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।
Exodus 3:15 फिर परमेश्वर ने मूसा से यह भी कहा, कि तू
इस्राएलियों से यह कहना, कि तुम्हारे पितरों का परमेश्वर,
अर्थात इब्राहीम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर
और याकूब का परमेश्वर, यहोवा उसी ने मुझ को तुम्हारे पास
भेजा है। देख सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीढ़ी पीढ़ी में
मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा।
Exodus 3:16 इसलिये अब जा कर इस्राएली पुरनियों को इकट्ठा कर, और उन से कह, कि तुम्हारे पितर इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के परमेश्वर, यहोवा
ने मुझे दर्शन देकर यह कहा है, कि मैं ने तुम पर और तुम से
जो बर्ताव मिस्र में किया जाता है उस पर भी चित लगाया है;
Exodus 3:17 और मैं ने ठान लिया है कि तुम को मिस्र के दुखों में से निकाल कर
कनानी, हित्ती, एमोरी, परिज्जी हिब्बी, और यबूसी लोगों के देश में ले
चलूंगा, जो ऐसा देश है कि जिस में दूध और मधु की धारा बहती
है।
एक
साल में बाइबल:
- 1 शमूएल 15-16
- लूका 10:25-42
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन घनश्याम दास बिड़ला और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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