मैंने
प्रभु की प्रार्थना करना अपने बचपन में ही, प्रात्मिक विद्यालय के छात्र होने के
समय में सीख लिया था। वह प्रार्थना बोलते समय, मैं जब भी उसकी पंक्ति, “हमारी
दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर” (लूका 11:3) पर आता, तो मेरा ध्यान अवश्य
ही उस पावरोटी पर चला जाता जिसे खाने का अवसर हमें कम ही मिलता था। हमें वह
पावरोटी तब ही खाने को मिलती थी जब पिताजी शहर के दौरे से लौटते समय उसे साथ लेकर
आते थे। इसलिए परमेश्वर से रोज की रोटी देने की प्रार्थना करना मेरे लिए प्रासंगिक
प्रार्थना थी।
वर्षों बाद जब मैंने पुस्तिका Our Daily Bread
को देखा तो मैं बहुत उत्सुक्त हुआ। मैं यह तो समझ गया कि उस पुस्तिका का यह शीर्षक
प्रभु की प्रार्थना से आया था, साथ ही मैं यह भी समझा गया कि उस पुस्तिका में रोटी
पकाने वालों की दुकान से आने वाले पावरोटी के बारे में तो नहीं लिखा होगा। जब
मैंने उसे नियमित पढ़ना आरंभ किया तब मैं समझने पाया कि उसका शीर्षक “रोटी” से कैसे
संबंधित था। उस पुस्तिका में दिए गए लेख और परमेश्वर के वचन बाइबल के खण्ड हमारी
आत्मा के लिए आत्मिक भोजन हैं, इसी लिए वह रोज़ की रोटी थी।
बाइबल के नए नियम खण्ड में प्रभु यीशु के साथ
घटी एक घटना में भी हम इस आत्मिक भोजन के महत्व को देखते हैं। प्रभु यीशु को
मार्था और मरियम ने अपने घर में आमंत्रित किया। मरियम ने आत्मिक भोजन ग्रहण करना चुना
और प्रभु के चरणों पर बैठकर ध्यान से उनकी बातें सुनने लगी; जबकि उसकी बहन मार्था
शारीरिक भोजन और आव-भगत में लगकर थक गई, खिसिया गई। इस बात को लेकर प्रभु ने
मार्था को समझाया कि जो मरियम ने चुना वह ही उत्तम तथा चिरस्थाई था (लूका 10:42)।
हम भी अपने दिनचर्या में प्रभु यीशु के साथ
बिताने के लिए समय निकालना आरंभ करें। प्रभु यीशु हमारे लिए जीवन की रोटी है
(यूहन्ना 6:35); केवल वही है जो आत्मिक भोजन से हमारे हृदयों को पोषित कर सकता है,
संतुष्ट कर सकता है। - लॉरेंस दरमानी
आत्मिक
पोषण और संतुष्टि के लिए जीवन की रोटी प्रभु यीशु मसीह को
अपने जीवन का दैनिक भाग
बना लीजिए।
यीशु ने उन
से कहा,
जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो
मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। - यूहन्ना 6:35
बाइबल पाठ:
लूका 10:38-11:4
Luke 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया,
और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
Luke 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के
पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी।
Luke 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी;
हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी
बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो
उस से कह, कि मेरी सहायता करे।
Luke 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और
घबराती है।
Luke 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को
मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।
Luke 11:1 फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था: और जब वह प्रार्थना कर चुका,
तो उसके चेलों में से एक ने उस से कहा; हे
प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना
सिखलाया वैसे ही हमें भी तू सिखा दे।
Luke 11:2 उसने उन से कहा; जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो; हे पिता, तेरा नाम
पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए।
Luke 11:3 हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।
Luke 11:4 और हमारे पापों को क्षमा कर, क्योंकि हम भी
अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न
ला।
एक साल में
बाइबल:
- 1 इतिहास 4-6
- यूहन्ना 6:1-21
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें