ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

संतुष्टि लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
संतुष्टि लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

मार्ग

 

          टोलकिइन के उपन्यास ‘लार्ड ऑफ़ द रिंग्स, पर बनी 3 फिल्मों की श्रृंखला का एक पात्र, गोल्लम, कुपोषित है, और सनकी स्वभाव का है। उस पर सामर्थ्य देने वाली अँगूठी प्राप्त कर लेने की धुन पागलपन की हद तक स्वर है; वह उस अँगूठी को ‘माए प्रेशियस अर्थात ‘मेरी बहुमूल्य कहता रहता है, और उसके लिए लालच, सनक, और जुनून का व्यवहार करता रहता है। उस पात्र के इस सजीव चित्रण के कारण ‘माए प्रेशियस आज इन तीनों बातों का पर्यायवाची बन गया है।

          गोल्लम की अपने तथा अँगूठी के प्रति प्रेम और नफ़रत का व्यवहार, और उसकी आवाज़ हमारे हृदय के अन्दर की भूख को भी दिखाती है। चाहे वह लालसा कोई एक बात के लिए ही हो, या बस कुछ और पाते रहने की लालसा हो, हमें भी यही लगता रहता है कि जब हम अपनी उस लालसा के ‘माए प्रेशियस को प्राप्त कर लेंगे, तो संतुष्टि के मार्ग पर आ जाएँगे। किन्तु उसके स्थान पर, हमने जिसे सोचा था कि वह हमें पूर्ण कर देगा, उसे पा लेने के बाद भी एक खालीपन हमारे अन्दर बना रहता है।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में जीवन जीने के अधिक बेहतर और भरोसेमंद मार्ग के बारे में बताया गया है। दाऊद भजन 16 में व्यक्त करता है कि हमारे हृदयों में लालसाएँ हैं जो हमें संतुष्टि के व्यर्थ और निराशाजनक प्रयास के मार्ग पर डालने के लिए डराती रहती हैं (पद 4)। ऐसे में हमें परमेश्वर की ओर मुड़ने का ध्यान रखना चाहिए (पद 1), और हमें अपने आप को यह स्मरण करवाते रहना चाहिए कि परमेश्वर के अतिरिक्त हमारे पास और कोई नहीं है (पद 2)।

          और तब, जब हमारी आँखें, वहाँ बाहर संसार से संतुष्टि पाने के लिए देखना बन्द करके, हमारे अन्दर परमेश्वर की सुन्दरता को निहारना आरंभ कर देंगी (पद 8), तब ही हम अपने आप को वास्तविक संतुष्टि के मार्ग पर बढ़ता हुआ पाएँगे – एक ऐसे जीवन की ओर, जो परमेश्वर की उपस्थिति के आनन्द से भरा हुआ है। तब हम परमेश्वर के साथ, अब से लेकर अनन्तकाल तक, जीवन के मार्ग में चलते, संतुष्टि के साथ बढ़ते रहेंगे (पद 11)। - मोनिका ब्रैंड्स

 

प्रभु, आपके अतिरिक्त मुझे जीवन तथा संतुष्टि का मार्ग और कहीं नहीं मिल सकता है।


जो शिक्षा पर चलता वह जीवन के मार्ग पर है, परन्तु जो डांट से मुंह मोड़ता, वह भटकता है। - नीतिवचन 10:17

बाइबल पाठ: भजन 16:1-11

भजन 16:1 हे ईश्वर मेरी रक्षा कर, क्योंकि मैं तेरा ही शरणागत हूं।

भजन 16:2 मैं ने परमेश्वर से कहा है, कि तू ही मेरा प्रभु है; तेरे सिवाए मेरी भलाई कहीं नहीं।

भजन 16:3 पृथ्वी पर जो पवित्र लोग हैं, वे ही आदर के योग्य हैं, और उन्हीं से मैं प्रसन्न रहता हूं।

भजन 16:4 जो पराए देवता के पीछे भागते हैं उनका दु:ख बढ़ जाएगा; मैं उनके लहू वाले अर्घ नहीं चढ़ाऊँगा और उनका नाम अपने ओठों से नहीं लूंगा।

भजन 16:5 यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे का हिस्सा है; मेरे बाट को तू स्थिर रखता है।

भजन 16:6 मेरे लिये माप की डोरी मनभावने स्थान में पड़ी, और मेरा भाग मनभावना है।

भजन 16:7 मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उसने मुझे सम्मत्ति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है।

भजन 16:8 मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा।

भजन 16:9 इस कारण मेरा हृदय आनन्दित और मेरी आत्मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा।

भजन 16:10 क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा।

भजन 16:11 तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 16-17
  • प्रेरितों 20:1-16

गुरुवार, 15 जुलाई 2021

संतुष्टि

 

          वीनस फ्लाईट्रैप नामक पौधे को सबसे पहले हमारे घर के पास के इलाके के रेतीले-दलदली क्षेत्र में देखा गया था। इन पौधों को देखना बहुत दिलचस्प होता है, क्योंकि ये मांसाहारी होते हैं। ये पौधे खिले हुए फूलों के समान दिखने वाले फंदों में मीठा सुगन्धित द्रव्य छोड़ते हैं। जब कोई कीड़ा उस सुगन्ध और मिठास से आकर्षित होकर उन खुले हुए फूलों के समान दिखने वाले फंदे के अन्दर को आता है तो एक सेकेंड से भी कम समय में वह फंदा बन्द हो जाता है, कीड़ा अन्दर फंसा जाता है, फिर उस ‘फूल में से उस कीड़े को गलाकर पचा लेने वाले पदार्थ निकलते हैं, और वह पौधा इस प्रकार अपने लिए उन पोषक तत्वों को प्राप्त कर लेता है, जो उसकी जड़ें रेतीली भूमि से नहीं लेने पाती हैं।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में हमें सचेत किया गया है कि हम भी एक अन्य प्रकार के फंदे से बच कर रहें, जो कभी भी हमें फंसा सकता है। प्रेरित पौलुस ने अपने शिष्य तीमुथियुस को चेतावनी दी: “जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं” और “क्योंकि रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है” (1 तिमुथियुस 6:9-10)।

          धन और भौतिक वस्तुएँ हमें सुख की प्रतिज्ञाएं तो देती हैं, किन्तु जब वे हमारे जीवनों में प्रथम स्थान ले लेती हैं, तब हम खतरे की स्थिति में आ जाते हैं। हम इस फंदे में फंसने से बच सकते हैं, परमेश्वर के प्रति दीन और नम्र होकर तथा उसकी भलाइयों के लिए सदा धन्यवादी बने रहकर, जो आशीषें उसने हमें प्रभु यीशु मसीह में होकर प्रदान की हैं: “पर सन्‍तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है” (पद 6)।

          जैसी संतुष्टि परमेश्वर प्रदान कर सकता है, इस संसार की नश्वर वस्तुएँ वह कभी प्रदान नहीं कर सकती हैं। सच्ची और स्थाई संतुष्टि केवल प्रभु परमेश्वर के साथ एक सच्चे संबंध में आने से मिलती है।  - जेम्स बैंक्स

 

हे प्रभु आप ही मेरे जीवन के लिए सबसे महान आशीष हैं।


मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। - फिलिप्पियों 4:12

बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 6:6-10

1 तीमुथियुस 6:6 पर सन्‍तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है।

1 तीमुथियुस 6:7 क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं।

1 तीमुथियुस 6:8 और यदि हमारे पास खाने और पहनने को हो, तो इन्हीं पर सन्‍तोष करना चाहिए।

1 तीमुथियुस 6:9 पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं।

1 तीमुथियुस 6:10 क्योंकि रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 13-15
  • प्रेरितों 19:21-41

मंगलवार, 29 जून 2021

तृप्ति

 

          मेरे बच्चे तो रोमांचित थे, लेकिन मैं बहुत आशंकित थी। छुट्टियाँ मनाने के समय में हम एक मछली-घर घूमने गए थे, और वहाँ एक विशेष टैंक में छोटी शार्क मछलियाँ भी थीं, जिन्हें दर्शक छू सकते थे, दुलार से थपथपा सकते थे। मैंने वहाँ के सहायक से पूछा कि क्या ये शार्क कभी किसी को काटती या पकड़ती नहीं हैं? उसने उत्तर दिया कि इन शार्क मछलियों को अभी कुछ देर पहले ही भरपेट भोजन करवाया गया है, और फिर उसके ऊपर कुछ और अतिरिक्त भी खिला दिया गया है। क्योंकि अब उन्हें भूख नहीं थी, उनके पेट भरे हुए थे, इसलिए वे काटेंगी भी नहीं।

          मैंने जो शार्क को छूने और थपथपाने के विषय में उस दिन सीखा, वह परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन में लिखी बात,सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है, परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएं भी मीठी जान पड़ती हैं” (नीतिवचन 27:7) के अनुसार है। भूख – वह अन्दर से खालीपन का भाव – हमारे सही निर्णय करने की बुद्धिमत्ता को क्षीण बना सकती है। भूखा होना या तृप्त न होना हमें ऐसा कुछ भी स्वीकार करने के लिए बाध्य कर सकता है, जिसके द्वारा हमें लगता है कि हमारी भूख शांत हो सकेगी, हमें तृप्ति मिल सकेगी – चाहे उसके लिए हमें किसी और का कोई भाग ही काटना या छीनना क्यों न पड़े।

          परमेश्वर नहीं चाहता है कि हम अपनी भूख या तृप्त होने की भावना से बाध्य होकर जीवन जीएँ। वह चाहता है कि हम मसीह यीशु के प्रेम से भर जाएँ जिससे हम जो भी करें वह उस शान्ति और स्थिरता के साथ हो जो वह हमें प्रदान करता है। इस बात का निरंतर एहसास कि हमें बिना किसी भी शर्त के लगातार प्रेम किया जाता है, हमें इसके लिए भरोसा देता है। इस प्रेम में स्थिर और दृढ़ होने के द्वारा हम हमारी ओर आने वाले प्रत्येक “अच्छी” प्रतीत होने वाली वस्तु को स्वीकार करने के स्थान पर, अपने लिए अपनी संपत्ति, संबंधों, सामग्री के विषय जाँच-परख कर सही चुनाव कर सकते हैं।

          केवल प्रभु यीशु मसीह के साथ एक सही संबंध ही हमें पूर्ण संतुष्टि दे सकता है, हमें तृप्त रख सकता है। हम अपने लिए उसके अनुपम, अद्भुत प्रेम को समझें, और अपनी तथा औरों की तृप्ति के लिए “...परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाएँ” (इफिसियों 3:19)। - जेनिफर बेनसन शुल्ट

 

जो प्रभु यीशु को जीवन की रोटी के रूप में देखते हैं, वे कभी भूखे नहीं होंगे।


जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस है। - यूहन्ना 6:51

बाइबल पाठ: नीतिवचन 27:1-10

नीतिवचन 27:1 कल के दिन के विषय में मत फूल, क्योंकि तू नहीं जानता कि दिन भर में क्या होगा।

नीतिवचन 27:2 तेरी प्रशंसा और लोग करें तो करें, परन्तु तू आप न करना; दूसरा तुझे सराहे तो सराहे, परन्तु तू अपनी सराहना न करना।

नीतिवचन 27:3 पत्थर तो भारी है और बालू में बोझ है, परन्तु मूढ का क्रोध उन दोनों से भी भारी है।

नीतिवचन 27:4 क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है?

नीतिवचन 27:5 खुली हुई डांट गुप्त प्रेम से उत्तम है।

नीतिवचन 27:6 जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य है परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है।

नीतिवचन 27:7 सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है, परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएं भी मीठी जान पड़ती हैं।

नीतिवचन 27:8 स्थान छोड़ कर घूमने वाला मनुष्य उस चिडिय़ा के समान है, जो घोंसला छोड़ कर उड़ती फिरती है।

नीतिवचन 27:9 जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है।

नीतिवचन 27:10 जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • अय्यूब 14-16
  • प्रेरितों 9:22-43


सोमवार, 21 जून 2021

ईर्ष्या

 

          प्रसिद्ध फ्रांसीसी कलाकार एडगर डेगास संसार भर में उसके द्वारा बनाए गए बैले नर्तकियों के चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन कम लोग जानते हैं कि वह अपने मित्र और चित्रकला में प्रतिस्पर्धी एक कलाकार एड्युअर्ड मानेट के प्रति ईर्ष्या भी रखता था। डेगास ने मानेट के लिए कहा था, “वह जो कुछ भी करता है, तुरंत ही एक दम ठीक आरंभ कर देता है; जबकि मुझे बहुत परिश्रम करना पड़ता है, फिर भी मैं ठीक से नहीं करने पाता हूँ।”

          ईर्ष्या रखना एक विचित्र भावना है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने इसे चरित्र के सबसे बुरे लक्षणों की सूची में रखा है,सो वे सब प्रकार के अधर्म, और दुष्टता, और लोभ, और बैरभाव, से भर गए; और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्ष्या से भरपूर हो गए, और चुगलखोर” रोमियों 1:29()। पौलुस लिखता है यह उन मूर्खतापूर्ण विचारों के कारण उत्पन्न होती है जो सच्चे परमेश्वर के स्थान पर मूर्ति-पूजा करने का परिणाम होते हैं (पद 28)।

          लेखिका क्रिस्टीना फॉक्स ने कहा कि जब मसीही विश्वासियों में ईर्ष्या उत्पन्न होने लगती है, तो “यह तब होता है जब हमारे हृदय हमारे सच्चे प्रेम से हट जाते हैं।” वे कहती हैं, ईर्ष्या करते समय हम “प्रभु यीशु की ओर देखते रहने के स्थान पर, संसार के घटिया सुखों के पीछे भागने लगते हैं। अर्थात, हम यह भूल चुके हैं कि हम किस के हैं।”

          क्या इसका कोई समाधान है? हाँ! समाधान है – वापस परमेश्वर की ओर लौट आएँ। पौलुस ने रोमियों के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में कहा,और न अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगों को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो” (रोमियों 6:13) – विशेषकर अपने कार्यों और जीवन को। अपनी एक अन्य पत्री में पौलुस ने लिखा,पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा” (गलातियों 6:4)।

          परमेश्वर द्वारा प्रदान की गई आशीषों के लिए उसका धन्यवाद करते रहें – न केवल भौतिक आशीषें, वरन उसके अनुग्रह की बहुतायत के लिए भी। जब हम अपना ध्यान उन बातों पर लगाते हैं जो परमेश्वर ने हमें दी हैं, तो हम ईर्ष्या से निकल कर संतुष्टि में आ जाते हैं। - पेट्रीशिया रेबॉन

 

प्रभु का अनुग्रह सब के लाभ के लिए आशीषें प्रदान करता है।


किन्तु सब के लाभ पहुंचाने के लिये हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है। - 1 कुरिन्थियों 12:7

बाइबल पाठ: रोमियों 6:11-14

रोमियों 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।

रोमियों 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन रहो।

रोमियों 6:13 और न अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगों को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।

रोमियों 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।

 

एक साल में बाइबल: 

  • एस्तेर 3-5
  • प्रेरितों 5:22-42


गुरुवार, 6 मई 2021

संतुष्टि

 

          मैंने अपने घर के पीछे के आँगन के बाड़े के ऊपर से झाँक कर देखा; हमारे घर के पीछे बने पार्क और उसमें बने दौड़ने के ट्रैक पर कई लोग चल, भाग, और टहल रहे थे। मेरे मन में विचार आया, जब मेरे शरीर में शक्ति थी तब मैं भी वहाँ यही किया करता था; और तुरंत मुझे निराशा की एक लहर ने घेर लिया।

          बाद में जब मैं परमेश्वर के वचन बाइबल में से पढ़ रहा था, मेरा ध्यान यशायाह 55:1 “अहो सब प्यासे लोगों, पानी के पास आओ” पर गया और मुझे एहसास हुआ कि प्यास – असंतुष्टि जीवन का नियम है, अपवाद नहीं। इस संसार की कोई भी बात, चाहे वह कोई भली वस्तु ही क्यों न हो, हमें पूर्णतः संतुष्ट कर नहीं सकती है। चाहे मेरे शरीर में भरपूर शक्ति भी होती, और मैं उन लोगों के साथ उन बातों में सम्मिलित हो जाता, फिर भी जीवन में और भी कुछ होता जिसे लेकर मैं असंतुष्ट अनुभव करता।

          हमें संसार की संस्कृति निरंतर कहती रहती है कि हमारे कुछ करने, खरीदने, पहनने, शरीर पर लगाने, कुछ देखने, कहीं जाने, कुछ चलाने, आदि से हमें पूरी संतुष्टि और अमिट आनन्द मिलेगा। परन्तु यह झूठ है। इस संसार में ऐसा कुछ भी नहीं है, और न ही हम कुछ ऐसा कर सकते हैं जो हमें पूर्ण और स्थाई संतुष्टि प्रदान करे।

          वरन यशायाह में होकर परमेश्वर हमें निमंत्रण देता है कि हर बात के लिए, बारंबार परमेश्वर के पास आते रहें, हर बात के बारे में परमेश्वर से सुनते रहें कि वह उसके बारे में हम से क्या कहना चाहता है। परमेश्वर की इच्छा और योजनाओं में ही पूर्ण शान्ति और संतुष्टि है। - डेविड एच. रोपर

 

प्रभु केवल आप ही हमारी प्यास को तृप्त कर सकते हैं।


हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28

बाइबल पाठ: यशायाह 55:1-6

यशायाह 55:1 अहो सब प्यासे लोगों, पानी के पास आओ; और जिनके पास रुपया न हो, तुम भी आकर मोल लो और खाओ! दाखमधु और दूध बिन रुपए और बिना दाम ही आकर ले लो।

यशायाह 55:2 जो भोजन वस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रुपया लगाते हो, और, जिस से पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएं खाने पाओगे और चिकनी चिकनी वस्तुएं खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे।

यशायाह 55:3 कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे; और मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बान्धूंगा अर्थात दाऊद पर की अटल करुणा की वाचा।

यशायाह 55:4 सुनो, मैं ने उसको राज्य राज्य के लोगों के लिये साक्षी और प्रधान और आज्ञा देने वाला ठहराया है।

यशायाह 55:5 सुन, तू ऐसी जाति को जिसे तू नहीं जानता बुलाएगा, और ऐसी जातियां जो तुझे नहीं जानतीं तेरे पास दौड़ी आएंगी, वे तेरे परमेश्वर यहोवा और इस्राएल के पवित्र के निमित्त यह करेंगी, क्योंकि उसने तुझे शोभायमान किया है।

यशायाह 55:6 जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो;

 

एक साल में बाइबल: 

  • 1 राजाओं 21-22
  • लूका 23:26-56

रविवार, 25 अप्रैल 2021

संतुष्टि

 

          हमारा पोते, जे, के बचपन की एक घटना है, उसके जन्मदिन पर उसके माता-पिता ने उसे एक नई टी-शर्ट उपहार दी। वह उसे पा कर बहुत प्रफुल्लित हुआ और उसने तुरंत ही उसे पहन लिया, और सारे दिन उत्साह के साथ पहने रहा। अगले दिन भी जब वह उसी टी-शर्ट को पहने हुए आया, तो उसके पिता ने उससे पूछा, “जे, क्या यह टी-शर्ट तुम्हें खुश करती है?” तो जे का उत्तर था, “अब उतना नहीं करती, जितना कल कर रही थी!” भौतिक वस्तुओं को प्राप्त करने के साथ यही समस्या है – जीवन की भली वस्तुएँ भी हमें वह गहरी, चिर-स्थाई संतुष्टि नहीं दे सकती हैं जिसे हम इतनी लालसा से प्राप्त करना चाहते हैं। हमारे पास अनेकों वस्तुएँ हो सकती हैं, फिर भी हम असंतुष्ट बने रहेंगे।

          संसार भौतिक वस्तुओं को एकत्रित करने के द्वारा संतुष्टि और प्रसन्नता देने का प्रस्ताव देता है: नए कपड़े, नई कार, नया फोन, नई घड़ी, आदि। लेकिन कोई भी भौतिक वस्तु क्यों न हो, अगले दिन उसकी संतुष्टि उतनी नहीं रहती है जितनी पहले दिन थी। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम परमेश्वर से संतुष्टि मिलने के लिए बनाए गए हैं, और उसके अतिरिक्त और कुछ भी वह इच्छित संतुष्टि हमें नहीं दे सकता है।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रभु यीशु के चालीस दिन के उपवास के उपरान्त, जब उसे भूख लगी, तब शैतान ने उसे प्रलोभन दिया कि वह पत्थरों को रोटी में बदल कर अपनी भूख की संतुष्टि कर ले। किन्तु प्रभु उसके प्रलोभनों में नहीं आया, वरन उसका सामना परमेश्वर के वचन में से व्यवस्थाविवरण 8:3 में लिखी बात, “... मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है” के द्वारा किया (मत्ती 4:4)।

          प्रभु यीशु के कहने का यह तात्पर्य नहीं था कि हमें रोटी के सहारे जीवित नहीं रहना चाहिए; वे तो एक आत्मिक तथ्य को प्रकट कर रहे थे – हम मनुष्य केवल शारीरिक ही नहीं, आत्मिक सृष्टि भी हैं, इसलिए हम केवल शारीरिक भोजन ही के सहारे जीवित नहीं रह सकते हैं; हमें सच्चा आत्मिक भोजन भी चाहिए होता है। तभी हम संतुष्ट और स्वस्थ रहने पाएँगे।

          सच्ची संतुष्टि केवल परमेश्वर और उसकी बहुतायत से ही मिल सकती है। - डेविड एच. रोपर

 

परमेश्वर पिता आपके पास मेरी संतुष्टि के लिए सब कुछ है; 

मुझे आपकी बहुतायत के सहारे जीवन जीना सिखाएं।


जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूं वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा। जो रोटी स्वर्ग से उतरी यही है, बाप दादों के समान नहीं कि खाया, और मर गए: जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा। - यूहन्ना 6:57-58

बाइबल पाठ: मत्ती 4:1-11

मत्ती 4:1 तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि शैतान से उस की परीक्षा हो।

मत्ती 4:2 वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्त में उसे भूख लगी।

मत्ती 4:3 तब परखने वाले ने पास आकर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं।

मत्ती 4:4 उसने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।

मत्ती 4:5 तब शैतान उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया।

मत्ती 4:6 और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।

मत्ती 4:7 यीशु ने उस से कहा; यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।

मत्ती 4:8 फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर

मत्ती 4:9 उस से कहा, कि यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा।

मत्ती 4:10 तब यीशु ने उस से कहा; हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।

मत्ती 4:11 तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 2 शमूएल 21-22
  • लूका 18:24-43

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

आनन्द


         पूरा सप्ताह नीरस रहा था, मैं सुस्त और निरुत्साहित अनुभव कर रही थी, और समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा था। सप्ताहान्त के निकट मुझे पता चला कि मेरी एक वृद्ध चाची बीमार थी, उनके गुर्दे ठीक से काम नहीं कर रहे थे। मैं जानती थी कि मुझे उनसे मिलने जाना चाहिए, परन्तु मैं अभी के लिए उनके पास जाने को टालना चाह रही थी। फिर भी मैं उनके घर गई, हमने साथ मिलकर भोजन किया, बातें कीं, और प्रार्थना की। उनके साथ वह समय बिताने के बाद मैं उनके घर से निकल कर अपने घर को चली, सप्ताह में पहली बार उत्साहित और सक्रिय अनुभव करते हुए। अपने ऊपर ध्यान लगाए रखने के स्थान पर, किसी और पर ध्यान लगाने के द्वारा मैं अच्छा अनुभव करने लगी थी।


         मनोवैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि किसी को कुछ देने से हमें संतुष्टि प्राप्त होती है, जो कि जिसे दिया गया है उसकी कृतज्ञता को देखने से आती है। कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी मानना है कि उदार होना हम मनुष्यों की रचना का एक भाग है।


         परमेश्वर के वचन बाइबल में संभवतः इसीलिए पौलुस ने थिस्स्लुनीकिया की मसीही मंडली को लिखी अपनी पत्री में, जब वह उनसे मसीही विश्वासियों के अपने समुदाय को बढ़ाने की बात लिखता है तो साथ ही उन्हें “दुर्बलों को संभालने” (1 थिस्स्लुनीकियों 5:14) का परामर्श भी देता है। इससे पहले वह प्रभु यीशु की कही बात को भी उद्धृत कर चुका था कि, “लेने से देना धन्य है” (प्रेरितों 20:35); यद्यपि यह बात आर्थिक दान के सन्दर्भ में कही गई थी, यह समय और परिश्रम देने पर भी लागू होती है।


         जब हम देते हैं, तो हमें अनुभव होता है कि परमेश्वर को कैसा लगता होगा। हम समझने पाते हैं कि क्यों परमेश्वर हमें अपना प्रेम देने से इतना आनन्दित होता है; और हम औरों को आशीष पहुंचाने के उसके आनन्द तथा संतुष्टि में सहभागी होने पाते हैं। मुझे जो आनन्द अपनी उस वृद्ध चाची से मिलकर प्राप्त हुआ, उससे मुझे लगता है कि मैं शीघ्र ही तथा बारंबार उनके पास जाऊँगी।

 

देने वाला ही सर्वाधिक पाने वाला भी होता है।


हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है। - 2कुरिन्थियों 9:7


बाइबल पाठ: 1 थिस्स्लुनीकियों 5:12-24

1 थिस्स्लुनीकियों 5:12 और हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, कि जो तुम में परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं, और तुम्हें शिक्षा देते हैं, उन्हें मानो।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:13 और उन के काम के कारण प्रेम के साथ उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो: आपस में मेल-मिलाप से रहो।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:14 और हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि जो ठीक चाल नहीं चलते, उन को समझाओ, कायरों को ढाढ़स दो, निर्बलों को संभालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:15 सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्पर रहो आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्टा करो।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:16 सदा आनन्दित रहो।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:17 निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:18 हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:19 आत्मा को न बुझाओ।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:20 भविष्यवाणियों को तुच्छ न जानो।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:21 सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:22 सब प्रकार की बुराई से बचे रहो।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:23 शान्ति का परमेश्वर आप ही तुम्हें पूरी रीति से पवित्र करे; और तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आने तक पूरे पूरे और निर्दोष सुरक्षित रहें।

1 थिस्स्लुनीकियों 5:24 तुम्हारा बुलाने वाला सच्चा है, और वह ऐसा ही करेगा।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 70-71
  • रोमियों 8:22-39