हमारे
समुदाय में शरणार्थियों की संख्या बढ़ने से स्थानीय चर्चों में आने वाले लोगों की
संख्या भी बढ़ी है। बढ़ोतरी के साथ चुनौतियाँ भी आती हैं। चर्च के सदस्यों को इन नए
लोगों का स्वागत करना सीखना होता है, साथ ही उन्हें उन लोगों की संस्कृति, भाषा, और
आराधना की भिन्न पद्धति को स्वीकार करना तथा उनके साथ समायोजित होना सीखना होता
है। इस नएपन के कारण कुछ अटपटी परिस्थितियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं। जहाँ कहीं
लोग होंगे, वहाँ गलतफहमियाँ और मतभेद भी होंगे। यह चर्च में भी देखने को मिलता है।
यदि हम अपने मतभेदों को स्वस्थ तरीके से नहीं सुलझाएंगे, तो फिर उनके कारण विभाजन
उत्पन्न हो सकते हैं।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि जब यरूशलेम में मसीही विश्वासियों की आरंभिक
मण्डली बढ़ रही थी तो उनमें सांस्कृतिक आधार पर मतभेद उत्पन्न हो गया। यूनानी भाषा
बोलने वाली यहूदियों को अरामी भाषा बोलने वाले यहूदियों से शिकायत थी कि उनके
समुदाय की विधवाओं की भोजन वितरण में अवहेलना की जा रही है (प्रेरितों 6:1)। जब यह
मतभेद सुलझाने के लिए बात प्रेरितों तक पहुँची, तो उन्होंने कहा, “इसलिये हे
भाइयो, अपने में से सात सुनाम पुरूषों को जो पवित्र
आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण हों, चुन लो, कि हम उन्हें इस काम पर ठहरा दें” (पद 3)। इस
निर्देश के अनुसार जो सात लोग चुने गए, उन सभी के नाम यूनानी हैं (पद 5); अर्थात
वे सभी यूनानी भाषा बोलने वालों में से थे – उसी समुदाय से जिसे शिकायत थी, और वे
समस्या को भली-भांति समझ सकते थे। प्रेरितों ने प्रार्थना कर के उन पर हाथ रखे और
कलीसिया बढ़ती तथा फैलती चली गयी (पद 6-7)।
बढ़ोतरी
के साथ चुनौतियां आती हैं, क्योंकि बढ़ोतरी के साथ संस्कृतियों के पार संपर्क और
आदान-प्रदान बढ़ता है। परन्तु जब हम प्रत्येक बात के लिए पवित्र आत्मा की सहायता और
मार्गदर्शन की प्रार्थी रहते हैं, तो संभावित समस्याओं के लिए रचनात्मक समाधान भी
हमें मिलते रहेंगे, जिन से परमेश्वर की अगुवाई में समस्याएँ बढ़ोतरी के नए अवसर बन
जाएँगी। - टीम गुस्ताफासन
साथ आना आरंभ है; साथ बने रहना प्रगति है;
साथ कार्य करना सफलता है।
यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका साम्हना कर सकेंगे। जो डोरी तीन तागे से बटी हो वह जल्दी
नहीं टूटती। - सभोपदेशक 4:12
बाइबल पाठ: प्रेरितों 6:1-7
Acts 6:1 उन दिनों में जब चेले बहुत होते
जाते थे, तो यूनानी भाषा बोलने वाले इब्रानियों पर
कुड़कुड़ाने लगे, कि प्रति दिन की सेवकाई में हमारी विधवाओं
की सुधि नहीं ली जाती।
Acts 6:2 तब उन बारहों ने चेलों की मण्डली
को अपने पास बुलाकर कहा, यह ठीक नहीं कि हम परमेश्वर का वचन
छोड़कर खिलाने पिलाने की सेवा में रहें।
Acts 6:3 इसलिये हे भाइयो, अपने में से सात सुनाम पुरूषों को जो पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण
हों, चुन लो, कि हम उन्हें इस काम पर
ठहरा दें।
Acts 6:4 परन्तु हम तो प्रार्थना में और
वचन की सेवा में लगे रहेंगे।
Acts 6:5 यह बात सारी मण्डली को अच्छी लगी,
और उन्होंने स्तिुफनुस नाम एक पुरूष को जो विश्वास और पवित्र आत्मा
से परिपूर्ण था, और फिलेप्पुस और प्रखुरूस और नीकानोर और
तीमोन और परिमनास और अन्ताकियावासी नीकुलाउस को जो यहूदी मत में आ गया था, चुन लिया।
Acts 6:6 और इन्हें प्रेरितों के साम्हने
खड़ा किया और उन्होंने प्रार्थना कर के उन पर हाथ रखे।
Acts 6:7 और परमेश्वर का वचन फैलता गया और
यरूशलेम में चेलों की गिनती बहुत बढ़ती गई; और याजकों का एक
बड़ा समाज इस मत के आधीन हो गया।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 11-12
- मत्ती 26:1-25
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