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बुधवार, 11 जुलाई 2012

कार्य करने वाले

   घर बदल कर एक नए स्थान पर आने के कुछ समय बाद मैंने अपनी बहन सू और उसके पति टेड को भोजन के लिए घर आमंत्रित किया। वे हमारे घर पहुंचे ही थे और घर के दरवाज़े पर हम उनका स्वागत ही कर रहे थे कि एक अजीब सी आवाज़ ने हमारा ध्यान रसोईघर की ओर खींचा। वहां का दृश्य देखकर मैं स्तब्ध खड़ी रह गई। बरतन धोने की हमारी पुरानी मशीन में पानी ले जाने वाला पाइप मशीन से निकल गया था और उससे निकलने वाली पानी की तेज़ धार पाइप को इधर-उधर हिलाती हुई सब जगह पानी बिखरा रही थी।

   सू तुरंत कार्य करने में जुट गई। अपने पर्स को वहीं छोड़कर, मुझ से पहले वह रसोई में पहुंच गई, पानी के नल को बन्द किया और पानी पोंछने का सामान मांगने लगी। मेहमानों के घर आने के पहले पन्द्रह मिनिट हमने उनके साथ फर्श पर घुटनों के बल घर की सफाई करने में बिताए।

   सू तुरंत कार्य करने वालों में से है, और संसार ऐसे लोगों के कारण एक बेहतर स्थान है। ये वे लोग हैं जो सदा हाथ बंटाने के लिए तत्पर रहते हैं, किसी आवश्यक्ता में शामिल होने से नहीं घबराते और आवश्यक्ता हो तो नेतृत्व भी संभाल लेते हैं।

   संसार के कामों में आगे बढ़कर कार्यकारी लोगों में से बहुत से लोग परमेश्वर के कार्यों में भी कार्यकारी हैं। ये वे हैं जो प्रभु यीशु मसीह के अनुयायी हैं और जिन्होंने प्रभु यीशु के चेले याकूब की चुनौती: "परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं" (याकूब १:२२) को स्वीकार कर लिया है।

   क्या जो परमेश्वर आप से चाहता है, आज आप उसे पूरा कर रहे हैं? परमेश्वर का वचन बाइबल के अध्ययन के समय जो आप सीखते हैं उसे अपने जीवन में लागू कीजिए: पहले परमेश्वर से सीखीए फिर उसे कार्यान्वित कीजिए। जब आप परमेश्वर की आज्ञाकारिता में बढ़ेंगे तो परमेश्वर की आशीषें भी आप के जीवन में बढ़ेंगी (पद २५)। - सिंडी हैस कैस्पर


परमेश्वर के वचन बाइबल की कीमत उसे जानने में नहीं, उसे मानने में है।

परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। - याकूब १:२२

बाइबल पाठ: याकूब १:१९-२७
Jas 1:19  हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।
Jas 1:20  क्‍योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
Jas 1:21  इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
Jas 1:22  परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।
Jas 1:23  क्‍योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।
Jas 1:24  इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्‍त भूल जाता है कि मैं कैसा था।
Jas 1:25  पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है।
Jas 1:26   यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।
Jas 1:27  हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों ओर विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १-३ 
  • प्रेरितों १७:१-१५

बुधवार, 21 सितंबर 2011

आदर्श एवं यथार्थ

   पत्रकार सिडनी हैरिस ने व्यर्थ आदर्शवाद के नकारात्मक परिणामों के बारे में एक अन्य लेखक के उदाहरण द्वारा समझाया। जब हैरिस ने पहले-पहल उस लेखक की रचनाओं को पढ़ा तो उन्हें वह बहुत आकर्षक लगा, हैरिस ने कहा कि "उस लेखक के विचार ऐसे थे मानो जैसे बदबूदार कमरे में खुशबू का झोंका आया हो। मानवता, पारिवारिक संबंधों, सामाजिक संबंधों, बच्चों, जानवरों और फुल-पौधों - सभी पर उनके विचार बहुत उत्तम और आदर्शपूर्ण थे।" लेकिन दुख की बात यह थी कि यह आदर्शवादिता उस लेखक के व्यक्तिगत जीवन के व्यवहार में ज़रा भी नहीं थी। अपने घर में वह व्यक्ति अपनी पत्नि के प्रति क्रूर और अपने बच्चों के लिए आतंक था। उसका आदर्शवाद का प्रचार केवल दूसरों के लिए था, इसलिए व्यर्थ था।

   अपने पहाड़ी उपदेश में प्रभु यीशु ने सिखाया कि कैसे आदर्शों को यथार्थ के साथ व्यावाहरिक जीवन में लागू करना चाहिए। उन्होंने समझाया कि कैसे हम व्यावाहरिक जीवन के प्रति सही रवैया रखें जिससे जीवन जैसा है और जैसा होना चाहिए, इन दोनो बातों में कोई विरोधाभास नहीं हो। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हम अपने आदर्शों को लेकर इतने अव्यावाहरिक तथा कट्टर भी न हो जाएं कि अपने आस-पास के लोगों से अनुचित और असंभव उम्मीदें रखने लगें।

   प्रभु यीशु ने अपने जीवन के उदाहरण द्वारा सिखाया कि आदर्श और यथार्थ में संतुलन बना कर रखें - जो सिद्ध अथवा योग्य नहीं भी हों उनके साथ भी सदा धैर्य, प्रेम तथा सहिषुणता का व्यवहार करें। उन्होंने सिखाया कि हमें सत्य के साथ तो बने रहना है, किंतु दया और करुणा का साथ भी नहीं छोड़ना है।

   यदि हम प्रभु यीशु के उदाहरण का अनुसरण करेंगे तो हम सर्वोच्च आदर्शों को भी थामे रहेंगे तथा संसार के यथार्थ से भी मुँह नहीं छुपाएंगे; अपितु प्रभु यीशु के समान हमारे हृदय सदा प्रेम से भरे और हम प्रेम से व्यवहार करने वाले होंगे। - मार्ट डी हॉन


एक धर्मी हृदय में करुणा के लिए बहुत स्थान रहता है।
 
धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्‍योंकि उन पर दया की जाएगी। - मत्ती ५:७
 
बाइबल पाठ: मत्ती ५:१-१२
    Mat 5:1  वह इस भीड़ को देख कर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए।
    Mat 5:2  और वह अपना मुंह खोल कर उन्‍हें यह उपदेश देने लगा,
    Mat 5:3  धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
    Mat 5:4  धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्‍योंकि वे शांति पाएंगे।
    Mat 5:5  धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्‍योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
    Mat 5:6  धन्य हैं वे जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएंगे।
    Mat 5:7  धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्‍योंकि उन पर दया की जाएगी।
    Mat 5:8  धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
    Mat 5:9  धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
    Mat 5:10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
    Mat 5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
    Mat 5:12 आनन्‍दित और मगन होना क्‍योंकि तुम्हारे लिये स्‍वर्ग में बड़ा फल है; इसलिये कि उन्‍होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
 
एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक ७-९ 
  • २ कुरिन्थियों १३