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शुक्रवार, 25 जून 2010

प्रतिरोध

यूजीन क्यूसॉन्स चिंपैन्ज़ी बन्दरों को बचाने का कार्य करते हैं। जंगली जनवरों के मांस के व्यापार में लगे लोग इन बन्दरों को अनाथ बनाने के बाद जेल कोठरी से भी छोटी जगह में इन्हें कैद करके रखते है। यूजीन ने इनके आज़ाद रहने के लिये एक खुला स्थान बनाया है जिसे वह Chimp Eden (वानर वाटिका) कहता है। जब वह इन्हें उस वाटिका में रखने के लिये ले जाने आता है तो अक्सर इन वानरों को घबराया हुआ और विरोध का बरताव करते पाता है।

जब वह उन्हें उस नये खुले स्थान पर ले जाने के लिये एक छोटे पिंजरे में रखने का प्रयास करता है तो वे बन्दर बहुत विरोध करते हैं। उसका कहना है कि "ये नहीं समझते कि मैं उनका नुकसान पहूंचाने वाला मनुष्य नहीं हूँ। मैं तो उन्हें एक बेहतर जीवन देने के लिये उस वानर वाटिका में ले जाना चाहता हूँ।"

इससे भी एक श्रेष्ठ रूप में यह उदाहरण परमेश्वर द्वारा हमें पाप के दासत्व से छुड़ाने के प्रयास और उसमें नासमझी के कारण हमारे द्वारा डाले जाने वाले प्रतिरोध को समझाता है। जब परमेश्वर ने इस्त्रालियों को मिस्त्र देश के दासत्व से छुड़ाया, और उन्हें कठिन स्थानों से लेकर चला तो उन लोगों ने परमेश्वर की भली मनशा पर शक किया और कहा "... क्या हमारे लिये अच्छा नहीं कि हम मिस्र देश को लौट जाएं?" (गिनती १४:३)।

हमारी ’विशवास’ की यात्रा में भी कई बार हमें लगता है कि पाप की ’आज़ादी’ जिसे हम पीछे छोड़कर आये हैं, विश्वास के वर्तमान अनुशासन से बेहतर थी। ऐसे में हमें परमेश्वर द्वारा हमारी सुरक्षा के लिये निर्धारित करी गई और उसके वचन में मिलने वाली सीमाओं का आदर करना है जिससे हम उस परम स्वतंत्रता के स्थान तक पहुँच सकें। - जूली ऐकरमैन लिंक


परमेश्वर की आज्ञाकारिता ही सवतंत्रता की कुंजी है।


बाइबल पाठ: गिनती १४:१-१०


यदि यहोवा हम से प्रसन्न हो, तो हम को उस देश में, जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, पहुंचाकर उसे हमें दे देगा। - गिनती १४:८


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३, ४
  • प्रेरितों के काम ७:४४-६०

गुरुवार, 24 जून 2010

टालने की समस्या

हम में से बहुत इस समस्या से जूझते हैं - टालने की समस्या। एलबर्टा स्थित कैलगरी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक ने इस विषय पर ५ वर्ष तक शोध किया और पाया कि ९५% लोग किसी न किसी बात को टालते हैं। एक अनुमान के अनुसार, अपना कर देना टालने के कारण अमेरीकी लोग लगभग $४०० करोड़ सालाना का नुकसान उठाते हैं! असफल होने के भय अथवा अन्य किन्हीं संभावित असुरक्षाओं के कारण हम किसी कार्य को आरंभ करने के लिये या कोई निर्णय लेने के लिये प्रतीक्षा ही करते रह जाते हैं।

मण्डली (चर्च) में भी टालना एक समस्या है। बहुत लोग परमेश्वर की सेवा करने को टालते रहते हैं। हम जानते हैं कि हमें औरों तक मसीह के सुसमाचार को पहुंचाना है, पर हम इसे टाल जाते हैं, इस चिंता में कि कैसे करेंगे, या करेंगे तो कहीं असफल न हो जाएं। क्योंकि हम अपने वरदानों और अभिरुचियों को भली भांति नहीं जानते, इसलिये मण्डली के कामों में जुड़ने से कतराते हैं और टालते रहते हैं, इस डर से कि "कहीं मैं कोई घटिया काम न कर बैठूं" या "अगर आरंभ करने के बाद मुझे लगे कि मैं इसे नहीं कर पाउंगा, तो क्या होगा?"

इस बात के लिये रोमियों की पत्री का १२वां अध्याय हमें कुछ प्रोत्साहन देता है। वहां हमें मिलता है कि परमेश्वर की सेवा का आरंभ होता है परमेश्वर को भावते हुए जीवित और पवित्र बलिदान के रूप में अपने आप का समर्पण करने से - रोमियों १२:१ । प्रार्थना करें और अपने आप को पुनः प्रभु और उसके कार्य के लिये समर्पित करें। फिर अपने आस-पास ध्यान करें कि आपकी मण्डली में लोग किन कार्यों में लगे हैं, और उनके साथ मिलकर उन कार्यों में हाथ बंटाएं। चाहे तो छोटे से आरंभ करें और कई कार्यों में प्रयास करें।

आपकी मण्डली को आपकी आवश्यक्ता है। परमेश्वर से मांगें कि वह आपको आपकी टालने की समस्या से निकलने में सहायता करे। - एनी सेटास


एक स्वस्थ मण्डली के लिये हर सद्स्य को अपने अपने आत्मिक वरदान का उपयोग करना है।


बाइबल पाठ: रोमियों १२:४-१३


क्‍योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं। वैसे ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह होकर आपस में एक दूसरे के अंग हैं। - रोमियों १२:४, ५


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब १, २
  • प्रेरितों के काम ७:२२-४३

बुधवार, 23 जून 2010

एक सामर्थी सन्देश

बाइबल शिक्षक लेहमैन स्ट्रौस ने लड़कपन में ही परमेश्वर के वचन की सामर्थ द्वारा मसीह को अपनाया। उन्होंने अपनी सहेली के कहने पर रोमियों की पत्री से कुछ अंश पढ़े, वे थे रोमियों ३:२३, ५:८ और १०:१३। इन पदों को पढ़ने से उन्हें अपने पाप का बोध हुआ और उन्होंने अपनी दशा पर विलाप के साथ पश्चाताप किया तथा मसीह को ग्रहण किया।

जब उनका पुत्र रिचर्ड ७ वर्ष का था तो उसने अपने पिता से उद्धार का मार्ग पूछा। लेहमैन ने उन्हीं पदों का प्रयोग किया जो उस समय उनकी सहेली और अब उनकी पत्नी ने सालों पहले उनके लिये किया था। उनके पुत्र ने भी विश्वास किया और आगे चलकर परमेश्वर का सेवक बना।

परमेश्वर के वचन में अद्‍भुत और कलपना से परे सामर्थ है। काल के आरंभ में परमेश्वर ने कहा कि उजियाला हो और हो गया (उत्पत्ति १:३)। उसने एब्राहम से वाचा बांधी (उत्पत्ति १७:१५-१९) और उसे उसकी ९० वर्षीय पत्नी से पुत्र दिया (उत्पत्ति २१:१, २)। परमेश्वर आज भी सामर्थ के साथ बात करता है। जो जो उसकी सुनकर सुसमाचार पर विश्वास लाते हैं, वे उद्धार पाते हैं (रोमियों १:१६)।

जी हाँ, मसीह का सुसमाचार और क्रूस पर उसके द्वारा किया गया उद्धार का काम व्यक्ति के जीवन की दशा बदल सकते हैं। उस वचन में वह सामर्थ है कि वह उस के दिल की गहराई तक पहुंचे जिससे आप प्रेम करते हैं और जिसके लिये आपने कई बार प्रार्थना करी है।

इसलिये अपनी गवाही में कभी निराश होकर पीछे मत हटिये, लगातार परमेश्वर के साथ स्थिरता से चलते रहें। प्रार्थना करते रहें और सुसमाचार बांटते रहें - वह एक सामर्थी सन्देश है। - डेव एग्नर


हमारे शब्दों में प्रभाव डालने की सामर्थ है; परमेश्वर के वचन में उद्धार देने की सामर्थ है।


बाइबल पाठ:१ कुरिन्थियों १:१८-२५


मसीह का सुसमाचार...हर एक विश्वास करने वाले के लिये....उद्धार कि निमित परमेश्वर की सामर्थ है। - रोमियों १:१६


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ९, १०
  • प्रेरितों के काम ७:१-२१

मंगलवार, 22 जून 2010

खुला निमंत्रण

सन १६८२ में राजा लूई XIV ने पैरिस की जगह वेरसेलेयस को फ्रांस की राजधनी बनाया और वह १७८९ तक राजधानी रही (बीच के थोड़े से समय को छोड़कर), फिर वापस राजधानी पैरिस हो गई। वेरसेलेयस में राजा ने एक भव्य महल का निर्माण करवाया, जिसमें एक २४१ फुट लम्बा और दर्पणों से भरा शनदार हॉल है। इस हॉल के एक सिरे पर चांदी से बना राजा का सिंहासन था। राजा से भेंट करने आने वालों को दूसरे सिरे से प्रवेश करना होता था, और हर पांच कदम पर, चमचमाते हुए राज-सिंहासन पर बैठे राजा को, झुककर आदर देना होता था। विदेशी राजदूतों को भी फ्रांस के राजा की कृपादृष्टि बनाए रखने के लिए इस अपमानजनक आचार को निभाना पड़ता था।

इसकी तुलना में, हमारा परमेश्वर, जो राजाओं के राजा है, सभी लोगों को अपने सिंहासन के समीप निर्बाध आने का निमंत्रण देता है। जब कभी हमें आवश्यक्ता हो, हम हर हाल और परिस्थिति में उसके समीप आ सकते हैं, इसके लिये कोई पूर्व-नियुक्ति लेने या किसी प्रक्रिया को निभाने की बन्दिश नहीं है।

इतने खुले दिल से हमारा स्वागत करने वाले और हम से मिलने को सदा तत्पर रहने वाले स्वर्गीय पिता के प्रति हमें कितना आभारी होना चाहिये। "क्‍योंकि उस ही (यीशु मसीह) के द्वारा हमारी एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है" (इफिसियों २:१८)। इसी कारण इब्रानियों की पत्री का लेखक हमें प्रेरित करता है कि "इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे" (इब्रानियों ४:१६)।

क्या आपने परमेश्वर के इस खुले निमंत्रण का लाभ उठाया? आदर, भय और आभार के साथ सृष्टि के रचियेता और परमेश्वर के सम्मुख आएं, वह आपकी प्रार्थना सुनने के लिये सदा तैयार है। - सी. पी. हिया


परमेश्वर के सिंहासान का मार्ग सदा खुला रहता है।


बाइबल पाठ: इफिसियों २:१४-२२


इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। - इब्रानियों ४:१६


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ६-८
  • प्रेरितों के काम ६

सोमवार, 21 जून 2010

आनन्दमय पुनर्मिलन

अमेरिका के उटाह प्रांत से, सन २००२ में एक लड़की एलिज़ाबेथ का अपहरण हो गया। वह अपने अपहरण्कर्ताओं के साथ एक लाचार जीवन व्यतीत करती रही। अपहरण के ९ महीने बाद उसे खोज लिया गया और वह अपने घर लौट सकी। उस परिवार के लिये यह एक बहुत प्रतिक्षित तथा आनन्दमय पुनर्मिलन था।

"प्रकाशितवाक्य" में यूहन्ना एक नई धरती और नए स्वर्ग के अपने दर्शन और प्रभु के साथ होने वाले मिलन का वर्णन करता है (प्रकाशितवाक्य २१:१-५)। इस वर्णन का संदर्भ केवल भौगोलिक नहीं है, वह परमेश्वर के लोगों के जीवन का सन्दर्भ है - एक महिमामय सत्य का, परमेश्वर और उसके लोगों का अनन्त्काल तक एक साथ रहने का सत्य।

यूहन्ना उन आशीशों के बारे में बताता है जो परमेश्वर का उसके लोगों के मध्य में निवास करने के द्वारा उन्हें मिलेंगी। पाप के दुष्परिणाम हमेशा के लिये मिटा दिये जाएंगे। यूहन्ना के दर्शन में, दुख, मृत्यु, दर्द, विछोह आदि उन पुरानी बातों का भाग हैं जो तब सदा के लिये जाती रहेंगी। पुरानी रीतियां हट जाएंगी, एक नया और सिद्ध व्यवहार आ जाएगा; एक अनन्तकालीन और आशीशमय पुनर्मिलन होगा। "परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा, और उन का परमेश्वर होगा। और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा, और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं:" (प्रकाशितवाक्य २१:३-५)।

एक दिन हम अपने परमेश्वर पिता के साथ होने वाले आनन्दमय पुनर्मिलन में मगन होंगे; वह ऐसे अदभुत आनन्द का समय होगा जिसकी हम अभी कल्पना भी नहीं कर सकते। - मार्विन विलियम्स


बिछड़ना धरती का नियम है; पुनर्मिलन स्वर्ग का!


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २१:१-५


परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा, और उन का परमेश्वर होगा। - प्रकाशितवाक्य २१:३


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ३-५
  • प्रेरितों के काम ५:२२-४२

रविवार, 20 जून 2010

हमारी विरासत

मेरे एक मित्र ने लिखा, "यदि कल हम मर जयें तो जिस कंपनी में हम काम करते हैं वह कुछ ही दिनों में हमारी जगह किसी दुसरे को नियुक्त कर लेगी। परन्तु हमारा परिवार जो पीछे रह जायेगा, वह इस हानि की भरपाई कभी नहीं कर पायेगा और सदा हमारी कमी उसे खलेगी। तो फिर क्यों हम अपने आप को अपने काम में इतना अधिक और अपने बच्चों के जीवन में इतना कम खर्च करते हैं?"

क्यों हम अकसर सुबह जल्दी उठकर और देर शाम तक काम करते रहने से अपने आप को थका लेते हैं, और "दुख भरी रोटी खाते हैं" (भजन १२७:१, २)? हम दुनिया पर अपनी छाप छोड़ने में तो व्यस्त रहते हैं, लेकिन हमारे जीवन में जो बहुमूल्य हैं - हमारे बच्चे, उनकी उपेक्षा कर जाते हैं।

राजा सुलेमान ने सन्तान के लिये कहा कि वे "लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं। जैसे वीर के हाथ में तीर, वैसे ही जवानी के लड़के होते हैं" (भजन १२७:३, ४)। हमारे समय और सामर्थ का हकदार इनसे अधिक और कोई नहीं हो सकता।

राजा सुलेमान ने कहा, रात-दिन मेहनत करने के व्यर्थ परिश्रम की आवश्यक्ता नहीं है, क्योंकि परमेश्वर हमारी ज़रूरतों का ध्यान रखता है (भजन १२७:२)। हम निश्चिंत होकर अपने बच्चों के लिये समय दे सकते हैं और विश्वास रख सकते हैं कि परमेश्वर हमारी भौतिक आवश्यक्ताओं को पूरा करेगा। बच्चे, चाहे हमारे अपने हों या वे जिन्हें हम प्रशिक्षित करते हैं, हमारी स्थायी विरासत हैं। उनपर व्यय किये गये समय और सामर्थ के विष्य में हमें कभी निराशा नहीं होगी। - डेविड रोपर


अपने बच्चों के साथ बिताया गया समय बुद्धिमानी से विनियोग किया गया समय है।


बाइबल पाठ: भजन १२७


लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं। - भजन १२७:३


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर १, २
  • प्रेरितों के काम ५:१-२१

शनिवार, 19 जून 2010

प्रलोभन

दो भाई, दोनो अलग अलग स्थानों पर, अपने घर और एक दूसरे से दूर, दोनो एक जैसे ही प्रलोभन में पड़े किंतु उनकी उस प्रलोभन की प्रतिक्रीया में ज़मीन-आसमान का अन्तर था। एक, अपने परिवार से दूर, एक जवान युवती की युक्ति का शिकार हुआ और उसके इस पाप के कारण पारिवारिक कलेश और शर्मिंदगी हुई। दूसरा, पारिवारिक कलेश के कारण अपने प्रीय जनों से दूर हुआ, उसने एक व्यसक युवती के निमंत्रण को ठुकराया और उसकी इस विश्वासयोग्यता से परिवार का बचाव और पुनर्वास हुआ।

कौन हैं ये भाई? दोनो याकूब की सन्तान हैं, पहला था यहूदा जो अपनी उपेक्षित बहु तामार द्वारा परेशानी में बनाई गई चाल में फंस गया (उत्पत्ति ३८) और दूसरा था यूसुफ जो अपने स्वामी पोतिफर की पत्नी के प्रलोभनों से बचकर भागा (उत्पत्ति ३९)। एक अध्याय एक घिनौनी कहानी है गैरज़िम्मेदार बर्ताव और धोखे की, दूसरा अध्याय एक सुन्दर उदाहरण है विश्वासयोग्यता का।

यहूदा और यूसुफ की कहानियां, याकुब के वंश के वृतांत (उत्पत्ति ३७:२) के बीच में एक दूसरे के आगे-पीछे दी गईं हैं, ये दर्शाती हैं कि समस्या प्रलोभन नहीं है वरन उसके प्रति होने वाली प्रतिक्रीया है। सबको प्रलोभनों का सामना करन पड़ता है, प्रभु यीशु ने भी किया (मत्ती ४:१-११)। सवाल है कि हम प्रलोभन का सामना कैसे करते हैं? क्या हम दिखाते हैं कि परमेश्वर में विश्वास हमें पाप के सामने घुटने टेक जाने से बचा सकता है?

यूसुफ ने प्रलोभन का सामना करने का एक तरीका दिखाया - प्रलोभन को परमेश्वर के प्रति अपमान जानकर उससे दूर भागना। यीशु ने एक और तरीका बताया - परमेश्वर के वचन के सत्य से प्रलोभन पर जय पाना।

क्या आप किसी प्रलोभन का सामना कर रहे हैं? इसे एक अवसर समझिये परमेश्वर और उसके वचन को अपने जीवन में सार्थक दिखाने का, और उस प्रलोभन से भाग निकलिये। - डेव ब्रैनन


हम प्रलोभन में तब ही गिरते हैं जब हम उसके विरुद्ध खड़े नहीं रहते।


बाइबल पाठ: उत्पत्ति ३९:१-१२


सो भला, मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी क्योंकर बनूं? - उत्पत्ति ३९:९


एक साल में बाइबल:
  • नेहेमियह १२, १३
  • प्रेरितों के काम ४:२३-३७