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सोमवार, 28 दिसंबर 2009

आत्मा के लिये भोजन

बाइबल पाठ: भजन संहिता १९:७ - १४

यर्मियाह १५:१६ - जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए। क्योंकि, हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूँ।

मेरी पत्‍नि मार्टी के साथ खाने-पीने की वस्तुओं की खरिददारी करना पौष्टिक भोजन पर एक अध्धयन करने के समान है। अक्सर मैं किसी अच्छी दिखने वाली वस्तु का टिन उठा लेता हूँ और वह तुरन्त कहती है "उसके उपर लिखे को पढ़ो क्या उसमें ट्रांस-फैट है? उससे कितनी कैलोरी मिलती हैं? उसकी कोलेस्ट्रोल क्षम्ता क्या है?" मुझे यह मानना पड़ेगा कि यदि मेरे जीवन में वह ऐसे भोजन नियन्त्रण करने में सतर्क नहीं होती तो मैं एक व्हेल मच्छली की तरह दिखने लगता।

लेकिन भोजन वस्तुओं की दुकान में अच्छी पसन्द रखने से कहीं अच्छा है आत्मा के भोजन के बारे में सतर्क होना। मुझे यर्मियाह १५:१६ के शब्द बहुत अच्छे लगते हैं "जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया"

जब हम परमेश्वर के वचन को पढ़ते हैं तो उसे सिर्फ एक कार्य पूरा करने के लिये न करें। हमें उसे पढ़ना है, उसे पचाने के लिये। आराम से और मनन के साथ पढ़ने और उस पर विचार करने से हम परमेश्वर के वचन की सामर्थ देने वाली बातों को सीख सकते हैं। उसका वचन हमारी आत्मिक उन्नति के लिए हर उप्योगी तत्व से परिपूर्ण है:
  • हमारी अत्मा के पालन्हार से हमारा सीधा सम्पर्क बनाता है
  • हमारी अक्ल को पैना करता है जिससे हम ज्ञान और समझ से परिपूर्ण हो जाते हैं
  • हमारे दिल और मन की रोज़ जाँच पड़ताल करता है
  • हमें पाप से बचाए रखता है
  • आत्मिक शाँति, उम्मीद और आराम की वर्षा करता है

परमेश्वर के वचन को खा लीजिए, वह आत्मा की दावत है - जो स्टोवैल
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एक स्वस्थ आत्मा के लिये अनिवार्य सभी पौष्टिक तत्व बाइबल में उप्लब्ध हैं।
एक साल में बाइबल:
  • ज़कर्याह ५-८
  • प्र्काशितवाक्य १९