जटिल आपसी समस्याओं के कारण एक परिवार विभाजित हो गया। पारिवारिक उथल पुथल से परेशान उनका एक बेटा किसी अन्य के साथ रहने चला गया, और कुछ समय में वह उसे ही अपना घर समझने लगा। एक दिन टेलिविज़न पर खोए हुए बच्चों से संबंधित कार्यक्रम देखते समय हुए उसने अपनी तस्वीर को पहचाना और अपने असली परिवार की जनकारी देखी, तब उसे एहसास हुआ कि उसका वास्तविक परिवार और घर कहीं और है। उसने यह बात अपनी आया को बताई, आया ने संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया और कुछ समय के बाद वह बेटा अपने वासत्विक घर में अपने परिवार के साथ था।
यह घटना पढ़ कर मुझे बाइबल में २ राजा २२ अध्याय में वर्णित योशिय्याह राजा की याद आई। योशिय्याह एक भला राजा था, परमेश्वर का भय मानता था और वह अपने तथा अपने राज्य के आत्मिक जीवन के संबंध में निश्चिंत था कि वे सही मार्ग पर हैं। उसने परमेश्वर के भवन की सफाई करवाने के लिए पुरोहितों से कहा और उन्हें सफाई के समय वहाँ परमेश्वर के लिखित वचन की एक प्रति मिली। पुरोहित परमेश्वर के वचन की प्रति को योशिय्याह राजा के पास लाया और उसे परमेश्वर का वचन पढ़कर सुनाया। जब योशिय्याह ने परमेश्वर का वचन सुना और उसके समक्ष अपने आप को जाँचा तब उसे एहसास हुआ कि वह और उसकी प्रजा वास्तव में परमेश्वर से कितने दूर हैं और उसकी आज्ञाओं के उल्लंघन में जीवन व्यतीत कर रहे हैं - उनके पाप ने उन्हें परमेश्वर से दूर कर रखा है। योशिय्याह राजा ने अपनी वास्तविक दशा से व्यथित हो कर अपने कपड़े फाड़ डाले और पश्चाताप किया और परमेश्वर की नबी के पास भेजकर परमेश्वर की इच्छा पता करवाई तथा परमेश्वर की ओर लौट आया। योशिय्याह के साथ साथ उसकी प्रजा ने भी पश्चाताप किया और परमेश्वर की ओर मन फिराया (२ राजा २३)। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि योशिय्याह राजा और उसकी प्रजा ने अपने वास्तविक स्वरूप को परमेश्वर के वचन के दर्पण में देखा और पहचाना कि उनकी वास्तविक स्थिति वह नहीं थी जिसे वे मान कर बैठे हुए थे।
यही बात कई बार हमारे व्यक्तिगत जीवन में भी होती है, हम मान लेते हैं कि हम आत्मिक रूप से ठीक हैं और अपनी इन्हीं भावनाओं के आधार पर चलते रहते हैं, जबकि हमारे जीवन में छुपा हुआ पाप हमें परमेश्वर से दूर किये हुए होता है। परमेश्वर ने अपना वचन बाइबल हमें इसलिए दिया कि एक दर्पण के समान वह हमें हमारी वास्तविक दशा दिखा सके। जब हम सच्चे मन से बाइबल को पढ़ने लगते हैं तो वास्तव में हम बाइबल को नहीं पढ़ रहे होते, बाइबल हमें पढ़ती है, हम पर हमारी असलियत प्रगट कर देती है और हमें बोध होता है कि हमारी वास्तविक दशा क्या है।
जहाँ कहीं परमेश्वर हमें हमारे पाप का बोध कराए, हमें उस बात के लिए पश्चाताप और परमेश्वर से क्षमा याचना करके अपने संबंध परमेश्वर से सही कर लेने चाहिएं। तब ही हम अपने सही स्थान पर लौट सकते हैं और बने रह सकते हैं। - मार्ट डी हॉन
व्यवस्था की उस पुस्तक की बातें सुनकर राजा ने अपने वस्त्र फाड़े। - २ राजा २२:११
बाइबल पाठ: २ राजा २२:८-२०
2Ki 22:8 और हिलकिय्याह महायाजक ने शापान मंत्री से कहा, मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है; तब हिलकिय्याह ने शापान को वह पुस्तक दी, और वह उसे पढ़ने लगा।
2Ki 22:9 तब शापान मंत्री ने राजा के पास लौटकर यह सन्देश दिया, कि जो चान्दी भवन में मिली, उसे तेरे कर्मचारियों ने थैलियों में डाल कर, उनको सौंप दिया जो यहोवा के भवन में काम कराने वाले हैं।
2Ki 22:10 फिर शपान मंत्री ने राजा को यह भी बता दिया, कि हिलकिय्याह याजक ने उसे एक पुस्तक दी है। तब शपान उसे राजा को पढ़कर सुनाने लगा।
2Ki 22:11 व्यवस्था की उस पुस्तक की बातें सुनकर राजा ने अपने वस्त्र फाड़े।
2Ki 22:12 फिर उस ने हिलकिय्याह याजक, शापान के पुत्र अहीकाम, मीकायाह के पुत्र अकबोर, शापान मंत्री और असाया नाम अपने एक कर्मचारी को आज्ञा दी,
2Ki 22:13 कि यह पुस्तक जो मिली है, उसकी बातों के विष्य तुम जाकर मेरी और प्रजा की और सब सहूदियों की ओर से यहोवा से पूछो, क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इस कारण भड़की है, कि हमारे पुरखाओं ने इस पुस्तक की बातें न मानी कि कुछ हमारे लिये लिखा है, उसके अनुसार करते।
2Ki 22:14 हिलकिय्याह याजक और अहीकाम, अकबोर, शापान और असाया ने हुल्दा नबिया के पास जाकर उस से बातें की, वह उस शल्लूम की पत्नी थी जो तिकवा का पुत्र और हर्हस का पोता और वस्त्रों का रखवाला था, (और वह स्त्री यरूशलेम के नये टोले में रहती थी) ।
2Ki 22:15 उस ने उन से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जिस पुरुष ने तुम को मेरे पास भेजा, उस से यह कहो,
2Ki 22:16 यहोवा यों कहता है, कि सुन, जिस पुस्तक को यहूदा के राजा ने पढ़ा है, उसकी सब बातों के अनुसार मैं इस स्थान और इसके निवासियों पर विपत्ति डाला चाहता हूँ।
2Ki 22:17 उन लोगों ने मुझे त्याग कर पराये देवताओं के लिये धूप जलाया और अपनी बनाई हुई सब वस्तुओं के द्वारा मुझे क्रोध दिलाया है, इस कारण मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़केगी और फिर शांत न होगी।
2Ki 22:18 परन्तु यहूदा का राजा जिस ने तुम्हें यहोवा से पूछने को भेजा है उस से तुम यों कहो, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है।
2Ki 22:19 इसलिये कि तू वे बातें सुनकर दीन हुआ, और मेरी वे बातें सुनकर कि इस स्थान और इसके निवासियों देखकर लोग चकित होंगे, और शाप दिया करेंगे, तू ने यहोवा के साम्हने अपना सिर नवाया, और अपने वस्त्र फाड़कर मेरे साम्हने रोया है, इस कारण मैं ने तेरी सुनी है, यहोवा की यही वाणी है।
2Ki 22:20 इसलिये देख, मैं ऐसा करूंगा, कि तू अपने पुरखाओं के संग मिल जाएगा, और तू शांति से अपनी कबर को पहुंचाया जाएगा, और जो विपत्ति मैं इस स्थान पर डाला चाहता हूँ, उस में से तुझे अपनी आखों से कुछ भी देखना न पड़ेगा। तब उन्होंने लौटकर राजा को यही सन्देश दिया।
एक साल में बाइबल:
यह घटना पढ़ कर मुझे बाइबल में २ राजा २२ अध्याय में वर्णित योशिय्याह राजा की याद आई। योशिय्याह एक भला राजा था, परमेश्वर का भय मानता था और वह अपने तथा अपने राज्य के आत्मिक जीवन के संबंध में निश्चिंत था कि वे सही मार्ग पर हैं। उसने परमेश्वर के भवन की सफाई करवाने के लिए पुरोहितों से कहा और उन्हें सफाई के समय वहाँ परमेश्वर के लिखित वचन की एक प्रति मिली। पुरोहित परमेश्वर के वचन की प्रति को योशिय्याह राजा के पास लाया और उसे परमेश्वर का वचन पढ़कर सुनाया। जब योशिय्याह ने परमेश्वर का वचन सुना और उसके समक्ष अपने आप को जाँचा तब उसे एहसास हुआ कि वह और उसकी प्रजा वास्तव में परमेश्वर से कितने दूर हैं और उसकी आज्ञाओं के उल्लंघन में जीवन व्यतीत कर रहे हैं - उनके पाप ने उन्हें परमेश्वर से दूर कर रखा है। योशिय्याह राजा ने अपनी वास्तविक दशा से व्यथित हो कर अपने कपड़े फाड़ डाले और पश्चाताप किया और परमेश्वर की नबी के पास भेजकर परमेश्वर की इच्छा पता करवाई तथा परमेश्वर की ओर लौट आया। योशिय्याह के साथ साथ उसकी प्रजा ने भी पश्चाताप किया और परमेश्वर की ओर मन फिराया (२ राजा २३)। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि योशिय्याह राजा और उसकी प्रजा ने अपने वास्तविक स्वरूप को परमेश्वर के वचन के दर्पण में देखा और पहचाना कि उनकी वास्तविक स्थिति वह नहीं थी जिसे वे मान कर बैठे हुए थे।
यही बात कई बार हमारे व्यक्तिगत जीवन में भी होती है, हम मान लेते हैं कि हम आत्मिक रूप से ठीक हैं और अपनी इन्हीं भावनाओं के आधार पर चलते रहते हैं, जबकि हमारे जीवन में छुपा हुआ पाप हमें परमेश्वर से दूर किये हुए होता है। परमेश्वर ने अपना वचन बाइबल हमें इसलिए दिया कि एक दर्पण के समान वह हमें हमारी वास्तविक दशा दिखा सके। जब हम सच्चे मन से बाइबल को पढ़ने लगते हैं तो वास्तव में हम बाइबल को नहीं पढ़ रहे होते, बाइबल हमें पढ़ती है, हम पर हमारी असलियत प्रगट कर देती है और हमें बोध होता है कि हमारी वास्तविक दशा क्या है।
जहाँ कहीं परमेश्वर हमें हमारे पाप का बोध कराए, हमें उस बात के लिए पश्चाताप और परमेश्वर से क्षमा याचना करके अपने संबंध परमेश्वर से सही कर लेने चाहिएं। तब ही हम अपने सही स्थान पर लौट सकते हैं और बने रह सकते हैं। - मार्ट डी हॉन
कोई भी अन्य पुस्तक हमारे ज्ञानवर्धन के लिए हो सकती है; किंतु पाप से मन परिवर्तन के लिए केवल बाइबल ही सक्षम है।
व्यवस्था की उस पुस्तक की बातें सुनकर राजा ने अपने वस्त्र फाड़े। - २ राजा २२:११
बाइबल पाठ: २ राजा २२:८-२०
2Ki 22:8 और हिलकिय्याह महायाजक ने शापान मंत्री से कहा, मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है; तब हिलकिय्याह ने शापान को वह पुस्तक दी, और वह उसे पढ़ने लगा।
2Ki 22:9 तब शापान मंत्री ने राजा के पास लौटकर यह सन्देश दिया, कि जो चान्दी भवन में मिली, उसे तेरे कर्मचारियों ने थैलियों में डाल कर, उनको सौंप दिया जो यहोवा के भवन में काम कराने वाले हैं।
2Ki 22:10 फिर शपान मंत्री ने राजा को यह भी बता दिया, कि हिलकिय्याह याजक ने उसे एक पुस्तक दी है। तब शपान उसे राजा को पढ़कर सुनाने लगा।
2Ki 22:11 व्यवस्था की उस पुस्तक की बातें सुनकर राजा ने अपने वस्त्र फाड़े।
2Ki 22:12 फिर उस ने हिलकिय्याह याजक, शापान के पुत्र अहीकाम, मीकायाह के पुत्र अकबोर, शापान मंत्री और असाया नाम अपने एक कर्मचारी को आज्ञा दी,
2Ki 22:13 कि यह पुस्तक जो मिली है, उसकी बातों के विष्य तुम जाकर मेरी और प्रजा की और सब सहूदियों की ओर से यहोवा से पूछो, क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इस कारण भड़की है, कि हमारे पुरखाओं ने इस पुस्तक की बातें न मानी कि कुछ हमारे लिये लिखा है, उसके अनुसार करते।
2Ki 22:14 हिलकिय्याह याजक और अहीकाम, अकबोर, शापान और असाया ने हुल्दा नबिया के पास जाकर उस से बातें की, वह उस शल्लूम की पत्नी थी जो तिकवा का पुत्र और हर्हस का पोता और वस्त्रों का रखवाला था, (और वह स्त्री यरूशलेम के नये टोले में रहती थी) ।
2Ki 22:15 उस ने उन से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जिस पुरुष ने तुम को मेरे पास भेजा, उस से यह कहो,
2Ki 22:16 यहोवा यों कहता है, कि सुन, जिस पुस्तक को यहूदा के राजा ने पढ़ा है, उसकी सब बातों के अनुसार मैं इस स्थान और इसके निवासियों पर विपत्ति डाला चाहता हूँ।
2Ki 22:17 उन लोगों ने मुझे त्याग कर पराये देवताओं के लिये धूप जलाया और अपनी बनाई हुई सब वस्तुओं के द्वारा मुझे क्रोध दिलाया है, इस कारण मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़केगी और फिर शांत न होगी।
2Ki 22:18 परन्तु यहूदा का राजा जिस ने तुम्हें यहोवा से पूछने को भेजा है उस से तुम यों कहो, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है।
2Ki 22:19 इसलिये कि तू वे बातें सुनकर दीन हुआ, और मेरी वे बातें सुनकर कि इस स्थान और इसके निवासियों देखकर लोग चकित होंगे, और शाप दिया करेंगे, तू ने यहोवा के साम्हने अपना सिर नवाया, और अपने वस्त्र फाड़कर मेरे साम्हने रोया है, इस कारण मैं ने तेरी सुनी है, यहोवा की यही वाणी है।
2Ki 22:20 इसलिये देख, मैं ऐसा करूंगा, कि तू अपने पुरखाओं के संग मिल जाएगा, और तू शांति से अपनी कबर को पहुंचाया जाएगा, और जो विपत्ति मैं इस स्थान पर डाला चाहता हूँ, उस में से तुझे अपनी आखों से कुछ भी देखना न पड़ेगा। तब उन्होंने लौटकर राजा को यही सन्देश दिया।
एक साल में बाइबल:
- एज़्रा १, २
- यूहन्ना १९:२३-४२
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