१९७७ में १५ वर्षीय केविन बौह और उसके एक और किशोर मित्र ने अपने मनोरंजन के लिए अपना ही एक राज्य बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने एक नक्शा बनाया, एक झंडा बनाया और अपने राज्य में चलने वाले पैसे भी छपवाए; और मोलोशिया गणतंत्र की स्थापना कर ली। आज भी केविन बौह अपने छोटे से राष्ट्र को चलाते हैं, उसी उद्देश्य से जिसके साथ वह स्थापित किया गया - केवल अपने मनोरंजन के लिए। जब एक पत्रकार ने नेवाडा प्रांत में उनके उस १.३ एकड़ में फैले राज्य का दौरा किया, तो केविन ने उसे आश्वासन दिया कि वह अमेरिका को अपने सभी कर देते हैं, जिन्हें वे अमेरिका को दी गई "विदेशी सहायता" कहते हैं। केविन बौह ने माना कि यह सब केवल उनके मनोरंजन का साधन है, उनके व्यक्तिगत आनन्द के लिए ही है।
हम में से शायद ही कोई होगा जो इस प्रकार का कोई सांसारिक राज्य अपने लिए बनाएगा, किंतु हम सब अपने अन्दर, अपने मन में एक राज्य बनाए रहते हैं, जिसपर किसका राज होगा, इसका निर्णय भी हम ही करते हैं। जो हमारे मन के राज्य पर राज करता है, वही हमारे जीवन को भी निर्देषित करता है और हमारे जीवनों में प्रगट होता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पतरस ने लिखा: "पर मसीह को प्रभु जानकर अपने अपने मन में पवित्र समझो..." (१ पतरस ३:१५), अर्थात अपने अपने मन पर यीशु ही को अपना प्रभु मानो, उस ही को अपने मन पर राज करने दो।
हम सबके अन्दर एक शक्ति है जो हमारे जीवनों को नियंत्रित करना चाहती है, हमें अपनी मन-मर्ज़ी करने के लिए उकसाती रहती है; चाहे वह हमारे मन का एक छोटा सा कोना ही हो जिसमें हम अपनी आत्मिक स्वतंत्रता अनुभव करना चाहते हैं और जहाँ हम किसी अन्य को बिलकुल भी जवाबदेह होना नहीं चाहते।
किंतु वास्तविक स्वतंत्रता अपने मन को संपूर्णतः प्रभु यीशु के राज के आधीन कर देने में ही है, क्योंकि जहाँ प्रभु यीशु का राज है वहाँ उसकी शांति है, वहाँ भय नहीं है, वहाँ पवित्रता है, वहाँ उसकी सामर्थ है, वहाँ सर्वशक्तिमान द्वारा निर्देषित सामर्थी जीवन है।
आपके मन के राज्य पर कौन राज करता है? क्या प्रभु यीशु? - डेविड मैक्कैसलैंड
जब यीशु हमारे जीवन का प्रभु होगा, तो हमारे पाँव उसके मार्गों पर चलेंगे।
पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो... - १ पतरस ३:१५
बाइबल पाठ: १ पतरस ३:८-१८
1Pe 3:8 निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करूणामय, और नम्र बनो।
1Pe 3:9 बुराई के बदले बुराई मत करो, और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो।
1Pe 3:10 क्योंकि जो कोई जीवन की इच्छा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे।
1Pe 3:11 वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई की करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उस के यत्न में रहे।
1Pe 3:12 क्योंकि प्रभु की आंखे धमिर्यों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की विनती की ओर लगे रहते हैं, परन्तु प्रभु बुराई करने वालों के विमुख रहता है।
1Pe 3:13 और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करने वाला फिर कौन है?
1Pe 3:14 और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।
1Pe 3:15 पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।
1Pe 3:16 और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में वे जो तुम्हारे मसीही अच्छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्ज़ित हों।
1Pe 3:17 क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।
1Pe 3:18 इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात अधमिर्यों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।
1Pe 3:8 निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करूणामय, और नम्र बनो।
1Pe 3:9 बुराई के बदले बुराई मत करो, और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो।
1Pe 3:10 क्योंकि जो कोई जीवन की इच्छा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे।
1Pe 3:11 वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई की करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उस के यत्न में रहे।
1Pe 3:12 क्योंकि प्रभु की आंखे धमिर्यों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की विनती की ओर लगे रहते हैं, परन्तु प्रभु बुराई करने वालों के विमुख रहता है।
1Pe 3:13 और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करने वाला फिर कौन है?
1Pe 3:14 और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।
1Pe 3:15 पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।
1Pe 3:16 और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में वे जो तुम्हारे मसीही अच्छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्ज़ित हों।
1Pe 3:17 क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।
1Pe 3:18 इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात अधमिर्यों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।
एक साल में बाइबल:
- न्यायियों ९-१०
- लूका ५:१७-३९
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