अमेरिका में सैनिकों के लिए बने कब्रिस्तानों में से एक है ’आर्लिंगटन नैशनल सिमेट्री’; यहाँ पर एक कब्र बनी है "अनजाने सैनिकों के लिए", अर्थात उन सैनिकों के लिए जिन्होंने देश पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए लेकिन किसी कारणवश उनकी पहचान नहीं हो पाई और उनके शव वापस देश लाकर दफनाए नहीं जा सके। उन बेनाम और बेपहचान शहीदों को सम्मान और श्रद्धा देने के लिए वहाँ लगातार एक सैनिक दस्ता तैनात रहता है जिसके सद्स्य वहाँ अपनी ड्यूटी के समय लगातार मार्च करते रहते हैं, चाहे मौसम कैसा भी हो। जब ड्यूटी बदलने का समय आता है तो एक गंभीर किंतु भव्य सादगी के साथ यह रस्म अदा की जाती है और बहुत से लोग उन अनजाने सैनिकों के प्रति, जिनके नाम केवल परमेश्वर जानता है, दी गई इस श्रद्धांजलि को देखने आते हैं। लेकिन उस कब्र पर कोई देखने वाला हो या ना हो, उन सैनिकों का मार्च करना वैसे ही चलता रहता है।
सितंबर 2003 में जब एक भारी चक्रवाधी तूफान उस इलाके की ओर बढ़ रहा था तो उस तूफान की तीव्रता को देखते हुए उन सैनिकों को अनुमति दी गई कि यदि वे चाहें तो तूफान की तीव्रता के समय में कब्र से हटकर विश्रामग्रह में जाकर तूफान गुज़र जाने की प्रतीक्षा कर सकते हैं। लेकिन किसी को भी सैनिकों के निर्णय से कोई अचंभा नहीं हुआ जब उन्होंने तूफान के पूरे समय भी अपने दिवंगत साथीयों को श्रद्धांजली देना नहीं छोड़ा और अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी ड्यूटी पर बने रहे।
परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती 6:1-6 में प्रभु यीशु की शिक्षाएं भी कुछ इसी आशय की हैं - प्रभु यीशु के प्रति उनके शिष्यों की निरन्तर, निस्वार्थ श्रद्धा और समर्पण। शिष्यों को भले कार्यों और पवित्र जीवन में बने तो रहना है, परन्तु संसार को दिखाने और अपने लिए यश या कीर्ति कमाने के उद्देश्य से नहीं वरन अपने प्रभु की आज्ञाकारिता और उपासना के लिए (पद 4-6)। प्रेरित पौलुस ने भी इसी बात और मसीही जीवन के प्रति ऐसे ही नज़रिए की पुष्टि करी जब रोम के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उसने लिखा, "इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है" (रोमियों 12:1)।
हे प्रभु, होने दे कि हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक, दोनों ही जीवन सदा ही आपके प्रति हमारे समर्पण और श्रद्धा के सच्चे गवाह बने रहें। - रैण्डी किल्गोर
हम जितना मसीह की सेवा में बढ़ते जाएंगे, हमारी स्वार्थ की सेवा उतनी ही कम होती जाएगी।
सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। - मत्ती 6:1
बाइबल पाठ: मत्ती 6:1-6
Matthew 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
Matthew 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
Matthew 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
Matthew 6:4 ताकि तेरा दान गुप्त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 10-12
- यूहन्ना 11:30-57
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें