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बुधवार, 29 मई 2013

बढ़ते रहो


   हाल ही की एक यात्रा में मेरी पत्नि को सीट एक ऐसी महिला के साथ मिली जिसका छोटा बेटा पहली बार हवाई यात्रा कर रहा था। अपनी इस पहली हवाई यात्रा का भरपूर आनान्द उठाने को वह बच्चा खिड़की के साथ वली सीट पर बैठ गया था और अपना चेहरा बाहर का नज़ारा देखते रहने के लिए खिड़की से लगा लिया। वायुयान के उड़ान भरते ही वह विसमित होकर ऊँची आवाज़ में बोला, "माँ देखो हम कितने ऊँचे आ गए हैं, नीचे सब कुछ कितना छोटा होता जा रहा है।" फिर थोड़ी देर बाद वह फिर वैसे ही बोल उठा, "क्या नीचे वे बादल हैं? वे हमारे नीचे कैसे आ गए?" समय बीतने के साथ बाकी यात्री या तो कुछ पढ़ने लगे, या ऊँघने लगे या अपने सामने लगे टेलिविज़न स्क्रीन पर वीडियो देखने लगे। लेकिन यह बालक खिड़की से चिपका बैठा रहा और आँखें फाड़े जो दिख सकता था मन्त्रमुग्ध होकर वह देखता रहा, पूरी यात्रा में ऐसे ही उसका कौतहूल बना रहा, उसकी टिप्पणियाँ चलती रहीं।

  मसीही जीवन की यात्रा करने वाले ’अनुभवी’ लोगों के लिए इस यात्रा का कौतुहल खो बैठने का खतरा बना रहता है। परमेश्वर का वचन जो कभी हमें बड़ा रोमांचक लगता था अब जाना-पहचाना और महज़ शैक्षणिक लगने लगता है। हम सुस्त होकर केवल दिमाग़ से ही प्रार्थना करने वाले बन जाते हैं ना कि हृदय से निकलने वाली प्रार्थनाएं करने वाले। ये लक्षण हैं कि हमारी मसीही यात्रा एक औपचारिकता बन गई है, परमेश्वर की अदभुत बातों की खोज की यात्रा नहीं रही - हम एक खतरनाक स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं।

   प्रेरित पतरस ने मसीही अनुयायियों को लिखी अपनी पत्री में उनसे आग्रह किया कि वे अपने विश्वास, सदगुण, ज्ञान, आत्मसंयम, धीरज, भक्ति, भाईचारे की प्रीति और प्रेम में लगातार बढ़ते चले जाएं (2 पतरस 5-7) - किसी एक स्थान पर रुक नहीं जाएं, शिथिल ना पड़ जाएं, वरन आगे, और आगे की ओर चलते जाएं - इसी से वे अपने उद्धारकर्ता और प्रभु, मसीह यीशु के लिए कार्यकारी और फलवन्त होने पाएंगे: "क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी" (2 पतरस 1:8)। अन्यथा आत्मिक अन्धापन उन्हें घेर लेगा और वे अपने उद्धार पाने को भुला बैठेंगे: "और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है" (2 पतरस 1:9)।

   मसीही जीवन एक स्थान पर पहुँचकर स्थिर होकर बैठ जाने का जीवन नहीं है वरन सारी उम्र परिपक्वता की ओर अग्रसर रहने जीवन है। जब तक जीवन है, प्रत्येक मसीही विश्वासी को मसीह यीशु और उसके वचन को जानने में आगे, और आगे बढ़ते ही रहने के प्रयास में रत रहना है। इस प्रयास के लिए अनिवार्य है हमारे उस आरंभिक कौतहूल का बने रहना। यदि वह कौतहूल ठंडा पड़ गया, यदि परमेश्वर से नित प्रायः कुछ नया प्राप्त करने की जिज्ञासा जाती रही तो आत्मिक अन्धापन और शिथिल जीवन दूर नहीं। प्रभु हम पर अपना अनुग्रह बनाए रखे जिससे अपनी पहली हवाई यात्रा कर रहे उस बालक के समान हम लगातार, अपनी पूरी जीवन यात्रा में कुछ नया देखने और खोजने को लालायित बने रहें। - डेविड मैक्कैसलैंड


मसीह में लगातार बढ़ते जाने के लिए मसीह के वचन की गहराईयों को लगातार खोजते रहना अनिवार्य है।

क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी। - 2 पतरस 1:8

बाइबल पाठ: 2 पतरस 1:2-11
2 Peter 1:2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्‍ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए।
2 Peter 1:3 क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से संबंध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।
2 Peter 1:4 जिन के द्वारा उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ।
2 Peter 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न कर के, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ।
2 Peter 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।
2 Peter 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।
2 Peter 1:8 क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी।
2 Peter 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है।
2 Peter 1:10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्‍न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे।
2 Peter 1:11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

एक साल में बाइबल: 

  • 2 इतिहास 7-9 
  • यूहन्ना 11:1-29



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