दूसरों में दोष ढूँढ़ना एक आम बात है, जिसमें बहुत से लोग मज़ा भी लेते हैं। दुर्भाग्यवश, इस बुराई को करने या बढ़ावा देने में भाग लेना बहुत सरल होता है। दूसरों के दोषों पर दृष्टि रखना और उन्हें औरों को बताना अपने दोषों को छिपाने और अपने आप को दूसरों से बेहतर समझने और दिखाने का एक बेहतरीन तरीका है - और यही समस्या कि जड़ भी है। अपने जीवन की कमियों और दोषों को नज़रंदाज़ करने से ना केवल हमारी आत्मिक उन्नति अवरुद्ध होती है, वरन साथ ही हम परमेश्वर के लिए उपयोगी भी नहीं हो पाते। हम मसीही विश्वासियों की जीवन शैली ही यह निर्धारित करती है कि हम परमेश्वर के लिए संसार में प्रभावी हैं या उसके कार्य को बाधित कर रहे हैं।
इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि प्रेरित पौलुस ने यह ठान रखा था कि "हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए" (2 कुरिन्थियों 6:3)। पौलुस के लिए इससे बढ़कर और कुछ भी नहीं था कि वह मसीह यीशु के लिए अन्य लोगों के जीवन में कार्यकारी बना रह सके। उसके इस उद्देश्य की पूर्ति में जो कुछ भी आता था उसे वह अपने जीवन में स्थान नहीं देता था।
यदि आप परमेश्वर के लिए कार्यकारी और उपयोगी होना चाहते हैं तो अवरोधों की सूची बनाएं - "मेरे जीवन में ऐसा क्या क्या है जो मुझे परमेश्वर की सेवा में प्रभावी नहीं होने दे रहा है?"; यह सूची बनाते हुए अनेक बार आप पाएंगे कि ऐसे भी अवरोध हैं जो अपने आप में वाजिब और न्यायसंगत हैं परन्तु कुछ परिस्थितियों के सन्दर्भ में वे अनुचित हो जाते हैं। लेकिन परिस्थिति कुछ भी क्यों ना हो, पाप सदा ही अनुचित होता है। अपने आप को जाँचिए कि कहीं कानाफूसी, लांछन लगाना, अहंकार, जलन और कड़ुवाहट, लालच, गाली-गलौज़, क्रोध, स्वार्थ, बदला लेना आदि बातें आपके जीवन में स्थान तो नहीं पा रही हैं, क्योंकि ये सब और ऐसी ही अन्य बातें हमारे आस-पास के लोगों के मनों को हमारे मसीही विश्वास और परमेश्वर प्रभु यीशु, दोनो ही के विमुख कर देती हैं, और परमेश्वर के प्रेम तथा उद्धार का सन्देश लोगों तक नहीं पहुँच पाता।
इसलिए अपने जीवन से इन अवरोधों को हटा कर इनके स्थान पर अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के मनोहर गुणों को बसा लीजिए। यह आपके जीवन के द्वारा संसार पर जगत के उस निर्दोष उद्धारकर्ता को स्पष्ट प्रगट कर सकेगा और आपका जीवन सुसमाचार प्रचार का माध्यम बन जाएगा, अवरोध नहीं। - जो स्टोवैल
मसीह यीशु के अनुयायी सबसे प्रभावशाली तब ही होते हैं जब उनके व्यवहार और कार्य मसीह यीशु के समान ही हों।
सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के साम्हने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे। - रोमियों 14:13
बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 6:3-10
2 Corinthians 6:3 हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए।
2 Corinthians 6:4 परन्तु हर बात से परमेश्वर के सेवकों की नाईं अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं, बड़े धैर्य से, क्लेशों से, दरिद्रता से, संकटो से।
2 Corinthians 6:5 कोड़े खाने से, कैद होने से, हुल्लड़ों से, परिश्रम से, जागते रहने से, उपवास करने से।
2 Corinthians 6:6 पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से।
2 Corinthians 6:7 सच्चे प्रेम से, सत्य के वचन से, परमेश्वर की सामर्थ से; धामिर्कता के हथियारों से जो दाहिने, बाएं हैं।
2 Corinthians 6:8 आदर और निरादर से, दुरनाम और सुनाम से, यद्यपि भरमाने वालों के जैसे मालूम होते हैं तौभी सच्चे हैं।
2 Corinthians 6:9 अनजानों के सदृश्य हैं; तौभी प्रसिद्ध हैं; मरते हुओं के जैसे हैं और देखो जीवित हैं; मार खाने वालों के सदृश हैं परन्तु प्राण से मारे नहीं जाते।
2 Corinthians 6:10 शोक करने वालों के समान हैं, परन्तु सर्वदा आनन्द करते हैं, कंगालों के जैसे हैं, परन्तु बहुतों को धनवान बना देते हैं; ऐसे हैं जैसे हमारे पास कुछ नहीं तौभी सब कुछ रखते हैं।
एक साल में बाइबल:
- भजन 105-106
- 1 कुरिन्थियों 3
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