टेलिविज़न पर प्रसारित होने वाला एक कार्यक्रम मुझे पसन्द है। उस कार्यक्रम के एक खंड में दो महिलाओं को चुना जाता है और फिर 3 घंटे तक बड़ी तैयारी के साथ उनके केश संवारे जाते हैं, उनका श्रृंगार किया जाता है, उन्हें नई वेशभूषा पहनाई जाती है। इस सब से उन के रूप में होने वाला परिवर्तन अकसर नाटकीय होता है। इस सब के बाद जब उन महिलाओं को परदे के पीछे से उपस्थित दर्शकों के सामने लाया जाता है तो वे अपनी आँखों पर एकाएक विश्वास नहीं कर पाते। कभी कभी उन महिलाओं के परिवार जनों और मित्रगणों की आंखों से, उस रूपांतर को देखकर, आँसू बहने लगते हैं। यह सब हो जाने के बाद ही उन महिलाओं को अपने आप को दर्पण में देखने दिया जाता है; कुछ तो इतनी अचंभित हो जाती हैं कि वे अपने आप को दर्पण में देखती ही रह जाती हैं, उन्हें विश्वास ही नहीं हो पाता कि वे वास्तव में अपने आप को ही देख रही हैं। लेकिन सबसे रोचक बात होती है जब उन महिलाओं से कहा जाता है कि वे चल कर जाएं और दर्शकों में बैठे अपने परिवार या मित्रगणों के साथ जाकर बैठ जाएं।
जैसे ही वे महिलाएं चलना आरंभ करती हैं, उनका रुपांतर से पहले का स्वरूप प्रकट होने लगता है, क्योंकि अपने नई वेशभूषा और नए जूतों में चलना उन्हें नहीं आता। वे देखने में तो अति आकर्षक लगती हैं लेकिन उनकी अटपटी चाल उनकी वास्तविकता प्रकट कर देती है। यह तुरंत विदित हो जाता है कि उनका यह रूपांतरण अभी अधूरा ही है।
यही बात हमारे मसीही जीवन पर भी लागू होती है। जब हम अपने पापों से क्षमा मांगकर प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करते हैं तो परमेश्वर भी हमें पुराने मनुष्यत्व से सुधारने संवारने लगता है, एक नए जीवन का द्वार हमारे लिए खोल देता है। लेकिन इस नए जीवन में चलना और इसे निभाने के लिए समय लगता है, उसके लिए अभ्यास और प्रयास चाहिए होता है। यदि हम एक ही स्थान पर खड़े खड़े मुस्कुराते रहें तो संभवतः लोग हमें देखकर सोच लें कि परिवर्तन आया है। लेकिन हमारे परिवर्तन की सार्थकता और गहराई का सूचक होता है हमारा चाल-चलन। यदि हमारे चाल-चलन में हमारे उद्धार के योग्य परिवर्तन नहीं आया, तो यह दिखाता है कि हमें अभी अपने मसीही चाल-चलन में कितना प्रयास और करना है। जो नई शुरुआत परमेश्वर ने हमें दी है, जो नई सामर्थ परमेश्वर से हमें मिली है, उसको सही रीति से प्रयोग करने के लिए हमें कितने अभ्यास की आवश्यकता है।
मसीह यीशु में परिवर्तित हो जाने का अर्थ है पुरानी बातों और पुराने जीवन को छोड़कर नए जीवन और नए मार्ग पर चलते रहना, और उसे अपने जीवन से प्रगट करना। - जूली ऐकैरमैन लिंक
परिवर्तित मन से ही परिवर्तित व्यवहार आता है।
और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:15, 17
बाइबल पाठ: रोमियों 6:2-14
Romans 6:2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं?
Romans 6:3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया
Romans 6:4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
Romans 6:5 क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे।
Romans 6:6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें।
Romans 6:7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
Romans 6:8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
Romans 6:9 क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
Romans 6:10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
Romans 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Romans 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन रहो।
Romans 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
Romans 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 43-44
- 1 थिस्सुलुनीकियों 2
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