आपने यह कथन सुना होगा, "समयानुसार कहना या करना ही सबसे महत्वपूर्ण है।" परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, सही समयानुसार बोलना या चुप रहना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। अपने अनुभवों के आधार पर उन अवसरों के बारे में सोचें जब परमेश्वर ने अनायास ही आपको किसी को तरो-ताज़ा करने के लिए उपयुक्त बोल दिए; या ऐसे अवसरों को जब आप कुछ बोलना चाहते थे किंतु आपका अनेपक्षित रीति से शान्त ही बने रहना आपके लिए अधिक बुद्धिमतापूर्ण ठहरा।
बाइबल बताती है कि अन्य बातों के समान बोलने या चुप रहने का भी सही समय होता है: "फाड़ने का समय, और सीने का भी समय; चुप रहने का समय, और बोलने का भी समय है" (सभोप्देशक 3:7)। राजा सुलेमान ने भली-भांति बोले गए भले बोलों की उपमा चांदी में जड़े गए सुनहरे सेबों से दी है (नीतिवचन 25:11-12); अर्थात सुन्दर, बहुमूल्य और बेशकीमती कलाकृति के समान। बोलने के सही समय की पहचान रखना, बोलने तथा सुनने वालों, दोनों ही के लिए लाभकारी होता है; चाहे वे बोल प्रेम, प्रोत्साहन, प्रशंसा के हों या ताड़ना अथवा डाँट के। इसी प्रकार शान्त रहने का भी समय और उपयोगिता होती है; जब मन किसी का अपमान करने, उसे नीचा दिखाने या इधर-उधर उसकी बुराई करने को उकसा रहा हो, तो बुद्धिमान राजा सुलेमान के कहे अनुसार, अपनी ज़ुबान पर लगाम देना और शान्त रहने के उचित समय को पहचानना बुद्धिमतापूर्ण होता है: "जो अपने पड़ोसी को तुच्छ जानता है, वह निर्बुद्धि है, परन्तु समझदार पुरूष चुपचाप रहता है। जो लुतराई करता फिरता वह भेद प्रगट करता है, परन्तु विश्वासयोग्य मनुष्य बात को छिपा रखता है" (नीतिवचन 11:12-13)। जब बड़बोला हो कर या क्रोधित हो कर पाप कर जाने की लालसा मन में उठती है, वह चाहे किसी मनुष्य के विरोध में हो या परमेश्वर के, तो बोलने में धैर्यवन्त होना ही गलती कर बैठने का प्रतिरोधक होता है: "जहां बहुत बातें होती हैं, वहां अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुंह को बन्द रखता है वह बुद्धि से काम करता है" (नीतिवचन 10:19); "हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो" (याकूब 1:19)।
कई बार यह जान पाना कि क्या कहें और कब कहें कठिन होता है। ऐसे में हम मसीही विश्वासियों की अगुवाई हमारे अन्दर बसने वाला परमेश्वर का आत्मा करता है और सही निर्णय करने में वही हमारा सहायक होता है। वही हमें सही समय पर सही रीति से सही बोल का प्रयोग करने की सद्बुद्धि देता है, जिससे हम औरों की भलाई और अपने परमेश्वर पिता की महिमा का कारण ठहरें। - मार्विन विलियम्स
सही समय पर कहे गए सही शब्द उत्तम कलाकृति के समान होते हैं।
जब तू परमेश्वर के भवन में जाए, तब सावधानी से चलना; सुनने के लिये समीप जाना मूर्खों के बलिदान चढ़ाने से अच्छा है; क्योंकि वे नहीं जानते कि बुरा करते हैं। बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों। - सभोपदेशक 5:1-2
बाइबल पाठ: नीतिवचन 25:11-15
Proverbs 25:11 जैसे चान्दी की टोकरियों में सोनहले सेब हों वैसे ही ठीक समय पर कहा हुआ वचन होता है।
Proverbs 25:12 जैसे सोने का नथ और कुन्दन का जेवर अच्छा लगता है, वैसे ही मानने वाले के कान में बुद्धिमान की डांट भी अच्छी लगती है।
Proverbs 25:13 जैसे कटनी के समय बर्फ की ठण्ड से, वैसे ही विश्वासयोग्य दूत से भी, भेजने वालों का जी ठण्डा होता है।
Proverbs 25:14 जैसे बादल और पवन बिना दृष्टि निर्लाभ होते हैं, वैसे ही झूठ-मूठ दान देने वाले का बड़ाई मारना होता है।
Proverbs 25:15 धीरज धरने से न्यायी मनाया जाता है, और कोमल वचन हड्डी को भी तोड़ डालता है।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 41-42
- 1 थिस्सलुनीकियों 1
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