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शनिवार, 17 जून 2017

जीभ


   मानव शरीर का सबसे शक्तिशाली अंग कौन सा है? कुछ का कहना है कि वह जीभ है। यह देखने में छोटी अवश्य है, परन्तु यह बहुत अधिक हानि पहुँचाने की क्षमता रखती है। जीभ माँसपेशियों से बना एक छोटा सा अंग है, जिसकी सहायता से हम खाते हैं, निगलते हैं, स्वाद लेते हैं, और पाचन क्रिया का आरंभ करते हैं। इसी की सहायता से हम बोलते भी हैं, और इसी से वह भी कह देते हैं जो नहीं कहना चाहिए। जीभ से ही चापलूसी, श्राप देना, झूठ बोलना, डींग मारना, और दूसरों को हानि पहुँचाना होता है; और यह तो जीभ के कार्यों की एक छोटी सी सूची है।

   यह बहुत ही खतरनाक अंग प्रतीत होता है; है न? लेकिन भली बात यह है कि ऐसा होना ज़रूरी भी नहीं है। जब हम अपना नियंत्रण परमेश्वर के पवित्र आत्मा के हाथों में समर्पित कर देते हैं तो वह हमारी जीभ को भी भले के लिए प्रयुकत कर सकता है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि ऐसे समर्पित व्यक्ति अपने जीभ से परमेश्वर की धार्मिकता (भजन 35:28) तथा न्याय (भजन 37:30) के बारे में बता सकते हैं। परमेश्वर को समर्पित लोग, अपनी जीभ से सच बोलने वाले बन सकते हैं (भजन 15:2), प्रेम प्रदर्शित कर सकते हैं (1 यूहन्ना 3:18), और अपने पापों का अंगीकार (1 यूहन्ना 1:9) कर सकते हैं।

   बाइबल में नीतिवचन का लेखक जीभ द्वारा होने वाली बातों में से एक अति उत्तम बात के विषय लिखता है: "ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोच विचार का बोलना तलवार की नाईं चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं" (नीतिवचन 12:18)। ज़रा विचार करें, यदि हम अपनी जीभ का प्रयोग बुद्धिमानी से करें, दूसरों की हानि के लिए नहीं वरन उनकी चंगाई के लिए करें तो जिस परमेश्वर ने हमें और हमारी जीभ को बनाया है, हम उसकी कितनी महिमा और बड़ाई करने पाएंगे। - डेव ब्रैनन


इस कारण एक दूसरे को शान्‍ति दो, और एक दूसरे की उन्नति के कारण बनो, 
निदान, तुम ऐसा करते भी हो। - 1 थिस्सलुनीकियों 5:11

धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है। - भजन 37:30

बाइबल पाठ: याकूब 3:5-12
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता। 

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 7-9
  • प्रेरितों 3


गुरुवार, 13 अक्टूबर 2016

बोल


   आपने यह कथन सुना होगा, "समयानुसार कहना या करना ही सबसे महत्वपूर्ण है।" परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, सही समयानुसार बोलना या चुप रहना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। अपने अनुभवों के आधार पर उन अवसरों के बारे में सोचें जब परमेश्वर ने अनायास ही आपको किसी को तरो-ताज़ा करने के लिए उपयुक्त बोल दिए; या ऐसे अवसरों को जब आप कुछ बोलना चाहते थे किंतु आपका अनेपक्षित रीति से शान्त ही बने रहना आपके लिए अधिक बुद्धिमतापूर्ण ठहरा।

   बाइबल बताती है कि अन्य बातों के समान बोलने या चुप रहने का भी सही समय होता है: "फाड़ने का समय, और सीने का भी समय; चुप रहने का समय, और बोलने का भी समय है" (सभोप्देशक 3:7)। राजा सुलेमान ने भली-भांति बोले गए भले बोलों की उपमा चांदी में जड़े गए सुनहरे सेबों से दी है (नीतिवचन 25:11-12); अर्थात सुन्दर, बहुमूल्य और बेशकीमती कलाकृति के समान। बोलने के सही समय की पहचान रखना, बोलने तथा सुनने वालों, दोनों ही के लिए लाभकारी होता है; चाहे वे बोल प्रेम, प्रोत्साहन, प्रशंसा के हों या ताड़ना अथवा डाँट के। इसी प्रकार शान्त रहने का भी समय और उपयोगिता होती है; जब मन किसी का अपमान करने, उसे नीचा दिखाने या इधर-उधर उसकी बुराई करने को उकसा रहा हो, तो बुद्धिमान राजा सुलेमान के कहे अनुसार, अपनी ज़ुबान पर लगाम देना और शान्त रहने के उचित समय को पहचानना बुद्धिमतापूर्ण होता है: "जो अपने पड़ोसी को तुच्छ जानता है, वह निर्बुद्धि है, परन्तु समझदार पुरूष चुपचाप रहता है। जो लुतराई करता फिरता वह भेद प्रगट करता है, परन्तु विश्वासयोग्य मनुष्य बात को छिपा रखता है" (नीतिवचन 11:12-13)। जब बड़बोला हो कर या क्रोधित हो कर पाप कर जाने की लालसा मन में उठती है, वह चाहे किसी मनुष्य के विरोध में हो या परमेश्वर के, तो बोलने में धैर्यवन्त होना ही गलती कर बैठने का प्रतिरोधक होता है: "जहां बहुत बातें होती हैं, वहां अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुंह को बन्द रखता है वह बुद्धि से काम करता है" (नीतिवचन 10:19); "हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो" (याकूब 1:19)।

   कई बार यह जान पाना कि क्या कहें और कब कहें कठिन होता है। ऐसे में हम मसीही विश्वासियों की अगुवाई हमारे अन्दर बसने वाला परमेश्वर का आत्मा करता है और सही निर्णय करने में वही हमारा सहायक होता है। वही हमें सही समय पर सही रीति से सही बोल का प्रयोग करने की सद्बुद्धि देता है, जिससे हम औरों की भलाई और अपने परमेश्वर पिता की महिमा का कारण ठहरें। - मार्विन विलियम्स


सही समय पर कहे गए सही शब्द उत्तम कलाकृति के समान होते हैं।

जब तू परमेश्वर के भवन में जाए, तब सावधानी से चलना; सुनने के लिये समीप जाना मूर्खों के बलिदान चढ़ाने से अच्छा है; क्योंकि वे नहीं जानते कि बुरा करते हैं। बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों। - सभोपदेशक 5:1-2

बाइबल पाठ: नीतिवचन 25:11-15
Proverbs 25:11 जैसे चान्दी की टोकरियों में सोनहले सेब हों वैसे ही ठीक समय पर कहा हुआ वचन होता है। 
Proverbs 25:12 जैसे सोने का नथ और कुन्दन का जेवर अच्छा लगता है, वैसे ही मानने वाले के कान में बुद्धिमान की डांट भी अच्छी लगती है। 
Proverbs 25:13 जैसे कटनी के समय बर्फ की ठण्ड से, वैसे ही विश्वासयोग्य दूत से भी, भेजने वालों का जी ठण्डा होता है। 
Proverbs 25:14 जैसे बादल और पवन बिना दृष्टि निर्लाभ होते हैं, वैसे ही झूठ-मूठ दान देने वाले का बड़ाई मारना होता है।
Proverbs 25:15 धीरज धरने से न्यायी मनाया जाता है, और कोमल वचन हड्डी को भी तोड़ डालता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 41-42
  • 1 थिस्सलुनीकियों 1


मंगलवार, 3 जून 2014

शब्द एवं व्यवहार


   मैं अपनी पत्नि के साथ एक विशेष मसीही संगीत कार्यक्रम देखने के लिए एक चर्च में गया। वहाँ बैठने के लिए अच्छा स्थान लेने के उद्देश्य से हम कार्यक्रम आरंभ होने के समय से पहले ही पहुँच गए और स्थान ग्रहण कर लिए। हमारे निकट ही उस चर्च के दो सदस्य बैठे थे जो आपस में बातचीत कर रहे थे और उनकी बातचीत हम तक स्पष्ट सुनाई दे रही थी। उनकी बातचीत अपने चर्च और उसकी हर बात से संबंधित आलोचना थी। उन्होंने वहाँ के पादरियों की, नेतृत्व की, संगीत की, सेवकाई प्राथमिकताओं की और चर्च के कार्य से संबंधित अन्य सभी बातों की, सभी की आलोचना करी। अपनी इस आलोचना और कटुता को करते हुए वे या तो अपने मध्य हम दो आगन्तुकों के बारे में बेपरवाह थे या फिर अनभिज्ञ।

   मैं सोचने लगा कि यदि हम इस शहर में नए होते तथा आराधना और संगति के लिए कोई स्थान ढूँढ़ रहे होते तो उनकी यह आलोचनात्मक बातचीत सुनकर इस चर्च से चले जाते। इससे भी बुरी बात यह कि यदि हम परमेश्वर के खोजी होकर इस चर्च में आए होते तो फिर परमेश्वर के संबंध में हमारे विचारों और हमारी खोज का क्या परिणाम होता? उनकी यह आलोचना तथा कटुता केवल शब्द एवं व्यवहार की ही बात नहीं थी, वरन और भी गंभीर बात यह थी कि उन्होंने अपने शब्दों के दूसरों पर होने वाले दुषप्रभाव की भी कोई परवाह नहीं करी।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि हमें अपने शब्दों को कैसे प्रयोग करना चाहिए; राजा सुलेमान ने नीतिवचनों में लिखा, "जो संभल कर बोलता है, वही ज्ञानी ठहरता है; और जिसकी आत्मा शान्त रहती है, वही समझ वाला पुरूष ठहरता है" (नीतिवचन 17:27)। कहने का तात्पर्य यह है कि हम ऐसे शब्द बोलें और ऐसा व्यवहार करें जो शांति और मेल-मिलाप को बढ़ावा दें ना कि नासमझी के साथ वह सब कुछ बोलते रहें जो हम सोचते हैं या जानते हैं या समझते हैं कि हम जानते हैं, क्योंकि कौन हमारे शब्द सुन रहा है और उनका क्या प्रभाव होगा संभवतः हम इस बात से अनभिज्ञ हों! - बिल क्राउडर


सावधानी और सोच-समझ कर कहे गए शब्द वाकपटुता से कहीं भले होते हैं।

जहां बहुत बातें होती हैं, वहां अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुंह को बन्द रखता है वह बुद्धि से काम करता है। - नीतिवचन 10:19

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। 
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है। 
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं। 
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। 
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 28-30


शनिवार, 2 नवंबर 2013

मूँह

   मैं अपने कुछ मित्रों के साथ बातें करते हुए मार्ग पर चल रहा था कि अचानक ही मुझे ठोकर लगी और मैं मूँह के बल गिर पड़ा। मुझे गिरने के बारे में ज़्यादा तो स्मरण नहीं है पर इतना स्मरण है कि मेरा मूँह सड़क की गन्दगी और मिट्टी से भर गया। उफ! कितना बुरा स्वाद था, मैं तुरंत ही अपनी चोट की परवाह करने से पहले ही अपने मूँह को साफ करने और गन्दगी को बाहर निकाल देने के प्रयासों में लग गया, लेकिन वह बुरा स्वाद बहुत देर तक मेरे मूँह में बना रहा और मुझे परेशान करता रहा। जो तब मेरे मूँह में गया, उससे मुझे कोई आनन्द तो कतई नहीं मिला, लेकिन अपने मूँह की रखवाली करना मैंने अवश्य सीख लिया।

   मूँह में जो जाता है हम उसके बारे में तो सचेत रहते हैं, और हमें रहना भी चाहिए, नहीं तो कोई हानिकारक पदार्थ हमारे अन्दर जा सकता है, लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि जो मूँह से बाहर आता है, उसके प्रति हमें और भी अधिक सचेत रहना चाहिए। जब बाइबल में नीतिवचन के लेखक ने लिखा: "बुद्धिमान ज्ञान का ठीक बखान करते हैं, परन्तु मूर्खों के मुंह से मूढ़ता उबल आती है" (नीतिवचन 15:2), तो जो शब्द हिन्दी में ’उबल’ अनुवादित हुआ है उसका मूल भाषा में अर्थ है "प्रचण्ड वेग से बाहर आना"। मूँह से निकली बात वापस नहीं ली जा सकती और अविवेकपूर्ण दोषारोपण, क्रोध भरे शब्द, गाली बकना आदि मूँह से बाहर आने वाली वो बातें हैं जो बेहिसाब और जीवन भर के लिए हानि पहुँचा सकती हैं।

   प्रेरित पौलुस ने इसके बारे में बड़ी स्पष्टता से कहा: "कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो" (इफिसियों 4:29)। इससे पहले वह कहता है कि कोई झूठ नहीं केवल सच मूँह से निकले (पद 25) और फिर इसके आगे कहता है, "सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए" (इफिसियों 4:31), अर्थात किसी के चरित्र पर कोई लांछन ना लगाया जाए। जो भी हमारे मूँह से बाहर आए वह हितकर और प्रेरक होना चाहिए।

   जो हमारे मूँह में जाता है उसकी तो हम उसके अन्दर जाने से पहले भली-भांति जाँच परख करते हैं, और यह उचित भी है। लेकिन जो मूँह से बाहर आता है क्या उसके प्रति भी हम उतने ही चिंतित और परखने वाले रहते हैं जबकि बाहर आने वाले के प्रति तो हमें और भी अधिक कड़ा नियंत्रण रखना चाहिए। हमारे मसीही जीवन और गवाही तथा हमारे द्वारा हमारे तथा समस्त संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की महिमा के लिए यह अनिवार्य है कि हम अपने मूँह से बाहर आने वाली बातों के प्रति अति संवेदनशील एवं सचेत रहें और बहुत नाप-तोल कर ही कोई बात मूँह से बाहर आने दें। - डेव एग्नर


अपने मन के विचारों के प्रति सावधान रहें - वे कभी भी शब्द बनकर मूँह से बाहर आ सकते हैं।

इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। - इफिसियों 4:25

बाइबल पाठ: नीतिवचन 15:1-7
Proverbs 15:1 कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है। 
Proverbs 15:2 बुद्धिमान ज्ञान का ठीक बखान करते हैं, परन्तु मूर्खों के मुंह से मूढ़ता उबल आती है। 
Proverbs 15:3 यहोवा की आंखें सब स्थानों में लगी रहती हैं, वह बुरे भले दोनों को देखती रहती हैं। 
Proverbs 15:4 शान्ति देने वाली बात जीवन-वृक्ष है, परन्तु उलट फेर की बात से आत्मा दु:खित होती है। 
Proverbs 15:5 मूढ़ अपने पिता की शिक्षा का तिरस्कार करता है, परन्तु जो डांट को मानता, वह चतुर हो जाता है। 
Proverbs 15:6 धर्मी के घर में बहुत धन रहता है, परन्तु दुष्ट के उपार्जन में दु:ख रहता है। 
Proverbs 15:7 बुद्धिमान लोग बातें करने से ज्ञान को फैलाते हैं, परन्तु मूर्खों का मन ठीक नहीं रहता।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 27-29 
  • तीतुस 3


रविवार, 27 अक्टूबर 2013

बोल

   शैला मैक्नाईट ने एक कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन दिया; कंपनी की जानकारी लेते समय उसे यह जानकर अचरज हुआ कि उस कंपनी की नीतियों में से एक थी बकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता। उस कंपनी के कर्मचारियों को एक दूसरे से बातचीत कर के किसी भी विवादास्पद बात को स्पष्ट कर लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था; सहकर्मियों की पीठ पीछे कानाफूसी और बकवाद कंपनी में बिलकुल स्वीकार नहीं थी। यदि कोई कर्मचारी ऐसा करते हुए पकड़ा जाता तो पहले तो उसे डाँट के साथ चेतावनी दी जाती; और यदि वे फिर भी ऐसा करते रहते तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता।

   किसी कंपनी के द्वारा ऐसी कोई कार्यनीति लागू करने से हज़ारों वर्ष पहले परमेश्वर ने इन बातों के प्रति अपनी शून्य सहनशीलता अपने लोगों के लिए अपने वचन में दर्ज करवा दी थी (लैव्यवस्था 19:16)। व्यर्थ बातचीत जो जानबूझ कर अथवा मूर्खतापूर्ण कारणों से किसी अन्य व्यक्ति के बारे में अफवाह या बातें फैलाए बिलकुल मना थी, परमेश्वर के लोगों में बिलकुल मना थी।

   राजा सुलेमान ने अपने नीतिवचनों में इस विषय पर कुछ अति महत्वपूर्ण बातें कही और बताया कि दूसरों के बारे में बुरा बोलने के क्या-क्या अनर्थकारी परिणाम हो सकते हैं: ऐसा करना विश्वासघात है (नीतिवचन 11:13); अच्छे मित्रों में फूट डाल देता है (नीतिवचन 16:28; 17:9); व्यर्थ बातें बोलने वाले को शर्मसार करता है, उसकी बदनामी होती है (नीतिवचन 25:9-10); और लगातार झगड़ों के अंगारों को सुलगाए रखने का कार्य करता है (नीतिवचन 26:20-22)।

   हमें परमेश्वर से प्रार्थना में माँगना चाहिए कि हमें ऐसी प्रवृति दे कि हम किसी के बारे में कोई हानिकारक बोल बोलने से बचे रहें। परमेश्वर हमारे मुँह पर पहरा बैठाए कि हम जब बोलें तो दूसरों के लिए भला ही बोलें, उनके बारे में कोई अनर्थकारी बात हमारे मुँह से ना निकले। - मार्विन विलियम्स


बकवाद और कानाफूसी को रोकना है तो उसे नज़रन्दाज़ करना सीखिए।

जैसे लकड़ी न होने से आग बुझती है, उसी प्रकार जहां कानाफूसी करने वाला नहीं वहां झगड़ा मिट जाता है। - नीतिवचन 26:20

बाइबल पाठ: लैव्यवस्था 19:11-18
Leviticus 19:11 तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना। 
Leviticus 19:12 तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्वर का नाम अपवित्र न ठहराना; मैं यहोवा हूं। 
Leviticus 19:13 एक दूसरे पर अन्धेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। और मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात बिहान तक न रहने पाए। 
Leviticus 19:14 बहिरे को शाप न देना, और न अन्धे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं यहोवा हूं। 
Leviticus 19:15 न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; उस दूसरे का न्याय धर्म से करना। 
Leviticus 19:16 लूतरा बन के अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे के लोहू बहाने की युक्तियां न बान्धना; मैं यहोवा हूं। 
Leviticus 19:17 अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डांटना नहीं, तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा। 
Leviticus 19:18 पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मियाह 12-14 
  • 2 तीमुथियुस 1


मंगलवार, 1 अक्टूबर 2013

जाँच

   काम से वापस घर आते समय मैंने अपनी कार के रिडियो पर एक विज्ञापन सुना जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया। वह विज्ञापन एक कंप्यूटर प्रोग्राम के बारे में था जो ई-मेल लिखे जाते समय उन्हें जाँचता रहता था। मैं कुछ अन्य कंप्यूटर प्रोग्रामों के बारे में जानता था जो व्याकरण तथा वर्तनी को जाँचते हैं, लेकिन यह प्रोग्राम उनसे भिन्न था; यह लहज़ा जाँचता था! इस प्रोग्राम की खासियत थी कि यह ई-मेल लिखे जाते समय शब्दों के प्रयोग की निगरानी करता रहता था कि कहीं लिखने वाले की भाषा और प्रयुक्त शब्द अत्याधिक आक्रमक, कठोर या अशिष्ट तो नहीं हैं।

   विज्ञापन प्रस्तुतकर्ता से उस प्रोग्राम की खासियतों का वर्णन सुनते हुए मैं सोचने लगा कि काश ऐसा ही कुछ मेरे मूँह की निगरानी करने के लिए भी होता। कितनी बार ऐसा हुआ है कि मैं ने पूरी बात सुने या जाने बिना ही कटुता से प्रतिक्रीया देनी आरंभ कर दी और फिर सही बात जानने के बाद मुझे अपनी गलत प्रतिक्रीया पर पछतावा हुआ। यदि लहज़े पर निगरानी रखने वाला कुछ मेरे मूँह पर लगा होता तो मैं भी ऐसी मूर्खतापूर्ण प्रतिक्रियाओं से बचा रह सकता था।

   प्रेरित पौलुस ने हम मसीही विश्वासियों के लिए अपने बोलने के लहज़े को सही रखने की अनिवार्यता के बारे में सचेत किया, विशेषतः तब जब हम किसी ऐसे जन से बात कर रहे हों जो मसीही विशवासी नहीं है। पौलुस ने लिखा: "तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए" (कुलुस्सियों 4:6)। उसका उद्देश्य था कि मसीही विशवासी अपने जीवन और भाषा से अपने उद्धारकर्ता की मृदुता और अनुग्रह को प्रदर्शित करते रहें।

   मसीह यीशु में विश्वास ना करने वालों से सही लहज़े में बात करना उन तक मसीह यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को पहुँचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए हम मसीही विश्वासियों के लिए कुलुस्सियों 4:6 लहज़ा जाँचने वाले कंप्यूटर प्रोग्राम के समान कार्य कर सकने में सक्षम है। - बिल क्राउडर


जितनी बार हम मूँह खोलते हैं लोगों को हमारा मन दिखता है।

कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है। - नीतिवचन 15:1

बाइबल पाठ: याकूब 3:3-12
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 11-13 
  • इफिसियों 4