कभी-कभी
मैं मजाक करती हूँ कि मैं एक पुस्तक लिखूंगी जिसका शीर्षक होगा “समय पर”;
जो मुझे जानते हैं वे यह सुनकर मुस्कुराते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि मैं अकसर विलंबित
रहती हूँ। मैं तर्क देती हूँ कि मेरा विलंब मेरी आशावान प्रवृत्ति का सूचक है, न
कि मेरे प्रयास न करने का परिणाम। मैं अपेक्षा के साथ इस धारणा को थामे रहती हूँ कि
“इस बार” मैं पहले की अपेक्षा कम समय में और अधिक करने पाऊँगी। परन्तु यह धारणा
अकसर गलत ही होती है, और इसलिए मैं फिर से विलंबित हो जाती हूँ।
इसकी
तुलना में, परमेश्वर का कार्य सदा ही समय से होता है। हमें प्रतीत हो सकता है कि
वह विलंब कर रहा है, परन्तु ऐसा होता नहीं है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम
अनेकों स्थानों पर लोगों के विषय में पढ़ते हैं कि वे परमेश्वर के समय को लेकर अधीर
हो गए। पवित्र शास्त्र हमें बताता है कि इस्राएली भी प्रतिज्ञा किए हुए मसीहा की
प्रतीक्षा करत-करते अधीर हो गए और उनमें से कुछ ने तो आशा ही छोड़ दी। परन्तु प्रभु
यीशु के जन्म से संबंधित वृतान्त में हम पढ़ते हैं कि मंदिर में रहकर सेवा करने
वाले लोगों में से दो, हन्नाह और शमौन अधीर नहीं हुए। वे प्रतिदिन मंदिर में
प्रार्थना और प्रतीक्षा करते रहे (लूका 2:25-26, 37)। उनके विश्वास को प्रतिफल
मिला और उन्हें शिशु यीशु को देखने का अवसर मिला जब मरियम और यूसुफ यीशु को मंदिर
में समर्पण के लिए लेकर आए (पद 27-32, 38)।
हम
जब भी इस बात को लेकर निराश अनुभव करें कि परमेश्वर हमारी समय-सारणी के अनुसार
प्रतिक्रया नहीं दे रहा है, तो क्रिसमस के सन्देश को स्मरण करें कि “परन्तु जब
समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा,
जो स्त्री से जन्मा, और व्यवस्था के आधीन
उत्पन्न हुआ। ताकि व्यवस्था के आधीनों को मोल ले कर छुड़ा ले, और हम को लेपालक होने का पद मिले” (गलातियों
4:4-5)। परमेश्वर का समय सदा सिद्ध होता है और उसके समय की प्रतीक्षा करना हमारे
लिए लाभकारी। - जूली ऐकैर्मैन लिंक
परमेश्वर का समय ही सदा सही होता है – धैर्य
के साथ उसकी प्रतीक्षा करें।
पूर्व युग में परमेश्वर ने बाप दादों से
थोड़ा थोड़ा कर के और भांति भांति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कर के। इन
दिनों के अन्त में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे
उसने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि रची है। वह
उस की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर
ऊंचे स्थानों पर महामहिमन के दाहिने जा बैठा। - इब्रानियों 1:1-3
बाइबल पाठ: लूका 2:25-38
Luke 2:25 और देखो, यरूशलेम
में शमौन नाम एक मनुष्य था, और वह मनुष्य धर्मी और भक्त था;
और इस्राएल की शान्ति की बाट जोह रहा था, और
पवित्र आत्मा उस पर था।
Luke 2:26 और पवित्र आत्मा से उसको चितावनी
हुई थी, कि जब तक तू प्रभु के मसीह को देख ने लेगा, तक तक मृत्यु को न देखेगा।
Luke 2:27 और वह आत्मा के सिखाने से मन्दिर
में आया; और जब माता-पिता उस बालक यीशु को भीतर लाए, कि उसके लिये व्यवस्था की रीति के अनुसार करें।
Luke 2:28 तो उसने उसे अपनी गोद में लिया
और परमेश्वर का धन्यवाद कर के कहा,
Luke 2:29 हे स्वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्ति से विदा करता है।
Luke 2:30 क्योंकि मेरी आंखो ने तेरे
उद्धार को देख लिया है।
Luke 2:31 जिसे तू ने सब देशों के लोगों के
साम्हने तैयार किया है।
Luke 2:32 कि वह अन्य जातियों को प्रकाश
देने के लिये ज्योति, और तेरे निज लोग इस्राएल की महिमा हो।
Luke 2:33 और उसका पिता और उस की माता इन
बातों से जो उसके विषय में कही जाती थीं, आश्चर्य करते थे।
Luke 2:34 तब शमौन ने उन को आशीष देकर,
उस की माता मरियम से कहा; देख, वह तो इस्राएल में बहुतों के गिरने, और उठने के लिये,
और एक ऐसा चिन्ह होने के लिये ठहराया गया है, जिस
के विरोध में बातें की जाएगीं --
Luke 2:35 वरन तेरा प्राण भी तलवार से वार
पार छिद जाएगा-- इस से बहुत हृदयों के विचार प्रगट होंगे।
Luke 2:36 और अशेर के गोत्र में से हन्नाह
नाम फनूएल की बेटी एक भविष्यद्वक्तिन थी: वह बहुत बूढ़ी थी, और
ब्याह होने के बाद सात वर्ष अपने पति के साथ रह पाई थी।
Luke 2:37 वह चौरासी वर्ष से विधवा थी: और
मन्दिर को नहीं छोड़ती थी पर उपवास और प्रार्थना कर कर के रात-दिन उपासना किया
करती थी।
Luke 2:38 और वह उस घड़ी वहां आकर प्रभु का
धन्यवाद करने लगी, और उन सभों से, जो
यरूशलेम के छुटकारे की बाट जोहते थे, उसके विषय में बातें
करने लगी।
एक साल में बाइबल:
- हाग्गै 1-2
- प्रकाशितवाक्य 17
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