स्टीव, एक बासठ
वर्षीय बेघर सेवा-निवृत्त सैनिक है। वह जाकर गर्म मौसम वाले स्थान में रहने लगा
जिससे कि वर्ष भर रातों को बाहर खुले में सोने में समस्या न हो। एक संध्या को जब
वह अपने हाथों से बनाए गए चित्रों को लोगों को दिखा रहा था, इस आशा में कि
उसे कुछ पैसे मिल जाएँगे, एक युवती आई और उसने स्टीव को पीज़ा के कुछ भाग दिए।
स्टीव ने उन्हें कृतज्ञता के साथ स्वीकार कर लिया। कुछ ही पल में उसने उसे मिले इस
बहुतायत के भोजन को अपने ही समान एक अन्य बेघर और भूखे व्यक्ति के साथ बाँटा। लगभग
तुरंत ही वही युवती फिर से आ गई और उसे प्लेट भर के भोजन दिया, इस बात की
सराहना करते हुए कि जो उसे मिला था, वह उसके साथ उदार रहा था।
स्टीव की कहानी परमेश्वर के वचन बाइबल
में नीतिवचन 11:25 के सिद्धांत को चित्रित करती है, जहाँ कहा गया है कि जब हम औरों
के प्रति उदार होंगे, तो हमें भी उदारता से दिया जाएगा। लेकिन हमें इस अपेक्षा
से उदार होकर नहीं देना चाहिए कि हमें वापस कुछ मिल और जाएगा। ऐसा बहुत ही कम होता
है कि हमारी उदारता का उतनी तेज़ी से प्रतिफल आ जाता है जितना स्टीव के लिए आ गया।
जब हम किसी की सहायता के लिए दें, तो ऐसा परमेश्वर के सप्रेम देने के निर्देश के पालन
के लिए करें (फिलिप्पियों 2:3-4; 1 यूहन्ना 3:17)। जब हम ऐसा करते हैं, तब परमेश्वर
इससे प्रसन्न होता है; और, यद्यपि वह बाध्य नहीं है कि तुरंत ही हमारे बटुए या
पेट को भर दे, फिर भी वह हमें पुरस्कृत करने के तरीके निकाल लेता है –
कभी भौतिक वस्तुओं के द्वारा, तो कभी आत्मिक आशीषों से।
स्टीव ने भोजन की दूसरी प्लेट को भी
मुस्कराते हुए और खुले हाथों से औरों के साथ बाँटा। यद्यपि उसके पास अपने कोई
संसाधन नहीं थे, फिर भी वह उदारता से देने का एक उदाहरण बना। प्रसन्न चित्त
होकर जो भी उसके पास था, उसे दूसरों के साथ साझा किया, न कि अपने ही लिए उसे
संग्रह कर के रख लिया। परमेश्वर हमें जैसा सक्षम करे और मार्गदर्शन करे, हम भी उदारता
के साथ अपनी आशीषों को बांटने वाले बनें। - कर्स्टन होल्मबर्ग
परमेश्वर जो
हमें देता है हम उसके साथ उदार हो सकते हैं।
हर एक जन जैसा मन
में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर
हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है। - 2 कुरिन्थियों 9:7
बाइबल पाठ:
नीतिवचन 11:23-31
नीतिवचन 11:23 धर्मियों
की लालसा तो केवल भलाई की होती है; परन्तु दुष्टों की आशा का फल क्रोध ही होता है।
नीतिवचन 11:24 ऐसे
हैं, जो छितरा देते हैं, तौभी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते
हैं, और इस से उनकी घटती
ही होती है।
नीतिवचन 11:25 उदार
प्राणी हृष्ट पुष्ट हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी।
नीतिवचन 11:26 जो
अपना अनाज रख छोड़ता है, उसको लोग शाप देते हैं, परन्तु जो उसे बेच देता है, उसको आशीर्वाद दिया जाता है।
नीतिवचन 11:27 जो
यत्न से भलाई करता है वह औरों की प्रसन्नता खोजता है, परन्तु जो दूसरे की बुराई का खोजी होता है, उसी पर बुराई आ पड़ती है।
नीतिवचन 11:28 जो
अपने धन पर भरोसा रखता है वह गिर जाता है, परन्तु धर्मी लोग नये पत्ते के समान लहलहाते हैं।
नीतिवचन 11:29 जो
अपने घराने को दु:ख देता, उसका भाग वायु ही होगा, और मूढ़ बुद्धिमान का दास हो जाता है।
नीतिवचन 11:30 धर्मी
का प्रतिफल जीवन का वृक्ष होता है, और बुद्धिमान मनुष्य लोगों के मन को मोह लेता है।
नीतिवचन 11:31 देख, धर्मी को पृथ्वी पर फल मिलेगा, तो निश्चय है कि दुष्ट और पापी को भी
मिलेगा।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 34-36
- यूहन्ना 19:1-22
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