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मंगलवार, 24 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – और विज्ञान – 12

 

बाइबल और भौतिक-विज्ञान - 1

 

       न केवल जीव-विज्ञान, वरन अन्य प्रकार के विज्ञान से संबंधित बातें भी परमेश्वर के वचन बाइबल की पुस्तकों में हजारों वर्ष पहले लिख दी गईं हैं। इनमें से कुछ को हम पहले सृष्टि की रचना, अंतरिक्ष, आदि शीर्षकों में देख चुके हैं। भौतिक विज्ञान से संबंधित कुछ अन्य बातों को हम आज से देखेंगे। 

एक बहुत ही सामान्य सी बात से आरंभ करते हैं – पानी का चक्र - किस प्रकार पानी सागर, आकाश और पृथ्वी के मध्य एक निरंतर चलती रहने वाली क्रिया में घूमता रहता है, और सारी पृथ्वी की सिंचाई होते रहती है, तथा सभी के पीने के लिए पानी उपलब्ध बना रहता है। किन्तु मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए औरज्ञानके नाम पर परमेश्वर द्वारा बनाए गए और सुचारु रीति से चलते रहने वाले इस पूरे चक्र बिगाड़ दिया है जिससे आज स्थान-स्थान पर या तो सूखा पड़ रहा है, अथवा अप्रत्याशित और अनपेक्षित बाढ़ आ रही हैं, जिससे सभी के लिए बहुत खतरा उत्पन्न हो गया है। यह कि प्रकृति के विधान मनुष्यों के द्वारा इस प्रकार से बिगाड़ दिए जाएंगे भी परमेश्वर ने अपने वचन में पहले से ही लिखवा रखा है।

पहले पानी के चक्र को देखते हैं - आज यह सामान्य ज्ञान में स्कूलों में सिखाया जाता है कि सागर का पानी, सूर्य की गर्मी से भाप बनकर उठता है, हवा के साथ बहकर ठन्डे इलाकों, मैदानों, पहाड़ों आदि की ओर जाता है, ओस और वर्षा के रूप में उन सभी स्थानों पर पड़ता है। यहाँ से उसका कुछ भाग धरती में सोख लिया जाता है वह पृथ्वी के भीतरी भागों में स्थित जलाशयों में भी जाता है और सतह पर बहने वाली नदियों में भी जाता है, तथा फिर नदी के साथ बहकर सागर में जा मिलता है। आज जो खोज-बीन तथा उपकरणों आदि के माध्यम से उपलब्ध जानकारी हमें साधारण, सामान्य ज्ञान की बात लगती है, उसे आज से हजारों वर्ष पहले रहने वाले मनुष्यों के लिए जान पाना कितनी जटिल और असंभव सी बात रही होगी, इसकी कल्पना कीजिए। उस समय बहुत कम आबादी थी, शिक्षा बहुत सीमित थी, तथा मुख्यतः स्थानीय बातों से संबंधित होती थी; आज के समान यातायात के साधन नहीं थे, लंबी दूरी की यात्राएँ करना जान जोखिम में डालने की बात होती थी; जानकारी एकत्रित करके उसका परस्पर ताल-मेल बैठाने और विश्लेषण करने की ऐसी क्षमता नहीं थी जैसी आज है। जो पर्वतों पर या उनके आस-पास रहते थे उनमें से अधिकांश यह नहीं जानते होंगे कि सागर भी होते हैं। इसी प्रकार जो सागर तट के आस-पास रहते थे उन्हें पहाड़ों और पर्वतों की जानकारी होने की कम ही संभावना होगी, और जो विशाल मैदानी क्षेत्रों में रहते थे, उनके लिए पर्वत और सागर, दोनों के बारे पता भी होगा कि नहीं, यह कल्पना की बात है। ऐसे में पानी कहाँ से आया, कहाँ को गया, और कैसे, यह सब यदि उस समय के जीवन के आधार पर देखें, तो इसका विश्लेषण करना और उसकी सटीक जानकारी लिख दिया जाना, और वह भी ऐसे व्यक्ति के द्वारा जो न विज्ञान और न वैज्ञानिक जानकारी रखने वाला व्यक्ति हो, लगभग असंभव बात है। 

अब बाइबल के कुछ पदों को देखिए:

अय्यूब 36:27-28 क्योंकि वह तो जल की बूंदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह हो कर टपकती हैं, वे ऊंचे ऊंचे बादल उंडेलते हैं और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं। 

आमोस 9:6 जो आकाश में अपनी कोठरियां बनाता, और अपने आकाशमण्डल की नेव पृथ्वी पर डालता, और समुद्र का जल धरती पर बहा देता है, उसी का नाम यहोवा है।

यिर्मयाह 10:13 जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, और पृथ्वी की छोर से वह कुहरे को उठाता है। वह वर्षा के लिये बिजली चमकाता, और अपने भण्डार में से पवन चलाता है

सभोपदेशक 1:7 सब नदियां समुद्र में जा मिलती हैं, तौभी समुद्र भर नहीं जाता; जिस स्थान से नदियां निकलती हैं; उधर ही को वे फिर जाती हैं।

साथ ही इस तथ्य पर भी विचार कीजिए कि अय्यूब आज से लगभग 4000 वर्ष पहले का एक समृद्ध जमींदार था; आमोस आज से लगभग 2750 पहले का एक चरवाहा था; यिर्मयाह आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता था; और सभोपदेशक के लेखक राजा सुलैमान ने यह पुस्तक लगभग 3000 वर्ष पहले लिखी थी। उस समय के इन लिखने वाले लोगों के जीवन, ज्ञान, और वैज्ञानिक समझ तथा विश्लेषण करने की क्षमता के बारे में विचार कर के, बाइबल के उपरोक्त पदों पर विचार कीजिए - क्या यह सामान्य, साधारण मानवीय बुद्धि में आने वाली, और उससे उत्पन्न होने वाली बात हो सकती है

अब पृथ्वी को बिगाड़ने वालों के बारे में बाइबल में लिखा हुआ देखते हैं। आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व, जब प्रदूषण और उसके प्रभावों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, तब बाइबल की अंतिम पुस्तक, प्रकाशितवाक्य, जो जगत के अंत और संसार के सभी लोगों के न्याय किए जाने की भविष्यवाणी की पुस्तक है, उसमें परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह के शिष्य यूहन्ना के द्वारा, जो प्रभु का शिष्य बनने से पहले मछुआरा हुआ करता था, यह लिखवाया था, “और अन्यजातियों ने क्रोध किया, और तेरा प्रकोप आ पड़ा और वह समय आ पहुंचा है, कि मरे हुओं का न्याय किया जाए, और तेरे दास भविष्यद्वक्ताओं और पवित्र लोगों को और उन छोटे बड़ों को जो तेरे नाम से डरते हैं, बदला दिया जाए, और पृथ्वी के बिगाड़ने वाले नाश किए जाएं” (प्रकाशितवाक्य 11:18)। विवाद उत्पन्न करने, और तर्क देने वाले यह कह सकते हैं कि जिसबिगाड़की बात की गई है वह नैतिक पतन और भ्रष्टाचार भी हो सकता है। किन्तु मूल यूनानी भाषा में जो शब्द प्रयोग किया गया है, और जिसका अनुवादबिगाड़नाकिया गया है, वह हैडायाफ्थीरियोजिसका शब्दार्थ होता है पूर्णतः सड़ा-गला कर नष्ट कर देना। यह वही शब्द है जिससे घातक बीमारीडिफथीरियाका नाम आया है।

क्रमिक विकासवाद (Evolution) कहता है कि मनुष्य, पृथ्वी, और सृष्टि सुधर रहे हैं, उन्नत होते जा रहे हैं; जबकि हमारे समक्ष विदित व्यावहारिक वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत, और परमेश्वर के वचन बाइबल की बातों के अनुरूप है - मनुष्य, पृथ्वी और सृष्टि बिगड़ते जा रहे हैं, अपने अंतिम दिनों में पहुँच चुके हैं। सारे संसार भर में हर जाति, हर सभ्यता का मनुष्य शारीरिक, भौतिक, नैतिक, और आध्यात्मिक, हर रीति से सुधरने की बजाए बिगड़ता ही जा रहा है।

अब यह आपके लिए विचार करने और निर्णय लेने का समय है - क्या आप परमेश्वर के उस अवश्यंभावी न्याय का सामना करने, उसके सामने खड़े होकर अपने जीवन के हर एक पल का हिसाब देने, अपने मन, ध्यान, विचार, और व्यवहार की हर बात, हर सोच, हर कल्पना का हिसाब देने को तैयार हैं? क्योंकि परमेश्वर के दृष्टि से कुछ छिपा नहीं है, कुछ अज्ञात नहीं है, जैसा दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को समझायाऔर हे मेरे पुत्र सुलैमान! तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है। यदि तू उसकी खोज में रहे, तो वह तुझ को मिलेगा; परन्तु यदि तू उसको त्याग दे तो वह सदा के लिये तुझ को छोड़ देगा” (1 इतिहास 28:9); और बाद में इब्रानियों के लेखक ने भी कहा, “क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है। और सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के सामने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं” (इब्रानियों 4:12-13)

परमेश्वर आपको अवसर दे रहा है; यदि आज तक भी आपने उसकी आपको दी जाने वाली पापों की क्षमा के इस अवसर को स्वीकार नहीं किया है, तो अभी फिर आपके पास मौका है। आप अभी स्वेच्छा से, सच्चे मन से, अपने पापों के लिए पश्चातापी मन के साथ यह छोटी सी प्रार्थना कर सकते हैं, “हे प्रभु यीशु मैं स्वीकार करता हूँ कि मैंने मन, ध्यान, विचार, और व्यवहार में आपकी अनाज्ञाकारिता की है, पाप किया है। मैं यह भी मान लेता हूँ कि आपने क्रूस पर दिए अपने बलिदान के द्वारा मेरे पापों की सजा को अपने ऊपर उठाया लिया, और उसे पूर्णतः चुका दिया है। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और अपना आज्ञाकारी शिष्य बना लें, और अपने साथ बनाकर रखें।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी यह छोटी सी प्रार्थना आपके मन और जीवन को बदल देगी, आपको परमेश्वर की संतान बनाकर, पापों के दण्ड से मुक्ति तथा अब से लेकर अनन्तकाल तक के लिए स्वर्गीय आशीषों का वारिस बना देगी। निर्णय आपका है।  

बाइबल पाठ: यशायाह 64:1-9

यशायाह 64:1 भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे सामने कांप उठे।

यशायाह 64:2 जैसे आग झाड़-झंखाड़ को जला देती वा जल को उबालती है, उसी रीति से तू अपने शत्रुओं पर अपना नाम ऐसा प्रगट कर कि जाति जाति के लोग तेरे प्रताप से कांप उठें!

यशायाह 64:3 जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया, पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे।

यशायाह 64:4 क्योंकि प्राचीनकाल ही से तुझे छोड़ कोई और ऐसा परमेश्वर न तो कभी देखा गया और न कान से उसकी चर्चा सुनी गई जो अपनी बाट जोहने वालों के लिये काम करे।

यशायाह 64:5 तू तो उन्हीं से मिलता है जो धर्म के काम हर्ष के साथ करते, और तेरे मार्गों पर चलते हुए तुझे स्मरण करते हैं। देख, तू क्रोधित हुआ था, क्योंकि हम ने पाप किया; हमारी यह दशा तो बहुत काल से है, क्या हमारा उद्धार हो सकता है?

यशायाह 64:6 हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से हैं, और हमारे धर्म के काम सब के सब मैले चिथड़ों के समान हैं। हम सब के सब पत्ते के समान मुर्झा जाते हैं, और हमारे अधर्म के कामों ने हमें वायु के समान उड़ा दिया है।

यशायाह 64:7 कोई भी तुझ से प्रार्थना नहीं करता, न कोई तुझ से सहायता लेने के लिये चौकसी करता है कि तुझ से लिपटा रहे; क्योंकि हमारे अधर्म के कामों के कारण तू ने हम से अपना मुंह छिपा लिया है, और हमें हमारी बुराइयों के वश में छोड़ दिया है।

यशायाह 64:8 तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो मिट्टी है, और तू हमारा कुम्हार है; हम सब के सब तेरे हाथ के काम हैं।

यशायाह 64:9 इसलिये हे यहोवा, अत्यन्त क्रोधित न हो, और अनन्तकाल तक हमारे अधर्म को स्मरण न रख। विचार कर के देख, हम तेरी बिनती करते हैं, हम सब तेरी प्रजा हैं।

 

एक साल में बाइबल:

·           भजन 116-118 

·           1 कुरिन्थियों 7:1-19  

लेबल: 

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