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सोमवार, 28 जून 2010

क्या आप तैयार हैं?

एक यात्रा पर जाने के तीन महीने पहले मैं अपने एक मित्र से उस यात्रा के बारे में बात-चीत कर रहा था। उसने मुझसे कहा, "यदि तुम्हारे दल में कोई किसी कारणवश न जाने पाये तो उसकी जगह मैं जाना चाहुंगा।" यह यात्रा कोई आसान यात्रा नहीं थी। मैंने यह अपने मित्र को समझाया कि हमें जुलाई महीने की जमैका की गर्मी में पुताई, मरम्मत और वस्तुओं को ठीक करने का काम करना था, फिर भी वह जाने को उत्सुक्त था।

हमारे यात्रा पर निकलने के लगभग ६ सप्ताह पहले, दल में एक स्थान रिक्त हुआ; और मैंने अपने मित्र को, जिससे मैं इस वार्तालाप के बाद नहीं मिला था, सूचित किया और उससे पूछा कि क्या वह जाने को अभी भी इच्छुक है? उसने तुरंत उत्तर दिया, "अवश्य, और इस संभावना से कि शायद तुम्हारा बुलावा आ जाये, मैंने अपना पॉसपोर्ट भी जाने के लिये तैयार करवा रखा है।" उसने यह निश्चित कर रखा था कि अगर जाने का अवसर आता है तो वह उसके लिये तैयार पाया जाय।

मेरे मित्र की इस तैयारी ने मुझे वह स्मरण दिलाया जो प्रथम शताबदी में अन्ताकिया में हुआ। पौलुस और बरनाबास उन अनेक लोगों में से थे जो आत्मिक तौर से अपने आप को तैयार कर रहे थे, जिससे कि परमेश्वरे उन्हें जो भी करने के लिये कहे या जहां भी उन्हें भेजे, वे उसके लिये तैयार मिलें। उन्होंने इस तैयारी के लिये पॉसपोर्ट तो नहीं बनवाये परन्तु "जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे तो पवित्र आत्मा ने कहा, मेरे निमित्त बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिस के लिये मैं ने उन्‍हें बुलाया है" (प्रेरितों के काम १३:२) - वे अपनी यात्रा के लिये तैयार थे।

क्या आप परमेश्वर के कार्य के लिये अपने आप को तैयार कर रहे हैं? जब पवित्र आत्मा आपसे जाने को कहेगा तो क्या आप तैयार पाये जायेंगे? - डेव ब्रैनन


अपने औज़ार तैयार रखिये, परमेश्वर आप के लिये काम निकालेगा।


बाइबल पाठ: प्रेरितों के काम १३:१-५


जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे तो पवित्र आत्मा ने कहा, मेरे निमित्त बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिस के लिये मैं ने उन्‍हें बुलाया है। - प्रेरितों के काम १३:२


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ११-१३
  • प्रेरितों के काम ९:१-२१

रविवार, 27 जून 2010

वर के लिये सलाह

शादी से पहले कुंवारों की पार्टी देने का रिवाज़ है, जो अधिकांशतः नशे और पियक्कड़पन का अवसर होता है। इस प्रथा का कारण शायद यह विश्वास है कि अब दूलहा शीघ्र ही शादी के बंधन में बंधकर वैवाहित जीवन की नीरस ज़िम्मेदारियों में बंध जायेगा।

कुछ समय पहले मेरे एक भतीजे की शादी होने वाली थी, उसके एक मित्र ने एसी ही पार्टी आयोजित करी, किंतु उसमें साधारण कुंवारों की पार्टी में होने वाली बातों से भिन्नता थी। जिन्हें निमंत्रित किया गया था उन्हें कुछ विचार साथ लेकर आने थे और बांटने थे जिनसे दूल्हे को अपने जीवन में जुड़ने वाले इस नये अध्याय में सहायता मिले।
जब मैं उस अनौपचारिक प्रातः भोज में पहुंचा तो वहां उपस्थित लोगों में परस्पर एक बहुत अच्छे संबंध को पाया। उपस्थित पिता, चाचा-ताऊ, मामा, मित्र सभी बहुत सजीव चर्चा में भाग ले रहे थे। वर और वधु के पिता से अनुरोध किया गया कि जो उन्होंने अपने मसीही वैवाहिक जीवन में सीखा था, उसके आधार पर कुछ कहें। जो कुछ उन्होंने बांटा वह व्यक्तिगत, व्यवाहरिक और बाइबल पर आधारित था।

नीतिवचन की पुस्तक भी इस तरह की शिक्षा के बारे में परमर्श देती है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना किया जा सके और अच्छा प्रतिफल पाया जा सके - "हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज; क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये कन्ठ माला होंगी" (नीतिवचन १:८, ९)।

अगर और भी नव-विवाहित जोड़े अपनी विवाहित जीवन को ऐसे परामर्श को स्वीकार करने के रवैये के साथ आरंभ करें तो यह परमेश्वर के लिये कितना आदरणीय होगा। - डेनिस फिशर


जो दुसरों के अनुभवों से शिक्षा लेता है वह वास्तव में बुद्धिमान है।


बाइबल पाठ: नीतिवचन १:१-९


हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा - नीतिवचन १:८



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ८-१०
  • प्रेरितों के काम ८:२६-४०

शनिवार, 26 जून 2010

सन्तों का गीत

आपने शायद यह कथन सुना हो, "मैं क्रोध नहीं करता, बस बदला ले लेता हूं।" प्रकाशितवाक्य में वर्णित न्यायों के बारे में पढ़कर कोई यह कलपना कर सकता है कि परमेश्वर भी पपियों द्वारा समस्त मानव इतिहास के दौरान किये गये जघन्य अपराधों और पापों के लिये उनसे अपना बदला लेगा।

सत्य तो यह है कि परमेश्वर का अन्तिम न्याय उसके पवित्र न्यायी होने का अभिन्न भाग है। वह पाप को अनदेखा नहीं कर सकता। जैसा प्रकाशितवाक्य में वर्णित है, यदि वह अन्ततः न्याय नहीं करता है तो यह उसके पवित्र चरित्र का इन्कार होगा। इसीलिये उसके न्याय के समय सन्त लोग यह कहते हुए उसका स्तुती गान करेंगे "हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा क्‍योंकि केवल तू ही पवित्र है, और सारी जातियां आकर तेरे साम्हने दण्‍डवत करेंगी, क्‍योंकि तेरे न्याय के काम प्रगट हो गए हैं" - प्रकाशितवाक्य १५:४। जो परमेश्वर को भली-भांति जानते हैं वे उसके न्याय के लिये उस पर न्याय नहीं करते, वरन वे उसकी आराधना और उसके कार्यों के लिये उसकी उपासना करते हैं।

हमें अचंभा परमेश्वर के बड़े न्याय से नहीं होना चाहिये, वरन इस बात से हो्ना चाहिये कि इस न्याय के लिये उसने इतनी लंबी प्रतीक्षा करी, जिससे कि प्रत्येक को पश्चाताप का अवसर मिले और कोई भी नाश न हो (२ पतरस ३:९)।परमेश्वर आज भी अपने न्याय को अपनी बड़ी दया में होकर रोके हुए है, वह अपनी करुणा और अनुग्रह को भरपूरी से अवसर दे रहा है। यही समय है उसके धैर्य पूर्ण प्रेम का लाभ उठाकर पापों से पश्चाताप करने का। जब आप ऐसा करेंगे तो आप भी सन्तों के साथ अनन्त काल तक उसकी आरधाना करने वाले हो जाएंगे। - जो स्टोवैल


जब परमेश्वर का न्याय पूरी तरह से खुलकर सामने आयेगा, तब उसकी प्रशंसा और जय जयकार के नारे गूंजेंगे।


बाइबल पाठ: प्रकाशित्वाक्य १५


हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा क्‍योंकि केवल तू ही पवित्र है, और सारी जातियां आकर तेरे साम्हने दण्‍डवत करेंगी, क्‍योंकि तेरे न्याय के काम प्रगट हो गए हैं - प्रकाशितवाक्य १५:४


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ५-७
  • प्रेरितों के काम ८:१-२५

शुक्रवार, 25 जून 2010

प्रतिरोध

यूजीन क्यूसॉन्स चिंपैन्ज़ी बन्दरों को बचाने का कार्य करते हैं। जंगली जनवरों के मांस के व्यापार में लगे लोग इन बन्दरों को अनाथ बनाने के बाद जेल कोठरी से भी छोटी जगह में इन्हें कैद करके रखते है। यूजीन ने इनके आज़ाद रहने के लिये एक खुला स्थान बनाया है जिसे वह Chimp Eden (वानर वाटिका) कहता है। जब वह इन्हें उस वाटिका में रखने के लिये ले जाने आता है तो अक्सर इन वानरों को घबराया हुआ और विरोध का बरताव करते पाता है।

जब वह उन्हें उस नये खुले स्थान पर ले जाने के लिये एक छोटे पिंजरे में रखने का प्रयास करता है तो वे बन्दर बहुत विरोध करते हैं। उसका कहना है कि "ये नहीं समझते कि मैं उनका नुकसान पहूंचाने वाला मनुष्य नहीं हूँ। मैं तो उन्हें एक बेहतर जीवन देने के लिये उस वानर वाटिका में ले जाना चाहता हूँ।"

इससे भी एक श्रेष्ठ रूप में यह उदाहरण परमेश्वर द्वारा हमें पाप के दासत्व से छुड़ाने के प्रयास और उसमें नासमझी के कारण हमारे द्वारा डाले जाने वाले प्रतिरोध को समझाता है। जब परमेश्वर ने इस्त्रालियों को मिस्त्र देश के दासत्व से छुड़ाया, और उन्हें कठिन स्थानों से लेकर चला तो उन लोगों ने परमेश्वर की भली मनशा पर शक किया और कहा "... क्या हमारे लिये अच्छा नहीं कि हम मिस्र देश को लौट जाएं?" (गिनती १४:३)।

हमारी ’विशवास’ की यात्रा में भी कई बार हमें लगता है कि पाप की ’आज़ादी’ जिसे हम पीछे छोड़कर आये हैं, विश्वास के वर्तमान अनुशासन से बेहतर थी। ऐसे में हमें परमेश्वर द्वारा हमारी सुरक्षा के लिये निर्धारित करी गई और उसके वचन में मिलने वाली सीमाओं का आदर करना है जिससे हम उस परम स्वतंत्रता के स्थान तक पहुँच सकें। - जूली ऐकरमैन लिंक


परमेश्वर की आज्ञाकारिता ही सवतंत्रता की कुंजी है।


बाइबल पाठ: गिनती १४:१-१०


यदि यहोवा हम से प्रसन्न हो, तो हम को उस देश में, जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, पहुंचाकर उसे हमें दे देगा। - गिनती १४:८


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३, ४
  • प्रेरितों के काम ७:४४-६०

गुरुवार, 24 जून 2010

टालने की समस्या

हम में से बहुत इस समस्या से जूझते हैं - टालने की समस्या। एलबर्टा स्थित कैलगरी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक ने इस विषय पर ५ वर्ष तक शोध किया और पाया कि ९५% लोग किसी न किसी बात को टालते हैं। एक अनुमान के अनुसार, अपना कर देना टालने के कारण अमेरीकी लोग लगभग $४०० करोड़ सालाना का नुकसान उठाते हैं! असफल होने के भय अथवा अन्य किन्हीं संभावित असुरक्षाओं के कारण हम किसी कार्य को आरंभ करने के लिये या कोई निर्णय लेने के लिये प्रतीक्षा ही करते रह जाते हैं।

मण्डली (चर्च) में भी टालना एक समस्या है। बहुत लोग परमेश्वर की सेवा करने को टालते रहते हैं। हम जानते हैं कि हमें औरों तक मसीह के सुसमाचार को पहुंचाना है, पर हम इसे टाल जाते हैं, इस चिंता में कि कैसे करेंगे, या करेंगे तो कहीं असफल न हो जाएं। क्योंकि हम अपने वरदानों और अभिरुचियों को भली भांति नहीं जानते, इसलिये मण्डली के कामों में जुड़ने से कतराते हैं और टालते रहते हैं, इस डर से कि "कहीं मैं कोई घटिया काम न कर बैठूं" या "अगर आरंभ करने के बाद मुझे लगे कि मैं इसे नहीं कर पाउंगा, तो क्या होगा?"

इस बात के लिये रोमियों की पत्री का १२वां अध्याय हमें कुछ प्रोत्साहन देता है। वहां हमें मिलता है कि परमेश्वर की सेवा का आरंभ होता है परमेश्वर को भावते हुए जीवित और पवित्र बलिदान के रूप में अपने आप का समर्पण करने से - रोमियों १२:१ । प्रार्थना करें और अपने आप को पुनः प्रभु और उसके कार्य के लिये समर्पित करें। फिर अपने आस-पास ध्यान करें कि आपकी मण्डली में लोग किन कार्यों में लगे हैं, और उनके साथ मिलकर उन कार्यों में हाथ बंटाएं। चाहे तो छोटे से आरंभ करें और कई कार्यों में प्रयास करें।

आपकी मण्डली को आपकी आवश्यक्ता है। परमेश्वर से मांगें कि वह आपको आपकी टालने की समस्या से निकलने में सहायता करे। - एनी सेटास


एक स्वस्थ मण्डली के लिये हर सद्स्य को अपने अपने आत्मिक वरदान का उपयोग करना है।


बाइबल पाठ: रोमियों १२:४-१३


क्‍योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं। वैसे ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह होकर आपस में एक दूसरे के अंग हैं। - रोमियों १२:४, ५


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब १, २
  • प्रेरितों के काम ७:२२-४३

बुधवार, 23 जून 2010

एक सामर्थी सन्देश

बाइबल शिक्षक लेहमैन स्ट्रौस ने लड़कपन में ही परमेश्वर के वचन की सामर्थ द्वारा मसीह को अपनाया। उन्होंने अपनी सहेली के कहने पर रोमियों की पत्री से कुछ अंश पढ़े, वे थे रोमियों ३:२३, ५:८ और १०:१३। इन पदों को पढ़ने से उन्हें अपने पाप का बोध हुआ और उन्होंने अपनी दशा पर विलाप के साथ पश्चाताप किया तथा मसीह को ग्रहण किया।

जब उनका पुत्र रिचर्ड ७ वर्ष का था तो उसने अपने पिता से उद्धार का मार्ग पूछा। लेहमैन ने उन्हीं पदों का प्रयोग किया जो उस समय उनकी सहेली और अब उनकी पत्नी ने सालों पहले उनके लिये किया था। उनके पुत्र ने भी विश्वास किया और आगे चलकर परमेश्वर का सेवक बना।

परमेश्वर के वचन में अद्‍भुत और कलपना से परे सामर्थ है। काल के आरंभ में परमेश्वर ने कहा कि उजियाला हो और हो गया (उत्पत्ति १:३)। उसने एब्राहम से वाचा बांधी (उत्पत्ति १७:१५-१९) और उसे उसकी ९० वर्षीय पत्नी से पुत्र दिया (उत्पत्ति २१:१, २)। परमेश्वर आज भी सामर्थ के साथ बात करता है। जो जो उसकी सुनकर सुसमाचार पर विश्वास लाते हैं, वे उद्धार पाते हैं (रोमियों १:१६)।

जी हाँ, मसीह का सुसमाचार और क्रूस पर उसके द्वारा किया गया उद्धार का काम व्यक्ति के जीवन की दशा बदल सकते हैं। उस वचन में वह सामर्थ है कि वह उस के दिल की गहराई तक पहुंचे जिससे आप प्रेम करते हैं और जिसके लिये आपने कई बार प्रार्थना करी है।

इसलिये अपनी गवाही में कभी निराश होकर पीछे मत हटिये, लगातार परमेश्वर के साथ स्थिरता से चलते रहें। प्रार्थना करते रहें और सुसमाचार बांटते रहें - वह एक सामर्थी सन्देश है। - डेव एग्नर


हमारे शब्दों में प्रभाव डालने की सामर्थ है; परमेश्वर के वचन में उद्धार देने की सामर्थ है।


बाइबल पाठ:१ कुरिन्थियों १:१८-२५


मसीह का सुसमाचार...हर एक विश्वास करने वाले के लिये....उद्धार कि निमित परमेश्वर की सामर्थ है। - रोमियों १:१६


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ९, १०
  • प्रेरितों के काम ७:१-२१

मंगलवार, 22 जून 2010

खुला निमंत्रण

सन १६८२ में राजा लूई XIV ने पैरिस की जगह वेरसेलेयस को फ्रांस की राजधनी बनाया और वह १७८९ तक राजधानी रही (बीच के थोड़े से समय को छोड़कर), फिर वापस राजधानी पैरिस हो गई। वेरसेलेयस में राजा ने एक भव्य महल का निर्माण करवाया, जिसमें एक २४१ फुट लम्बा और दर्पणों से भरा शनदार हॉल है। इस हॉल के एक सिरे पर चांदी से बना राजा का सिंहासन था। राजा से भेंट करने आने वालों को दूसरे सिरे से प्रवेश करना होता था, और हर पांच कदम पर, चमचमाते हुए राज-सिंहासन पर बैठे राजा को, झुककर आदर देना होता था। विदेशी राजदूतों को भी फ्रांस के राजा की कृपादृष्टि बनाए रखने के लिए इस अपमानजनक आचार को निभाना पड़ता था।

इसकी तुलना में, हमारा परमेश्वर, जो राजाओं के राजा है, सभी लोगों को अपने सिंहासन के समीप निर्बाध आने का निमंत्रण देता है। जब कभी हमें आवश्यक्ता हो, हम हर हाल और परिस्थिति में उसके समीप आ सकते हैं, इसके लिये कोई पूर्व-नियुक्ति लेने या किसी प्रक्रिया को निभाने की बन्दिश नहीं है।

इतने खुले दिल से हमारा स्वागत करने वाले और हम से मिलने को सदा तत्पर रहने वाले स्वर्गीय पिता के प्रति हमें कितना आभारी होना चाहिये। "क्‍योंकि उस ही (यीशु मसीह) के द्वारा हमारी एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है" (इफिसियों २:१८)। इसी कारण इब्रानियों की पत्री का लेखक हमें प्रेरित करता है कि "इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे" (इब्रानियों ४:१६)।

क्या आपने परमेश्वर के इस खुले निमंत्रण का लाभ उठाया? आदर, भय और आभार के साथ सृष्टि के रचियेता और परमेश्वर के सम्मुख आएं, वह आपकी प्रार्थना सुनने के लिये सदा तैयार है। - सी. पी. हिया


परमेश्वर के सिंहासान का मार्ग सदा खुला रहता है।


बाइबल पाठ: इफिसियों २:१४-२२


इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। - इब्रानियों ४:१६


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ६-८
  • प्रेरितों के काम ६