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बुधवार, 3 मार्च 2010

हम किस पर निर्भर हैं?

टोल्कीन की प्रसिद्ध रचना "दि लॉर्ड ओफ दि रिनग्स" तीन भागों में लिखा गया एक उपन्यास है, जिसपर एक फिल्म भी बनी है। इस रचना के दुसरे भाग में नायक फ्रोडो निराशा की परकाष्ठा पर पहुँचा और उसने अपने मित्र सैम से कहा "मैं यह नहीं कर सकता।" सैम ने उसे एक उत्साहवर्धक व्यख्यान दिया: "महान कथाओं में जैसे बताया गया है....लोग अंधेरों और खतरों में रहे...इन कहानियों के पात्रों को पीछे मुड़ने के बहुत अवसर थे, परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि वे किसी सिद्धाँत पर अटल थे, इसलिये आगे बढ़ते रहे।" फ्रोडो सैम से पूछता है, "सैम, हम किस सिद्धाँत पर निर्भर रहते हैं?"

यह एक महत्त्वपूर्ण प्रशन है, जिसे हमें स्वयं से पूछना है। एक पतित और टूटते हुए संसार में रहने के कारण कभी कभी हमें लगता है कि हम अंधकार की शक्तियों से हारते जाते हैं। परन्तु जब निराशा से अभिभूत होकर ज़िम्मेदारी से पीछे हटने की स्थिति पर आते हैं, तब हमें पौलूस की सलाह पर अमल करना चाहिये: "विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़, और उस अनन्त जीवन को थाम ले (१ तिमुथियुस ६:१२)।

जीवन के संघर्षों में हम इस विश्वास पर दृढ़ रहें कि अन्त में बुराई पर भलाई की जीत होगी और हम अपने प्रभु को आमने सामने देखेंगे और उसके साथ अनन्तकाल तक राज्य करेंगे। हर संघर्ष में भी आप इस महान विजयगाथा के पात्र हो सकते हैं; यदि आपने अपने उद्धार के लिये प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास किया है तो आपकी विजय निश्चित है। - Joe Stowell


स्वर्ग की महान सफलताओं की तुलना में संसार की परीक्षाएं बहुत छोटी हैं।


बाइबल पाठ: १ तिमुथियुस ६:११-१६


विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़ और उस अनन्त जीवन को थाम ले। - १ तिमुथियुस ६:१२


एक साल में बाइबल:
  • गिनती २८-३०
  • मरकुस ८:२२-३८

मंगलवार, 2 मार्च 2010

अपनी बुलाहट का पता लगाना

मसीह का अनुसरण करने के निरंतर प्रयास में हम मसीहियों का एक संघर्ष है अपनी जीवन की बुलाहट पहचान लेना। हम इसे अपने व्यवसाय और स्थान के संदर्भ में सोचते हैं, परन्तु इससे भी ज़्यादा ज़रूरी है हमारा चरित्र, जो हमारे हर कार्य पर अपनी छाप छोड़ता है। "प्रभु आप मुझे कैसा देखना चाहते हैं?"

इफिसियों को लिखी अपनी पत्री में पौलूस विनती करता है कि हम अपनी बुलाहट के योग्य जीवन बिताएं (इफसियों ४:१)। इस ’योग्य जीवन’ के लिये वह कुछ बा्तों की अनिवार्यता को बताता है - दीन, नम्र और धैर्यवान होकर प्रेम से एक दूसरे की सहना (पद २)। पौलूस ने यह पत्र जेल से लिखा था, एक बहुत कठोर स्थान, लेकिन वहाँ पर भी वह परमेश्वर से मिली अपनी बुलाहट के अनुरूप जीवन जी रहा था।

ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने कहा है, "अर्पण केवल हमारे जीविका के कार्य को परमेश्वर को अर्पित करना नहीं है, परन्तु दूसरे सब कार्यों को छोड़कर अपने आप को परमेश्वर को समर्पित करना है, उसकी इच्छा के अनुसार उसके निश्चित स्थान पर रहना है, चाहे वह कारोबार, वकालत, विज्ञान, कारखाना, राजनीति या भारी परिश्रम में हो। हमें परमेश्वर के राज्य के नियम और सिद्धांतों के अनुसार उस स्थान पर रहकर काम करना है।"

जब हम परमेश्वर के सामने सही लोग होते हैं, तब जहाँ वह रखे हम वहाँ रहकर उसके द्वारा दिया गया कार्य कर सकते हैं। ऐसा करके हम अपने लिये परमेश्वर की बुलाहट पता लगाते और दृढ़ करते हैं। - David McCasland


तुम्हारे कार्य से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण, तु्म्हारा चरित्र है।


बाइबल पाठ: इफसियों ४:१-१६


सो मैं जो प्रभु का बन्धुआ हूँ, तुमसे विनती करता हूँ कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गये थे, उसके योग्य चाल चलो। - इफिसियों ४:१


एक साल में बाइबल:
  • गिनती २६,२७
  • मरकुस ८:१-२१

सोमवार, 1 मार्च 2010

पोषण की आवश्यकता

हमारा पोता कैमरौन वक्त के छः हफ्ते पहले पैदा हुआ था, इसलिये वह छोटा था और उसकी जान खतरे में थी। दो हफ्तों तक उसे अस्पताल के नवजात शिशुओं के कक्ष में रखा गया और उसकी देखभाल की गई, जब तक वह घर ले जाने लायक नहीं हो गया। उसकी सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि भोजन अंदर लेने और पचाने के लिये उसके शरीर को, भोजन से मिलने वाले पोषण की शक्ति से अधिक शक्ति खर्च करनी पड़ती थी। यह उसके विकास में बाधा थी। ऐसा लगता था कि मानो अपने विकास में वह एक कदम आगे लेता तो दो कदम पीछे।

उसकी हालत सुधारने के लिये कोई दवा या चिकित्सा की नहीं वरन केवल उचित शक्तिदायक पोषण देने की ज़रूरत थी।

इस पतित जगत के जीवन की चुनौतियों के सामने हम मसीहियों की भावनात्मक और आत्मिक शक्ति का नाश होता जाता है। इन अवसरों पर हमें स्फूर्तिदायक पोषण की ज़रूरत है। भजन ३७ में दाऊद हमें सिखाता है कि आत्मा को पोषित रखकर ही हम मन को मज़बूत रख सकते हैं। वह भलाई करने, देश में बने रहने, परमेश्वर पर भरोसा रखने और उसकी सच्चाई में मन लगाए रखने का प्रोत्साहन देता है (पद ३)।

जब हम कमज़ोर पड़ते हैं, तब परमेश्वर की अटूट विश्वासयोग्यता का निश्चय हमें उसके नाम से आगे बढ़ने की शक्ति देती है। उसका नाम और उसकी सच्ची देख-रेख का पोषण ही हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है, जैसे गीतकार कहता है, "तेरी सच्चाई महान है, आज के लिये सामर्थ और कल के लिये प्रकाशमान प्रत्याशा।" - Bill Crowder


आवश्यक शक्ति पाने के लिये परमेश्वर की सच्चाई का पोषण पाओ।


बाइबल पाठ: भजन ३७:१-११


यहोवा पर भरोसा रख और भला कर; देश में बसा रह, और उसकी सच्चाई में मन लगाए रह। - भजन ३७:३


एक साल में बाइबल:
  • गिन्ती २३-२५
  • मरकुस ७:१४-३७

रविवार, 28 फ़रवरी 2010

गहरी धुन

"फीवर पिच" नामक एक अंग्रेज़ी फिल्म के नायक बेन पर एक बेसबॉल खेलने वाले दल की धुन सवार थी। वह उनसे इतना प्रभावित था कि बसन्त और गर्मी के दिनों में वह उनका एक भी खेल देखना नहीं छोड़ता था।

एक बार सर्दियों के दिनों में बेन को एक जवान स्त्री लिंडसे से प्रेम हो जाता है और वह उसे अपनी ओर आकर्षित भी कर लेता है। जब बसन्त आता है तो लिंडसे को मालुम चलता है कि बेन बेसबॉल खेलों के समय एक भिन्न ही व्यक्ति हो जाता है। यदि लिंडसे उसके साथ बेसबॉल देखने नहीं जाती तो बेन के लिये भी उसके पास समय नहीं है। बेन की इस धुन के कारण लिंडसे बेन के साथ अपने संबंध तोड़ देती है।

तब एक दोस्त बेन को समझाता है और उससे पूछता है कि "तुम जिस बेसबॉल दल से इतना प्रेम करते हो, क्या वह भी तुमसे प्रेम करते हैं, क्या उन्होंने कभी तुम्हारे प्रेम का प्रत्युत्तर दिया है?" यह प्रश्न बेन को अपनी प्राथमिकताओं के बारे में सोचने और उन्हें ठीक करने को मजबुर करता है, और फिर वह अपनी प्रेमिका से अपने संबंध सही करके उसको ठीक समय दे पाता है।

हम अपने जीवन में काम, कई तरह के विनोदों और आनन्दमय कार्यों में व्यस्त रहते हैं। परन्तु हमें अपने विकल्पों को चुनते समय दो बातों पर विशेष ध्यान देना है, जो यीशु ने बतायीं - "तू अपने सारे मन से...परमेश्वर से प्रेम रख, और अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम कर।" (मत्ती २२:३७,३९)।

जब लगता है कि किसी विनोद या कार्य के कारण जीवन असंतुलित हो रहा है, तब हमें अपने आप से यह प्रश्न करना है, "क्या यह विनोद या यह कार्य भी मुझसे प्रेम करता है?" इसका उत्तर हमें नियंत्रण में रखेगा। परमेश्वर से और लोगों से प्रेम, ये ही वास्तव में मूल्य रखते हैं। - एन्नी सेटास


जब हम परमेश्वर के प्रेम को दूसरों के साथ बांटते हैं तब हम उसके प्रति अपना प्रेम दिखाते हैं।


बाइबल पाठ: मत्ती २२:३४-४०


तू अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम कर। - मत्ती २२:३९


एक साल में बाइबल:
  • गिनती २०-२२
  • मरकुस ७:१-१३

शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

चुप रहने का समय

मेरी दोस्त ’मेरी’ को अपने पिता के साथ मछली पकड़ने का समय बहुत पसंद था। मुझे मछली पकड़ने के बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी, इसलिये मैं जानना चाहती थी कि क्यों उसका मन इतना खुश होता था? उसका जवाब था, "मैं अपने पिता के साथ रहना पसंद करती हूँ।" जब मैंने उससे पूछा कि "क्या वहाँ मछली पकड़ने के साथ साथ अपने पिता के साथ बातें भी करती हो?" तो उसका जवाब था कि "नहीं हम बातें नहीं करते, केवल मछली पकड़ते हैं।"उसे संवाद नहीं, पिता का साथ आनन्द देता था।

आपने कभी सोचा कि परमेश्वर के सन्मुख हम बहुत समय बोलने में ही व्यस्त होते हैं; परन्तु क्या हम मौन या चुप रहने का अभ्यास करते हैं, या परमेश्वर के साथ बिताये "मौन समय" को हम अपनी प्रार्थनाओं से भर देते हैं? परमेश्वर ने कहा, "शांत हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ" (भजन ४६:१०)। यीशु ने जाना के उसके चेले इतने व्यस्त हुए हैं कि उन्हें खाने का समय भी नहीं मिलता, तो उसने उन से कहा, "तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो" (मरकुस ६:३१)। हम जीवन के आकर्षणों को पीछे छोड़ें तो और आसानी से परमेश्वर पर ध्यान कर सकेंगे और उसमें विश्राम पा सकेंगे।

क्या आप अकेले परमेश्वर के साथ कुछ मौन पलों को बिताने का अभ्यास करते हैं? क्या आप चाहते हैं कि वह आपके मन को शांति दे? (भजन २३:१-३) उसे आपको "शांत रहना" सिखाने दीजिये। यीशु के बुलावे को सुनिये के "मेरे साथ अलग आकर थोड़ा विश्राम करो।" - सिंडी हैस कास्पर


परमेश्वर के साथ बिताया शांत समय हमारे अन्दर भविष्य के खतरों का सामना करने की शक्ति संजो देता है।


बाइबल पाठ: भजन २३:१-३; मरकुस ६:३०-३२


शांत हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ। - भजन ४६:१०


एक साल में बाइबल:
  • गिनती १७-१९
  • मरकुस ६:३०-५६

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

अति दुखद विभाजन

एक वैबकैम द्वारा एक सफेद सिर वाले बाज़ के घोंसले में चल रहे नाटक पर नज़र रखी गई। एक प्रेमी बाज़ परिवार टूट रहा था, इस दृश्य को इन्टरनैट पर बहुत सारे लोगों ने देखा। पिछले वर्षों में कई अंडे देकर और उनसे बच्चे निकालकर मादा बाज़ ने बसंत में फिर नए अंडे दिये और उन्हें सेंने लगी। परन्तु एक नई जवान मादा बाज़ ने उनके सन्तुष्ट घोंसले के आनन्द को मिटा दिया। जब नर बाज़ उस नई मादा के साथ क्रीड़ा करने लगा, तो अंडे देने वाली मादा बाज़ घोम्सला छोड़कर चली गई और घोंसले में पड़े अंडों में पनपता जीवन नष्ट हो गया।

इंटरनैट के वार्तालाप स्थनों में इस पर उतेजित विवाद चला। बाज़ों देकह्ने और उन्हें चाहने वाले दर्शक क्रुद्ध थे। पक्षी शास्त्रियों ने उन नये बाज़ उत्साहियों को सावधान किया कि उन्हें मानव मूल्यों को पक्षियों पर लागू नहीं करना चाहिये। परन्तु सबने किया और चाहा कि प्रथम दंपति फिर मिल जाएं। ऐसा लगा कि सभी दर्शक परिवार के मेल और उसकी इकाई होने को पवित्र समझते हैं।

इस पर मैंने सोचा कि जब मानव परिवारोम में इस तरह का विच्छेद होता है, तब परमेश्वर भी ऐसे ही दुखी होता हिगा। मैं उन बाज़ों कि लिये इतना दुखी क्यों था? क्यों मैं अपने समाज के अलग हुए दम्पति और परिवारों के बारे में इतना व्याकुल नहीं होता? मुझे अपनी प्राथमिकता को बदलना है।

मलाकी २ में हम विवाह के विषय पर परमेश्वर का दृष्टिकोण देखते हैं। विवाह लोगों के साथ उसकी वाचा का प्रतीक है (पद ११)। वह उसे बहुत मूल्य देता है। हमें भी देना है। - जूली ऐकरमैन लिंक


विवाह-संबंध को दृढ़ करने को मसीह को प्रथम स्थान दो।


बाइबल पाठ: मलाकी २:१०-१६


तुम में से कोई अपनी जवानी की स्त्री से विश्वासघात न करे। - मलाकी २:१५


एक साल में बाइबल:
  • गिनती १५,१६
  • मरकुस ६:१-२९

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

ओकेल्लो की कहानी, कहानी हमारी

मेरी दोस्त रौक्सैन्न ने अपने जीवन में कई अच्छी नौकरियाँ कीं। उसने ओलिम्पिक्स खेलों में संवादिका होकर काम किया। उसने प्रसिद्ध कंपनियों और व्यक्तियों के लिये काम किया। कई सालों तक उसने बड़े मसीही खिलाड़ियों के बारे में लेख लिखे। परन्तु उन सब की तुलना उसकी अब की नौकरी से नहीं की जा सकती - उगान्डा के बच्चों को यीशु का प्रेम देने का काम।

उसका जीवन उगांडा में कैसे बीतता है? उदाहरण स्वरूप, वर्षा काल के एक गुरुवार को लीजिये; वह कीचड़ के कच्चे रास्ते से कैंसर रोगियों के अस्पताल में जाती है। अन्दर जाकर वह छोटे बालक ओकेल्लो को अपनी गोदी में उठाती है, जिसकी बाहों में बहुत सूजन और दर्द है, बदन बुखार से जल रहा है। वह उसे कैंसर के डॉक्टर के दफ्तर में ले कर जाती है और उसकी हालत सुधरने तक उसके साथ रहती।

हमारा नमूना यीशु है। उसने अपनी सेवा का सारा काल दुखियों के बीच बिताया, उनके रोगों को चंगा किया, उन्हें परमेश्वर के प्रेम का सुसमाचार दिया (लूका ७:२१,२२)।

हमारे जीवन की प्राथमिकताएं क्या हैं - केवल काम? अवश्य है कि हमें अपने और अपने परिवार के पालन-पोषण के लिये नौकरी करनी है। परन्तु दुख-दर्द भरे संसार की पीड़ा कम करने को क्या हम कुछ नहीं कर सकते हैं? हम रौक्सैन्न के जैसे उगांडा नहीं जा सकेंगे, परन्तु हम अपने आस-पास किसी की मदद करने का मार्ग ढूंढ सकते हैं और किसी के जीवन को बदल सकते हैं। - डेव ब्रैनन


मसीह में हमारी समानता का मापदंड है दूसरों के कष्टों की ओर हमारी सहानुभूति।


बाइबल पाठ:लूका ५:१२-१६


तब उसने (यीशु ने) अपना हाथ बढ़ाकर उसे(कोढ़ी को) छुआ। - लूका ५:१३


एक साल में बाइबल:
  • गिनती १२-१४
  • मरकुस ५:२१-४३