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शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

चुप रहने का समय

मेरी दोस्त ’मेरी’ को अपने पिता के साथ मछली पकड़ने का समय बहुत पसंद था। मुझे मछली पकड़ने के बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी, इसलिये मैं जानना चाहती थी कि क्यों उसका मन इतना खुश होता था? उसका जवाब था, "मैं अपने पिता के साथ रहना पसंद करती हूँ।" जब मैंने उससे पूछा कि "क्या वहाँ मछली पकड़ने के साथ साथ अपने पिता के साथ बातें भी करती हो?" तो उसका जवाब था कि "नहीं हम बातें नहीं करते, केवल मछली पकड़ते हैं।"उसे संवाद नहीं, पिता का साथ आनन्द देता था।

आपने कभी सोचा कि परमेश्वर के सन्मुख हम बहुत समय बोलने में ही व्यस्त होते हैं; परन्तु क्या हम मौन या चुप रहने का अभ्यास करते हैं, या परमेश्वर के साथ बिताये "मौन समय" को हम अपनी प्रार्थनाओं से भर देते हैं? परमेश्वर ने कहा, "शांत हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ" (भजन ४६:१०)। यीशु ने जाना के उसके चेले इतने व्यस्त हुए हैं कि उन्हें खाने का समय भी नहीं मिलता, तो उसने उन से कहा, "तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो" (मरकुस ६:३१)। हम जीवन के आकर्षणों को पीछे छोड़ें तो और आसानी से परमेश्वर पर ध्यान कर सकेंगे और उसमें विश्राम पा सकेंगे।

क्या आप अकेले परमेश्वर के साथ कुछ मौन पलों को बिताने का अभ्यास करते हैं? क्या आप चाहते हैं कि वह आपके मन को शांति दे? (भजन २३:१-३) उसे आपको "शांत रहना" सिखाने दीजिये। यीशु के बुलावे को सुनिये के "मेरे साथ अलग आकर थोड़ा विश्राम करो।" - सिंडी हैस कास्पर


परमेश्वर के साथ बिताया शांत समय हमारे अन्दर भविष्य के खतरों का सामना करने की शक्ति संजो देता है।


बाइबल पाठ: भजन २३:१-३; मरकुस ६:३०-३२


शांत हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ। - भजन ४६:१०


एक साल में बाइबल:
  • गिनती १७-१९
  • मरकुस ६:३०-५६

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